राजवीर और मानसिंह ने धोखे से कर्नल के हाथों राहुल का क़त्ल करा कर, अपनी लाइफ की सबसे बड़ी भूल कर दी थी। शायद उनको लगा था, स्नेहा को वह आसानी से कभी भी मार देंगे, लेकिन ये उनका सबसे बड़ा भ्रम था।
अपने पति की मौत के बाद स्नेहा, पत्थर हो गयी थी और उसने वही बने एक छोटे से काली मंदिर में प्रण लिया था, " जब तक अपने पति की मौत का बदला नहीं लूंगी, तब-तक चैन से नहीं बैठूंगी।
इसके बाद स्नेहा आसपास के गाँव में जाकर, वहाँ के आदिवासियों को ख़जाना लूटने का ऑफर देती है और उनको अपनी फ़ौज में भर्ती करके ट्रेनिंग देने लगती है।
उधर उस इंसान की बात सुनकर अर्जुन और उसकी टीम पूरी तरह हैरान हो गई, उनकी आँखें फटी की फटी रह गयी। आज उनके सामने जो खड़ा था, वह और कोई नहीं बल्कि महाभारत का अमर योद्धा, अश्वत्थामा था। उसका नाम सुनते ही अर्जुन के दिमाग़ में महाभारत की कहानियाँ घूमने लगी—वह योद्धा जो कभी महान धनुर्धारी था, लेकिन आज कृष्ण द्वारा श्रापित होकर जंगल-जंगल भटक रहा था।
"तुम्हारा नाम अर्जुन है और मुझे अर्जुन से बदला लेना है! भले ही तुम वह अर्जुन नहीं हो, पर अर्जुन नाम सुनकर ही मेरी नसों में रक्त उबलने लगता है।
अर्जुन और उसकी टीम अब भी इस चौंका देने वाली सच्चाई को समझने की कोशिश कर ही रहे थे कि तभी अर्जुन ने महसूस किया, ये लड़ाई इतनी आसानी से ख़त्म नहीं होगी।
अर्जुन: "हम यहाँ केवल ज्ञान की ख़ोज में हैं, हमारी तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है।"
"ज्ञान? तुम जैसे लोग सिर्फ़ विनाश लाते हो! तुम्हारा अस्तित्व ही मुझे दुखी करता है!"
ये कहते हुए, अश्वत्थामा ने एक बार फिर अर्जुन की टीम पर हमला कर दिया। इस बार उसकी ताकत और ज़्यादा थी। अर्जुन, सम्राट, आइशा और मीरा ने अपने-अपने हथियार निकाले, लेकिन अश्वत्थामा की गति और शक्ति के सामने वे कमजोर पड़ने लगे थे।
अर्जुन समझ चुका था कि इस युद्ध को जीतने का एकमात्र तरीक़ा है, अश्वत्थामा की कमजोरियों को समझना। समस्या यह थी कि अश्वत्थामा अमर था और उसे हराना इनके लिए असंभव था।
अर्जुन ने अपनी टीम को इशारे से पीछे हटने को कहा। अब उनकी प्राथमिकता अश्वत्थामा के गुस्से से बचना थी, ना कि उससे लड़ना।
अर्जुन: "हमें रणनीति बदलनी होगी। अश्वत्थामा से सीधे लड़ना बेकार है, हमें उसका ध्यान भटकाना होगा।"
अर्जुन ने अपने दिमाग़ में एक योजना बनाई। उसने अश्वत्थामा से बात करने की कोशिश की, ताकि उसका ध्यान बंट सके।
अर्जुन: "अश्वत्थामा, हम यहाँ तुम्हारे वरुद्ध लड़ने नहीं आए हैं। हम सिर्फ़ अपने मिशन पर हैं। हमें अनंत ज्ञान की खोज करनी है, तुम्हारा इससे कोई लेना-देना नहीं।"
अश्वत्थामा पर अर्जुन की बात का कोई असर नहीं पड़ा। उसका गुस्सा और बढ़ गया, उसने अर्जुन की ओर एक बार फिर हमला किया।
अर्जुन को समझ में आ गया था कि अश्वत्थामा को शांत करना आसान नहीं होगा, तभी आइशा को एक आईडिया आया—
आइशा: "मास्टर, हमारे पास बचने का सिर्फ़ एक रास्ता है, चकमा देकर यहाँ से भागना, इन्हें हराना इम्पॉसिबल है किसी के लिए भी।"
आइशा की बात सुनते ही मीरा ने कहा " उसके पास नींद का इंजेक्शन है, अगर किसी तरह उन्हें लगा दिया जाए तो वह कुछ देर में शिथिल पड़ पाएंगे और उनके बेहोश होते ही, टीम को भागने का मौका मिल जाएगा। अर्जुन को मीरा की बात सही लगी और अब सबने आंखों-आँखों में इशारों से बात करते हुए, अश्वत्थामा को चारों ओर से घेरने का प्लान बनाया।
अर्जुन: हम सबको इन पर मिल कर हमला करना होगा और मौका देखते ही डॉ मीरा आप इन्हें इंजेक्शन लगा देना। "
अर्जुन और टीम, अश्वत्थामा के चारों और घेरा बना कर एक-एक करके उनसे लड़ने की कोशिश करती है। अश्वत्थामा को हराना आज के बच्चों की बात नहीं, उनकी ऊंचाई और चौड़ाई के चलते कोई उन्हें छू भी नहीं पा रहा था। एक-एक करके सब थक रहे थे, उन्हें अब तक एक भी पल ऐसा नहीं मिला जहाँ वह उन्हें चकमा दे पाएँ।
"हाँ मैं मानता हूँ की मेरे पास मेरी मणि नहीं है और इसी वज़ह से मेरी शक्तियाँ भी कम है, लेकिन ये मत समझना की अश्वत्थामा तुम जैसे तुच्छ लोगों से हारेगा। जिनमें न नीति की समझ है या युद्ध की।"
जो अश्वत्थामा कह रहे थे वह शत प्रतिशत सच था। अर्जुन और उनकी टीम के पास तो लड़ने का भी कोई अनुभव नहीं था। भले ही अश्वत्थामा के पास मणि न हो पर बुद्धि में भी अभी वह उन सबसे तेज़ थे। मीरा समझती थी की इतनी सदियों तक उन्होंने बहुत कुछ सहा है, सब कुछ अपनी आँखों के सामने बदलते देखा है। वह सिर्फ़ शारीरक पीड़ा से ही नहीं, मासिक पीड़ा से भी गुज़र रहे थे। मीरा ने, अर्जुन को इस बात से वाक़िफ़ करवाया की अगर उन्हें हराना है तो बल और बुद्धि दोनों का यूज़ करना पड़ेगा।
अर्जुन ने मीरा की बातों को समझा। अश्वत्थामा की आँखों में दर्द और क्रोध था, जो सदियों से उन्हें परेशान कर रहा था। अर्जुन को अब उ नकी कमजोरियों पर वार करना था, न कि सिर्फ़ उसकी ताकत पर।
अर्जुन: "अश्वत्थामा, आप श्रापित हैं, लेकिन इसका कारण आपके कर्म है। अपने क्रोध में निर्दोषों का वध किया और यही कारण है कि आप इस पीड़ा में हो।"
अर्जुन की आवाज़ में एक अजीब-सी सच्चाई थी, जो अश्वत्थामा के दिल तक पहुँची। उसकी आँखों में कुछ क्षणों के लिए दर्द झलकने लगा। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखते हुए अश्वत्थामा कहा- "मैंने जो किया, वह केवल बदला था! मुझे धोखा दिया गया... मैंने वही किया जो एक योद्धा करता है!"
अर्जुन ने उसकी बातों को ध्यान से सुना और उसे और ज़्यादा इमोशनल करने की कोशिश की।
अर्जुन: "लेकिन इस बदले से तुम्हें क्या मिला? सदियों का दर्द और अकेलापन? तुम अमर हो, लेकिन इस अमरता में सिर्फ़ पीड़ा है। क्या तुम अब भी इसे सही मानते हो?"
अर्जुन की बातों ने अश्वत्थामा के दिल में छिपे दर्द को जगा दिया। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। उसकी क्रोध भरी आँखों में अब सिर्फ़ दर्द और पछतावा बचा था।
"मैं... मैं बस न्याय चाहता था... लेकिन अब समझ में आता है, मैं सिर्फ़ अंधेरे में भटक रहा हूँ।"
अश्वत्थामा अपनी आत्मगलनि में इतना खो गया था कि उसे समझ ही नहीं आया की कब मीरा ने उसे नींद का इंजेक्शन लगा दिया। चंद ही मिनटों में इंजेक्शन अपना असर दिखाना शुरू करता है और धीरे-धीरे उनकी ऑंखें धुंधली होने लगती है। अर्जुन उनके सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो जाता है और कहता है-
अर्जुन: "आप एक माहान योद्धा है, हमारे भविष्य को आपकी ज़रूरत है। अभी हम किसी और चीज़ की तलाश में है। आपसे इस लड़ाई में छल करने के लिए क्षमा करें"
अश्वत्थामा धीरे-धीरे अपना चिंतन खोने लगते है और उनका विशालकाय शरीर अब मूर्छित होने लगता है, वह अपनी आंखे बंद करते है और एक चट्टान से टकरा जाते है। उनका हाथ चट्टान पर एक लिवर नुमा आकर पर पड़ता है और तभी चट्टान से एक बड़ा-सा पत्थर अंदर जाता है। पत्थर के अंदर घुसते ही वहाँ से एक नीली रोशनी बाहर आती है।
सम्राट: मास्टर लगत है ये दरवाज़ा हमें अपनी ख़ोज की ओर ले जाएगा। इससे पहले की इन्हें होश आये हम सब यहाँ से चलते है।
एक-एक करके सब उस दरवाज़े की ओर बढ़ते है पर वह दरवाज़ा उन्हें एक रेगिस्तान पंहुचा देता है। सभी हैरान थे कि ये कैसे संभव हो सकता है। एक दरवाज़े के ज़रिये वह साउथ से नार्थ वेस्ट में पहुँच चुके थे। अर्जुन ने शिलालेख देखा तो वह भी चौक गए। उन्हें शिलालेख के हिसाब से अब एक रेगिस्तान में बनी वेधशाला की तरफ़ जाना था।
उनके सामने कई अनसुलझे रहस्य और खतरनाक चुनौतियाँ थीं। उन्होंने एक बार फिर से अपनी यात्रा शुरू की और इस बार वे पहले से भी ज़्यादा मज़बूत थे—लेकिन इस यात्रा का अंत क्या होगा, यह कोई नहीं जानता था।
रेगिस्तान की तपती दोपहर, हर ओर फैला हुआ रेत का सागर और आसमान में जलता हुआ सूरज। यहाँ चलते-चलते अर्जुन और उसकी टीम के क़दम भारी होते जा रहे थे। उन्हें उस प्राचीन वेधशाला तक पहुँचना था, लेकिन रास्ता मानो अंतहीन था। दूर-दूर तक किसी भी इंसानी मौजूदगी का नामोनिशान नहीं था।
अर्जुन: "बस थोड़ी दूर और... वहाँ पहुँचते ही सुराग मिलेगा।"
आइशा: "अगर हमने जल्दी नहीं की, तो इस रेगिस्तान हम प्यासे ही मर जाएंगे। अब हमारे पास पानी ख़त्म होने वाला हैं।"
विक्रम: "इस हालत में भी अगर कोई सुराग नहीं मिला, तो ये मिशन फेल हो सकता है।"
टीम को पता था कि यह सिर्फ़ रेगिस्तान से लड़ाई नहीं है, बल्कि वक़्त भी उनके ख़िलाफ था। अचानक से हवा की दिशा बदली और आसमान में धूल का एक बवंडर उठने लगा। अर्जुन ने उसे देखा और फौरन अपने साथियों को सचेत किया।
अर्जुन: "ये क्या... संभलो! तूफान आने वाला है!"
हवा की रफ़्तार अचानक से इतनी बढ़ गई कि रेत का तूफान उनकी ओर तेजी से बढ़ने लगा। अर्जुन ने अपने चारों ओर देखा। उन्हें कहीं छिपने की जगह नहीं दिखी। वे पांचों ज़मीन पर लेटकर रेत से ख़ुद को बचाने की कोशिश करने लगे, लेकिन तूफान की ताकत इतनी थी कि रेत उनके चेहरे पर चुभने लगी।
आइशा: "मास्टर! ये तूफान हमें ख़त्म कर देगा!"
अर्जुन: "हमें हर हाल में बचना है... बस कुछ पल और ये तूफ़ान गुज़र जाएगा।"
तेज हवाओं के बीच अर्जुन के कानों में एक अजीब-सी आवाज़ गूंजने लगी। किसी के कदमों की आहट... लेकिन इतनी तेज तूफानी हवाओं के बीच यह कैसे मुमकिन था? अर्जुन ने अपना चश्मा ठीक किया और आँखें खोली, उन्हें धुंधले धुएँ के बीच एक परछाई दिखी।
अर्जुन: "यह कौन हो सकता है?"
तूफ़ान धीरे-धीरे शांत होने लगा और उस परछाई की शक्ल साफ़ होती गई। वह कोई अनजान शख़्स था, जो रेगिस्तान के बीच अकेला खड़ा था। अर्जुन की टीम संभलते हुए खड़ी हुई और उनकी नजरें उस शख़्स पर टिक गईं।
विक्रम: "यह यहाँ कैसे...?"
आइशा: "यह शख़्स कौन है? और यह इस रेगिस्तान में अकेला क्या कर रहा है?"
अर्जुन ने उस शख़्स की ओर क़दम बढ़ाए, लेकिन जैसे ही वह उसके करीब पहुँचा, वह शख़्स अचानक गायब हो गया, मानो की वह कभी वहाँ था ही नहीं। अर्जुन चौंक गया।
अर्जुन: "यह... यह क्या था?"
मीरा: "यहाँ कुछ तो ग़लत हो रहा है, मास्टर। हमें सतर्क रहना होगा।"
अर्जुन को यह एहसास हो गया था कि इस रेगिस्तान में सिर्फ़ गर्मी और रेत की ही चुनौती नहीं है, बल्कि कुछ अदृश्य ताकतें भी उनका पीछा कर रही हैं।
क्या अर्जुन की टीम रेगिस्तान का रहस्य सुलझा पाएगी? या फिर उनमें से किसी का प्यास के मारे होने वाला था अंत? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
No reviews available for this chapter.