वो बच्‍चा बेहद प्‍यारा था, गोल मटोल भरा-भरा चेहरा....भूरी आंखों में गजब की चमक थी, चेहरे पर मुस्‍कान ऐसी कि कोई भी गोद में उठाकर प्‍यार करना चाहेगा।

मीरा ने उस बच्‍चे के चेहरे पर गौर किया, ‘’उसका चेहरा कहीं से राघव जैसा नहीं था, इस बच्‍चे के नैन नक्श एकदम अलग थे, अगर वो नैना राघव की पत्‍नी है, तो यह बच्‍चा तो नैना जसा भी नहीं लग रहा था, नैना तो तीखे नैन नक्श वाली लड़की है।’’ मीरा ने खुद को कोसा...क्‍या मै यहां राघव के बच्‍चे का चेहरा मिलाने आई हूं?‘’

उस बच्‍चे ने राघव की ऊंगली पकड़ी हुई थी, राघव कभी उस बच्‍चे को देखता और कभी चोर निगाहों से मीरा को...मानों इस बच्‍चे के साथ राघव का मीरा के सामने आना बहुत बड़ी गलती हो, पर मीरा यह सब जानने नहीं आई थी…एक छोटे से बच्‍चे के सामने तो गुस्‍सा नहीं कर सकती थी। 

‘’बहुत ही प्‍यारा बच्‍चा है तुम्‍हारा...’’ यह सुनकर राघव ने दो बार पलकें झपकाई, जैसे वह कहना चाह रहा हो कि मैं तुम्‍हारी बात से सहमत हूं। 

फिर मीरा ने कहा, ‘’अंदर से सच जानते हुए भी अनजान बने रहने की कोशिश करना बहुत तकलीफ देता है ना राघव?’’ 

राघव, उस बच्‍चे को देखकर मुस्‍कुराया, तभी मीरा की नजर अंदर रखे एक छोटे से टेबल पर गई उस पर वही नए कपड़े पड़े थे जो कल राघव ने शोरूम से खरीदे थे। राघव ने कबीर का परिचय मीरा से करवाते हुए कहा, ‘’कबीर, बेटा ये मीरा आंटी हैं, इन्‍हें हैलो करो’’ 

‘’हैलो आंटी।‘’ 

इतने तनाव और गुस्‍से के बाद भी मीरा कबीर की प्‍यारी आवाज सुनकर पिघल गई। मीरा घुटने के बल बैठकर गई और बोली, ‘’हैलो बेटा, कैसे हो आप?‘’

"मैं ठीक हूं, आप अंदर आइए ना, यह ब्रेकफास्‍ट का टाइम है, मेरे पापा चीज सैंडविच बहुत ही टेस्‍टी बनाते हैं।‘’

मीरा का मन फिर से कड़वा हो गया, ‘’नहीं बेटा, मैं तो बस आपको हाय बोलने आई थी।‘’ कहकर मीरा ने राघव को ठंडी नजरों से देखा...तुम्‍हें न तो मैं तब पहचान पाई थी और ना ही अब।वह बहुत कुछ कहना चाहती थी पर एक छोटे बच्‍चे के सामने खुद की इमेज खराब करना उसे पसंद नहीं, ना ही कबीर के कोमल मन को कोई ठेस पहुंचाना चाहती थी। 

मीरा ने राघव से कहा, ‘’राघव, प्‍लीज...तुम्‍हारे पास हमारी जो भी पुरानी फोटोज हैं, उन्‍हें जला दो, अब उन्‍हें संभालकर रखने का कोई मतलब नहीं है। कल तुमने बहुत ही गिरी हुई हरकत की थी, खैर सामने बच्‍चा है, मैं केवल इतना चाहती हूं कि मुझे भूल जाओ, जैसे शादी के दिन मुझे भूल गए थे। 

इतना कहकर मीरा वापस मुड़ने को थी, राघव ने कबीर को अंदर जाकर रेडी होने को कहा और जाती हुई मीरा से कहा, ‘’पुरानी यादें किताब का पन्‍ना नहीं होती मीरा, जो फाड़ कर फेंक दिया जाए और जला दिया जाए।‘’ 

‘मीरा मुड़ी, ‘’यह सब बातें तुम्‍हारे मुंह से अच्‍छी नहीं लगती राघव, कहां से सीखा तुमने यह सब...मुझे तो हैरानी हो रही है कि हमारे फोटो को अपने घर पर संभालकर रखा है तुमने और तुम्‍हारी पत्‍नी यह सब सहन कैसे कर लेती है, या फिर उसके साथ भी चीट कर रहे हो?’’ 

‘’नैना मेरी पत्‍नी न...’’ राघव की बात पूरी नहीं हुई थी कि मीरा चीख पड़ी। 

‘’प्‍लीज राघव....तुम सफाई देते हो तो लगता है एक नए धोखे की प्‍लानिंग कर रहे हो, प्‍लीज अब तुम शादीशुदा हो, एक बच्‍चे के बाप हो, अब तो वफादारी निभाओ।‘’

‘’मीरा, प्‍लीज मेरी बात सुनो, मैं तुमसे बहुत प्‍यार करता हूं, हर दिन मेरा प्‍यार तुम्‍हारे लिए बढ़ता ही जा रहा है।‘’ 

‘’चुप रहो राघव, मुझे तुम्‍हारे मुंह से प्‍यार व्‍यार जैसी बातें जहर लग रही हैं। तुम्‍हारा असली चेहरा, तुम्‍हारा ढोंग मेरे सामने आ चुका है, प्‍लीज थोड़े से मैच्योर हो जाओ। अगर वाकई में मुझसे जरा सा भी प्‍यार किया है तो उन फोटोज को आग लगा दो, और आइंदा से कभी मेरे सामने मत आना, लेकिन मैं जानती हूं कि तुम्‍हारे मन में चोर है, तुम अपने फायदे और मेरी बदनामी के लिए मेरी फोटो आगे यूज करना चाहते हो, ठीक है कर लो, मैं भी देखना चाहती हूं कि तुम कितना नीचे गिर सकते हो, अब तुम मुझे तोड़ नहीं सकते।‘’ 

‘तुम जो भी कहो मीरा एक समय आएगा जब तुम केवल पछताओगी।’’ 

 

मीरा ने राघव की बात को अनसुना कर दिया और उल्‍टे पांव जाकर कार में बैठ गई। 

वह जानती थी कि राघव ऐसे पीछे हटने वालों में से नहीं है, इसकी पत्‍नी नैना कहां थी, हमारी इतनी तेज बहस हो रही थी और वह बाहर नहीं निकली...क्‍या राघव के बेटे कबीर ने अंदर जाकर बताया नहीं कि कोई पापा से मिलने आया है? राघव, कबीर का ब्रेकफास्‍ट और लंच क्‍यों बना रहा था? क्‍या वह घर में नहीं थी? क्‍या नैना कहीं बाहर जॉब करती है?

मीरा को खुद पर ही गुस्‍सा आया, वह राघव को सबक सिखाने और उसे हमेशा के लिए भूल जाने की वार्निंग देने आई थी और खुद ही राघव के घर परिवार के मामले के बारे में सोच रही थी। 

 

घर पहुंचकर मीरा चेयर पर बैठ गई, उसका मन बहुत ही बेचैन था...सुबह के नौ बज चुके थे। कल रात भर उलझन के कारण उसे नींद नहीं आई, सुबह सुबह राघव के घर जाकर उससे बकबक झकझक कर के लौटने के बाद मन और खराब हो गया था। उसका किसी काम में मन नहीं लग रहा था, न काॅफी पीने की इच्‍छा हो रही थी, न शॉवर लेने की और ना ही ब्रेकफास्‍ट करने की। 

तभी मीरा का फोन बजा, शांतनु का फोन था, उसने घड़ी देखी...आफिस न आने का कारण पूछ रहा होगा, उसका आज आफिस जाने का मन नहीं था, कल की घटित घटना उसके न आने का कारण था। वह कुछ समय अकेली रहना चाहती थी। 

मीरा ने छुट्टी मांगने के लिए फोन उठाया....मीरा के हैलो कहने से पहले शांतुन ने कहा, ‘मीरा एक बहुत ही शानदार मौका हमारे हाथ लगा है।’’

मीरा का मन इस समय इतना खिन्‍न था अगर उससे कहा जाता कि तुम्‍हारे ड्रेस कलेक्‍शन फैशन वीक के लिए सेलेक्‍ट हो गया है वह तब भी खुश नहीं हो पाती।

‘’जी सर बताइए‘’ मीरा ने रूखे स्‍वर में कहा, उसने पूरा मन बना लिया था कि चाहे जो भी मौका होगा, मैं इंटरेस्‍ट नहीं लूंगी। 

‘’तुमने ग्‍लोबल गोल्‍डन स्‍कूल का नाम तो सुना ही होगा‘’ 

मीरा ने बेमन से कहा, ‘’हां शायद, पता नहीं सर, याद नहीं।‘’ 

‘’कोई बात नहीं, अंधेरी ईस्‍ट में है, मुंबई का सबसे नामी स्‍कूल, यह स्‍कूल इस साल अपने बच्‍चों की ड्रेस का कलर और डिजाइन चेंज कर रहा है उन्होंने कुछ डिजाइनर को अपने डिजाइन के साथ स्‍कूल में इनवाइट किया है जिससे वे कुछ डिजाइन फाइनल कर दे और बच्‍चों के लिए ड्रेस बनवाया जा सके।‘’ 

मीरा ने कहा, ‘’लेकिन सर हमारे पास तो बच्‍चों के फैंसी ड्रेस, पार्टी वियर, नाइट वियर के डिजाइन हैं, स्‍कूल ड्रेस की डिजाइन में बहुत ज्‍यादा स्‍कोप तो रहता नहीं है, क्‍योंकि उन्‍हें सिंपल और सोबर रखना होता है और सब एक जैसे ही होते हैं।‘’

‘’स्‍कोप नहीं है तो स्‍कोप बनाओ...मुझे तो हैरानी हो रही है कि तुम ऐसी बातें कर रही हो। तुम तो इन सब चीजों को चैलेंज के रूप में लेती थी, मैं तो तुमसे उम्‍मीद कर रहा था कि तुम इस मौके को पूरी तरह से फायदा उठाना चाहोगी।’

‘’पर सर मेरे पास कोई डिजाइन नहीं है।‘’ 

‘’नहीं है तो बनाओ, देखो अभी नौ बज रहे हैं, बारह बजे तक डिजाइनरों को अपने डिजाइन लेकर स्‍कूल पहुंचना है, तुम्‍हारे घर से आधे घंटे की दूरी पर स्‍कूल है। तुम्‍हें आफिस आने की जरूरत नहीं है और ना ही शोरूम में जाने की, तुम्‍हारे पास करीब तीन घंटे हैं, मुझे पूरा विश्‍वास है कि तुम यह काम केवल एक घंटे में कर सकती हो।‘’

‘सर प्‍लीज....स्‍कूल ड्रेस में हम कोई एक्‍सपेरिमेंट नहीं कर सकते, मेरे डिजाइन इतने सिंपल कभी नहीं होते।’ 

‘’तो एक्‍सपेरिमेंट करो मीरा, हमें आगे भी सोचना होगा। तुम्‍हें पता है ग्‍लोबल गोल्‍डन स्‍कूल में कुछ आठ हजार बच्‍चे पढ़ते हैं, अगर बाई चांस हमारे डिजाइन किए हुए ड्रेस सेलेक्‍ट हो गए और स्‍कूल ड्रेस सिलने का कॉन्ट्रैक्ट हमें मिल गया तो हमें करोड़ो का फायदा होगा। अब तुम काम पर जुट जाओ, बारह बजे मैं तुम्‍हें ग्‍लोबल गोल्‍डन स्‍कूल में देखना चाहता हूं।‘’ 

 

मीरा ने सिर पकड़ लिया, ‘’यहां कितने सेल्‍फिश लोग हैं, किसी की फीलिंग की कोई कदर ही नहीं….मीरा अभी किस दर्द से गुजर रही थी इसकी किसी को परवाह नहीं। जी में आया कि एक लेटर लिख दे और नौकरी छोड़कर भाग जाए अपने माता पिता के पास मसूरी और हरी भरी वादियों में खुद को खो जाने दे। पर क्‍या वहां सूकून मिलेगा? पांच सालों से अपनी लाइफ एक रूटीन पर चल रही थी, राघव ने वापस आकर सबकुछ खराब कर दिया। 

वो इस शहर में है मैं इस शहर में हूं तो वह किसी न किसी बहाने मुझसे मिलता रहेगा। वो मेरी जिंदगी का चैन सूकुन छीनने आया है…

तभी डोरबेल बजी, मीरा का दिल तेजी से धड़का…क्‍या राघव फिर से आ गया?’’

मीरा ने डोर खोला...सामने कामवाली थी। 

‘’झाड़ू पोछा बाद में करना, पहले मेरे लिए तुम काॅफी बना दो।‘’

जी मैडम कहकर कामवाली किचन में चली गई, मीरा ने दरवाजा बंद कर के राहत की सांस ली…थैंक गॉड, बस यही इच्‍छा है कि राघव अब कभी मेरे सामने न आए...ना ही मेरे घर का डोरबेल बजाए।

मीरा एक कागज और पेंसिल लेकर बैठ गई...स्‍कूल के बच्‍चों का ड्रेस डिजाइन करना उसके लिए किसी सिरदर्द से कम नहीं था। 

नर्सरी के बच्‍चो का ड्रेस अलग - इनका ड्रेस फैंसी के साथ साथ सोबर होना चाहिए, क्‍लास वन से लेकर फिफ्थ तक के बच्‍चों के ड्रेस का रंग अलग और सिक्‍स से लेकर ट्वेल्व तक के बच्‍चों का ड्रेस अलग। मीरा ने पहले तो गूगल में बहुत सारे स्‍कूल ड्रेस देखे फिर अपनी कल्‍पना से कुछ डिजाइन तैयार कर दिए। पूरे दो घंटे लग गए डिजाइन बनाने में। 

मीरा ने घड़ी देखी, ग्‍यारह बज चुके थे....वह झट से बाथरूम में घुसी और नहा धोकर रेडी होकर हल्‍का फुल्‍का नाश्‍ता करते करते साढ़े ग्‍यारह बज गए। 

बारह बजे हर हाल में स्‍कूल पहुंचना था, देरी का मतलब निहारिका मैम का गुस्‍सा झेलना पड़ेगा, कामवाली घर का सारा काम निपटाकर चली गई थी। 

मीरा ठीक बारह बजे स्‍कूल पहुंच गई…..स्‍कूल में लंच टाइम चल रहा था। सारे बच्‍चे ग्राउंड में खेल रहे थे। 

मीरा, निहारिका और शांतनु के साथ स्‍कूल के स्‍टाफ रूम में चली गई, वहां से उन्‍हें एक बड़े से हॉल में ले जाया गया, वहां पहले से ही ढेर सारे ड्रेस डिजाइनर बैठे थे। 

स्‍कूल की प्रिंसिपल, वाइस प्रिसिपल सारे डिजाइन देख रहे थे>

मीरा ने कागज पर कुछ सकूली ड्रेस डिजाइन किए थे और उनमें कलर भी भर दिया था कि पहनने पर वे कैसे लगेगे। 

प्रिंसिपल मैम ने कुछ डिजाइन सेलेक्‍ट कर के सामने बैठे डिजाइनरों से कहा.…आप सबने बहुत मेहनत की है, इसलिए हम निर्णय नहीं ले पा रहे हैं कि कौन सा डिजाइन सेलेक्‍ट करें, हम अपने बच्‍चों और उनके पैरेंट्स की राय भी लेना चाहते हैं, हम दो दिन बाद आपको पर्सनल मैसेज कर के बता देंगे कि किसका डिजाइन सेलेक्‍ट हुआ है।‘’

 

उसी समय तेजी से स्‍कूल की एक टीचर दौड़ती हुई आई....और प्रिंसिपल मैम मिसेज ज्‍योति से बोली, ‘’ मैम जल्‍दी चलिए उधर प्‍लेग्राउंड में एक बच्‍चा जिसका नाम कबीर शर्मा है, वह झूले से गिर गया उसके घुटने पर चोट लगी है, ब्‍लीडिंग हो रही है।‘’ 

‘’तो उसे मेडिकल रूम ले जाओ।‘’ मिसेज ज्‍योति ने कहा।

‘’ले गए हैं मैम...वह रो रहा है और घर जाना चाहता है अपने पापा को याद कर रहा है।‘’

‘’कितने साल का है और कौन सी क्‍लास में पढ़ता है?’’ 

‘’मैम पांच साल का है, और नर्सरी ए में पढ़ता है अभी न्‍यू एडमिशन है।‘’ 

"उसके पापा का नाम?"

‘’राघव शर्मा मैम, पर इस समय उसके पापा घर पर नहीं मिलेंगे, वे रात को ही आते हैं, स्‍कूल के बाद बच्‍चा एक क्रेच में जाता है और शाम को एक केयरटेकर आता है, कबीर की मां का पता नहीं क्‍योंकि वे कभी कबीर के साथ स्‍कूल आई ही नहीं है।’’ 

मीरा का दिल धक से रह गया…‘’नैना अपने बेटे को लेकर स्‍कूल कभी आई ही नहीं, घर में तो नैना नहीं दिखी थी.....क्‍या राघव और नैना सच में अलग हो चुके हैं?‘’

वह टीचर मिसेज ज्‍योति से बोली, ‘’मैम वह घर जाना चाहता है, वह कह रहा है कि उसके पास घर की चाभी है उसे केवल घर पहुंचा दिजिए।‘’

‘’ऐसे कैसे हम पांच साल के बच्‍चे को अकेला घर में छोड़ दें क्रेच में भी नहीं डाल सकते, केयरटेकर शाम को आएगा।।‘’ 

मीरा को पता नहीं क्‍या सूझा.....उसने प्रिसिंपल मैम से कहा, ‘’मैम...मैं कबीर को उसके घर पहुंचा देती हूं, जब तक उसके पापा नहीं आएंगे मैं साथ रहूंगी।‘’ 

‘’आप कबीर को जानती हैं...’’ मिसेज ज्‍योति ने पूछा। 

‘जी मैम, वह मुझे पहचानता है।‘’ 

मीरा स्‍कूल के स्‍टाफ के साथ मेडिकल रूम पहुंची, मीरा को अपने सामने पाकर कबीर चहक उठा, अपना दर्द जैसे भूल गया। 

‘मीरा आंटी आप...... हम सुबह ही मिले थे ना। ’’ कहकर कबीर उठा और लड़खड़ाते कदमों से चलकर मीरा के पास आया और उससे लिपट गया। 

मिसेज ज्‍योति ने कहा, ‘ठीक है मीरा जी, अब हमें और कुछ कहने की जरूरत नहीं है, वैसे तो हम अजनबियों के हाथों बच्‍चो को नहीं सौंपते, पर लगता है कबीर आपको अच्‍छे से जानता है। क्‍या आप कबीर के घर का एड्रेस जानती हैं।‘’ 

मीरा ने हां में गरदन हिलाई। 

‘’तो ठीक है आप कबीर को उसके घर पहुंचा दीजिए।‘’ 

मीरा ने अपनी बॉस निहारिका और शांतनु से परिमिशन मांगी जो उसे तुरंत मिल गई, निहारिका कहीं ना कहीं इसमें अपना फायदा भी देख रही थी। 

वे मिसेज ज्‍योति से बोली, ‘’मैम मीरा दिल की बहुत ही अच्‍छी लड़की है, हमारी ओर से जो डिजाइन आपको दिए गए हैं वो मीरा ने ही बनाए हैं, हमें उम्‍मीद है कि आपको पसंद जरूर आएंगे। 

‘जरूर, मिस निहारिका.....हम आपके डिजाइन पर गहराई से सोचेंगे।‘’ 

मीरा ने न जाने किस भावना भरे आवेश में आकर कबीर को उसके घर पहुंचाने का बीड़ा ले लिया था, पर मन ही मन डर रही थी कि कहीं राघव से उसका सामना न हो जाए और जो खुद ही राघव को खुद से दूर रहने के लिए कह रही थी अब अपनी मरजी से राघव के करीब आ रही थी। 

कहीं नैना आ गई तो!

मैं उसका सामना कैसे करूंगी......वो क्‍या समझेगी कि मैं उसके पति को छीनने आई हूं, नहीं मैं राघव से नफरत करती हूं, मैं कबीर को घर के बाहर ही छोड़कर चली जाऊंगी।‘’ 

 

क्‍या सच में मीरा और राघव का आमना सामना फिर से होगा? 

क्‍या नैना और मीरा की मुलाकात होगी? 

मीरा को अचानक कबीर से इतना लगाव क्‍यों हो गया? 

इस कहानी का अगला पड़ाव क्या होगा?


जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!

 

 

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