विवेक के आ जाने से रोहन का काम आसान जरूर हो गया था लेकिन रोहन के लिए मंज़िल अब भी दूर थी। रोहन अपनी कार को तेजी से बढ़ाते हुए यही सोच रहा था कि वो अपनी कमजोरी किसी को भी नहीं बनने देगा। इसके पीछे शायद रोहन का वो अतीत है जिसे वो कभी वापस नहीं जीना चाहता। 
रोहन एक बार फिर से निकल पड़ा अपने काम को अंजाम देने। हल्की ठंड पड़ने लगी थी इसलिए आस पास की ज्यादातर दुकानें बंद हो रहीं थीं। रोहन की कार एम जी रोड से होते हुए कुछ ही मिनटों में E45 के गेट के सामने पहुँच गया। गेट पर पहुंचते ही रोहन ने दो बार हॉर्न बजाया । इससे पहले कि गार्ड गेट खोलता कि तभी गार्ड की घुमटि पर फोन की घंटी बजी…

ज़ाहिर था रोहन की गाड़ी को बंगले के अंदर आने की इजाज़त मिल गई थी। रोहन ने पार्किंग में अपनी कार लगाई और देखा कि बंगला काफ़ी बड़ा था! बंगले के हिसाब से लाइटें थोड़ी कम जल रही थीं । रोहन बंगले में दाखिल होता है। बंगले के अंदर, रोहन अकेला नहीं था। कुछ लोग उसके पहुँचने से पहले ही वहाँ आए हुए थे। गाड़ियों के आने जाने का सिलसिला काफी देर तक चलता रहा। पार्टी ज़ोर शोर से चल रही थी। कहीं कोई जाम लगा रहा था तो कहीं कोई दाम। ये सिलसिला रात के 3 बजे तक चलता रहा हालांकि ज़्यादातर लोग पार्टी से तब तक जा चुके थे लेकिन रोहन अभी भी पार्टी में था। क्या करने आया था रोहन यहाँ? प्रताप विहार के E45 में आख़िर होता क्या है?? ये बात रोहन के अलावा सिर्फ़ विवेक को मालूम थी।

एक घंटे बाद, गेट खुला और रोहन की कार बाहर निकली। रोहन बंगले में भले ही अकेले आया था, लेकिन बाहर निकलते वक्त रोहन की गाड़ी में एक लड़की भी थी, जिसकी बॉडी पूरी तरह से रोहन की तरफ झुकी हुई थी। ऐसा लग रहा था मानो वो नशे में धुत हो। रोहन उसको गाड़ी में बैठता है और तेज़ी से वहाँ से निकलता है।

लड़की नशे में बड़बड़ा रही थी। रोहन उसको अनसुना करते हुए चुप-छाप ड्राइव करता रहा। तभी लड़की ने गुस्से से कहा…

काव्या : व्हाट इस दिस यार?? कहाँ जा रहे हैं हम??? आई टोल्ड यू  कल मेरी फ़्लाइट है… मुझे मीटिंग में जाना है… यू अन्डर्स्टैन्ड मैं क्या कह रही हूँ?

रोहन ने कोई जवाब नहीं दिया। बस गाड़ी चलता रहा। उसको पता नहीं था कि उसके साथ जो लड़की बैठी है, वह कौन है? पर रोहन के लिए ये कोई नई बात नहीं थी क्योंकि रोहन ने कभी भी किसी में कोई दिलचस्पी दिखाई ही नहीं। उसके लिए नई रात मतलब नई लड़की। रोहन उस लड़की की हर बात को इग्नोर कर रहा था। वह लड़खड़ाती ज़बान में बोली    

काव्या : यू नो हू आई एम? “द काव्या सहगल”…जिससे बात करने के लिए लड़कों की लाइन लगी रहती है और एक तुम हो, जो अलग तेवर दिखा रहे हो…

रोहन ने अब भी कोई जवाब नहीं दिया। नशे की हालत में काव्या बोलती रही…और कार तेज़ी से चलती रही। थोड़ी देर के बाद काव्या चुप हो गई…शायद उसे नींद आ रही थी…या नशे की हालत में बेहोश हो गई। करीब 10 मिनट बाद रोहन ने बबलू को फ़ोन किया….

रोहन - बबलू बाहर आ जा, मैं पहुंच रहा हूं…

बबलू ने नींद में ही फ़ोन उठाकर बात की। वैसे बबलू को इन सब चीज़ों की आदत पड़ गई थी।

बबलू : ठीक है भईया…बाहर आता हूं….

रोहन की कार अब उसके कोठी के कैंपस के अंदर आ गई। कार की लाइट सीधे बबलू की आंखों पर पड़ी तो उसने अपनी आंखें बन्द कर ली।  रोहन गाड़ी से उतरा और उसने सहारा देकर काव्या को उतारा। काव्या अब भी नशे में थी। उसका हाथ पकड़ते हुए रोहन ने कहा…

रोहन : एक काम कर बबलू…रूम में पानी रख दे और गेट बंद करके सो जा…

रोहन काव्या को संभालने की कोशिश कर रहा था, क्योंकि काव्या बेहोशी की हालत में थी। उसने काव्या को कसकर पकड़ा हुआ था, वरना वो तो लड़खड़ाकर कहीं भी ढेर हो जाती। वो तो इस हालत में नहीं थी कि एक क़दम भी आगे बढ़ा सके। इस बीच, बबलू ने रोहन के कमरे में पानी रखा और सोने चला गया। काव्या को बेड पर सुला कर रोहन छत पर चला गया…। सुबह होने को थी और रात की खामोशी अब कम होने लगी थी। इस वक़्त रोहन किसी से बात करना तो चाहता था, लेकिन कोई उसके करीब नहीं था और जो पास थे उनसे वो दूर हो गया था। एक अजीब बेचैनी थी जो उसे हर वक़्त अंदर ही अंदर खाये जा रही थी। सुबह हो गई थी, रोहन भी छत से नीचे आ गया और न जाने उसे कब नींद आ गई….तभी एक आवाज़ ने उसे जगा दिया…

काव्या : उठो यार! एक भी कैब यहां आने को तैयार नहीं है…. कैसी जगह है ये….. तुम्हें मुझे ड्रॉप करना ही पड़ेगा वरना मेरी फ़्लाइट निकल जाएगी…

काव्या ने इतनी तेज़ आवाज़ में ये बात कही फिर भी रोहन टस से मस नहीं हुआ…

काव्या : कहां फंस गई… ओ माइ गॉड …आज इतनी इम्पॉर्टन्ट मीटिंग है सब वैस्ट हो जाएगा…

काव्या की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि बबलू की नींद खुल गई… इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता, एक ग्लास गिरने की तेज़ आवाज़ आई!

उस आवाज़ से रोहन की भी नींद खुल गई। बंद आखों से उसने कहा…

रोहन - बबलू क्या हुआ??? हो क्या रहा है यहां…?

इससे पहले बबलू वहां आता काव्या ने कहा…

काव्या : प्लीज मुझे एयरपोर्ट छोड़ दो.. वरना मेरी फ्लाइट मिस हो जाएगी…

रोहन : कौन हो तुम और मेरे घर में क्या कर रही हो??

काव्या : हैलो ! ये तो मुझे भी नहीं पता, मैं यहां क्या कर रही हूं?? और तुम कौन हो…. ये सारी बातें हम रास्ते में भी एक दूसरे के साथ कर सकते हैं… मैं अपनी फ्लाइट मिस नहीं करना चाहती… समझे तुम!!

काव्या लगातार बोले जा रही थी और रोहन की आंखें थोड़ी खुली और थोड़ी बंद थी… लेकिन उसे धीरे-धीरे रात की सारी बातें याद आ चुकी थी। 
रोहन : थोड़ा आहिस्ता बोलो.. मैं बहरा नहीं हूं…और हां तुम मेरे साथ क्यूं हो ये मेरी प्रॉब्लेम नहीं है। वैसे भी मैंने तुम्हें फोर्स नहीं किया मेरे साथ आने के लिए.... वो तुम्हारा डिसिशन था। बबलू मैडम के लिए कैब बुक कर दे एयरपोर्ट जायेंगी…

काव्या : हैलो ! तब से मैं क्या कर रही हूँ ? यहां कोई भी कैब नहीं आ रही है…

उसके बाद काव्या नौन स्टॉप बोली जा रही थी और रोहन उसे देखे जा रहा था…शायद पहली बार इस घर में दिन के उजाले में किसी की मौजूदगी का एहसास हो रहा था…काव्या के लंबे बाल बार-बार उसकी आंखों के सामने आ जाते, जिसे वो बेमन से ठीक करने की कोशिश करती। रोहन अपने अधखुली आँखों से उसको देख रहा था - लंबा कद, बड़ी-बड़ी आँखें! मन ही मन वो सोच रहा था कि देखने में तो काफ़ी सुंदर है; रात को ठीक से देखा भी नहीं था। उसे याद आया कि काव्या ही उसके पास आई और साथ चलने के लिए तैयार हो गई। तभी अचानक से बबलू ने कहा…

बबलू - आपको एयरपोर्ट जाना पड़ेगा भईया..

रोहन - इस मैडम की तरह तुमने भी ऑर्डर देना शुरू कर दिया …

बबलू  - भईया बात ऑर्डर की नही है…. दरअसल फ्लाइट से मां और कंचन दीदी आने वाली है यहां..

रोहन - क्या?? तूने मुझे पहले बताया क्यूं नहीं….

बबलू - रात में आप आए और मैडम की तबियत भी ठीक नहीं थी तो मैं आपसे क्या कहता?? कंचन दीदी ने आपको फ़ोन किया था, लेकिन आपका नंबर नहीं लग रहा था। फिर उन्होंने मुझे फ़ोन किया और कहा कि वो लोग ख़ुद ही आ जाएंगे…

रोहन - कितने बजे की फ़्लाइट है?  

बबलू - 10 बजे

रोहन : मैडम आपकी फ्लाइट कितने बजे की है…
रोहन ने ज़ोर देकर बोला था…क्यूंकि अब से थोड़ी देर पहले तक सिर्फ़ काव्या की आवाज़ ही चारो तरफ गूंज रही थी…और अब जब रोहन ने अपना इरादा बदला था, तो काव्या किसी और ही काम में बिजी हो गई थी….

रोहन - क्या करने का इरादा है???

काव्या : क्या??? तुम पागल हो क्या… इतनी देर से मैं बोले जा रही हूं कि मुझे एयरपोर्ट ड्रॉप कर दो…और तुम मुझसे ये पुछ रहे हो कि मेरा इरादा क्या है??? मुझे यहाँ से जाना है वो भी तुरंत, समझे! एक बार बस यहाँ से निकल जाऊँ आई स्वेर, मैं दोबारा ऐसी गलती कभी नहीं करूंगी।

रोहन : टाइम क्या हुआ है बबलू??

काव्या : 8 बज गए हैं… कम ऑन …अब चलो भी…

काव्या ने ज़ोर से रोहन का हाथ पकड़ लिया था…इस तरह यूं काव्या का अचानक से क़रीब आना उसे अन्दर तक बेचैन कर गया। कई सालों बाद उसे वो अजीब एहसास हुआ जो उसे माया के आने से हुआ था।
क्या होगा काव्या और रोहन की इस मुलाकात का अंजाम? आखिर एक अनजान लड़की को क्यूँ अपने घर लाया था रोहन ?

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