अपर्णा निवास से बबलू निकला तो उसका दिमाग मटरू और राजू की वजह से चटका हुआ था, ऊपर से दिन भर से पैकिंग और शिफ्टिंग का काम… उसने सबसे पहले पनवाड़ी की दुकान पर जाकर एक सिगरेट जलायी।। इतने में उसके मोबाइल की घंटी बजी.. देखा तो रोहन। दरअसल प्रिया ने ही उसे कॉल करने को कहा था, जिस तरह की बात राजू ने कही थी, उसे याद करके उसका मन नहीं माना था कि बबलू अकेले अपने घर जाए। उसे चिंता हो रही थी, इसीलिए उसने रोहन को कहा था, फोन करने के लिए। फोन पर रोहन की आवाज़ आई, ‘’तुम अभी कहाँ हो, मैं आ रहा हूं।''
बबलू ने फ़ोन पर कहा, “नहीं रोहन, मैं चला जाऊंगा”। जब रोहन ने ज़िद की, तो वह बोला, “ठीक है, आ जा, इसी बहाने सिगरेट भी पी लेना”। जैसे ही बबलू ने कॉल काटा, एक कड़क आवाज़ आई, “एक ५०२ पताका बीड़ी का बंडल देना”, और इसी के साथ दो हट्टे कट्टे आदमी बबलू के पास आकर खड़े हो गए। उधर, अपर्णा निवास में, सुषमा किचन का बाकी बचा हुआ काम पूरा करने के बाद, सीधी अपर्णा के पास गई और बोली, ‘’दीदी, हो गई आपकी बबलू भैया से बात?''
इस बात पर उन्होंने सर को हां में हिला दिया। जिस तरह वह बबलू की बात से संतुष्ट हो गई थी, उसी तरह सुषमा ने भी उनकी हाँ देख दोबारा कोई सवाल नहीं किया। अक्सर ऐसा होता था कि दोपहर का खाना, देर से खाने पर रात में खाना बनाने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। आज भी कुछ ऐसा ही था, इसीलिए अपर्णा ने कहा, ‘’सुबह से काम में लगी हुई हो, जानती हूं थक गई होगी। जाओ जाकर आराम कर लो।''
भले ही सुषमा ने कभी भी थकने की बात नहीं कही, मगर थकान उसके चेहरे पर साफ नज़र आ रही थी इसीलिए दीदी के कहने पर वहां से चली गई। जैसे ही वह अपने कमरे में पहुंची तो हरि की हालत को देख कर दंग रह गई।
दूसरी तरफ, पान की दुकान पर दोनों आदमी बबलू से सट सट कर बातें कर रहे थे। पहले तो बबलू को लगा, जैसे अनजाने में सट रहे है मगर कई बार जब उन्होंने ऐसी हरकत की तो बबलू को गुस्सा आ गया। उसने तुरंत कहा, “भाई थोड़ा अपने सहारे खड़े रहो, बार बार मुझसे क्यों सट रहे हो, उधर इतनी तो जगह पड़ी है”।
यह सुनकर उस आदमी ने तपाक से कहा, “तुझे ज़्यादा तकलीफ़ है तो तू ही हट जा ना”। जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल वह लोग कर रहे थे, उससे साफ़ पता चल रहा था कि ठीक लोग नहीं है। बबलू का बात बढ़ाने का बिल्कुल भी मूड नहीं था। वह तुरंत थोड़ा पीछा हट गया। वह तो बस अपनी सिगरेट के खत्म होने का इंतजार कर रहा था। वैसे भी उसे घर जाने के लिए देरी हो रही थी। हद तो तब हो गई, जब वह दोनों आदमी बबलू के खिसकने के बाद भी उसके पास आकर उसे परेशान करने लगे।
वह समझ गया कि यह लोग जानबूझ कर उसे परेशान कर रहे है। उन लोगों की इस हरकत से उसे गुस्सा आने लगा था। तभी उन दोनों आदमियों में से एक ने कहा, “तुझे कॉलर पकड़ने का बड़ा शौक है ना”। इस आवाज़ का साथ देने के लिए एक आवाज़ और आई, “हिम्मत है तो अब पकड़ कर दिखा इनका कॉलर”।
बबलू को यह आवाज़ जानी पहचानी सी लगी। इससे पहले कि वह उस आवाज़ के बारे में सोच पाता, उन लोगों के बीच से निकलता हुआ एक लड़का सामने आया। यह लड़का कोई और नहीं, बल्कि राजू ही था। बबलू ने उसे देखा और चौंकते हुए कहा, “राजू, तू? अच्छा, तो तेरे साथ है यह लोग”। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि वह इस तरह का काम कर सकता है। उधर, प्रिया के कहने पर पहले तो रोहन ने बबलू से फोन पर बात की और फिर उसे घर तक छोड़ने के लिए अपर्णा निवास से निकल पड़ा था। उसके मन में भी बबलू को लेकर बहुत चिंता थी। उसने खुद से बात करते हुए कहा, ‘’बबलू ने अपनी दोस्ती का फर्ज पूरी ईमानदारी से निभाया है। अब मेरी बारी है।''
उधर पान की दुकान पर दोनों में आगे कुछ वाद विवाद होता, तभी राजू का फोन बजा। फोन पर दूसरी तरफ से आवाज़ आयी, “आज उसे अच्छे से सबक सिखाना, उसकी ऐसी हालत कर देना ताकि आगे से किसी का नुकसान करने से पहले सौ बार सोचे”।
इस बात का जवाब देते हुए राजू ने कहा, “सेठ आप चिंता ना करो, इस बार उसकी ऐसी हालत करेंगे कि आपसे भिड़ने की जुर्रत नहीं करेगा, मुझे अपना भी कुछ हिसाब चुकता करना है”। यह कहकर उसने फोन को काट कर अपनी जेब में रख लिया। तभी बबलू ने कहा, “राजू यह तुम ठीक नहीं कर रहे हो, इसका अंजाम बहुत बुरा होगा”। इससे पहले वह कुछ और कहता, उन दो में से एक आदमी ने उसे ज़ोर से धक्का मार दिया।
उसने अपने आपको तो संभाल लिया था मगर उसके हाथ से बची हुई सिगरेट, वह नीचे जमीन पर गिर गई थी। यह देखकर उसको बहुत गुस्सा आ गया, उसकी आँखे लाल हो गई थी। तभी राजू ने कहा, “मारो साले को”। इससे पहले वह दोनों आदमी बबलू पर हमला करते, एक ज़ोरदार आवाज़ आई, ‘’ख़बरदार, अगर किसी ने उसे हाथ लगाया, मैं तुम्हारे हाथ तोड़ दूंगा।''
यह दमदार आवाज़ किसी और की नहीं, बल्कि रोहन की थी। रोहन को आते देख बबलू के अंदर और हिम्मत आ गई। उसने तुरंत कहा, “आ गया मेरा दोस्त और तुम लोगों का बाप”। इस तरह के शब्दों ने उन तीनों लोगों को और ज़्यादा गुस्सा दिला दिया था। उधर पान वाले को यह डर था कि कहीं इनकी लड़ाई में उसकी दुकान का नुकसान ना हो जाएगा। उसने बड़े ही नरम अंदाज़ में कहा, “भैया , ज़रा दुकान से हट कर लड़ो ना”।
जैसे ही एक आदमी ने बबलू पर हाथ उठाया तो रोहन ने दौड़कर उस आदमी को धक्का दे दिया। उसने धक्का इस ज़ोर से दिया था कि वह दूर जाकर गिरा। यह देखकर राजू और उसके दूसरे साथी को बुरी तरह गुस्सा आ गया। बबलू ने ताव के साथ कहा, “जब तुमने लड़ने का मन बना लिया है तो दो दो हाथ हो ही जाए”। राजू ने जवाब देते हुए कहा, “हम तीन लोग है और तुम दो, आज तुम दोनों बहुत मार खाने वाले हो”। तभी रोहन ने बरसते हुए कहा, ‘’अब यह तो वक्त ही बताएगा कि कौन पिटने वाला है और कौन पीटने वाला है। वैसे तुम लोगों के लिए हम दोनों ही काफी है।''
इससे पहले कि दोनों गुटों में टकराव होता, उधर से बाइक पर दो पुलिस वाले आए और राजू के एक आदमी के कंधे पर ज़ोर से हाथ मारते हुए कहा, “हां बे रंगा, यहाँ क्या कर रहा है, घर नहीं गया अभी तक”। पुलिस को देखकर उन लोगों की हवा टाइट हो गई। राजू के तो मानो पसीने ही छूट गए थे। उन लोगों में एक का नाम रंगा था और दूसरे का बिल्ला। पुलिस की बात का जवाब देते हुए बिल्ला ने कहा, “साहब, बीड़ी लेने आए थे, बस पान वाले को पैसा ही दे रहे थे”।
तभी बाइक पर बैठे दूसरे पुलिस वाले ने कहा, “ले ली बीड़ी, अब जाओ”। उस समय राजू और उसके साथियों ने वहां से जाना ही बेहतर समझा। जैसे ही वह तीनों जाने के लिए आगे बढ़े, तुरंत पुलिस वाले ने चेतावनी देते हुए कहा, “हमें आसफ नगर में शांति चाहिए, यह लोगों से जबरदस्ती घर खाली करवाना छोड़ दो। इस बार अगर कोई शिकायत आई तो सीधे हवालात में बंद कर दूंगा”।
यह सुनकर रंगा ने अपने सर को हाँ में हिलाया और तीनों वहां से चले गए। उनके जाने के बाद बबलू ने रोहन को ऊपर से नीचे की तरफ देखा और कहा, “मुझे नहीं पता था कि मेरा दोस्त इतना स्ट्रांग है। वैसे अगर वह मुझ पर सच में हाथ उठा देते, तो क्या तुम उनका सच में हाथ तोड़ देते”। रोहन ने जवाब देते हुए कहा, ‘’अगर वह तुझे छूते भी ना, तो मैं सच में उसे जान से मार देता।''
यह सुनकर बबलू की आंखे जोश से चमक गई। वह तुरंत अपने दोस्त के गले लग गया। गले लगने के बाद बबलू की नज़र जमीन पर पड़ी सिगरेट पर गई। भले ही वह सिगरेट आधी हो गई थी मगर अभी भी बुझी नहीं थी। उसने उसे उठाया और एक कश मारते हुए कहा, “सालों ने सारी सिगरेट फालतू में खराब कर दी”। तभी रोहन ने उसके कंधे पर हाथ मारते हुए कहा, ‘’भाई, तुम इसे छोड़ क्यों नहीं देते। कुछ भी कहो, है तो नुकसान वाली चीज ही ना।''
बबलू कहाँ चुप रहने वाला था। उसने तुरंत कहा, “एक बार मेरी शादी हो गई तो मेरी बीवी इसे अपने आप छुड़वा देगी, बस मेरी एक ही तमन्ना है कि मेरी बीवी भी बिल्कुल भाभी की तरह हो, सुंदर और सुशील”। यह सुनकर रोहन के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसने तुरंत कहा, ‘’इसके लिए मैं भगवान का जितनी बार भी शुक्र करूँ, कम है। सच में तुम्हारी भाभी बहुत अच्छी और समझदार है।''
यह बात सुनकर बबलू भी खुश हो गया। वह वापस से राजू और उसके साथियों के मुद्दे पर आया और कहा, “तुमने पुलिस वालों की बात सुनी, कुछ समझ में आया? राजू जिन लोगों के साथ था, वह दोनों आसफ नगर के छँटे हुए गुंडे है, लोगों के घरों को ज़बरदस्ती खाली कराते है। मुझे अगर ज़रा सा भी अंदाज़ा होता तो सामान के लिए उसे कभी लेकर ना आता”। यह सुनकर रोहन ने कहा, ‘’हमने उसके टेम्पो को किराए पर लिया था, उसे पैसे दिए, हमारा काम खत्म। अब उसका और हमारा कोई संबंध नहीं।''
पुलिस के आने से इनका काम तो खत्म हो गया था मगर राजू और उसके साथी चुप बैठने वाले नहीं थे। मौका देख कर वह बबलू से दोबारा ज़रूर भिड़ेंगे, बबलू और रोहन भी डरने वालों में से नहीं थे। हट्टे कट्टे नौजवान थे। सबसे बड़ी बात यह थी कि दोनों बहुत शरीफ थे। तभी रोहन ने कहा, ‘’मगर कोई तो है, जिसके इशारे पर उन्होंने यह काम किया।''
बातें करते हुए बबलू की सिगरेट भी खत्म हो गई थी। इस बार उसे सिगरेट पीने में मज़ा नहीं आया। उसे दोबारा पीने की तलब महसूस हुई मगर रोहन के मना करने पर उसने अपनी तलब को तलब ही रहने दिया। दोनों बातें कर ही रहे थे कि एक जीप उनके सामने अचानक आकर रुकी। उस जीप की लाइट ने उनकी आँखों को बंद होने पर मजबूर कर दिया था। रोहन ने तुरंत कहा, ‘’भाई साहब गाड़ी रोकने पर उसकी लाइट तो बंद कर दो। आँखों में चुभ रही है।''
जैसे ही जीप की लाइट बंद हुई, बबलू के चेहरे का रंग बदल गया। उसने जैसे ही जीप में बैठने वालों को देखा तो चौंक गया। उन्हें देख कर मानो, उसके मुंह से कुछ निकल ही नहीं रहा था।
आखिर जीप में कौन लोग बैठे थे जिन्हें देख कर बबलू चौंक गया?
हरि की ऐसी क्या हालत हो गई थी जिसे देख कर सुषमा दंग रह गयी थी?
राजू के फोन पर किसका फोन आया था?
रंगा और बिल्ला के पीछे किसका हाथ था?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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