अपर्णा के घर के ऊपर वाले कमरे में रोहन और प्रिया का सामान रखकर जाते समय राजू ने बबलू के कान में कुछ कहा जिसे सुनकर उसे गुस्सा आ गया। उसने तुरंत उस का कॉलर पकड़ लिया। यह देख कर रोहन और प्रिया घबरा गए। अभी तक तो सब ठीक था। अचानक से ऐसा क्या हुआ ?सुषमा उसके पास गई और कहा, ‘’क्या हुआ बबलू भैया, अचानक से तुमने इसका कॉलर क्यों पकड़ लिया।''

रोहन भी तुरंत उसके पास गया और राजू के कॉलर को छुड़वाया। बबलू ने उसका कॉलर तो छोड़ दिया था मगर उसकी आंखों में गुस्सा अभी भी बरक़रार था। उसने गुस्से में कहा, “जाकर कह देना कि मुझे धमकाने की कोशिश ना करे, मैं किसी से डरता नहीं हूं”।

यह बात सुनकर प्रिया भी घबरा गई। उसने बबलू को इतने गुस्से में पहले कभी नहीं देखा था। रोहन नहीं चाहता था कि बात लड़ाई झगड़े का रूप ले। वह दोनों के बीच में दीवार की तरह खड़ा हो गया था। प्रिया ने तुरंत कहा, ‘’बबलू भैया, अपने आपको संभालो।''

रोहन ने समझदारी दिखाते हुए राजू को वहां से जाने को कह दिया। वह खामोशी के साथ वहां से चला गया। सभी के मन में यही चल रहा था कि सब कुछ अच्छा होते हुए उस ने ऐसा क्या बोल दिया था कि बबलू गुस्से में लाल पीला हो गया।

उस के पीछे पीछे सुषमा भी नीचे चली गई। उधर अपर्णा सीधे अपने कमरे में गई। कमरे में जाकर उन्होंने अलमारी से एक फोटो फ्रेम उठाया और अपने बेड पर आकर बैठ गई। यह उनका फॅमिली फोटो था। उन्होंने फोटो पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘’मैंने कभी सोचा नहीं था कि घर को चलाने के लिए तेरे कमरे को किराए पर देना पड़ेगा।''

उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी कि सुरेंद्र के जाने के बाद बेटा राहुल उन्हें इस तरह अकेला छोड़ देगा। राहुल ने अपनी माँ को खर्चे के पैसे तक भेजने की ज़रुरत नहीं समझी। उन्हें इसी बात का दुख था। उन्होंने ऊपर का कमरा इसी विचार से बनवाया था कि इसमें राहुल अपने परिवार के साथ रहेगा। घर में उसके बच्चों की किलकारियां गूंजेगी।

वह फोटो फ्रेम में राहुल को ममता भरी नज़रों से देख रही थी। इस समय उनकी दुविधा यह थी कि वह अपने मन के दुख को किसी के साथ नहीं बांट सकती थी। आज जब उन्होंने प्रिया को अपने हाथों से खाना परोस कर दिया तो उन्हें अपनी बहु की बहुत याद आई। उन्होंने अपने मन की बात को ज़बान पर लाते हुए कहा, ‘’अब पता नहीं इन लोगों का मिज़ाज कैसा हो, यह दोनों मुझे किस तरह स्वीकार करे? क्या मैं इन्हें समझ पाऊँगी?''

उन्होंने “इन लोगों” शब्द का इस्तेमाल, प्रिया और राहुल के लिए किया था। जिस तरह प्यार भरी मुस्कान के साथ प्रिया ने उनके हाथ से खाने को लिया था, क्या वह यह प्यार और आदर आगे भी रख पाएगी? वह इन्हीं विचारों में खोई हुई थीं कि तभी कमरे में किसी के आने की आहट सुनाई दी।

वहीँ ऊपर कमरे में बबलू गुस्से में बड़बड़ाये जा रहा था। उसने गुस्से में कहा, “मुझे डराने की कोशिश कर रहा था, मैंने जब कुछ गलत नहीं किया तो मैं क्यों डरु”। रोहन ने उस के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘’क्या हुआ बबलू, मैंने इससे पहले तुम्हें इतने गुस्से में कभी नहीं देखा।''

प्रिया : (शांति के साथ) राजू ने ऐसा क्या कह दिया था जिसे सुनकर आप आग बबूला हो गये।

दोनों की बातों का जवाब देते हुए बबलू ने कहा, “वह कह रहा था कि मटरू सेठ से पंगा लेकर मैंने अच्छा नहीं किया। वह मुझे छोड़ेगा नहीं”। यह बात सुनकर जितना ताज्जुब प्रिया को हुआ था, उतना ही रोहन भी चौंक गया… प्रिया बोली, ‘’मगर इसमें तो आपका कोई लेना देना नहीं है। हम उनके किरायेदार थे, उन्होंने हमें घर खाली करने के लिए कहा, तो हमने घर खाली कर दिया।''

रोहन : (चिंता वाले स्वर) अब क्या होगा?

इसका जवाब देते हुए बबलू ने कहा, “कुछ नहीं होगा, जो कुत्ते भौंकते है, ज़रूरी नहीं कि वह काटे। वह गुंडा होगा अपने घर का, पिता जी को अगर मैंने इसके बारे में बता दिया तो उसकी अच्छे से खबर लें लेंगे”।

बबलू के पिता मोहल्ले के रसूखदार लोगों में गिने जाते थे। वह शरीफ लोगों के साथ शरीफ से और बदमाश के साथ सबसे बड़े बदमाश थे। उसे तो गुस्सा इस बात पर आ रहा था कि राजू मटरू की तरफदारी कैसे कर सकता था। उसने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “राजू भी एहसान फरामोश है, हमने उसे पैसे ज़्यादा देने के साथ साथ खाना भी खिलाया, फिर भी उसने वफादारी नहीं दिखाई”।

यह कहकर बबलू शांत हो गया। प्रिया और रोहन को यह चिंता थी कि मटरू यहां अपनी टांग ना अड़ाए। दोनों की तकलीफ से बबलू बख़ूबी वाक़िफ था। उसने उन्हें तसल्ली देते हुए कहा, “तुम बिल्कुल भी चिंता ना करो। अपर्णा आंटी बहुत समझदार हैं, वह किसी के बहकावे में कभी नहीं आती। बस तुम्हें एक बात का ख्याल रखना पड़ेगा”।

बबलू की इस बात पर दोनों के चेहरे के भाव बदल गए, उधर अपर्णा ने जब कमरे के दरवाज़े की तरफ देखा, तो वहाँ सुषमा को देखकर चौंक गई। उन्होंने तुरंत सवाल करते हुए कहा, ‘’क्या हुआ सुषमा, सब ठीक तो है ना! उन्होंने अपना सामान सेट कर लिया ना, उन्हें कोई दिक्कत तो नहीं है।''

यह सुनकर सुषमा ने ऊपर कमरे में हुआ सारा किस्सा अपर्णा को बता दिया। दोनों प्रिया और रोहन के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते थे। झगड़ा भले ही बबलू और राजू के बीच हुआ था मगर इस समय दोनों, प्रिया और रोहन के बारे सोचने पर मजबूर हो गए थे। तभी सुषमा ने कहा, ‘’दीदी, आप एक बार बबलू भैय्या से बात करो, ऐसा ना हो, आगे चल कर हमें कोई परेशानी हो।''

अपर्णा को यह बात सही लगी। उन्होंने तुरंत सुषमा से कहा कि बबलू को बोले, जाने से पहले मिल के जाए। सुषमा ने सर को “हां” में हिलाया और वहां से चली गई। उधर ऊपर कमरे में बबलू ने दोनों से कहा, “तुम बस किराया टाइम पर देते रहना, घर का किराया टाइम पर नहीं मिलता है, तभी मकान मालिक और किरायेदार में खटपट होती है।” प्रिया ने जवाब देते हुए कहा, ‘’उसकी चिंता नहीं है, हम किराया टाइम पर दे देंगे।''

रोहन : (खुश होते हुए) अब तो मेरी नौकरी भी लग गई है। जैसे ही पहली सैलरी मिलेगी, सबसे पहले घर का किराया ही देंगे।

यह सुनकर बबलू ने कहा, “बाकी, मैं हूं ना, तुम ज़रा सी भी टेंशन मत लो, अच्छा अब मैं चलता हूं, तुम लोग अपना ख्याल रखना, अगर कुछ बात हो तो मुझे तुरंत फोन करना”। यह कहकर बबलू जाने लगा। जैसे ही बबलू नीचे उतर कर बाहर जाने के लिए दरवाज़े की तरफ गया तो सुषमा ने उसे आवाज़ दी:

सुषमा : (नॉर्मल अंदाज़) बबलू भैया जा रहे हो। वह दीदी, आपसे एक बार मिलना चाहती थी। शायद कुछ बात करना चाहती है।

यह सुनकर वह सुषमा के साथ अपर्णा के कमरे की तरफ चला गया। उधर ऊपर कमरे में प्रिया के चेहरे पर बेचैनी साफ नज़र आ रही थी। जिस तरह सुषमा अचानक से नीचे चली गई थी, प्रिया समझ गई थी कि वह सीधा अपर्णा के पास गई होगी। उसे लेकर प्रिया को चिंता हो रही थी। रोहन ने प्रिया के पास जाकर उसके हाथ को पकड़ा और कहा, ‘’तुम बेवजह परेशान हो रही हो। इस घर की मालकिन बहुत अच्छी है, तुमने देखा नहीं, उन्होंने तुम्हें कितने प्यार से देखा था।''

प्रिया की जगह अगर कोई और भी होता, तो बबलू का राजू के साथ विवाद को देखकर परेशान हो जाता। कोई भी मकान मालिक नहीं चाहता कि उसके घर में लड़ाई झगड़े वाले लोग आये लेकिन अपर्णा और सुषमा को सुकून इसलिए था कि इस डील के बीच बबलू था। तभी प्रिया ने कहा, ‘’तुम सही कह रहे हो, मटरू अंकल को हमने हमेशा टाइम पर किराया दिया था मगर उन्होंने घर खाली कराने में एक पल भी नहीं लगाया।''

मटरू स्वभाव से इतना कंजूस था कि घर आए हुए मेहमान को चाय तक नहीं पूछता था। उन दोनों को तो बस बबलू को लेकर चिंता थी। वह नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से मटरू और बबलू के बीच कोई दुश्मनी हो। खैर, दोनों इस बात को सोच कर खुश थे कि रोहन को नौकरी और उन दोनों को किराए पर नया मकान भी मिल गया था।

इधर दोनों एक दूसरे से बात करने के साथ साथ कमरे में सामान को सेट कर रहे थे तो उधर बबलू ने अपर्णा के कमरे में पहुंच कर कहा, “क्या हुआ आंटी, अपने मुझे बुलाया था”। इससे पहले अपर्णा उससे कुछ सवाल करती, सुषमा ने तुरंत कहा, ‘’आप लोग बात कीजिए, मैं हरि के साथ मिलकर किचन का बचा हुआ काम निपटा लेती हूं।''

सुषमा के चले जाने पर अपर्णा ने सीधे बबलू से प्रिया और रोहन के स्वभाव को लेकर सवाल किया। उस ने पूरी ज़िम्मेदारी लेते हुए कहा, “आंटी आप उन लोगों की तरफ से बिल्कुल भी चिंता ना करे, यह समझे जिस तरह आपके लिए मैं हूं, उसी तरह रोहन भी है। उन लोगों से आपको कभी तकलीफ नहीं होगी।  रही बात किराए की, वह भी हमेशा टाइम पर मिलेगा”।

अपर्णा ने समझदारी दिखाते हुए बबलू से इस तरह बात की थी कि उसके दिल में सुषमा के लिए कोई बदगुमानी ना हो। उन्होंने बबलू को एहसास ही नहीं होने दिया कि सुषमा ने पूरा किस्सा बता दिया है। उन्होंने ऊपर वाली घटना का ज़िक्र तक नहीं किया था। अगर वह ज़िक्र करती तो उंगली सुषमा पर ही उठती। बबलू ने भी उन्हें अपने दोस्त की तरफ से पूरा आश्वासन दिया। जब उस की बातों से वह पूरी तरह से संतुष्ट हो गई, तो वह दोबारा आने की बात को कहकर वहां से चला गया।

मकान में सामान शिफ्ट करते हुए अच्छी खासी शाम हो गई थी। घर जाने से पहले उसका मन हुआ कि एक सिगरेट पी जाए। वह एक पान की दुकान पर रुका। उसने सिगरेट जलाकर पहला कश ही मारा था कि उसकी जेब में रखा मोबाइल वाइब्रेट होने लगा। जैसे ही उसने मोबाइल की स्क्रीन पर देखा तो वह चौंक गया।

 

आखिर किसका कॉल आया था जिसे देख कर बबलू चौंक गया?

मटरू के मन में क्या चल रहा था?

क्या सुषमा और प्रिया के बीच तालमेल बन पाएगा?

 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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