सौरभ और रितिका लोअर परेल कैफ़े में मुलाक़ात करते है | जहाँ सौरभ, रितिका को अपने बीते कल की झूठी कहानी सुनाता है | बातों के बीच जैसे ही रितिका, उसके अगेंस्ट कंप्लेंट फ़ाइल करने का ज़िक्र करती है, सौरभ अपना आखिरी दांव खेलकर रितिका से सारे पैसे लेने का रास्ता बना लेता है | रितिका एक बार फिर, सौरभ के जाल में फंसकर अपनी आख़िरी सेविंग्स भी उसे देती है। दोनों इस बड़े से बवंडर के बाद मरीन ड्राइव पर ही बैठते है |
सौरभ, इस दौरान भी रितिका का विश्वास जीतने के लिए उसे उसके पैसे लौटा देने का दावा करता है | इस बात पर रितिका कुछ भी नहीं कहती, उसके चेहरे पर बस एक थकी- हरी हुई मुस्कान आ जाती है। कुछ देर बिना पलके झपकाए वो लहरों को देखती है, फिर आज की घटना के बारे में सोचने लगती है. सौरभ, रितिका की खामोशी देखने के बाद उससे पूछता है, ‘’कुछ कहना चाहती हो ?''
रितिका ( नर्मी से ) : हाँ, फिर ये भी सोच रही हूँ कि, मेरे कह देने से क्या होगा ?
सौरभ ( सवाल ) : तो कहो फिर इतना क्या सोच रही हो ?
रितिका ( बेख़ौफ़ ) : तुम खुश हो ना, 2 लाख रुपये लेकर |
सौरभ ( चौंककर ) : क्या बोलना चाह रही हो रितिका? साफ़ साफ़ बोलो.
रितिका ( नर्मी से ) : यही कि मैं जानती हूँ वो तस्वीर तुमने ही भेजी है. तुम्हारे अलावा और कोई नहीं हो सकता।
सौरभ ( थोड़ा खीजकर ) : तुम फिर शक कर रही हो.... अब तो ये सब बंद करो |
रितिका : नहीं, पूरे विश्वास के साथ कह रही हूँ। कल मैंने तुम्हारे चेहरे की हंसी देखी थी, और जब तुम पैसे छोड़ने गए तब भी तुम्हारे चेहरे पर ख़ुशी थी। तुमसे एक चीज़ मांगू, मुझे दोगे?
सौरभ ( सवाल ) : क्या चाहिए ?
रितिका (थक्कर) : मेरी नज़रों से दूर चले जाओ। तुम जब तक मेरे सामने रहोगे, तब तक मुझे घुटन महसूस होगी और हाँ मुझे मेरे पैसे नहीं चाहिए, बल्कि तुमसे आज़ादी चाहिए | ना कोई कंप्लेंट ना कोई कनेक्शन | Just leave.
रितिका की बात सुनने के बाद, सौरभ बिना कुछ बोले वहां से उठकर चले जाता है | वो जैसे ही रितिका की तरफ़ अपनी पीठ करता है, वैसे ही उसके चेहरे पर एक लम्बी मुस्कुराहट आ जाती है. रितिका उसे जाते हुए देखती है और ठंडी सांस छोड़ते हुए ऊपर आसमान की तरफ़ देखती है, उसी वक़्त उसकी आँखों से आंसू बहने लगे जिससे उसे पहली बार दिल का बोझ कम महसूस हुआ | रितिका अकेली बैठी, अपनी आगे की ज़िन्दगी के बारे में सोच ही रही थी कि उसी वक़्त उसकी नज़र आस पास बैठे कपल्स पर पड़ी |
उन सभी को देखकर रितिका मुस्कुराई और ख़ुद से बातें करते हुए बोली “ उम्मीद है अब किसी की लाइफ में सौरभ जैसा इंसान ना आये“।
रितिका ने अपने आंसुओं को पोछा फिर थोड़ी देर बाद अपने घर चली गई . जैसे ही रितिका अपने घर पहुंची उसे श्रुति का कॉल आया। फ़ोन के डिस्प्ले पर श्रुति का नाम देखकर रितिका के मन में एक बार को आया कि वो कॉल ना उठाये पर फिर उसने सोचा कि अगर श्रुति नहीं होती तब शायद वो आज़ाद भी नहीं होती, यही सोचकर रितिका ने कॉल रिसीव किया....
श्रुति ( फ़िक्र में ) : हाय रितिका, कैसी हो ?
रितिका ( नर्मी से ) : अब पहले से बेहतर हूँ...
श्रुति (गंभीरता से ) : माफ़ करना मैंने तुम्हें बिना मैसेज के कॉल किया, तुमसे बस एक चीज़ पूछनी थी...
रितिका ( नर्मी से ) : तुम खुलकर बातें कह सकती हो ...
श्रुति ( सवाल ) : क्या तुमने सौरभ दादा को सब सच बता दिया ?
रितिका ( गहरी सांस छोड़ते हुए ) : हालात ऐसे बने कि उसका सब सच मेरे सामने आ गया और अब मैंने उससे अपने सारे रिश्ते तोड़ दिए हैं |
श्रुति ( नर्मी से ) : मैं खुश हूँ कि तुम्हें इंसाफ़ मिला...
रितिका ( बिना भाव के ) : उसे उसके किए की सज़ा नहीं मिली ै श्रुति, मैंने उसके ख़िलाफ़ कोई शिकायत दर्ज नहीं की है। फिलहाल मुझे इंसाफ़ तो नहीं मिला, मगर मैं खुश हूँ कि वो मुझसे दूर जा चुका है और इस सच तक मुझे पहुंचाने के लिए तुम्हारा शुक्रिया |
श्रुति की आखरी बातें सुने बिना ही रितिका कॉल कट कर देती है। उसे अपने और सौरभ के साथ बिताये लम्हे याद आने लगते हैं. रितिका तुरंत वाशरूम जाती है और शावर के नीचे खड़ी हो जाती है | रितिका तन और मन से थक चुकी थी. उसी थकावट में वो सिलीगुड़ी के लिए पैकिंग करना शुरू करती है. जैसे ही उसकी पैकिंग ख़त्म होती और वो अपना फ़ोन देखती है, उसे सौरभ की ही तस्वीर दिखती है.
अपने दिल पर पत्थर रखते हुए, रितिका, अपने और सौरभ के सारे वीडियोज़ और फोटोज डिलीट करने लगती है. हालाँकि इससे यादें तो धुंधली नहीं होती, मगर एक सुकून उसे ज़रूर मिल रहा था. रितिका जैसे ही अपनी आँखें बंद करती है, उसे आँखों के सामने अपनी माँ का चेहरा दिखता है. रितिका ये तय करती है की, वो अपने साथ हुए इस स्कैम को अपने घरवालों से छुपाएगी.
रितिका हर सुबह की तरह इस सुबह भी अपने लिए कॉफ़ी बना रही थी. उसी वक़्त उसकी आँखों के सामने बीते कल का लम्हा आ गया, जहाँ सौरभ उसके लिए, उसकी पसंद की कॉफ़ी बनाता था. रितिका, सौरभ से इतनी ज़्यादा थक चुकी थी की, वो उसे याद ही नहीं करना चाहती थी. मगर, किसी को याद करना या न करना, हमारे बस में कहाँ होता है? एक दिन अचानक से कोई मूवी देख ली तो वो शख्स याद आ गया या कभी किसी जगह चले गए, वहाँ उस शख्स की खुशबू ज़ेहन में उतर गई.
यादों की कोई उम्र कहाँ होती हैं, वो तो हर हमेशा जवान रहती है. हाँ मगर, अंतर्मन पर काबू पा लिया जाए तो कोई लम्हा, कोई काम, कोई शख्स , कोई महफ़िल, किसी की भी यादें आपको परेशान नहीं कर सकती ।
रितिका, गैलरी में रखें अपने पौधों को पानी डाल रही होती है. तभी उसके घर की घंटी बजती है. रितिका दरवाज़ा खोलती है तो सामने, मानसी और अपूर्व खड़े होते हैं। रितिका के कुछ बोले बिना ही वो घर के अंदर आ जाते है. थोड़ी देर कोई किसी से कुछ नहीं बोलता, फिर अपूर्व लीड लेते हुए कहता हैं की, गाइज़ जो हो गया सो हो गया, दी बेस्ट पार्ट इज़ कि हमारी दोस्त बच गई. उसी वक़्त मानसी रितिका के कंधे पर हाथ रखते हुए कहती है, तू हमेशा से स्ट्रॉंग थी, स्ट्रॉंग है और स्ट्रॉंग रहेगी. कम ऑन रिट्ज़, तेरे competitors आज भी तेरे आगे नर्वस होते हैं. अपनी पॉवर, अपनी प्रेसेंस को फिर से जगा यार.
मानसी के लाख समझाने के बाद, रितिका उसे कहती है, “ कोशिश करुँगी, पर अभी तो मुझसे कुछ भी नहीं होगा।”
रितिका, इतना कहते ही मानसी और अपूर्व से गले लगकर रोती है और तब तक अपने आंसू बहने देती है, जब तक वो थक नहीं जाती. रितिका को रोता देख, मानसी और अपूर्व भी उसे चुप नहीं कराते, तभी अपूर्व माहौल थोड़ा लाइट करने के लिए कहता है “हे! आज हमें कोई और भी जॉइन करने वाला है”। अपूर्व की उत्सुकता देखकर मानसी उससे पूछती है, अब कौन नया इंसान? अपूर्व अपनी आवाज़ में नर्मी लाते हुए कहता है, “ है एक दोस्त, जो रितिका से मिलना चाहती है.”
अपूर्व की बातें सुनकर “ रितिका हैरान हो जाती है, वो अपूर्व से सवाल करने लगती है, “मुझसे ? कौन है? “ रितिका की क्यूरोसिटी को देखने के बाद अपूर्व उससे कहता है, “ टेंशन मत लो, अगले दस मिनट में तुम्हारे घर की घंटी बजेगी “. एक छोटे से इंतज़ार के बाद, रितिका के घर की घंटी बजती है | इससे पहले की कोई उठे, अपूर्व खुद उठकर दरवाज़ा खोलने जाता है और आते ही सबसे कहता है. टाटा! लेडीज़ एंड लेडीज़, इनसे मिलिए, ये हैं शिखा शिंदे, एक बेहतरीन इंटीरियर डिज़ाइनर और ये हैं मेरी दो दोस्त जिनमें से एक से आप मिलना चाहती थी.
अपूर्व जैसे ही शिखा को मानसी और रितिका से मिलाता है सब एक दूसरे को ग्रीट करते हैं, जिसके बाद, शिखा , रितिका को देखते हुए कहती है की वो एक स्ट्रांग पर्सनालिटी है. थोड़ी देर बात करने के बाद पता चलता है की, शिखा , सौरभ की एक्स है. ये बात जैसे ही रितिका सुनती है वो पैनिक हो जाती है फिर मानसी उसे संभालते हुए कहती है की, पहले शिखा की बात तो सुन ले.
शिखा , सौरभ के साथ अपना एक्सपीरियंस बताती है. जिसे सुनकर, रितिका को अपने बर्ताव पर शर्मिंदगी होती है. तभी अपूर्व उसे बताता है की, जो चैट्स उसने दिखाई थी, उसमें शिखा ही थी.
शिखा अपनी बात आगे बढ़ते हुए कहती है की, सौरभ के अगेंस्ट कंप्लेंट करने का उसने भी सोचा था, मगर नहीं कर पाई थी. जब रितिका ने वजह पूछी तो शिखा ने बताया की वो बहुत शातिर लड़का है. उसने जो भी मुझसे कराया वो आखिर में मेरी मर्ज़ी ही निकली, और ये बहुत बड़ी वजह है कि ना मैं कुछ कर सकती, और ना ही तुम। तभी, मानसी कहती है कि, उसकी अति का अंत कब होगा?
अपूर्व जवाब देते कहता हैं कि ये अभी कह पाना मुश्किल है, क्योंकि हमें सिर्फ दो ही केसेस मालूम है. हो सकता है वो आगे ऐसा ना करें, या हो सकता है कर भी दे पर एक बात तो तय है और वो ये कि सौरभ कहीं ना कहीं, कोई ना कोई गलती तो ज़रूर करेगा।
शिखा की बातों पर गौर करने के बाद रितिका कहती है कि वो एक बार सिलीगुड़ी से वापस आ जाए उसके बाद इस पर बात करेगी, तभी शिखा उसे कहती है कि अब कोई किसी से भी सौरभ की बातें नहीं करेगा.
रितिका जानती थी, वो सौरभ से दिल से नहीं बल्कि अपनी रूह से जुड़ी थी. रितिका अपने दिल के किसी कोने में अब भी सौरभ को जगह दिए हुई थी, मगर वहीं सौरभ, मुंबई से पुणे निकलने की तैयारी कर रहा था. अपनी पुरानी ज़िन्दगी को नए अंदाज़ में जीने की तैयारी.
कौन होगा सौरभ का अगला शिकार? क्या शिखा की कोई और भी कहानी थी? क्या उसको सौरभ ने ही रितिका की लाइफ में भेजा था?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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