एक इंडिपेंडेंट औरत और एक फरेबी मर्द कैसे एक रिश्ते में जुड़ सकते हैं? रितिका ने सौरभ के हर फ़रेब को नजरंदाज किया और सौरभ ने उसी का फ़ाएदा उठाकर उसकी अच्छाई को toxic क़रार दिया। इसके बावजूद रितिका, एक आखिरी बार सौरभ से मिलना चाहती थी ताकि वह इस रिश्ते को खत्म कर सके। रितिका सब कुछ जानते समझते हुए भी, सौरभ से मिलना चाहती है जिसके लिए वो उसे मेसेज करके लोअर परेल के कैफ़े बुलाती है |
अगली सुबह, रितिका, सूरज की किरणों को अपने ऊपर पड़ता देख रही थी | कुछ वक़्त के लिए उसके शरीर में सूरज की किरणों ने रोशनी की उम्मीद जगाई थी, जिसकी ज़रूरत आज सबसे ज़्यादा थी. रितिका, सिर्फ सौरभ से मिलने नहीं जा रही थी. वो उससे अपना रिश्ता, नाता सब कुछ ख़त्म करना चाह रही थी. रितिका अपने रोज़मर्रा के रूटीन को फॉलो करते हुए ऑफिस के लिए रेडी हो रही थी, उसी वक़्त रितिका की माँ ने कॉल किया | माँ बता रही थी कि जबसे उसने सिलीगुड़ी आने की बात कही है, तब से उसके बाबा बस दिन गिन रहे हैं| माँ की बातें सुनकर, एक बार फिर रितिका का दिल पसीजने लगा , मगर उसने ख़ुद को कमज़ोर नहीं पड़ने दिया | रितिका के सिलीगुड़ी जाने में अब बस सिर्फ़ एक ही दिन का समय रह गया है | रितिका एक बार फिर शीशे के सामने खड़े होकर, ख़ुद से नज़रें मिलाती है, ऐसा करना उसे ये विशवास दिलाता है कि वो दुनिया की किसी भी परेशानी से लड़ सकती है | रितिका ने अगले पल ये तय कर लिया कि, वो अपनी बेवकूफी का भार अपने परिवार पर नहीं पड़ने देगी | रितिका ख़ुद से नज़रे मिलाने के बाद ऑफिस के लिए निकल गई, मगर इतना आसान कहाँ था, लोगों के बीच ख़ुद को संभालना |
हमेशा सुपर एक्टिव रहने वाली रितिका, पिछले तीन महीनों से मायूस रहने लगी थी | चुपचाप गुमसुम सी, सिर्फ़ अपने काम में व्यस्त रहने वाली | जब उसके कलीग्स ने उससे उसका हाल पूछा, तो उसने तबीयत खराब होने का बहाना कर दिया | जिस रितिका ने पिछले 5 सालों में महज़ पच्चीस छुटियाँ ली थी, आज पहली बार रितिका ने दो महीने का वर्क फ्रॉम होम लिया था | रितिका अपने ऑफिस का पूरा काम ख़त्म करके, लोअर परेल कैफ़े पहुँचती है.
रितिका, सौरभ का इंतज़ार करते हुए, cरितिका, सौरभ का इंतज़ार करते हुए, cafe में बैठती है. कैफ़े का स्टाफ़ रितिका के पास आकार बड़े तहज़ीब से पूछता है, “ मैम आज आपके साथ सर नहीं आये?” रितिका कैफ़े स्टाफ़ को काफ़ी ठंडा जवाब देती है, उसे सौरभ के साथ अपनी पहली मुलाक़ात याद आती है जहाँ सौरभ ने उसे कॉम्प्लीमेंट दिया था. जिसके बाद उनकी कहानी शुरू हुई थी, और फिर शुरू हुआ फ़रेब का खौफ़नाक खेल | अपनी यादों से बाहर निकलकर, वो दो कॉफ़ी आर्डर करती है. 15 मिनट बाद, सौरभ आता है | उसके हाथ में लाल गुलाबों का बड़ा सा गुलदस्ता होता है | सौरभ, आते साथ ही गुलदस्ते को रितिका को थमाते हुए गले लगा लेता है | सौरभ, जैसे ही अपनी बाहें, रितिका के चारों तरफ़ घुमाता है, उसकी गर्माहट एक बार फिर रितिका के सख्त मन को पिघला रही होती है. रितिका का मन फिर से सौरभ को मौका देना चाहता है, पर वो अपने कदम पीछे ले लेती है | रितिका सौरभ की बाहें हटाकर उसे खुद से दूर करके सामने वाली चेयर पर बैठने को बोलती है | सौरभ को रितिका के ऐसे रिएक्शन से क्लियर हो जाता है कि रितिका ने उसे अब तक माफ़ नहीं किया है और ना ही वो उसे दूसरा मौका देने में इंटरेस्टेड है। बावजूद इसके सौरभ रितिका से कहता है...
सौरभ (प्यार से ) : जानती हो रितिका, मेरी औरतों को लेकर इतनी सख्त राय क्यों है?
रितिका ( चिढ़कर ) : बताओ, जो कहानी तुम सोचकर आये हो ....
सौरभ ( दुखी होकर ) : कहानी नहीं है, ये मेरी ज़िन्दगी की सच्चाई है, जिसे ना मैं झुठला सकता हूँ और ना ही कोई और | ये सब मेरे बीते कल का नतीजा है | मेरा बचपन का प्यार मेरे ही सामने किसी और का हो गया, वो भी सिर्फ़ इसलिए क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं थे... उस लड़की ने मेरी माँ की बेईज्ज़ती की, मेरे बाबा की नीयत पर सवाल उठाया और ख़ुद किसी रहीस इंसान से शादी कर ली |
रितिका ( नर्मी ) : काश तुम मुझसे सच कहते सौरभ शायद इससे हमार बीच सब ठीक होता पर मैं तुम्हारे बीते कल में हुए धोखे का कंपनसेशन नहीं हूँ |
सौरभ ( प्यार से ) : मैं मानता हूँ कि मैंने इस बात का गुस्सा निकाला है तुम पर, मगर सच कह रहा हूँ रितिका, मेरा यकीन करो, एक तुम्ही हो जिसने मेरे मन को पढ़ने की कोशिश की |
रितिका ( निराशा से ) : तुमने उसी लड़की के मन को मुरझा दिया, इतना की आज उस लड़की को खुद के अस्तित्व पर ही शक हो रहा है. मैंने सिर्फ तुमसे प्यार किया और यही वजह है कि तुम्हारे ख़िलाफ़ सबूत होने के बावजूद भी, मैं तुम्हारी कंप्लेंट फाइल नहीं कर रही हूँ |
सौरभ जैसे ही रितिका की कंप्लेंट फाइल करने वाली बात सुनता है, उसके कान खड़े हो जाते है, धड़कनें तेज़ होने लगती है, दोनो पैर कांपने लगते हैं मगर वो अपना डर रितिका को नहीं दिखाता | सौरभ समझ जाता है की अब उसके आखिरी दांव खेलने का वक़्त आ गया है | इतनी देर में रितिका की ऑर्डर की हुई कॉफ़ी टेबल आ जाती है | सौरभ और रितिका, कॉफ़ी पीने लगते है, उसी वक़्त रितिका के फ़ोन पर नोटिफिकेशन आता है. रितिका पहले ध्यान नहीं देती | नोटिफिकेशन बार बार आता है, कॉफ़ी पीने के बाद जैसे ही वो अपना फ़ोन उठाती है, उसे अपनी और सौरभ के इंटिमेट मोमेंट्स के फ़ोटोज़ मिलते है, और ये तब के होते हैं जब रितिका, सौरभ के फ्लैट जाती है. जहाँ दोनों बालकनी में साथ वक़्त गुजारते हैं | फ़ोटोज़ देखकर रितिका के चेहरे की हवाईयां उड़ने लगती है, वो घबराकर सारी फ़ोटोज़ सौरभ को दिखाने लगती है |
रितिका ( घबराकर ) : ये देखो... ये हमारी उस वक़्त की तस्वीरें... ये किसने ली है??? अगर ये वायरल हुईं तब तो मेरी इज्ज़त और नौकरी दोनों मेरे हाथ से चली जायेगी, सब बर्बाद हो जाएगा | मैं, मेरा करियर, मेरा कैरेक्टर.. मैं कहाँ जाऊंगी ? त..तुम चुप क्यों हो ?
सौरभ, रितिका के चेहरे का डर देखकर खुश होने लगता है, पर फिर अपने फ़रेबी किरदार में होने के नाते, अपना भी डर दिखाने लगता है. रितिका कहती है कि वो पुलिस कंप्लेंट करेगी, उसी वक़्त सौरभ उसे ये कहकर रोक देता है की पुलिस इस न्यूज़ को लीक कर देगी, ऐसी बातें आग की तरह फैलती है. रितिका इस बात से और ज़्यादा डरने लगती है. जितना रितिका के चेहरे पर डर दिखता है, उतना ही सौरभ को सैटिस्फैक्शन होता है | रितिका का भरोसा जीतने के लिए सौरभ, रितिका के सामने ही उस नंबर पर कॉल करता है, जिससे तस्वीर आती है. बात करने पर पता चलता है की, ब्लैक मेलर 2 लाख रुपयों की मांग कर रहा है. रितिका ये बात सुनकर डर जाती है और दो लाख देने के लिए फ़ौरन तैयार हो जाती है. रितिका नहीं चाहती की किसी भी कीमत पर उसकी इज्ज़त सरे आम नीलाम हो.
सौरभ अपनी ये बाज़ी भी जीतता हुआ नज़र आता है और रितिका उसे हारती दिखती है. वो रितिका को महज़ एक कठपुतली बनाकर रख देता है. सौरभ अपने ख़याल में ही रहता है, उसी वक़्त रितिका उससे कहती है, ‘’ उसे पैसे कहाँ चाहिए? ‘’
सौरभ ( नर्मी से ) – वो अकाउंट डिटेल्स भेज रहा है, उसके बाद देखते है, पर तुम्हारे पास पैसे हैं ?
रितिका ( दुखी होकर ) : हाँ मेरी आख़िरी सेविंग्स में 2 लाख रुपये ही बचे थे, आज इसमें वो भी चले जायेंगे।
सौरभ ( विश्वास) : फैसला तुम्हारे हाथ में है रितिका, तुम्हें पैसे बचाने है या इज्ज़त ?
रितिका का डर सौरभ की जीत है, और उससे मिल रहे दो लाख रुपये, उस जीत का इनाम जिससे वो अपनी सारी अईयाशियाँ पूरी करने वाला था. रितिका का डर उसपर इतना हावी था कि रितिका सही, गलत कुछ सोच ही नहीं पा रही थी. थोड़ी देर बाद, सौरभ ने बताया कि, उस ब्लैकमेलर ने अपना डिटेल शेयर नहीं किया है, बल्कि पैसे लेकर मरीन ड्राइव आने को कहा है. रितिका, जैसे ही ये बात सुनती है वो सौरभ को फ़ौरन अपने घर चलने को बोलती हैैं। दोनों, रितिका के घर जाते हैं. सौरभ उसे ऊपर जाकर पैसे लाने को कहता है. रितिका बिना किसी बहस के ऊपर जाती है.
रितिका के जाते ही, सौरभ अपनी पैसो वाली ज़िन्दगी की कल्पना करने लगता है, जहाँ वो अपने ख़यालों में पहाड़ों के बीच होता है और अपने पैसे पानी की तरह बहा रहा होता है | इससे पहले की उसके ख्याल परवान चढ़ पाते, रितिका, सीढ़ियों से दबे पांव आती है और कार में बैठ जाती है | दोनों मरीन ड्राइव पर पहुँचते है. रितिका, कार से उतरने वाली होती ही है कि, सौरभ उसे रोक देता है, ये कहते हुए की वहां जान का खतरा हो सकता है. रितिका इस डर से नहीं उतरती और सौरभ, पैसे का बैग छोड़कर वापस आ जाता है, थोड़ी देर बाद दोनों मरीन ड्राइव पर बैठते है.
रितिका ( थकी आवाज़ में ) : सब कुछ कितना शांत लग रहा है ना श्रवण?
सौरभ ( नर्मी से ) : तुम जानती हो मेरा नाम श्रवण नहीं है.
रितिका ( अफ़सोस ) : मगर प्यार तो इसी नाम से हुआ था.
सौरभ ( नर्मी से ) : मैं जानता हूँ, तुम मुझे माफ़ नहीं कर पाओगी, मगर फिर भी मैं तुमसे माफ़ी माँगना चाहता हूँ.
रितिका (प्यार से ) : बहुत सारे सपने थे मेरे, हम दोनों को लेकर. सौरभ एक बार तो सच कहते, मैं तुम्हारी खातिर पूरी दुनिया से लड़ जाती.
अपनी बातें कहने के बाद रितिका ख़ामोशी से लहरों को देखती है. सौरभ ये सोचता है कि वो कैसे इस जगह से निकलकर अपनी दुनिया में जाए? रितिका के मन में प्यार अब भी है, वहीं सौरभ को ये जज़्बात का सौदा लग रहा है जिसका दाम उसे अच्छा ख़ासा मिल चुका है। रितिका की बेचैनी, उसका डर अब भी चेहरे पर दिख रहा है जिसे देखते हुए सौरभ उससे कहता है..
सौरभ ( सवाल ) : अब भी डर रही हो?
रितिका ( नर्मी से ) : हाँ लड़की हूँ, डर तो लगेगा ही.
सौरभ ( नर्मी से ): कुछ नहीं होगा. मैं सब ठीक कर दूंगा |
इस छोटे से कन्वर्सेशन के बाद, रितिका और सौरभ एक बार फिर शांत बैठे रहते हैं. तभी रितिका, सौरभ की बात पर गौर करती है, और उसे देखकर मुस्कुराती है. सौरभ उसे हँसता देख स्माइल पास करता है, मगर रितिका की आँखों में आंसू आ जाते है.
क्या रितिका अपनी सही गलत की उलझन से बाहर आ पाएगी? क्या उसे एक आखिरी सच, सौरभ के बारे में पता चल पायेगा?
क्या वो जान पाएगी उसे इस बार भी किसी और ने नहीं, बल्कि सौरभ ने ही धोखा दिया है?
इन सारे सवालों का जवाब जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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