संकेत और श्रेया के बीच का रिश्ता कॉलेज के गुजरते सालों में दोस्ती से प्यार की एक खूबसूरत दास्तान बन चुका था। लेकिन संकेत अब सिर्फ़ इस दास्तान को जीना नहीं चाहता था, वह इसे हमेशा के लिए अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बनाना चाहता था।

वो चाहता था कि उनका रिश्ता सिर्फ़ कैंपस के गलियारों तक ही सीमित न रहे, बल्कि ज़िन्दगी की हर मुश्किल और हर ख़ुशी में उनके साथ चले।

और इसी ख़्वाहिश ने संकेत को एक बड़े क़दम की तैयारी करने का मोटवैशन दिया।

पिछले कई दिनों से संकेत के दिमाग़ में बस एक ही प्लान घूम रहा था—श्रेया को प्रपोज करना। लेकिन ये कोई साधारण प्रपोज़ल नहीं होना चाहिए।

संकेत ने ठान लिया था कि ये शाम सिर्फ़ एक इज़हार की नहीं, बल्कि एक सपने को हक़ीक़त बनाने की होगी।

 

संकेत:

"सब परफेक्ट होना चाहिए। रेस्टोरेंट, म्यूजिक, गिफ्ट और हाँ... सबसे इम्पॉर्टन्ट प्रपोज़ल रिंग ."

 

 

संकेत ने हर चीज़ की एक लिस्ट बनाई थी।

सबसे पहले, उसने शहर का सबसे खूबसूरत रेस्टोरेंट बुक किया।

ये कोई आम रेस्टोरेंट नहीं था। वहाँ के रूफ़टॉप गार्डन डाइनिंग एरिया था, जहाँ से पूरे शहर की जगमगाती लाइट्स दिखती थीं।

फेयरी लाइट्स की सजावट, टेबल पर ताजे गुलाब और मोमबत्तियों की रोशनी—संकेत ने हर चीज़ का ध्यान रखा था।

वो चाहता था कि इस शाम की हर एक चीज़, श्रेया के लिए ख़ास और यादगार बने।

 

इस अंगूठी के साथ, संकेत के दिल के सारे जज़्बात भी बंद थे।

ये सिर्फ़ एक अंगूठी नहीं थी, बल्कि उन तीन सालों की यादों का सिम्बल  थी, जो उन्होंने साथ बिताए थे।

हर छोटी-छोटी मुस्कान, हर तकरार और हर वह पल, जो उन्हें एक-दूसरे के और करीब ले आया था। संकेत इतना नर्वस था कि वह अपने आप से ही प्रैक्टिस कर रहा था।

 

संकेत:

"श्रेया, तुम मेरी ज़िन्दगी की सबसे ख़ास इंसान हो और मैं चाहता हूँ कि केन वी स्टे टुगेदर !"

"श्रेया, तुम मेरी ज़िन्दगी की सबसे ख़ास इंसान हो और मैं चाहता हूँ कि केन वी स्टे टुगेदर !"

"श्रेया, तुम मेरी ज़िन्दगी की सबसे ख़ास इंसान हो और मैं चाहता हूँ कि केन वी स्टे टुगेदर !"

 

संकेत ने अपने फ़ोन पर श्रेया का नंबर डायल किया।

 

 

संकेत:

"हाय श्रेया! कैसी हो?"

 

श्रेया :

"थोड़ी थकी हुई, लेकिन ठीक हूँ। तुम बताओ?"

 

संकेत:

"मैं तो बढ़िया हूँ। वैसे, मैं तुमसे कुछ ख़ास बात करने वाला था। आज रात का क्या प्लान है?"

 

श्रेया:

"आज रात? कुछ ख़ास नहीं, लेकिन अभी ऑफिस का एक इम्पॉर्टेंट प्रोजेक्ट निपटा रही हूँ। शायद देर हो जाएगी। क्यों?"

 

संकेत:

"अरे, बस सोचा कि तुम्हें डिनर पर ले चलूं। एक स्पेशल डेट नाइट। तुम और मैं, एक खूबसूरत शाम और कुछ यादगार पल।"

 

श्रेया:

"संकेत, तुम जानते हो न कि मेरे ऑफिस का ये प्रोजेक्ट कितना इम्पॉर्टेंट है। मुझे पूरा करना ही होगा। शायद मैं आज नहीं आ पाऊंगी।"

 

संकेत के चेहरे पर एक पल के लिए मुस्कान थम गई। उसके दिल में जो उथल-पुथल थी, वह उसकी आंखों में साफ़ झलकने लगी। उसने इस शाम के लिए कितनी मेहनत की थी। सबकुछ परफेक्ट करने की कोशिश की थी। लेकिन श्रेया...

 

संकेत:

"ओह, समझ गया। कोई बात नहीं। काम पहले, है ना?"

 

श्रेया:

"सॉरी, संकेत। सच में। मैं चाहती हूँ कि हमारे साथ वक़्त बिताऊँ, लेकिन इस प्रोजेक्ट की डेडलाइन बहुत करीब है। क्या हम इसे किसी और दिन प्लान कर सकते हैं?"

 

संकेत:

"हाँ... शायद।"

 

 

 

संकेत ने फ़ोन तो रख दिया, लेकिन उसके दिल में सवालों का सैलाब उमड़ पड़ा।

उसके सामने टेबल पर रखा छोटा-सा गिफ्ट बॉक्स, जिसमें वह खूबसूरत अंगूठी थी, उसे अब भारी लगने लगी थी। उसने उस रात के लिए कितनी तैयारी की थी।

संकेत रेस्टोरेंट में प्रपोज़ल के लिए बुक की गई टेबल को कैंसिल कर दिया।

इस एक पल में, संकेत ने महसूस किया कि कभी-कभी, प्यार में सिर्फ़ अपने जज़्बात ही काफ़ी नहीं होते। रिश्ते में दोनों की प्रायोरिटीज़ को समझना भी उतना ही ज़रूरी है।

श्रेया की माफ़ी सच्ची थी। उसके दिल में संकेत के लिए प्यार था, लेकिन उसकी जिम्मेदारियाँ भी उससे कम नहीं थीं।

 

संकेत ने धीरे से गिफ्ट बॉक्स को उठाया और उसे अपनी ड्रॉअर में रख दिया। अंगूठी वहाँ थी, लेकिन उसका इज़हार अब भी अनकहा रह गया था। फिर कुछ दिन बाद वह कॉलेज के गार्डन में बैठे थे। श्रेया की आंखों में अब भी थोड़ा गिल्ट थे। संकेत उसे देखकर हल्का मुस्कुराया।

 

श्रेया:

"संकेत, उस दिन के लिए सॉरी। मैं जानती हूँ कि तुमने कुछ ख़ास प्लान किया होगा।"

 

संकेत:

"अरे, छोड़ो न। काम ज़्यादा ज़रूरी था। वैसे भी, हमारा वक़्त कहीं भागा नहीं जा रहा।"

 

श्रेया:

नहीं! इस वीकिन्ड  पर तुम सब कुछ सैम  करो, वही रेस्टोरेंट , वही टेबल ... हम अपनी डेट नाइट' इस वीकिन्ड  कर लेते हैं!

 

 

पहली बार सक्सेस्फल  नहीं हुआ तो क्या हुआ? अब संकेत के पास एक और मौका था!

उसने उसी एन्थूज़ीऐज़म के साथ फिर से सारी प्रेपरैशन की।

उस शाम रेस्टोरेंट का माहौल एकदम जादुई था।

टेबल पर मोमबत्तियाँ जल रही थीं। उनके चारों तरफ़ ताजे गुलाबों की पंखुड़ियाँ बिखरी हुई थीं।

सूरज धीरे-धीरे डूब चुका था और आसमान में चाँद की हल्की रोशनी सब कुछ और भी खूबसूरत बना रही थी।

 

श्रेया:

"संकेत, ये सब... ये सब कितना खूबसूरत है। लेकिन इतनी तैयारी किसके लिए की है?"

 

संकेत:

"तुम्हारे लिए और सिर्फ़ तुम्हारे लिए।"

 

संकेत उसे एक टेबल के पास ले जाता है, जहाँ एक छोटा-सा गिफ्ट बॉक्स रखा है। उसकी हथेलियाँ थोड़ी ठंडी हो गई थीं, लेकिन उसकी आँखों में एक अटूट विश्वास झलक रहा था।

 

संकेत ने धीरे से श्रेया का हाथ पकड़ा। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, लेकिन दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थीं।

उसने कुछ पलों तक उसकी आँखों में देखा।

 

संकेत:

" श्रेया, जबसे मैंने तुम्हें पहली बार देखा था, तबसे मेरी दुनिया बदल गई है।

तुम सिर्फ़ मेरी ज़िन्दगी का हिस्सा नहीं हो, बल्कि मेरी ज़िन्दगी हो।

मैं तुमसे बस एक सवाल पूछना चाहता हूँ... क्या तुम मेरे साथ हमेशा के लिए रहोगी? "

 

 

संकेत ने धीरे से गिफ्ट बॉक्स खोला। उसमें एक खूबसूरत diamond ring थी, जो मोमबत्ती की रोशनी में चमक रही थी। रेस्टोरेंट के अन्य लोग इस ख़ास पल को देख रहे थे, लेकिन उनके लिए उस वक़्त सिर्फ़ श्रेया मायने रखती थी।)

श्रेया, जो अब तक मुस्कुरा रही थी, उसकी मुस्कान धीरे-धीरे हल्की पड़ने लगी।

उसकी आँखों में हल्की-सी झिझक और उलझन साफ़ दिखने लगी थी।

कुछ पलों तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही।

 

श्रेया:

"संकेत... ये सब बहुत खूबसूरत है और मैं जानती हूँ कि तुम मेरे लिए कितना कुछ करते हो।"

 

 

श्रेया:

" अच्छा! तो तुमने उस दिन भी शायद तुमने यही करने की कोशिश की थी,

लेकिन संकेत...

उस दिन जो हुआ, उसके हिसाब से... मुझे नहीं लगता कि मैं... मैं अभी इसके लिए तैयार हूँ। "

 

संकेत के चेहरे पर मुस्कान धीरे-धीरे गायब हो गई। वह इस जवाब की उम्मीद नहीं कर रहा था।

 

संकेत:

"क्या? श्रेया, क्या मैंने कुछ ग़लत किया? मैंने सोचा था कि अब हम... अगले क़दम की तरफ़ बढ़ सकते हैं।"

 

श्रेया:

"संकेत, प्लीज़ मुझे ग़लत मत समझो। मैं तुमसे प्यार करती हूँ। लेकिन... मैं ये भी जानती हूँ कि अभी हम दोनों की ज़िन्दगी एक बहुत अहम दौर से गुजर रही है।"

" अगर एक छोटी-सी इंटर्नशिप के दौरान ही हम एक-दूसरे के लिए वक़्त नहीं निकाल पा रहे हैं, तो जब मैं अपनी फुल-टाइम जॉब जॉइन करूंगी और तुम अपने डैड के बिज़नेस में उनका हाथ बँटाओगे, तब क्या होगा?

हम दोनों अपने करियर के शुरुआती पड़ाव पर हैं और मैं नहीं चाहती कि हम इससे आगे बढ़ें। क्यूंकी जहाँ से मैं देख रही हूँ, वहाँ से हम दोनों कि ज़िम्मेदारियाँ हमारे रिश्ते पर असर बहुत गहरा असर डालेंगी और मैं नहीं चाहती कि मेरी वज़ह तुम जैसे खूबसूरत इंसान का दिल टूटे! "

 

श्रेया की बातें सच थीं।

उसके प्यार पर कोई शक नहीं था, लेकिन वह एक ऐसा रिश्ता नहीं चाहती थी जो वक़्त और जिम्मेदारियों की कमी में दरक जाए।

वो इस रिश्ते को मज़बूत देखना चाहती थी और इसके लिए सही वक़्त का इंतज़ार करना ज़रूरी था।

 

संकेत:

"तो... तुम कह रही हो कि अभी नहीं?"

 

श्रेया:

"हाँ, संकेत। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती। मैं बस चाहती हूँ कि जब हम ये क़दम उठाएँ, तब हम दोनों पूरी तरह से तैयार हों।"

 

 

कहते हैं, प्यार में इनकार शब्दों से नहीं, खामोशियों से होता है।

श्रेया ने "ना" नहीं कहा था। उसने बस वक़्त मांगा था।

लेकिन संकेत के लिए, उसका वह का जवाब कहीं न कहीं एक "ना" जैसा ही था।

 

उस पल से लेकर अब तक, संकेत के मन में जैसे एक फ़िल्म चल रही थी। वह उन लम्हों को बार-बार दोहरा रहा था। श्रेया की आवाज़, उसके शब्द, उसकी थकान भरी मुस्कान—सब उसकी आँखों के सामने घूम रहे थे।

संकेत जानता था कि श्रेया झूठ नहीं बोल रही थी। उसकी माफ़ी सच्ची थी। वह भी चाहती थी कि दोनों साथ में वक़्त बिताएँ। लेकिन क्या ये चाहत कभी हक़ीक़त बन पाएगी?

संकेत ने पिछले कुछ हफ्तों में कई बार महसूस किया था कि उनकी मुलाकातें धीरे-धीरे कम हो रही थीं। पहले, हर शाम साथ बिताना उनकी routine का हिस्सा था। लेकिन अब... वह मुलाकातें इक्के-दुक्के पलों तक सिमट गई थीं।

श्रेया का फ़ोन हमेशा काम की deadlines से भरा रहता। उसकी दिनचर्या, उसका हर पल, जैसे एक फिक्स्ड शेड्यूल का हिस्सा बन गया था।

लेकिन संकेत का दिल इससे ज़्यादा जो महसूस कर रहा था, वह था एक खलिश—एक अजीब-सा डर।

उसे एहसास हो रहा था कि ये सिर्फ़ एक इंटर्नशिप नहीं थी।

 

संकेत ने अपने मन में एक सवाल को बार-बार दोहराते पाया:

"अगर अभी, इस छोटे से इंटर्नशिप के दौरान, हमारे पास एक-दूसरे के लिए वक़्त नहीं है, तो जब श्रेया अपनी जॉब में पूरी तरह बिजी हो जाएगी, तब क्या होगा?"

 

ये सवाल उसका पीछा नहीं छोड़ रहा था।

वो जानता था कि श्रेया ambitious थी।

वो जानता था कि उसके सपने उसके परिवार के लिए, उनके सपनों के लिए कितने ज़रूरी थे।

लेकिन क्या वह ख़ुद इन सपनों में कहीं खो गया था?

श्रेया की नज़र में ये सिर्फ़ वक़्त की बात थी।

"कुछ महीनों की बात है," वह कहती।

"उसके बाद सब ठीक हो जाएगा।"

 

लेकिन संकेत के लिए, ये वक़्त कभी ख़त्म नहीं होगा।

आज एक इंटर्नशिप थी, कल एक फुल-टाइम जॉब होगी।

फिर प्रमोशन्स, क्लाइंट मीटिंग्स, नए-नए प्रोजेक्ट्स...

संकेत के मन में एक सच्चाई धीरे-धीरे आकार लेने लगी थी—श्रेया के पास कभी भी, किसी भी रिश्ते के लिए 'परफेक्ट' वक़्त नहीं होगा।

वो प्यार करती थी, इसमें कोई शक नहीं था।

लेकिन प्यार को निभाने के लिए, सिर्फ़ चाहत ही काफ़ी नहीं होती।

प्यार वक़्त मांगता है और वक्त... श्रेया के पास नहीं था।

उसने अपने कमरे में चक्कर लगाते हुए ख़ुद से कई सवाल किए।

"क्या मैं श्रेया से बहुत ज़्यादा उम्मीद कर रहा हूँ?"

"क्या मैं उसे उसकी जिम्मेदारियों से दूर खींचने की कोशिश कर रहा हूँ?"

"या फिर... क्या मैं अपने रिश्ते को लेकर ख़ुद ही बहुत ज़्यादा समझौते कर रहा हूँ?"

 

 

संकेत के मन में कहीं न कहीं ये डर भी था कि अगर उसने अब अपनी बात नहीं कही, तो शायद उनके रिश्ते का ये अधूरापन हमेशा के लिए बना रहेगा।   

उस रात, चाँद की रोशनी में खड़े संकेत के दिल में एक अजीब सा खालीपन था। 

वो समझ चुका था कि ये सिर्फ श्रेया का "ना" नहीं था। 

ये उन उम्मीदों का टूटना था, जो उसने अपने प्यार के लिए संजोई थीं। 

"शायद ये वक्त कभी सही नहीं होगा," उसने मन ही मन कहा। 

"शायद मुझे ही समझना होगा कि हमारे रिश्ते को निभाने का मतलब क्या है।" 

 

प्यार की राह में हर कोई अपने-अपने सफर पर होता है। 

संकेत और श्रेया भी अपनी-अपनी लड़ाइयाँ लड़ रहे थे। 

श्रेया अपने परिवार, अपने सपनों, और अपने फ्यूचर के लिए। 

संकेत अपने रिश्ते, अपने प्यार, और अपनी उम्मीदों के लिए। 

 

लेकिन... क्या उनका ये सफर उन्हें एक-दूसरे के करीब लाएगा? 

या फिर ये दूरी उनके रास्तों को हमेशा के लिए अलग कर देगी? 

 

जाने के लिए पढ़िए ... "कैसा ये इश्क है" का अगला एपिसोड। 

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