मित्रों और हमारी पोटेंशियल गर्लफ्रेंडों!

आपने बॉलीवुड की फिल्मों में तो देखा ही होगा कि हर लव स्टोरी की शुरुआत लड़ाई-झगड़े से ही होती है। हमें भी पहले यही लगता था, इसीलिए शहर आके हम लड़कियों से लड़ाई-झगड़े करने लगे, ताकि हमारी भी लव स्टोरी बन जाए। फिर 30 थप्पड़, 20 सैंडल, 10 लात और एक एफआईआर के बाद हमें समझ आया कि बॉलीवुड वाले हर फिल्म से पहले डिस्क्लेमर क्यों देते हैं कि ये एक काल्पनिक कहानी है और इसका असल जीवन से कुछ लेना-देना नहीं है।
असल ज़िंदगी में लड़कियों से लड़ाई-झगड़ा करोगे तो लड़की पटेगी नहीं, बल्कि पीटेगी, क्योंकि शहर की लड़कियों ने जूडो कराटे सीख लिया है और पेपर स्प्रे से जो आँखें जलती हैं उसका दर्द अलग। शायद इसीलिए गाँव वाले लव मेरिज के इतने खिलाफ होते हैं, क्योंकि लव मेरिज में सबसे ज़रूरी होता है लड़की पटाना और लड़की पटाने में तो जान का खतरा है। वहीं एरेन्ज मैरेज के लिए लड़की भी नहीं पटानी पड़ती और दहेज भी अच्छा मिलता है।
इसलिए दोस्तों, हमारा मानना है कि लव के चक्कर में पड़ने के लिए लड़कियों से झगड़ा करने से अच्छा है कि अपने पिताजी के पैर पकड़कर उनसे रिश्वत के लिए पैसे निकलवाइए, ताकि आपकी सरकारी नौकरी लग सके और फिर छाती ठोक के रिश्ता भेजिए। देखते हैं कौन माई का लाल लड़की देने से मना करता है। लड़की भी मिलेगी और फॉर्च्यूनर भी। पड़े रहने दीजिए इन शहर वालों को लव मेरिज के चक्कर में।
यहाँ हमारे गाँव बखेड़ा में, न तो लव का चक्कर है और न ही शादी का। फिर भी शौर्य और शिवांगी की पहली मुलाकात में ही झगड़ा हो गया है। शौर्य ललिता दीदी की खराब अंग्रेजी का मजाक उड़ाते हुए हँस रहा था। तभी शिवांगी का उड़ता हुआ थप्पड़ उसके मुँह पर क्रैशलैन्ड हुआ।

शौर्य: हाउ आर यू! तुमने मुझे थप्पड़ कैसे मारा!

शिवांगी: ऐसे!

शिवांगी ने पूरे गाँव के सामने शौर्य के मुँह पर फिर से थप्पड़ छाप दिया। दूसरा थप्पड़ खाकर शौर्य का गाल लाल हो चुका था। वह शिवांगी को गुस्से भरी नज़रों से घूरने लगा।

शौर्य: देखो, मैं औरतों की रिस्पेक्ट करता हूँ, वरना मैं तुम्हें इस थप्पड़ का अच्छे से जवाब देता!

शिवांगी: औरतों की तुम कितनी रिस्पेक्ट करते हो, वो तो मैंने थोड़ी देर पहले देख ही लिया। जब तुम ललिता दीदी की खराब इंग्लिश का मजाक उड़ाके हँस रहे थे।

ललिता दीदी की खराब इंग्लिश याद करके शौर्य की फिर से हँसी छूट गई।

शौर्य: शी इज़ अ फनी वुमन यार। ललिता जी, आपने कभी स्टैन्ड अप ट्राई किया है? इन फैक्ट, आपको तो सर्कस में जाना चाहिए, वहाँ आपकी ज्यादा टिकट बिकेंगी!

इतना कहकर शौर्य और जोर-जोर से हँसने लगा। शिवांगी ने शौर्य के मुँह पर तीसरा चाँटा छाप दिया।

शौर्य: देखो, मैं तुम्हें वार्न कर रहा हूँ। अगर तुमने मुझे थप्पड़ मारना बंद नहीं किया न, तो बहुत बुरा होगा तुम्हारे लिए और तुम मुझे जो इस औरत की खराब इंग्लिश के लिए मार रही हो, इसमें मेरा क्या कसूर है?

शिवांगी: मैं तुम्हें ललिता दीदी की खराब English के लिए नहीं मार रही हूँ। मैं तुम्हें ललिता दीदी की खराब इंग्लिश का मजाक उड़ाने के लिए मार रही हूँ। अगर तुम किसी की कमजोरी में उसकी मदद नहीं कर सकते, तो कम से कम उसकी कमजोरी का मजाक तो मत उड़ाओ।

शौर्य: हैलो, मैं यहाँ कोई स्कूल टीचर नहीं लगा हूँ। और अगर इस ललिता की इंग्लिश खराब है, तो मैं क्यों न हँसू! तुम गँवार लोगों का न, प्रॉब्लम ही यही है। खुद जिस चीज़ में अच्छे नहीं होते, न, दूसरों को उस चीज़ में इक्सेल करते तुमसे देखा नहीं जाता। फिर ऐसे ही अन्सिविलाइज्ड लोगों की तरह मारपीट पर उतर आते हो। ब्लडी गँवार! तुम्हें तो सिविलाइज्ड का मतलब भी नहीं पता होगा!

शिवांगी: करेक्ट! हाउ एन अनएजुकेटेड लोवलाईफ लाइक मी वुड नो व्हाट बीइंग सिविलाइज्ड मीन्स! बट आई ऍम डैम श्योर इट डज़न्ट मीन टू बेलिटल ऑर डिस्पैरेज समवन एल्स। 

शिवांगी की फर्राटेदार इंग्लिश सुनकर शौर्य दंग रह गया। डिस्पैरेज का मतलब तो उसको भी नहीं पता था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतने पिछड़े हुए गाँव में उसे इतनी आग उगलने वाली इंग्लिश सुनने को मिलेगी। शिवांगी की इंग्लिश ललिता दीदी को समझ में तो बिल्कुल भी नहीं आई, पर उन्हें इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने जोर से सीटी मारी। अब शर्मिंदगी से वहाँ शौर्य खड़ा था।

शिवांगी: क्या हुआ? ज़ुबान पर थूक खत्म हो गई या इंग्लिश की वोकैब्यलेरी?

शौर्य: तुम्हें इतनी अच्छी इंग्लिश कैसे आती है?

शिवांगी: वो इंग्लिश में कहावत है न... डोंट जज अ बुक बाय इट्स कवर। गाँव वाली हूँ देखकर तुम्हें लगा कि मुझे इंग्लिश नहीं आती होगी? फॉर योर काइंड इंफॉर्मेशन। मैं पीएचडी स्कॉलर हूँ और इस गाँव के स्कूल के बच्चों को इंग्लिश में ही सिखाती हूँ। कभी मेरी इंग्लिश जज करनी हो ना तो मेरे स्टूडेंट्स से बात कर लेना। तुमसे ज़्यादा अच्छी इंग्लिश बोलते हैं वो।

यह सुनकर ललिता दीदी ने फिर से सीटी मारी! और इस बार और लंबी सीटी मारी।

शिवांगी: मिस्टर हर भाषा सीखो... सीखनी भी चाहिए... पर मासी के चक्कर में कभी माँ को नहीं भूलना चाहिए। समझे!

शौर्य शर्मिंदा होकर वहाँ से जाने लगा, तभी ललिता दीदी ने उसे आवाज़ लगाई...

ललिता: हैलो जेनल्मन.. ललिता नॉट सेंड कस्टमर एम्प्टी हैंड। व्हाट सर्विस यू वांट?

वैसे तो इतनी बेइज्जती के बाद शौर्य में हिम्मत नहीं थी, पर वो पूरा दिन बिना दाँत साफ किए नहीं रहना चाहता था। इसलिए उसने बेशर्म होकर टूथपेस्ट माँग ही लिया। ललिता दीदी ने उसे टूथपेस्ट भी दिया और पैसे भी नहीं लिए...

ललिता: ये तू फ्री में रख। जब भी दाँत साफ करेगा ना, तो मुझे और अपनी इस बेइज्जती को याद करेगा तू!

इतनी ज़िल्लत झेलने के बाद शौर्य जब घर आया तो हरीश दद्दा उसका गुस्से में इंतज़ार कर रहे थे।

हरीश: एक टूथपेस्ट लाने मा इत्ता देर लगा दिए! का बैठके टूथपेस्ट बनाने लग गए थे?

शौर्य जानता था कि अगर उसके दद्दा जी को ललिता दीदी की दुकान वाली घटना का पता लग गया, तो वो उसका बोरिया बिस्तर उठाकर उसे वापस शहर भेज देंगे और अगर वो शहर गया, तो उसे अपनी बाकी की ज़िंदगी जेल में काटनी पड़ेगी। इसलिए उसने हरीश दद्दा को कुछ नहीं बताया।

शौर्य: दादा जी, वो दुकान पे भीड़ ही बहुत थी। इसलिए टाइम लग गया।

हरीश दद्दा को शौर्य की बात पर यकीन तो नहीं हुआ, पर उन्होंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।

हरीश: चलो दाँत साफ कर लेओ, फिर तुमका खेत भी लेकर जाएँ का है!

शौर्य: खेत? मैं खेत में क्या करूँगा दादा जी?

हरीश: खेत मा हम दादा पोता दूरबीन लगाके देखबे कि मंगल ग्रह की ज़मीन पर कनक बोई जा सकती है कि नहीं! बुद्धू, खेत मा लोग का कारण जात हैं..? खेती ना! फिर काहे लप्पूझन्ने जैसा सवाल पूछ रहे हो हमसे!

शौर्य: दादा जी, मेरा मतलब था कि मुझे खेती करनी नहीं आती है। मेरा खेत में कोई काम नहीं है।

हरीश: हाँ जानते हैं... तुमका तो बस सराब पीके पुलिस के ठेला मा गाड़ी ठोकनी आवत है और किसी काबिल हो तुम? एई लिए तुमका खेत लेकर जा रहे हैं, ताकि तुम कछु काम-काज सीख सको। कल को लड़की वाले तुम्हरा रिस्ता खातिर आएँ, तो का बोलेंगे लड़का का करत है?

शौर्य: दादा जी, पहली बात तो अभी मेरा शादी करने का कोई प्लान नहीं है। अभी तो मुझे अपनी लाइफ इन्जॉय करनी है और दूसरी बात, मुझे कुछ करने की क्या ज़रूरत है... डैड का इतना बड़ा बिज़नस है तो सही!

हरीश: मारेंगे लप्पड़, सीधा खड़े रहियो तो भी लगी कि मूनवाल्क कर रहे हो। सारी ज़िंदगी का बाप के टुकड़ा पर पलियो? और ई लाइफ इन्जॉय का होत है? बिना बीवी, बच्चा, फैमिली कैसा इन्जॉइमन्ट? तुम सहर वालों का ना यही प्रॉब्लम है। पहिले खुद को दुनिया से अकेला कर लो और फिर दुनिया की सहानुभूति पाने खातिर, अपने आपको लोनली डिक्लेयर कर दो। बताओ 140 करोड़ की आबादी मा भी इनको अकेला महसूस होत है।

शौर्य: दादा जी, उसको इन्ट्रोवर्ट होना बोलते हैं।

हरीश: मारेंगे लप्पड़... इंट्रोवर्ट, एक्सट्रोवर्ट, पर्वर्ट सब एक बार में निकल जाएगा तुम्हरा... सब अंग्रेजी शब्दों के नाम पर बहाने बना रखे हैं तुम सहर वालों ने, और बउआ, जैसे तुम्हारे लक्षण हैं ना, हमका तो लगता है कि तुम अकेले ही मरियो। कोई बाप तुमका अपनी लड़की नहीं देई। अभी कह रहे हैं खेती-बाड़ी सीख लो। अगर कल को तुम्हारे पिताजी का बिजनेस नहीं रहा ना, तो कम से कम खेती-बाड़ी करके अपनी मेहरारू का पेट तो भर पइयो।

यह सुनकर शौर्य हँसने लगा।

शौर्य: दादा जी, खेती-बाड़ी करके भला किसी का पेट भरा है आज तक?

हरीश: पूरे देस का पेट खेती-बाड़ी करके ही भरा जात है, बुद्धू और तुम्हारे डैडी आज जो ये इतना बड़ा बिजनेस खड़ा किए हैं ना, ई खातिर पैसे तुम्हरे दादा जी ने खेती-बाड़ी करके ही कमाया था। अगर हमने खेत मा पसीना ना बहाया होता, तो तुम कभी एसी की हवा ना खा पाते। अब ही-ही करके हँसना बंद करो और खेत चलने की तैयारी करो... आज से तुरी ट्रेनिंग शुरू।

शौर्य के दाँत साफ करने के बाद हरीश दद्दा उसे खींचकर खेत ले गए, जहाँ ना तो शौर्य को खेती-बाड़ी की समझ आ रही थी और ना ही हरीश दद्दा को शौर्य के इंसान होने की। हल जोतना तो दूर, शौर्य को तो बीज बोना भी नहीं आता। शहर में लग्शरी गाड़ियों के ऐक्सलेरेटर दबाने वाले शौर्य से ट्रैक्टर सीधा नहीं चल रहा था और हद तो तब हो गई जब मोटर से पानी चलाने के चक्कर में शौर्य ने पूरे खेत में बाढ़ ही ला दी और आधी फसल बर्बाद कर दी। हरीश दद्दा को शौर्य पर बहुत गुस्सा आया।

हरीश: साला तुम हमरा डीएनए हो ही नहीं सकत। पक्का शहर के अस्पताल मा बच्चा बदल गया रहा। इससे पहले हम हल लेकर तुम्हारी छाती ही जोत दें, हमारी नज़रों से दूर हो जाओ।

शौर्य अपने दद्दा जी की नज़रों से दूर खेत में एक कोने में जाकर बैठ गया और सिग्नल ढूँढने लगा। उसे अब गाँव में और नहीं रुका जा रहा था। भूखे पेट वो अपने दद्दा जी की गालियाँ खा-खाकर थक चुका था। इसलिए उसने अपने डैड को कॉल करके उसे कहीं और भेजने की रीक्वेस्ट करने का फैसला किया, पर बहुत ढूँढने पर भी शौर्य को मोबाइल में सिग्नल नहीं मिला। तपती धूप में भूखे पेट और नाउम्मीद बैठा शौर्य बेहोश होने वाला था कि तभी उसने कुछ ऐसा देखा कि उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। उसने शिवांगी को अपने दद्दा जी के साथ बात करते हुए देखा। उसके दद्दा जी के गुस्से वाले इक्स्प्रेशन साफ़ बयान कर रहे थे कि शिवांगी ने हरीश दद्दा को ललिता दीदी की दुकान वाली घटना पूरी डीटेल में बता दी है। 

अब शौर्य क्या करेगा? 

क्या सज़ा देंगे हरीश दद्दा शौर्य को?  

कृषिदर्शन ओटीटी पर आने लगे तो क्या देश का युवा खेती-बाड़ी करना शुरू कर देगा? 

सब कुछ बताएँगे महाराज... गाँववालों के अगले चैप्टर में।

 

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