मित्रों और हमारी पोटेंशियल गर्लफ्रेंडों!

आप सबको सुप्रभात... सॉरी गुड मॉर्निंग! गुड मॉर्निंग इसलिए क्योंकि हम इस समय हैं न्यू यॉर्क में। जहाँ आसमान को छूती हुई एक बिल्डिंग के टॉप फ्लोर के आलीशान अपार्टमेंट में हूर परियों के बीच, सॉरी, अंग्रेज़ी मर्मेड्स के बीच सोया पड़ा है हमारा हीरो शौर्य। दुनिया की टेंशन से कोसों दूर... गाँव की धूल-मिट्टी से दूर... अपने फुली फर्निश्ड ए.सी अपार्टमेंट में, जहाँ बॉलीवुड की फिल्मों की तरह एक गोल बेड पर मखमल की चादर पर शौर्य हसीन लड़कियों की बाहों में मीठे-मीठे सपने देख रहा है।

घड़ी का अलार्म बजते ही कमरे के पर्दे अपने-आप खुल जाते हैं और एक रोबोट अपने पहियों पर घूमते हुए शौर्य के कमरे में आता है। वो सुंदर जलपरियाँ शौर्य के चेहरे पर अपनी मुलायम उँगलियाँ फेरते हुए उसे बड़े प्यार से नींद से जगाती हैं और बिना ब्रश किए ही शौर्य पर चुम्मियों की बरसात कर देती हैं। फिर वो रोबोट शौर्य के मुँह में ब्रश डालकर उसके दाँत साफ़ करता है। लोगों को बेड टी मिलती है और शौर्य को बेड पर ही ब्रश।
फिर एक दूसरा रोबोट अपने पहियों पर घूमता हुआ आता है और शौर्य को गर्मागर्म नाश्ता सर्व करता है... एवोकाडो टोस्ट, वाफल और साथ में स्मूदी। वो हुस्न की परियाँ शौर्य को अपने हाथ से ब्रेकफास्ट खिलाती हैं और हर बाइट के बाद उसे चुम्मी देती हैं। पहले बाइट, फिर चुम्मी... पहले बाइट, फिर चुम्मी... पहले बाइट, फिर चुम्मी। समझ में नहीं आ रहा कि शौर्य का पेट खाने से भर रहा है या चुम्मियों से।
जो भी कहो दोस्तों, जो ज़िंदगी हर भारतीय मर्द की फैनटेसी है, वो इस समय शौर्य की रीऐलिटी है। इसलिए जितना हो सके, उतना जला लो। इतना जलो कि कमरे का तापमान बढ़ जाए।

शौर्य: बेबीस, इट्स गेटिंग टू हॉट इन हीयर! क्यों न साथ में नहा लिया जाए!

वो दोनों हुस्न की मल्लिकाएँ बाथरूम की ओर भागीं, जो अपने-आप में एक बंगले से कम नहीं। शौर्य ने उन दोनों हसीन महिलाओं को गले से लगाया और शावर के नीचे खड़ा हो गया। पानी का सैलाब शौर्य के चेहरे पर आ गिरा और वो चिल्लाते हुए उठकर बैठ गया।
पानी से भीगे हुए शौर्य ने जब आँख उठाकर देखा, तो उसके दादा जी हाथ में खाली बाल्टी लिए उसकी आँखों के सामने खड़े उसे गुस्से से घूर रहे थे। शौर्य ने जब आस-पास देखा, तो उसे अहसास हुआ कि वो सपना देख रहा था और वो न्यू यॉर्क में हुस्न की परियों के बीच नहीं, बल्कि अभी भी गाँव में अपने दादा जी की छत पर है, जहाँ वो कल रात सोया था।

हरीश: लाड साहब, अगर आपकी नींद पूरी हुई गई हो, तो उठने का कष्ट करेंगे? मुर्गा बाँग दे देकर थक गवा है, और जनाब हैं कि उठने का नाम ही नहीं ले रहे! 

शौर्य ने अपने चेहरे से पानी पोंछते हुए कहा...

शौर्य: कितने बज गए, दादा जी?

हरीश: साढ़े आठ बज रहे हैं, बुदबक!

शौर्य: साढ़े आठ! दादा जी, आपने मुझे इतनी सुबह-सुबह क्यों उठा दिया है?

हरीश: मारेंगे लप्पड़, दिन मा बेहोस हुईयो और रात मा होस आई। साढ़े आठ सुबह होत है? मुर्गा 6 बजे बाँग दिया था। अभी तक तो सारा गाँव नहा-धोके नास्ता करके अपने-अपने काम के निकल चुका हुईए, और तुम्हरा बुदबक अभी तक सुबह ही चल रहा है! सहर मा कित्ते बजे उठत रहो?

शौर्य: जब आँख खुल जाए!

हरीश: फिर तो भगवान का नाम लेकर सोया करो। का पता किसी दिन आँख ही न खुले!

शौर्य: दादा जी, आपका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत डार्क है!

हरीश: हमरा सेंस ऑफ ह्यूमर डार्क नहीं है। तुम्हरा फ्यूचर डार्क है। बता रहे हैं, समय रहिते सुधर जाओ। सहर से कांड करके तो गाँव आ गए, गाँव से कांड करके कहाँ जइये? पाताल लोक?

शौर्य: दादा जी, सुबह-सुबह लेक्चर मत शुरू कीजिए, प्लीज़। ये बताइए, ब्रेकफास्ट में क्या है?

हरीश: ब्रेकफास्ट? ऊका बखत तो खत्म हुई गवा। अब सीधा दोपहर की रोटी मिली।

शौर्य: ब्रेकफास्ट नहीं मिलेगा! दादा जी, मैंने कल रात भी कुछ नहीं खाया। आप क्या मुझे भूखा मारने वाले हो!

हरीश: मारेंगे लप्पड़, खाली पेट पाद और डकार दोनों निकल जाई। कुम्भकर्ण की तरह सोते रहियो तो ऐसे ही भूखे रहना पड़ी। ई गाँव है, तुम्हरा शहर नहीं जो नौकर-चाकर तुम्हरे आगे-पीछे डोलत रहिये... जूस और दूध वाला दलिया लिए।

शौर्य: यू मीन कॉर्न्फ्लेक्स?

हरीश: मारेंगे लप्पड़, पैनकेक जैसन मुँह का बेसन का चीला बन जाई। दोबारा हमरी बात काटने की गलती मत करना।

शौर्य: सॉरी, दादा जी!

हरीश: बउआ, जैसा देस, वैसा भेस। गाँव आए हो तो गाँव के तौर-तरीके सीख लो। काहे कि.. ईहां कायदे मा रहियो, तब ही फायदे मा रहियो। अब का सारा दिन खाट से ही जुड़े रहियो? उठो और खाट को भी उठाकर दीवार से लगाओ। आज तुम्हरा गाँव मा पहला ऑफिशियल दिन है... बहुत सारा काम करे का है। चलो, मुँह साफ करके नहा लो।

शौर्य: नहला तो आपने दिया ही है, अब तो बस मुँह साफ करना है।

शौर्य शहर से टूथब्रश तो लाया था अपने साथ, पर जल्दबाज़ी में टूथपेस्ट लाना भूल गया।

शौर्य: दादा जी, आपके पास टूथपेस्ट है?

हरीश: टूथपेस्ट? हम ई सब सहरी चोंचले इस्तेमाल नहीं करत। ई लो देसी टूथपेस्ट।

हरीश दद्दा ने शौर्य की हथेली पर दंतमंजन रख दिया, जिसके बारे में शौर्य को कोई अंदाज़ा ही नहीं था।

शौर्य: दादा जी, इसे कैसे इस्तेमाल करते हैं?

हरीश: तुम तो सच्ची एक नंबर के लप्पूझन्ने हो... दंतमंजन इस्तेमाल करना नहीं आवत तुमका? लाओ, हम दिखाई...

फिर जब हरीश दद्दा ने दंतमंजन अपनी उँगली पर लेकर अपने पूरे मुँह में उसके साथ ऑर्केस्ट्रा किया, तो पहले तो शॉक के मारे शौर्य हरीश दद्दा को बड़ी-बड़ी आँखें करके देखता रहा। फिर उसने खाली पेट ही उल्टी कर दी।
शहर में इलेक्ट्रिक टूथब्रश इस्तेमाल करने वाला इंसान, जो कि ब्रश हिलाने की भी मेहनत नहीं करता, वो सीधा उँगली मुँह में डालकर दाँत भला कैसे साफ कर पाएगा? अब इसे कुछ लोग टेक्नोलॉजी की तरक्की कहते हैं... हम गाँव वाले तो इसे शहर वालों का आलस मानते हैं और भला अपनी उँगली से अपना ही मुँह साफ करने में कैसी शर्म?

शौर्य: दादा जी, क्या इस गाँव में कोई सुपरमार्ट है?

हरीश: एक और नया चोंचला?

हरीश दद्दा का सवाल सुनते ही शौर्य को अपने सवाल का जवाब मिल गया।

शौर्य: अच्छा कोई दुकान तो होगी जहां से मैं टूथपेस्ट खरीद सकूं!

हरीश: बउआ, तुम तो औरत जात से भी ज़्यादा कोमल हो। अच्छा हुआ तुम्हरे पर दादा जी नहीं हैं अब। उई, तुम्हरे लच्छन देखत, तो तुम्हें पहले साड़ी पहना के पूरे गाँव मा भगवाते... फिर लहंगा पहना के तुमसे बिना ब्लाउज बिकवाते और फिर सारे गाँव के सामने तुम्हरा ऑर्केस्ट्रा रखवाते, वो भी ओई बिना ब्लाउज मा... सिर्फ बिना ब्लाउज मा!

शौर्य से अभी तक अपने दादा जी बर्दाश्त नहीं हो रहे थे, पर अपने पूर्वजों का सुनके तो उसे अपने दादा जी काफ़ी सॉफ्टी लगने लगे।

हरीश: जाओ गाँव के नुक्कड़ मा ललिता की दुकान है। वहीं मिल जाई तुमका तुम्हरा टूथपेस्ट।

शौर्य लोगों से पूछता हुआ गाँव के नुक्कड़ पर पहुँचा, जहां मेरे गाँव बखेड़ा की इकलौती ऑल इन वन दुकान है। यहाँ राशन से लेकर दवा और किताबों से लेकर दारू सब मिलता है और इस दुकान को चलाती हैं 40 वर्षीया ललिता दीदी। वैसे तो सब इन्हें ललिता दीदी कहते हैं पर दीदी मानता कोई नहीं। ललिता दीदी हैं ही इतनी सुंदर कि इन्हें दीदी मानने का दिल ही नहीं करता। ललिता दीदी के पति पिछले 20 साल से क़तर में काम कर रहे हैं। उनका कोई बच्चा नहीं है, इसलिए सारा दिन दुकान पर ही बैठी रहती हैं। पर ललिता दीदी को अकेली सुंदर औरत सुनके फूल समझने की गलती मत करना, क्योंकि ललिता दीदी फूल नहीं... फायर भी नहीं... बल्कि लावा हैं! अपने पे आ जाएं तो बड़े-बड़े पहलवानों को धोबी पछाड़ दे देती हैं।

शौर्य: इक्स्क्यूज़ मी... क्या मुझे एक टूथपेस्ट मिल सकता है?

ललिता दीदी के बारे में एक चीज़ तो मैं बताना ही भूल गया... ललिता दीदी को अंग्रेजी फिल्में, अंग्रेजी दारू और अंग्रेजी का बहुत शौक है क्योंकि ये खुद अंग्रेजी नहीं बोल सकतीं। अंग्रेजी सुनते ही इनके दिल में सैक्सोफोन बजने लगते हैं और जब भी इन्हें कोई अंग्रेजी बोलने वाला मिलता है तो ये तुरंत उसकी फैन बन जाती हैं।

ललिता: क्या फड़फड़ाती इंग्लिश बोला है रे तू। हाउ आर यू?

शौर्य: आई एम फाइन!

ललिता: फाइन? ये कैसा नाम हुआ रे! पीछे का लगता है? कौन जात हो?

शौर्य: एक मिनट... आप मेरा नाम पूछ रही हैं?

ललिता: लेयो, मुझे लगा तुझे अंग्रेजी आती है, पर तेरा तो डब्बा गोल है। अभी पूछा तो था मैंने... हाउ आर यू?

शौर्य: हाउ आर यू का मतलब होता है आप कैसे हैं? आपको पूछना चाहिए था... व्हू आर यू? बाय द वे, आई ऍम शौर्य!

शौर्य की अंग्रेजी सुनके ललिता दीदी फुल ऑन उसकी फैन हो गईं।

ललिता: अरे, तू तो हरीश दद्दा का पोता है ना...? जो शहर से कांड करके भागा है! प्रेशर मीटिंग यू। मायसेल्फ मिस्टर ललिता! दिस शॉप इज मायसेल्फ प्रॉपर्टी। ओन्ली ओनर। नो पार्टनर। ऑल इन वन शॉप। हसबैंड फ्लाई टू कतर, नॉट कम बैक नाउ। स्पीक टू मी हाउ डू आई सर्विस यू?"

शौर्य को ललिता दीदी की टूटी-फूटी अंग्रेजी बिल्कुल भी पल्ले नहीं पड़ी। वो कन्फ़्यूज नज़रों से उन्हें देखता रहा और फिर उनकी अंग्रेजी पर ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगा। शौर्य की हंसी सुनकर ललिता दीदी को बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई। शौर्य की हंसी रुक ही नहीं रही थी तभी एक उड़ता हुआ थप्पड़ उसके मुंह पर क्रैशलैन्ड हुआ और उसकी हंसी बंद हुई। जब शौर्य ने मुड़कर देखा तो वहां एक खूबसूरत लड़की खड़ी थी... ये हैं 27 वर्षीया शिवांगी, मेरे गाँव बखेड़ा की स्कूल टीचर। पहले मेरे गाँव में कोई स्कूल नहीं था। शिवांगी और मैं बाकी बच्चों के साथ नदी पार करके दूसरे गाँव जाया करते थे स्कूल में पढ़ने। बाकी बच्चों की तरह मैं भी बड़ा होकर शहर चला गया नौकरी करने पर शिवांगी ने पढ़-लिखकर गाँव में ही रहने का फैसला किया और गाँव में पहला स्कूल खोला ताकि गाँव के बच्चों को अच्छी एजुकेशन मिल सके। शिवांगी के इस नेक ख्याल के लिए पूरा गाँव उसकी बहुत रिस्पेक्ट करता है और अगर कोई दूसरे की डिसरिस्पेक्ट करे तो वो शिवांगी को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है पर बर्दाश्त तो शौर्य को ये थप्पड़ भी नहीं है।

शौर्य: हाउ आर यू! तुमने मुझे थप्पड़ कैसे मारा!

शिवांगी: ऐसे!

शिवांगी ने पूरे गाँव के सामने शौर्य के मुंह पर फिर से थप्पड़ चिपका दिया। शौर्य की आंखें गुस्से से लाल हो गईं। 

शौर्य कैसे देगा इस डबल थप्पड़ का जवाब?

क्या शौर्य से पंगा लेना पड़ेगा शिवांगी को भारी? 

शौर्य दंतमंजन कर लेता तो क्या वो थप्पड़ खाने से बच जाता? 

सब कुछ बताएंगे महाराज... गाँववालों के अगले चैप्टर में!

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