देश का सबसे सुरक्षित सायबर वॉर सेंटर, जहाँ तक पहुँच पाना नामुमकिन माना जाता था। यहाँ की डिजिटल सुरक्षा ऐसी थी कि किसी भी बाहरी घुसपैठ का सवाल ही नहीं उठता था। लेकिन आज, इस अभेद्य किले में एक ऐसा व्यक्ति घुस चुका था, जिसने प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रची थी। टास्कफोर्स के सभी सदस्य अपनी-अपनी स्क्रीन पर डेटा स्कैन करने में लगे थे, जब अचानक ही एक अजीब सी हरकत ने सबका ध्यान खींचा। स्क्रीन पर अचानक से सारे मॉनीटर्स झपकने लगे और काले हो गए। कमरे में एक सन्नाटा पसर गया। हर किसी के चेहरे पर भय की लकीरें थीं। वो आदमी सिर्फ सेंटर में घुसपैठ नहीं कर चुका था, बल्कि वह अब उन्हें चुनौती दे रहा था, जैसे उन्हें शिकार बनाने के लिए जाल बिछा रहा हो। अब तक टास्कफोर्स इस साजिश के पीछे के चेहरे को ढूंढने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अब ये साफ हो गया था कि मास्टरमाइंड ने उन्हें ढूंढ लिया था।  

“ वक्त है अब भी है अपनी जान बचाओ, अपने परिवार की जान बचाओ और उस विक्रम की बातों को ना मानकर इस मिशन को अभी छोड़कर चले जाओ, वरना अंजाम तुम देख नहीं पाओगे .. टीम गांडीव ! तुम्हें क्या लगता है की तुम 4 लोग मिलकर मुझे रोक पाओगे, एक तकनीकी जीनियस, एक लड़की जिसका नेटवर्क बहुत बड़ा है, एक आर्मीमेन जो जोश से काम लेता है और अंत में एक दिमागी खेल की जीनियस ! नमूने तो विक्रम ने अच्छे एकट्ठे किये है लेकिन काम के नहीं है ! याद रहे अगली बार मैं वार्निंग नहीं दूंगा !”  

उस रहस्यमयी आदमी के मुह से इतनी सटीक जानकारी सुन पूरी टीम सदमे में थी, क्यूंकी इतने दिनो से इस केस की छानबीन करने के बावजूद भी उन्हे अपने दुश्मन के बारे में रत्ती भर की जानकारी नहीं थी और वही उसका दुश्मन अपना होमवर्क कर चुका था, उसके पास पूरी टीम की जानकारी थी ! हालांकि उन्हे यह नहीं पाता था की आखिर दुश्मन उनके बारे में कितनी हद तक जानता है! सभी के होश उड़े हुए थे और वह बस स्क्रीन को देखे जा रहे थे ! लेकिन इसका मतलब यह नहीं था की वे हार मान चुके थे या डर गए थे ! कुछ देर की चुप्पी के बाद कबीर ने स्क्रीन के सामने ऊंची आवाज में कहा,  

कबीर: तू जिस भी बिल में छुपा है, चाहे जमीन के भीतर हो या चाहे आसमान के उपर छिपा हुआ हो, ये टीम तुझे ढूंढ निकालेगी और जब वो दिन आएगा यकीन मान तू अपने जिंदा होने पर पछताएगा !

कबीर की बात सुन स्क्रीन पर मौजूद वह रहस्यमयी नकाब जोर से हंसने लगा और बोल उठा, “ मजा आएगा, जब तुम चारों को और उस विक्रम को मारूँगा ! तब जरूर मजा आएगा !”  

इसी बात के  साथ एक बार फिर वह अंजान कॉल कट हो चुकी थी और फिर एक बार टास्कफोर्स चिंता में थी की आखिर आगे अब वे क्या करे ?  लेकिन ऐसे शांत नहीं बैठा जा सकता था, अब बारी थी इस केस को गहराई से जानने की, और इस चीज के लिए टास्कफोर्स को छोटी से छोटी चीज पर भी अपनी नजर गड़ाए रखनी थी ! क्यूंकी अगर इस साजिश के पीछे एक बड़ा नेटवर्क है तो इसका मतलब था की प्रधानमंत्री की मौत की साजिश को नीचे के लेवल से लेकर ऊपर के लेवल तब बहुत ही बारीकी से प्लान किया होगा, इसलीए अब इन्हे भी उन्ही गहराईयों में जाकर अपनी तहकीकात करनी पड़ेगी ! 

अदिति ने जबसे अपने नेटवर्क को सक्रिय किया था, वह लगातार उनसे संपर्क में थी। उसने अपने लोगों से साफ तौर पर कह दिया था,  

अदिति: "हर उस शख्स पर नजर रखो, जिसे प्रधानमंत्री की मौत से फायदा हो सकता है। चाहे वो कोई नेता हो या बड़ा बिजनेसमैन, हर किसी का रिकॉर्ड हमें चाहिए।"  

अदिति का नेटवर्क इतना फैला हुआ था कि कोई भी बड़ा शहर या छोटा गांव उसकी नजरों से बच नहीं सकता था। उसकी टीम ने देश के हर कोने में अपनी आँखें गढ़ाई हुई थी, और अब उनका एक ही मकसद था—इस केस की जड़ों तक पहुंचना।  वहीं दूसरी ओर, मीरा सरकार के हर छोटे-बड़े नेता और बिजनेसमैन के बारे में जरूरी जानकारी इकट्ठा करने में लगी हुई थी। "सरकार में आने का मतलब होता है बिजनेस से जुड़े रहना," मीरा ने अपने आप से कहा। 

मीरा: "बिजनेस और राजनीति के रिश्ते में गहरी सांठगांठ होती है, और जहां पैसा बहता है, वहां साजिश की बू आती है।"  

मीरा को पता था कि जब कोई पार्टी सत्ता में आती है, तो उनके पीछे हमेशा बड़े बिजनेसमैन खड़े होते हैं। ये लोग चुनाव के वक्त पार्टियों को पैसा मुहैया कराते थे, ताकि बदले में चुनाव जीतने के बाद सरकार उनके हितों की रक्षा कर सके—कम टैक्स, नए प्रोजेक्ट्स के लिए मंजूरी, और कभी-कभी तो इल्लीगल धंधों के लिए भी आँखें मूँद लेना। यह कोई मुफ्त सेवा नहीं थी। कोई भी बिजनेसमैन सरकार में बिना फायदे के पैसा नहीं लगाता। असल में ये लोग राजनीति को एक तरह से स्टॉक मार्केट की तरह इस्तेमाल करते थे—थोड़ा पैसा इन्वेस्ट करो और जब सरकार पावर में आए, तो मुनाफा बटोर लो।  

पिछले पंद्रह सालों से अर्जुन मल्होत्रा की सरकार लगातार जीतती आ रही थी। इस सत्ता के लगातार बने रहने से विरोधी पार्टियों की हालत खस्ता हो चुकी थी। धीरे-धीरे उनके सिर से बिजनेसमैन समुदाय का हाथ उठने लगा था, और राजनीतिक सहयोग के बिना उनका अस्तित्व संकट में था। उनके लिए राजनीति में आने का असली मकसद पैसा था, और जब वही खत्म होने लगा, तो इस बार सत्ता बदलने की जरूरत एक मजबूरी बन गई थी।  

मीरा के मन में एक बात बिल्कुल साफ थी—प्रधानमंत्री की हत्या के पीछे कोई बड़ा राजनेता हो सकता है। जो भी इस साजिश का मास्टरमाइंड है, उसे न सिर्फ राजनीति की गहरी समझ है, बल्कि उसे समय और लोगों दोनों का सही इस्तेमाल करना भी आता है।  

"बिजनेसमैन होने की संभावना कम है," मीरा ने खुद से सोचा। "इस स्तर की साजिश के लिए पार्लियामेंट की अंदरूनी जानकारी और समय दोनों चाहिए, जो सिर्फ एक नेता के पास हो सकता है।" इसी विचार से मीरा ने उन सभी कॉर्पोरेट टायकून और राजनेताओं की जानकारी जुटानी शुरू कर दी थी, जिनका प्रधानमंत्री की हत्या से कोई संबंध हो सकता था। उसकी तहकीकात गहरी थी और हर छोटी से छोटी डिटेल पर उसकी नजर थी।  

वहीं दूसरी ओर कबीर ने  इंटरनेट के हर कोने को खंगाल डाला—हर वेब पोर्टल, हर संदिग्ध वेबसाइट, लेकिन कुछ हाथ नहीं आया। "ऐसा नहीं हो सकता कि सब कुछ साफ-साफ मिल जाए," कबीर ने बुदबुदाते हुए खुद से कहा। नेता अपने क्राइम रिकॉर्ड्स या साजिशें यूं ही खुलेआम तो नहीं रखते। अगर कोई सच में इतना बड़ा गुनहगार है, तो वो अपने पीछे कोई सबूत नहीं छोड़ेगा।  

कबीर समझ चुका था कि उसे अपनी रणनीति बदलनी होगी। "नेता सीधे अपने अपराधों को रिकॉर्ड्स में नहीं रखते," उसने खुद से कहा। "लेकिन हर गुनहगार के पास कोई न कोई छिपी सच्चाई जरूर होती है।"  

कबीर ने स्क्रीन पर एक आखिरी बार नजर डाली, फिर उसने एक गहरी सांस ली। "अब वक्त है डार्क वेब पर जाने का," उसने मन ही मन तय किया।  

डार्क वेब—कबीर जानता था कि असली जानकारी वहीं छिपी होगी, जहां कोई देखने की हिम्मत भी नहीं करेगा। उसने अपने सिस्टम को तैयार किया और देश के हर बड़े नेता और उद्योगपति के बैकग्राउंड की तहकीकात शुरू कर दी।  

स्क्रीन पर डेटा तेजी से दौड़ने लगा। हर एक नेता का इतिहास, उनके छिपे हुए क्राइम्स, अनसुलझे केस, और अतीत की काली छायाएं—सब कुछ सामने आने लगा। कबीर को पता था कि यहां उसे वो सच मिलेगा, जो उसने अब तक नहीं देखा था। "यहां से असली खेल शुरू होता है," कबीर के चेहरे पर एक गंभीर मुस्कान थी। अब वह उस साजिश की जड़ तक पहुंचने के लिए तैयार था, जिसने प्रधानमंत्री की हत्या की बुनियाद रखी थी।  

एक तरह टास्कफोर्स अपने काम में लगी हुई थी और वही दूसरी ओर विक्रम सिन्हा अपनी ऑफिस में बैठे बैठे बड़े गहरे विचारों में खोए हुए थे ! वह किसी गहरी सोच में थे और यह बात उसका चेहरा साफ साफ बयाँ कर रहा था, कुछ ही देर बाद आयुष विक्रम की ऑफिस में आया और उसने सलामी देते हुए जोश के साथ कहा,  “ जय हिन्द, सर ! ” आयुष के जोश से जी हिन्द बोलते ही विक्रम आओने ख्यालो से बाहर निकला और धीमी आवाज में बोल उठा,   

विक्रम: “ जय हिन्द, क्या वे लोग काम पर लग गए ?”  

विक्रम का सवाल सुन आयुष ने जवाब देते हुए कहा, जी सर वे सब अपने काम में लग चुके है। सर एक बात है जो मैं आपसे पूछना चाह रहा था। विक्रम ने हाँ में सर हिलाया और तबही आयुष ने पूछा की क्या उन्हें लगता है की इस मैस्टर्माइन्ड को पकड़ने के लिए सिर्फ यह 4 लोग काफी है? आयुष का सवाल सुनते ही विक्रम ने उससे कहा  

विक्रम: यह सवाल पूछने का मतलब क्या है ऑफिसर ?”  

आयुष ने तुरंत ही विक्रम के सवाल का जवाब देते हुए कॉन्फिडेंस के साथ कहा, मेरा मतलब है सर, अब तक की उनकी इकट्ठा की हुई जानकारी , हमे पहले से ही पता थी। पार्लियामेंट की तहकीकात के दौरान हमने भी वह CCTV फुटेज को देखा था । आप जानते थे पार्लियामेंट की सभी तकनीकी सुविधाओ को नष्ट कर दिया गया था, लेकिन आपने यह जानकारी इस टीम के साथ शेयर नहीं की और उन्हे अपने तरीके से खोजबीन में लगा दिया, लेकिन मेरे ख्याल से उनकी तहकीकात की स्पीड धीमी है ! इसलिए मैंने आपसे सवाल पूछा की क्या वे लोग सच में काबिल है ? आयुष की बात सुन विक्रम अपनी जगह से उठा और विंडो की तरफ मुँह कर सोचते हुए गंभीरता से बोल उठा,  

विक्रम: बेशक वे धीमे है, लेकिन उसकी एक वजह है ! वे एक दूजे पर इतना यकीन नहीं करते जितना एक टीम करना चाहिए ! इसलिए वे सभी अपने अपने तरीके से उस आदमी को ढूँढने में लगे हुए है ! और इस समय यह एक ही चीज उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है ,लेकिन जब वे इस कमजोरी को जानेंगे और एक टीम का असली मतलब समझेंगे उस दिन मुझे यकीन है वे अद्भुत रिजल्ट्स के साथ सामने आएंगे ! यह अब तक की सबसे बेस्ट टीम है आयुष। लेकिन हर टीम की शुरुआती कमजोरी होती ही है, खुद को ही देख लो तुम्हारी भी तो कोई कमजोरी है। 

विक्रम की बात सुन आयुष ने अपना सिर हाँ में हिलाया, तब विक्रम ने शांति से कहा,  फिलहाल उन्हे अपने हाल पर छोड़ दो, वे गिरेंगे तभी तो अपने काम को ठीक से समझेंगे ! विक्रम की बाते आयुष के सिर के ऊपर से जा रही थी, लेकिन फिर भी आयुष ने अपना सिर हाँ में हिलाते हुए कहा, “जी सर जैसा आप कहे ? लेकिन.. ” इतना बोल आयुष ने विक्रम को देखते हुए कहा, “क्या आपको नहीं लगता की हमे उन्हे बात देना चाहिए ?” 

आयुष ने ऐसा क्यों कहा? क्या विक्रम इस टीम से कुछ छुपा रहा है? क्या कोई और भी गहरा राज़ है? जानने के लिए पढ़ते रहिए।  

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