​​चाय उबल रही थी और मीरा अपने ख्यालों में डूबी हुई थी। इतना कि चाय उबलकर बर्तन से नीचे गिर गई, फिर भी उसका ध्यान नहीं था। रोहन की मम्मी ने जल्दी से वहाँ आकर गैस बंद की और फिर मीरा अपने ख्यालों से बाहर आई। ​

 

​​मम्मी जी-​

​​इतना ख्यालों में खो जाना भी ठीक नहीं है मीरा बेटा। क्या हुआ? सच बताओ, अभी भी रोहन के ख़्याल सताते हैं ना तुम्हें? ​

 

​​यह कहकर वह ज़ोर से हंसने लगी। ​

 

​​मम्मी जी-​

​​ अरे बेटा, मैं तो मज़ाक कर रही थी। तुम तो सीरियस हो गई। जाओ तुम जाकर आराम से, बर्बरी के साथ बैठ जाओ। मैं चाय छानकर लाती हूँ। ​

 

 

​​मीरा का अब दिमाग़ ही काम नहीं कर रहा था। वह सच में वहाँ से निकलकर सोफे पर जाकर बैठी और रोहन की मम्मी ने दोनों के लिए चाय छानकर लाई। ​

​​एक कप उन्होंने मीरा के हाथ में दिया और ख़ुद अपना कप लेकर मीरा के बगल में आकर बैठ गईं। ​

 

 

​​मीरा ने चाय का एक घूंट लिया। रोहन की मम्मी से नज़रें चुराने की वह पूरी कोशिश कर रही थी। फिर धीरे से उसने ही बात की शुरुआत की। ​

 

 

​​मीरा-​

​​मम्मी जी... घर पर सब ठीक है? कोई दिक्कत तो नहीं है? पापा ठीक हैं? ​

 

 

​​मम्मी जी-​

​​हाँ, सब ठीक ही है। कोई दिक्कत क्यों होगी? ​

 

 

​​मीरा-नहीं, आप... आने से पहले हमेशा फ़ोन करती हैं। इस बार आपने फ़ोन नहीं किया... तो... मुझे लगा कोई परेशानी तो नहीं है। ​

 

 

​​मम्मी जी-​

​​दरअसल, रोहन ऑफिस के किसी काम से बेंगलुरु गया हुआ था। तो बर्बरी को उसने कुछ दिनों के लिए मेरे यहाँ छोड़ दिया। रोहन कल ही वापस आया है, पर मैंने उसे कहा कि रहने दो बर्बरी को कुछ दिन और मेरे पास। अब तुम दोनों तो पूरे टाइम झगड़ते रहते हो। कम से कम बर्बरी के साथ रहने से मुझे और रोहन के पापा को अच्छा लगता है। ​

​​आज तो मैं बर्बरी को लेकर मेरी एक सहेली के यहाँ आई थी। यहीं तुम्हारे घर के पास ही घर है उसका। तो सोचा, तुमसे भी मिलते जाऊँ। उतनी ही सास-बहू के बीच में गपशप हो जाएगी। ​

​​अब तो कुछ दिनों में, मैं भी तुम्हारी एक्स-सास बन जाऊंगी। ​

 

 

​​मीरा-​

​​ अच्छा किया जो आप आईं। आज मैं भी घर पर ही हूँ। आज का लंच यहीं करके जाइएगा। ​

 

 

​​मम्मी जी-​

​​मुझे तुमसे इन सब चीज़ों की उम्मीद नहीं है बेटा। जिस बात की उम्मीद है, वह तो तुम करना नहीं चाह रही। ​

​​डिवोर्स  ले रही हो हमारे बेटे से, वहाँ तक भी बात ठीक थी लेकिन अब तो मैंने सुना है कि तुमने म्यूचूअल डिवोर्स  के लिए भी मना कर दिया है। अब यही सब करना है, तो फिर खाना भी क्यों खिला रही हो। ​

 

 

​​मीरा-​

​​ मम्मी जी, ये आप कैसी बातें कर रही हैं? जितने भी झगड़े हैं, जो भी है, वह मेरे और रोहन के बीच में है। आपका और मेरा रिश्ता अलग है और वह हमेशा रहेगा। ​

 

 

​​मम्मी जी-​

​​कैसा रिश्ता बेटा? रोहन ज़िद करके तुम्हें हमारे घर की बहू बनाकर लाया था। तुम्हारा और मेरा रिश्ता उसी की वज़ह से था। अब तुम उसी के साथ रिश्ता तोड़ रही हो, तो फिर हमारा कौन-सा रिश्ता बचता है? 

 

 

​​मीरा समझ चुकी थी कि बर्बरी का तो बस बहाना था। वह दरअसल मीरा को खरी-खोटी सुनाने ही वहाँ आई थीं। बात ज़्यादा आगे न बढ़ जाए, इसलिए मीरा ने आगे कुछ कहना सही नहीं समझा। ​

​​रोहन की मम्मी ने चाय ख़त्म करके खाली कप नीचे रखा। ​

 

​​मम्मी जी-​

​​चाय हमेशा की तरह तुमने अच्छी बनाई थी वैसे। अभी मैं चलती हूँ। तुम्हारा ज़्यादा वक़्त नहीं लूंगी। ​

 

 

​​इतना कहकर वह उठकर जाने लगीं। मीरा ने बर्बरी की ओर देखा और हिम्मत जुटाकर कहा। ​

 

​​मीरा-​

​​मम्मी जी, अगर आपको कोई दिक्कत न हो तो... क्या आप बर्बरी को एक-दो दिन के लिए मेरे पास छोड़कर जा सकती हैं? रोहन से मैं बात कर लूंगी। ​

 

​​मम्मी जी-​

​​ठीक है। वैसे भी बर्बरी अब तुमसे मिलने के बाद मेरे साथ आना नहीं चाहती। तुम्हारे ही इर्द-गिर्द घूम रही है कब से। ​

 

 

​​इतना कहकर वह चली गईं और मीरा ने तुरंत रोहन को मैसेज कर दिया कि मम्मी जी आई थीं और बर्बरी को उसके पास छोड़कर गई हैं। ​

 

​​रोहन के फ़ोन स्क्रीन पर मीरा का मैसेज आया। रोहन तभी बिस्तर पर ही पड़ा हुआ था। संडे था, तो उसका अभी तक बिस्तर से नीचे उतरने का मन नहीं हुआ था। मीरा का मैसेज देखकर उसने लंबी सांस ली और फिर अपनी मम्मी को फ़ोन लगाया। ​

 

 

​​रोहन-​

​​आपको क्या ज़रूरत थी, मम्मी, वहाँ जाने की? और ऊपर से बर्बरी को भी आप साथ लेकर गईं? और उसे उसके पास छोड़कर आने की क्या ज़रूरत थी आपको? ​

 

​​मम्मी जी-​

​​तो क्या करती मैं? उसने पूछा कि क्या वह एक-दो दिन के लिए बर्बरी को अपने साथ रख सकती है, तो मैंने हाँ कर दी और वैसे भी, बर्बरी को वह ही लेकर आई थी घर में। ​

 

​​रोहन-​

​​मम्मी, आप समझ नहीं रही हैं। वह पहले ही बर्बरी को अपने साथ रखना चाहती थी। बड़ी मुश्किल से मैंने उसे मनाया था। अब आप बर्बरी को वहाँ छोड़कर आ गईं। अब देखना, वह बर्बरी को वापस नहीं लौटाएगी। ​

 

​​मम्मी जी-​

​​नहीं लौटाएगी तो मैं जाकर जबरदस्ती ले आऊंगी उससे। तुम मत टेंशन लो इतना। बाक़ी जो ज़रूरी चीजें हैं, उन पर ध्यान दो।

 

​​रोहन की मम्मी ने उसे डांटकर फ़ोन काट दिया। ​

 

 

​​वहाँ मीरा तो लेकिन आज बहुत खुश थी। इतने दिनों बाद बर्बरी के साथ उसे वक़्त बिताने का मौका मिल रहा था। उसने सोचा कि मम्मी जी आई तो उसे डांटने के हिसाब से थीं, लेकिन बर्बरी को लाकर उन्होंने अच्छा कर दिया। ​

 

 

​​कहा तो उसने एक-दो दिन था। लेकिन कम से कम हफ्ते भर के लिए अब वह बर्बरी को कहीं नहीं जाने देने वाली थी। ​

​​रोहन ने उसके मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया था। लेकिन उससे मीरा को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। ​

 

 

​​अब बर्बरी हफ्ते भर यहाँ रहेगी, तो उसके लिए डॉग फूड की ज़रूरत थी। इसलिए मीरा झट से नहा-धोकर तैयार हो गई और बर्बरी को लेकर वह डॉग फूड खरीदने मार्केट चली आई। ​

​​सुबह-सुबह का वक़्त था और संडे था, तो बाहर भीड़ भी कम नज़र आ रही थी। ​

​​मीरा ने एक पेट स्टोर के सामने कार पार्क कर दी और बर्बरी को लेकर वह अंदर चली गई। ​

 

 

​​अंदर जाने के बाद स्टोर का स्टाफ बर्बरी के साथ खेलने लगा। मीरा भी ख़ुशी से उनको देख रही थी। बर्बरी स्टोर में यहां-वहाँ भाग रही थी, सबके साथ खेल रही थी। तब तक मीरा उसके लिए डॉग फूड देखने लगी। ​

​​उसने बर्बरी की ज़रूरत के हिसाब से दो-चार चीजें लीं और वह पेमेंट काउंटर पर जाने लगी। उसने बर्बरी को आवाज़ लगाई और अपने साथ चलने के लिए कहा। लेकिन उसकी आवाज़ से हमेशा भागते हुए उसके पास आने वाली बर्बरी कहीं दिख ही नहीं रही थी। ​

​​मीरा को लगा स्टोर में ही कहीं खेल रही होगी। स्टोर वैसे काफ़ी बड़ा था। तो मीरा पूरा स्टोर दो बार घूमकर आ गई, लेकिन बर्बरी उसे फिर भी कहीं नज़र नहीं आई। ​

​​वो बहुत घबरा गई। डर के मारे उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं, उसकी सांसें फूलने लगीं। ​

​​उसने स्टोर के स्टाफ से भी जाकर पूछा जो उसके साथ थोड़ी देर पहले खेल रहे थे लेकिन उन्होंने कहा कि बर्बरी तो कुछ मिनट बाद मीरा के ही पीछे-पीछे चली गई थी। ​

 

 

​​मीरा को भी याद आ रहा था कि थोड़े देर पहले तक वह उसके आगे-पीछे ही चल रही थी। मीरा का ध्यान उससे थोड़े देर के लिए ही हटा और उतने में वह ग़ायब हो गई। ​

 

 

​​अब स्टोर का पूरा स्टाफ, वहाँ खड़े बाक़ी कस्टमर्स और मीरा, सब बर्बरी को ढूँढने में लग गए। ​

​​मीरा इतना ज़्यादा घबरा गई थी कि उसका दिमाग़ काम नहीं कर रहा था। ​

 

 

​​उसकी घबराई हुई हालत को देखकर स्टाफ में से किसी एक ने उसे पानी दिया और शांति से एक जगह बैठने के लिए कहा। ​

 

 

​​बर्बरी कहाँ गायब हो गई, इस ख़्याल से उसके पैरों की ताकत ही जैसे चली गई थी। लेकिन फिर भी वह स्टोर से बाहर निकली और सड़क पर बर्बरी को आवाज़ लगाते हुए उसे ढूँढने लगी। उसने सड़क पर चलते हुए लोगों से भी बर्बरी के बारे में पूछना शुरू किया। उनमें से भी कई लोग बर्बरी को ढूँढने में मीरा की मदद करने लगे। ​

 

 

​​मीरा अब पागल हो रही थी। बर्बरी को आवाज़ लगाते-लगाते उसका गला सूख रहा था। उसकी आँखों से अब आँसू बहने लगे थे। उसे कुछ नहीं समझ आ रहा था कि आख़िर बर्बरी गई कहाँ है और उसे ढूँढे कहाँ। कहीं उसे कुछ हो तो नहीं गया, यह डर भी उसे सता रहा था। ​

 

 

​​उसकी हालत देखकर किसी ने उसे एक दुकान से कुर्सी लाकर दी और उस पर बैठाया। तभी उसे अचानक से ख़्याल आया कि उसे यह बात रोहन को बतानी चाहिए। ​

​​उसने अपना फ़ोन निकालकर रोहन को फ़ोन किया। ​

 

 

​​रोहन पहले ही मीरा का मैसेज देखकर चिढ़ा हुआ था। अब उसका कॉल आ रहा है देखकर वह और ज़्यादा इरिटेट हो गया। ​

 

​​रोहन-​

​​हाँ, अब क्या है? पढ़ लिया मैंने मैसेज तुम्हारा, उसके लिए फ़ोन करने की कोई ज़रूरत नहीं थी। ​

 

​​मीरा -​

​​ रोहन... रोहन... वह बर्बरी...​

 

 

​​मीरा रो रही थी, यह समझ में आते ही वह बिस्तर से उठ खड़ा हुआ। ​

 

​​रोहन-​

​​क्या हुआ मीरा? बर्बरी को कुछ हुआ क्या? ​

 

​​मीरा-​

​​वो दरअसल बर्बरी...​

 

​​रोहन-​

​​जल्दी बोलो, क्या हुआ है? बर्बरी ठीक तो है न? ​

 

​​मीरा-​

​​ वह मैं... मैं... बर्बरी को लेकर पेट स्टोर आई थी। उसके लिए सामान ही खरीद रही थी कि पता नहीं वह कहाँ चली गई और अब मिल नहीं रही है।

 

 

​​मीरा का रोना ही नहीं रुक रहा था। बर्बरी अचानक से गायब हो गई, यह सुनकर और मीरा को इतना रोता हुआ देखकर वह भी घबरा गया। ​

 

​​रोहन-​

​​ पहले तो मुझे यह बताओ कि तुम अभी हो कहाँ? मुझे एड्रेस मैसेज करो, मैं अभी वहाँ आता हूँ और हाँ... फ़िक्र मत करना, मिल जाएगी वो। हम मिलकर उसे ढूँढ लेंगे। ​

 

 

​​रोहन की बातों से मीरा को थोड़ी-सी राहत मिली थी। उसने जल्दी से वहाँ का एड्रेस रोहन को मैसेज कर दिया। ​

​​रोहन थोड़ी ही देर में वहाँ पहुँच गया। मीरा तब भी रो रही थी और परेशान नज़र आ रही थी। रोहन ने आते ही उसे गले लगा लिया। ​

 

​​रोहन-​

​​फिक्र मत करो, ढूँढ लेंगे उसे। चलो अभी मेरे साथ चलो और बताओ मुझे कौन से स्टोर गई थी तुम? वह वहीं कहीं आसपास होगी। वापस चलकर देखते हैं। ​

 

 

​​मीरा उसे उस स्टोर की तरफ़ लेकर गई। वहाँ पर रोहन ने दोबारा से बर्बरी को ढूँढा। उसकी फोटो दिखाकर आसपास के लोगों से पूछा। बाहर एक नुक्कड़ की दुकान थी। वहाँ खड़े एक आदमी ने रोहन को बताया कि बर्बरी जैसे दिखने वाले एक कुत्ते को किस दिशा में जाते हुए देखा था। ​

​​रोहन और मीरा भागते हुए कार के पास पहुँचे। रोहन ने मीरा को उसकी कार में बैठने के लिए कहा और उस आदमी ने जो दिशा बताई थी, वहाँ उसे ढूँढते हुए निकल गए। ​

 

​​लेकिन नुक्कड़ पर खड़े आदमी ने जिसे देखा था, क्या वह बर्बरी ही थी? ​

​​ और उस दिशा में जाने से क्या रोहन और मीरा उसे ढूँढ लेंगे? ​

​​कहीं बर्बरी के साथ कुछ उल्टा-सीधा तो नहीं हुआ है? ​

जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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