रोहन और मीरा ने तब तक राजन, समीर और निकिता को भी फ़ोन करके बता दिया था। वे तीनों भी वहाँ आकर बर्बरी को ढूँढने में रोहन और मीरा की मदद कर रहे थे। मीरा पूरे वक़्त आँसू बहा रही थी। उसे देखकर रोहन को और ज़्यादा टेंशन हो रही थी।
चार घंटे बीत गए जब से बर्बरी गायब हुई थी, लेकिन अभी तक उसका कोई पता नहीं चला था।
देखते-देखते शाम हो गई। सब अब थक चुके थे। सुबह से किसी ने न कुछ खाया था न पिया था। मीरा का रोना भी अब रुक चुका था। रोने की वज़ह से वह और ज़्यादा थक चुकी थी।
राजन-
"रोहन, मीरा, तुम दोनों अब घर जाओ। कल सुबह फिर से बर्बरी को ढूँढने निकलते हैं। अब वैसे भी रात होने वाली है। ढूँढने का कोई फायदा नहीं है।"
मीरा-
"... लेकिन रातभर क्या वह बाहर रहेगी? और हम आराम से घर के अंदर? रातभर में उसे कुछ हो गया तो? कल सुबह तक का किसको पता है? रोहन... प्लीज उसे अभी ढूँढना है।"
रोहन ने मीरा के कंधों पर हाथ रखकर उसे समझाते हुए कहा।
रोहन-
"मीरा, बात को समझो। सुबह से ढूँढ रहे हैं उसे। अभी रात को बाहर भटकने का कोई पॉइंट नहीं है। करते हैं कुछ। सुबह ढूँढते हैं। मिल जाएगी वह, कहीं नहीं जाएगी।"
मीरा ने जैसे-तैसे रोहन की बात मान ली। राजन, समीर और निकिता अपने-अपने घर जाने के लिए निकल गए। उनके जाने के बाद मीरा ने रोहन से कहा।
मीरा-
"मैं भी घर के लिए निकलती हूँ अब।"
रोहन-
"तुम कहो तो... मैं तुम्हें घर तक छोड़ दूँ?"
मीरा-
"नहीं, मैं चली जाऊँगी। घर पहुँचकर मैसेज करती हूँ।"
रोहन-
"ठीक है, आराम से जाना।"
मीरा रोहन को बाय बोलकर अपनी कार की तरफ़ जाने लगी। रोहन देख पा रहा था कि सुबह से रो-रोकर उसकी बुरी हालत हो चुकी थी।
मीरा कार के पास पहुँची और उसने कार का दरवाज़ा खोला, तभी...
रोहन-
"मीरा... दो मिनट रुक जाओ।"
रोहन मीरा के पास गया।
रोहन-
"आज रात यहीं रुक जाओ। घर पर अकेले रहने से बेहतर है आज यहीं सो जाओ। कल सुबह यहीं से बर्बरी को ढूँढने निकल जाएँगे।"
मीरा और रोहन के बीच अभी जो हालात चल रहे थे, उन्हें देखकर रोहन के घर रुकना मीरा को सही नहीं लग रहा था लेकिन घर पर आज रात अकेले रहने का ख़्याल भी उसके मन में घबराहट पैदा कर रहा था। बर्बरी सुबह से गायब थी, उसके बाद अब घर पर जाने का उसका भी मन नहीं था।
इसलिए उसने आज रात रोहन के ही घर रुकने के लिए हाँ कर दी।
मीरा ने अपनी कार रोहन की कार के बगल में पार्क कर दी और वे दोनों ऊपर जाने के लिए लिफ्ट में चले गए। लिफ्ट में पूरे वक़्त मीरा की नज़रें झुकी हुई थीं और रोहन की नज़रें लिफ्ट की दीवार पर थीं।
लिफ्ट का दरवाज़ा खुला और सबसे पहले मीरा लिफ्ट से बाहर निकली। बाहर निकलते ही वह एकदम से चिल्ला उठी। उसका चिल्लाना सुनकर रोहन घबरा गया और उसने जल्दी से लिफ्ट के बाहर आकर देखा तो वह क्या देखता है... उसके अपार्टमेंट के दरवाज़े के बाहर बर्बरी बैठी थी और उन दोनों को देखते ही वह उनके पास आकर अपनी पूँछ हिलाने लगी।
मीरा तो उसे सामने देखकर रोने ही लगी। नीचे बैठकर मीरा उसे सहलाने लगी, उसे प्यार करने लगी और रोहन खड़े रहकर यह सब देख रहा था। बर्बरी को अपनी आँखों के सामने देखकर अब उसके जान में जान आई थी।
मीरा -
" कहाँ चली गई थी तुम? कितना ढूँढा तुम्हें और तुम घर आ गई?
रोहन, देखो इसे। ये वहाँ से यहाँ तक अकेले घर आ गई। बड़ी हो गई है अभी ये, अकेले घर आएगी? "
मीरा हँसने लगी और रोहन भी उसकी बातें सुनकर हँसने लगा।
रोहन ने घर की चाबी घुमाकर घर का दरवाज़ा खोला और मीरा बर्बरी को लेकर रोहन के पीछे घर के अंदर आ गई।
घर के अंदर आते ही रोहन ने सबसे पहले बर्बरी को खाना दिया।
रोहन-
"मैं फटाफट हम दोनों के खाने के लिए कुछ बनाता हूँ।"
मीरा-
"मैं कुछ मदद करूँ?"
रोहन-
"नहीं, मैं कर लूँगा। तुम तब तक फ्रेश हो जाओ और वो... गेस्ट रूम वाली अलमारी में तुम्हारे कुछ पुराने कपड़े पड़े हैं, उनमें से कुछ पहन लेना।"
मीरा ने सिर हिलाकर हाँ कहा और वह नहाने चली गई। वह नहाकर वापस आई तब तक रोहन भी नहा चुका था और किचन में खड़े रहकर कुछ बना रहा था। मीरा उसके पास गई।
मीरा-
"क्या बना रहे हो?"
रोहन-
"पास्ता बना रहा हूँ। घर में फिलहाल वही था और तुम्हें पास्ता पसंद भी है और यह एक ही ऐसी चीज़ है, जो मैं ढंग से बना सकता हूँ। वरना तुम तो जानती हो मैं खाना कैसे बनाता हूँ।"
मीरा हँसने लगी।
मीरा-
"बहुत अच्छे से पता है। खाना बनाना नहीं, खाना जलाना स्किल है तुम्हारा।"
दोनों हँसने लगे। पास्ता बन रहा था तब तक मीरा बर्बरी के पास जाकर बैठी। बर्बरी ने अपना खाना ख़त्म कर दिया था और अब आराम से लेटी हुई थी।
मीरा उसे प्यार भरी नज़रों से देख रही थी।
रोहन-
"आ जाओ, पास्ता बन गया है।"
रोहन ने प्लेट लगाते हुए कहा। मीरा आई और कुर्सी पर बैठ गई।
रोहन-
"वाइन पियोगी? फिलहाल तो फ्रिज में ड्रिंक के नाम पर वाइन की एक ही बोतल नज़र आ रही है मुझे।"
मीरा-
"वाइन परफेक्ट है ना। आज का दिन सेलिब्रेट करने के लिए पास्ता और साथ में वाइन एकदम परफेक्ट है!"
रोहन ने मीरा और अपनी प्लेट में पास्ता सर्व किया और गिलासों में वाइन।
मीरा ने पास्ता को टेस्ट किया और कहा।
मीरा-
"उम्म्म! पहले से काफ़ी बेहतर पास्ता बना लेते हो अब तुम।"
रोहन-
"थैंक यू! वैसे मैंने रंजन और समीर को बता दिया है कि बर्बरी घर पर ही थी। तुम भी निकिता को बता देना वरना वह खामखा परेशान होगी।"
मीरा-
" हाँ, मैंने मैसेज करके बता दिया है उसे भी।
वैसे... आज के लिए थैंक यू। "
मीरा ने वाइन का एक घूँट पीते हुए कहा।
रोहन-
"थैंक यू की क्या बात है? बर्बरी मेरी भी फैमिली है।"
मीरा-
" उसके लिए थैंक यू नहीं कहा मैंने।
वो सुबह जब मैंने तुम्हें कॉल करके बर्बरी के खो जाने के बारे में बताया तो मुझे डर लग रहा था कि कहीं तुम मुझ पर गुस्सा तो नहीं हो जाओगे। लेकिन गुस्सा तो बहुत दूर की बात है, बल्कि तुमने आज मुझे संभाला है। वरना पता नहीं मैं क्या करती। अकेले तो पागल ही हो जाती मैं। "
रोहन-
" बर्बरी गायब हो गई, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी। तो मैं तुम पर क्यों गुस्सा करता।
लेकिन खैर, अब बर्बरी मिल गई है। मिल गई क्या? वह तो ख़ुद घर का रास्ता ढूँढकर घर चली आई है। "
रोहन हँसने लगा और मीरा भी।
दोनों ने खाना ख़त्म किया और बची वाइन पीते हुए वह बैठ गए। वाइन ख़त्म होने के बाद रोहन ने कहा।
रोहन:
"अब सो जाओ, कल बात करते हैं।"
मीरा:
"ठीक है और आज के लिए फिर से एक बार धन्यवाद!"
मीरा कमरे की ओर जाती हुई बोली। दोनों दिनभर की थकान के बावजूद चैन की नींद से कोसों दूर थे।
मीरा अपने कमरे में गई। यह दरअसल गेस्ट रूम था। जब रोहन और मीरा के झगड़े बढ़ गए थे, तब मीरा ने अपना बिस्तर गेस्ट रूम में लगा लिया था। आज उसे यह देखकर हैरानी हो रही थी कि उसने जो भी चीजें इस कमरे में छोड़ दी थीं, रोहन ने आज भी उन्हें वैसे ही संभालकर रखा था। शायद वह इस कमरे में कभी आता ही नहीं था।
मीरा ने एसी ऑन किया और कंबल ओढ़कर सोने की कोशिश करने लगी। पर नींद थी कि आने का नाम ही नहीं ले रही थी। करवटें बदलते हुए भी उसे चैन नहीं मिला।
थककर वह उठी और खिड़की के पास जाकर बैठ गई। बाहर की ठंडी हवा को महसूस करते हुए वह एक पल के लिए भूल गई कि कभी वह इसी घर में रोहन के साथ रहा करती थी और अब वही घर, जिसे वह अपने नाम करवाने वाली थी, उसे अजनबी लगने लगा।
कुछ देर खिड़की के पास बैठकर वह बाहर के नज़ारे देखती रही। तभी हॉल से कुछ आवाजें आईं। वह देखने गई तो टीवी चल रहा था।
मीरा:
"तुम सोए नहीं?"
रोहन ने पीछे मुड़कर मीरा की तरफ़ देखा और जल्दी से रिमोट उठाकर टीवी की आवाज़ कम करते हुए कहा,
रोहन:
"अरे, सॉरी! मैंने तो वॉल्यूम काफ़ी कम रखा था। पर शायद तुम्हें आवाज़ से नींद खुल गई। मुझे नींद नहीं आ रही थी, तो यहाँ आकर बैठ गया। सोचा, टीवी देख लूं।"
मीरा:
"अरे नहीं, मुझे भी नींद नहीं आ रही थी। मैं कब से खिड़की के पास बैठकर टाइम पास कर रही थी।"
रोहन:
"ठीक है, फिर तुम भी यहाँ आकर बैठ जाओ। शायद टीवी देखते-देखते नींद आ जाए।"
मीरा आकर रोहन के पास बैठ गई। थोड़ी ही देर में बर्बरी भी उनके पास आकर बैठ गई।
हॉल में अँधेरा था। बस टीवी से हल्की रोशनी आ रही थी। कोई पुरानी फ़िल्म लगाकर दोनों बैठ गए। तभी रोहन ने धीरे से एक बीयर की बोतल उठाई और मीरा को दिखाई।
रोहन:
"मैं ये तुमसे छिपाकर पीने वाला था। पर अब जब तुम आ ही गई हो, तो साथ में पी लेते हैं। लेकिन एक ही बोतल है।"
मीरा हंसते हुए बोली,
मीरा:
"झूठ मत बोलो। मुझे पता है, फ्रिज में एक और बोतल है। तुम्हें बोतल छिपाना भी नहीं आता। जब मैं पानी लेने गई थी, तब देख लिया था।"
रोहन मुस्कुराकर दूसरी बोतल भी ले आया और वह मीरा को दे दी। दोनों आराम से बीयर पीते हुए फ़िल्म देखने लगे।
बीयर ख़त्म हो चुकी थी। हल्का-हल्का नशा दोनों पर चढ़ने लगा। नशे के साथ मीरा की आंखों में नींद भी आने लगी। अब किसी का ध्यान फ़िल्म पर नहीं था। मीरा की आंखें बंद होने लगीं। कब उसने रोहन के कंधे पर सिर रख दिया, उसे पता ही नहीं चला।
रोहन ने मीरा को उठाया और उसे उसके कमरे में जाने के लिए कहा। पर मीरा नशे में रोहन की आवाज़ सुन ही नहीं पा रही थी। उसे बस रोहन के हिलते हुए होंठ दिख रहे थे। वह उन्हें देखकर मुस्कुराने लगी।
रोहन फिर से कुछ कहने लगा, लेकिन मीरा को कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। उसने मुस्कुराते हुए बस उसके हिलते होंठों को देखना जारी रखा।
फिर... अचानक, उसने आगे बढ़कर रोहन के होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
एक पल के लिए रोहन को समझ ही नहीं आया कि क्या हो रहा है लेकिन जैसे ही उसने मीरा के होंठों की गर्माहट महसूस की, वह अपनी सोचने की शक्ति खो बैठा और मीरा को किस करने लगा।
क्या यह सब वहीं ख़त्म हो जाएगा?
या फिर ऐसा कुछ होगा जिसे दोनों टाल नहीं पाएंगे?
और सुबह होश में आने पर क्या यह रात उन्हें याद रहेगी?
जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड।
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