मणिकर्णिका घाट पर अपनी उम्मीदों को भी वहीं चिंताओं में जलता देख, नारायण वापस लौटने का मन बना चुका था। लेकिन, तभी किसी के द्वारा अपने नाम पुकारे जाने के बाद नारायण के शरीर में अलग ही सिहरन पैदा होने लगी। 

नारायण को ऐसा लगा जैसे गंगा की लहरें अचानक ही शांत हो गई हैं और वहां जलती चिताओं की अग्नि भी कुछ पल के लिए ठंडी हो गई है। ये एहसास होते ही नारायण पीछे मुड़ा, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।

"तुम.. तुम कौन हो और तुम्हें मेरा नाम कैसे पता.?" नारायण जब पीछे मुड़ा, तो वहाँ एक दस साल के बालक को देख उसके आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रही।

नारायण को यूँ चौकते देख उस लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा, "जिसकी तलाश में यहां आए थे, वो तुम्हारे सामने खड़ा है नारायण। और तुम उसी से सवाल कर रहे हो, वो कौन है? मैं वही त्रिकालदर्शी हूँ नारायण, जिससे मिलने के लिए पिछले चार दिनों से तुम यही मणिकर्णिका घाट पर चिताओं की राख फांक रहे हो।"

 

उस लड़के की बातों को सुनकर नारायण उसका चेहरा देखते रह गया। वो लड़का स्वयं को त्रिकालदर्शी बता तो रहा था, लेकिन नारायण को इस पर यकीन नहीं हो रहा था और उसने अपनी शंका उस लड़के के सामने व्यक्त कर दी, “देखो, तुम मेरे साथ मजाक मत करो, मैं पहले से ही बहुत परेशान हूँ। अरे वो त्रिकालदर्शी समय और विधानों के ज्ञाता हैं। उन्हें भाग्य की रेखाओं का ऐसा ज्ञान है, जिसे हासिल करने में हजारों साल की उम्र गुजर जाए और तुम कह रहे हो कि एक दस साल का बालक त्रिकालदर्शी है। कृपया मेरे साथ ये भद्दा मजाक मत करो।”

 

नारायण की बातों को सुनकर उस लड़के के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई। उसकी ये मुस्कुराहट नारायण को काफी रहस्यमयी तो लग रही थी, लेकिन फिर भी वो अपनी बात पर अडिग रहा।

ये देख उस लड़के ने नारायण से मुस्कुराते हुए कहा, “नारायण, पंडित रामनारायण जी ने तुमसे ठीक कहा था, मुझे समय और भाग्य का शायद इस संसार में सबसे अधिक ज्ञान है, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं है कि इस उम्र में मुझे ये ज्ञान ना हासिल हो पाये। वैसे नारायण मुझे पता है, मुंबई में हुए उस बम ब्लास्ट के बाद से ज्योतिष पर से तुम्हारा विश्वास उठने लगा है, क्योंकि तुम्हारी रेखाओं ने तुम्हें उस दिन काफी गलत भविष्य बताया था।”

उस लड़के की इन बातों को सुनकर नारायण हैरानी भरी निगाहों से उसकी ओर देखने लगा। ये देख उस लड़के ने उससे आगे कहा, “तुम्हारी भाग्य की रेखाएं बनारस से मुंबई आते हुए भी काफी कुछ गलत बता रही थी और इस वजह से भी तुमने काफी परेशानी का सामना किया। इसलिए तुम जल्दी से जल्दी अपने कुंडली के इस दोष का निवारण करना चाहते हो। सही कहा न मैंने नारायण?”

उस लड़के के मुँह से अपने जीवन में घटी हाल फिलहाल की घटनाओं के बारे में सुनकर नारायण को आश्चर्य तो जरूर हो रहा था, लेकिन उसे अभी भी उसपर विश्वास नहीं हुआ था। “देखिए, आप लोग मेरे साथ ये खेल बंद कीजिये। बनारस आने के बाद मैंने पंडित रामनारायण को ये सब बताया था, आपने उन्हीं के यहाँ से ये सब पता किया है न और अब मुझे परेशान करने चले आये। बताइए, आपकी गैंग के बाकी लोग कहां हैं?”

 

उस लड़के के लिए नारायण के शब्द अब नर्म तो हो गए थे, लेकिन उसके मन में जन्मी शंका अभी तक खत्म नहीं हुई थी। ये देख उस लड़के के चेहरे पर फैली मुस्कुराहट और भी बड़ी हो गई। 

उस लड़के ने मुस्कुराते हुए ही नारायण से कहा, “इंतजार ने तुम्हारे मन को काफी कठोर बना दिया है नारायण, लेकिन इसमें तुम्हारी भी गलती नहीं है। वैसे नारायण तुम्हें लग रहा है, ये सब तुमने यहाँ किसी को बताया, इसलिए मुझे पता चला। तो चलो आज मैं तुम्हें उन बातों के बारे में बताता हूँ, जो तुमने आजतक सिर्फ अपने बाबा से की है।”

 

यह सुनते ही नारायण की आंखें आश्चर्य से और भी फट गई। ये देख वो लड़का नारायण को गंगा के किनारे लाया और उसने नारायण से कहा, “तुम्हें याद है नारायण, ऐसे ही किसी नदी के किनारे बैठकर तुम्हारे पिता तुम्हें ज्योतिष का ज्ञान दिया करते थे। वो जब तुम्हें सितारों के बारे में बताते और सूर्य निकलने से ठीक पहले आसमान में तारों की पहचान कराते, तब तुम कितने खुश हुआ करते थे।”

उस लड़के की बातों को सुनकर नारायण उसमें खोते जा रहा था और उस लड़के ने आगे बोलना जारी रखा, “एक दिन ऐसे ही ज्योतिष का ज्ञान हासिल करने के बाद तुम नदी में स्नान करने गए थे नारायण। तभी पानी की धारा अचानक ही तेज हो गई थी, लेकिन पेड़ के एक तने को पकड़कर तुमने अपनी जान बचाई थी। तुम्हारी मृत्यु तो उसी दिन निश्चित थी नारायण, लेकिन तुम्हारे सितारों का चमकना बाकी था, इसलिए तुम जीवित बच गए।”

उस लड़के ने अभी जो कुछ भी कहा था, वो ऐसी बात थी, जिसे नारायण ने अभी तक अपनी पत्नी और परिवार को भी नहीं बताई थी। ये बात सिर्फ और सिर्फ नारायण, उसके पिता के बीच में थी। इसलिए लड़के की इन बातों को सुनकर नारायण अदंर तक सिहर गया। नारायण ने इसके बाद जब उस लड़के के चेहरे पर देखा, तो उसे अब वहां एक दिव्य तेज और उसकी आँखों में हजारों लाखों वर्षों का ज्ञान नजर आ रहा था।

 

ये देख अगले ही सेकेंड वो ग्लानि से भर आया और तुरंत उस लड़के के पैरों में गिर गया। नारायण की आँखों से आंसुओं की बूंदे लगातार बहती जा रही थी और उससे उस लड़के के पाँव गीले होकर धुलते जा रहा थे। नारायण को यूं भावुक होते देख उस लड़के ने नारायण के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “उठो नारायण। मुझे पता है, तुम अभी किस मनोस्थिति से गुजर रहे हो।”

उस लड़के की बातों को सुनकर नारायण ने खड़ा होते ही अपने हाथ जोड़ लिए और अपनी डबडबाई आंखों एवं काँपते हुए होठों से कहा, “मुझे माफ़ कर दीजिए। सचमुच इंतजार ने ही मुझे इतना कठोर बना दिया था, जो साक्षात त्रिकालदर्शी को भी अपनी आंखों के सामने खड़ा देख, मैं उन्हें ना पहचान सका। आप मुझे माफ़ कर दीजिए प्रभु।”

नारायण की बातों को सुन रहे त्रिकालदर्शी के चेहरे पर अभी वही मुस्कान थी। उसने गंगा की लहरों की ओर देखते हुए कहा, "ये सब अब छोड़ो नारायण। तुम्हारे और मेरे जिम्मे इस वक्त कुछ ऐसी चीजें आन पड़ी है, जिसका समाधान होना बेहद जरूरी है। इसलिए हम अभी उसी पर ध्यान देते हैं।"

 

त्रिकालदर्शी की बातों को सुनकर नारायण ने भी खुद को संभालते हुए कहा, “आप स्वयं त्रिकालदर्शी हैं, तो आप जानते होंगे कि मेरी कुंडली में भाग्य की रेखाएं उल्टी घूम रही हैं। साथ ही मेरी कुंडली में और भी बेहद अजीब घटनाएं हो रही हैं। इन घटनाओं ने मेरा जीना दूभर कर दिया है। आप मुझे बताइए कि आखिर मेरे साथ ये सब क्यों हो रहा है.?”

नारायण की बातों को सुनकर त्रिकालदर्शी ने अपनी आँखों को बंद कर लिया। थोड़ी देर तक वैसे ही खड़े रहने के बाद जब उसने अपनी आँखों को खोला, तो उनका रंग अब पूरी तरह से बदलकर नीला हो चुका था। अगले ही पल त्रिकालदर्शी ने अपनी आँखों से गंगा की ओर कुछ इशारा किया। ये इशारा देख जब नारायण ने गंगा की ओर देखा, तो उसकी लहरें अब रुकी हुई दिखाई पड़ रही थी।

नारायण के लिए ये सब किसी जादू के समान था, तभी त्रिकालदर्शी ने कुछ इशारा किया और फिर गंगा के रुके हुए पानी से ब्रहांड का एक छोटा रूप वहां तैयार होने लगा। नारायण को अब ये एहसास होने लगा, जैसे वो ब्रहांड के केंद्र पर खड़ा है, जहां से उसे पृथ्वी और बाकी ग्रह घूमते हुए नजर आ रहे थे।

तभी त्रिकालदर्शी ने नारायण से कहा, “ये हमारा ब्रह्मांड है नारायण। खाली आँखों से तुम्हें ये ऐसा दिख रहा होगा, लेकिन असल में ब्रहांड में संतुलन कायम करने के लिए भाग्य की रेखाएं बाकी शक्तियों के साथ मिलकर काम करती हैं और ब्रह्मांड में संतुलन बना रहता है।”

त्रिकालदर्शी के इतना कहते ही उन सारे ग्रहों के आसपास भाग्य की रेखाएं नजर आने लगी। ये रेखाएं पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यों से भी जुड़ी हुई थी और उनका सीधा कनेक्शन ब्रहांड के केंद्र से था।नारायण के लिए ये सब देखना किसी अजूबे से कम नहीं था। 

 

तभी त्रिकालदर्शी ने उससे कहा, “नारायण दुनिया को चलाने के लिए ब्रह्मांडीय संतुलन बेहद जरूरी है। लेकिन हाल ही में ब्रह्मांडीय संतुलन के साथ छेड़छाड़ की गई है, जिससे पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है।”

त्रिकालदर्शी के इतना कहते ही वहां पर बनी ऊर्जा की एक किरण में बदलाव आने लगता है। इस बदलाव के साथ ही भाग्य की एक रेखा में भी बदलाव आता है और ये होते ही पूरे ब्रह्मांड में उथल-पुथल मच गई। नारायण को ये दिखाते हुए त्रिकालदर्शी ने उससे कहा, “ब्रह्मांडीय संतुलन में थोड़ी भी छेड़छाड़ पूरी दुनिया को तबाह कर सकती है और इसी का प्रभाव तुम्हारी कुंडली पर भी दिख रहा है। जिस कारण, तुम्हारी कुंडली के सितारे उल्टे चल रहे हैं।”

त्रिकालदर्शी ने नारायण को जो कुछ भी दिखाया, उसे देख नारायण को अब अपनी कुंडली में विसंगति का कारण समझ आने लगा था। उसने तुरंत त्रिकालदर्शी की ओर देखते हुए कहा, “ये भी तो हो सकता है कि ये सब किसी से गलती से हो गया हो। तो क्या आप इसे फिर से ठीक नहीं कर सकते?”

नारायण की बातों को सुनकर त्रिकालदर्शी ने गंगा के ऊपर बनाये हुए उस आकृति को मिटाते हुए कहा, “किसी ने जानबूझकर इस संतुलन को तोड़ा है नारायण। एक बात और, इसे अब मैं नहीं सुधार सकता, क्योंकि इसे सुधारने का दायित्व केवल तुम्हारे ऊपर है।”

नारायण के चेहरे पर खौफ की रेखाएं उभर आई। नारायण को यूं दुविधा में देख त्रिकालदर्शी ने उससे कहा, "नारायण मैं समझ रहा हूँ, तुम इस वक्त क्या सोच रहे हो। लेकिन, मेरा यकीन करो, इसे बस तुम्हीं सही कर सकते हो और इसीलिए भाग्यविधाता ने तुम्हारा चयन किया है।"

 

ये सब सुनकर नारायण बहुत कुछ बोलना चाहता था, लेकिन उसके हलक से शब्द ही नहीं निकल रहे थे। तभी त्रिकालदर्शी ने आगे कहा, “हाँ नारायण, भाग्यविधाता ने खुद तुम्हारा चयन किया है। दरअसल ब्रह्मांडीय संतुलन से छेड़छाड़ के बाद सबसे पहली कुंडली तुम्हारी प्रभावित हुई है। इसलिए यही उस भाग्यविधाता का इशारा है कि तुम्हीं इस ब्रह्मांडीय असंतुलन को ठीक कर सकते हो। बस इतना याद रखना, तूम्हारी टक्कर इस बार किसी बेहद ही ताकतवर ऊर्जा से होगी।”

त्रिकालदर्शी की बातों को सुनकर नारायण का चेहरा खौफ और शंका से भर आया था और उसने हिम्मत जुटाते हुए त्रिकालदर्शी से कहा, “मैं तो बस एक साधारण सा व्यक्ति हूँ। फिर मैं ब्रह्मांडीय संतुलन को कैसे ठीक कर सकता हूँ। मेरे पास तो कोई ताकत भी नहीं है.?”

नारायण की दुविधा को देख त्रिकालदर्शी ने उसे समझाते हुए कहा, "तुम्हारे पास तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत ग्रहों और नक्षत्रों का ज्ञान है नारायण। तुम्हें बस उनकी ताकत को और पहचानना होगा। एक बात और, सबसे पहले तुम्हारी कुंडली पर इस असंतुलन का प्रभाव इसलिए भी पड़ा है, क्योंकि इस वक्त पृथ्वी पर सबसे पवित्र आत्मा तुम्हारी है और वो इन सब से जुड़ी भी हुई है। इसलिए तुम्हारे पास जो शक्तियाँ हैं, वो किसी को भी हरा सकती हैं नारायण।"

 

त्रिकालदर्शी नारायण को समझा रहा था और नारायण काफी कुछ समझ भी गया था, लेकिन उसके मन में अब खुद के ऊपर ही संदेह पैदा होने लगे थे। “अगर आपकी बातों को मैं मानकर इस लड़ाई में उतर भी जाता हूँ, तो आप मुझे कम से कम ये तो बताइए कि आखिर मैं ये सब कैसे ठीक करूंगा और इसकी शुरुआत कहां से होगी?”

नारायण की बातों को सुन त्रिकालदर्शी गंगा के पानी की ओर बढ़ने लगा और उसने नारायण से कहा, “जो हो रहा है, उससे तुम्हारे सितारे जुड़े हुए हैं। इसलिए इसको रोकना भी तुम्हारे सितारों को ही पड़ेगा। कैसे रुकेगा, ये तुम्हारे सामने है। बस जवाब खोज लो नारायण और अपने भीतर छिपी हुई शक्तियों को पहचान लो।”

नारायण से इतना कहते हुए त्रिकालदर्शी गंगा की लहरों पर उतर चुका था और आश्चर्य की बात ये थी कि वो उसमें डूबने के बजाए उसपर चल सकता था। त्रिकालदर्शी को पानी पर चलते देख नारायण ने उससे अपनी और भी शंकाओं को बताते हुए कहा, “लेकिन, मैं इन शक्तियों को कैसे पहचानू और आप मुझे ये तो बता दो कि मुझे लड़ना किससे है.?”

नारायण अभी चीखते हुए त्रिकालदर्शी से और भी कुछ सवाल करता, उससे पहले ही त्रिकालदर्शी मुस्कुराते हुए गंगा की लहरों के साथ कहीं खो गया। नारायण अब उस घाट पर अकेले अपने सवालों के साथ खड़ा था, लेकिन उसे उसका जवाब देने वाला वहां कोई भी नहीं था।

 

 

आखिर किसने की है ब्रह्मांडीय संतुलन के साथ छेड़छाड़.?

क्या त्रिकालदर्शी की उम्मीदों पर खरा उतरकर ये सब ठीक कर पाएगा नारायण.?

नारायण की कुंडली दिखाएगी अब कौन सा रंग और वो क्या करेगा आगे.?

जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'स्टार्स ऑफ़ फेट'!
 

 

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