रोहन घर से निकल गया उस पार्टी में शामिल होने के लिए जहां जाने से उसे फ़ायदा होना तय था। कंचन के साथ गुज़री शाम उसे बहुत दिनों बाद अच्छी लगी थी… उस बच्ची कोमल का सड़क पर अचानक मिल जाना रोहन ने कभी सोचा नहीं था.. वैसे भी ज़िंदगी में जो सोचो, वो होता कहां है… होता तो वही है, जो ज़िंदगी तय करती है।  विवेक के बताए हुए अड्रेस की तरफ़ रोहन की कार बड़ी तेज़ी से भाग रही थी। रास्ते में विवेक ने कॉल करके रोहन से कन्फर्म भी किया कि वह वहां जा भी रहा है या नहीं। रास्ते भर, रोहन आज की शाम के बारे में ही सोचता रहा… कंचन में कहीं-कहीं माया की झलक देख कर वो भूल ही गया था कि वो माया के साथ नहीं बल्कि कंचन के साथ है। रोहन अपनी बीती शाम को याद कर रहा… तभी एक बार फिर से विवेक का कॉल आया..

 

रोहन - हाँ विवेक, मैं वहां पहुंच ही रहा हूं लेकिन मुझे वहां किससे मिलना है??? तुम हमेशा यही काम करते हो… बस अड्रेस भेज देते हो… लेकिन पूरी बात नहीं बताते हो…

 

विवेक  - सॉरी सर, मैं आपको बताना चाहता था लेकिन ये मीटिंग इतनी जल्दी फिक्स हुई कि आपको बताने का टाइम ही नहीं मिला… आगे इस बात का ख्याल रखूंगा सर… वैसे आप टेंशन मत लीजिए,  मैंने वहाँ सब कुछ सेट कर दिया है… आप बस वहां पहुंच जाइए और हां मैं भी पहुंचता हूं…

 

रोहन - ठीक है…  लेकिन एक बात मेरी ध्यान से सुन लो - आगे जब भी कोई मीटिंग फिक्स करोगे तो तुम मुझे उसकी पूरी डिटेल्स दोगे और अगर तुमने दुबारा ऐसा किया न विवेक, तो मैं नहीं जाऊंगा किसी मीटिंग  में। एनीवै, तुम कब तक आओगे??

 

विवेक  - सॉरी सर , बस मैं भी निकल पड़ा हूँ… … आप टाइम पर पहुंच जाइए…

 

रोहन  - विवेक रुक, मैं दो मिनट में कॉल बैक करत हूँ.. लगता है कुछ हुआ है…कोई  एक्सीडेंट हुआ है….

 

विवेक  - सर इससे पहले कि वहां जैम हो जाए, आप वहां से निकल लीजिए...  

 

रोहन  - जैम हो जाए, क्या मतलब? जैम लग चुका है…  

 

विवेक  - सर पुलिस के वहां पहुँचने के पहले, आप वहां से निकल जाइए…. मुझे मालूम है सर, आप दूसरे की मुसीबत अपने गले बांध लेते हैं… इतना भी अच्छा होना ठीक नहीं…

 

रोहन  - तुम कितने सेल्फिश हो विवेक… किसी का एक्सीडेंट हुआ है...क्या हालत हुई होगी उसकी...  बिना देखे निकल जाऊं??? मैं इंसान हूं भाई… मैं बाद में फोन करता हूं…

 

विवेक  - सर सुनिए….

 

इससे पहले विवेक अपनी बात कहता, रोहन ने फोन काट दिया था। एक्सीडेंट होने कि वजह से वहाँ थोड़ी भीड़ जमा हो गई थी। रात काफ़ी हो चुकी थी इसलिए जिस सड़क पर एक्सीडेंट हुआ था वहाँ से भीड़ भी हटने लगी थी। रोहन कार से नीचे उतरा तो एक आदमी भागता हुआ उसके पास आया। उसने बताया एक लड़की कार में है और शायद नशे में भी है। उसे काफ़ी चोट आई है। रोहन को पार्टी में जाना था जहां कोई उसका वेट कर रहा था। रोहन ने देखा तो सामने एक कार का एक्सीडेंट हुआ था। उस कार में एक लड़की थी। रोहन का कोई मदद करने का इरादा तो नहीं था लेकिन फिर भी न जाने क्यूँ वो उस आदमी के साथ कार की तरफ़ दौड़ कर गया। कार के अंदर देखा तो कुछ देर के लिए उसका खून ठंडा पड़ गया! कार एक्सीडेंट में फँसी लड़की, काव्या थी! उसे काफ़ी चोट आई थी। अब रोहन के पास और कोई ऑप्शन नहीं था। कुछ लोगों की मदद से वो काव्या को वहा से निकालकर अपनी कार में बिठाता है और और अस्पताल के लिए निकल जाता है। रोहन स्पीड से कार चला रहा था..। उसको दिख रहा था कि काव्या की हालत ठीक नहीं थी।  

 

बीच-बीच में रोहन उसे देखता तो पुरानी बातें याद आने लग जाती। कैसे काव्या ने कहा था कि दुबारा उससे नहीं मिलना..काव्या रह-रह कर कुछ बड़बड़ाती और बेहोश हो जाती। 10 मिनट में रोहन काव्या को लेकर सिटी हॉस्पिटल पहुंच गया था। सीधा ईमर्जन्सी में काव्या को ऐड्मिट करना पड़ा। डॉक्टर ने कहा एक्सीडेंट का मामला है तो पुलिस को इन्फॉर्म तो करना पड़ेगा। रोहन ने डॉक्टर को बताया कि उसने पुलिस को इन्फॉर्म कर दिया है, वो बस, आते ही होंगे। उसने डॉक्टर से रीक्वेस्ट की कि वो काव्या का ट्रीटमेंट   शुरू कर दे। डॉक्टर बिना पुलिस के आए ट्रीटमेंट शुरू नहीं करना चाहते थे लेकिन रोहन के बार-बार रीक्वेस्ट करने पर वो मान गए। काव्या को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया.. रोहन को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अब उसे क्या करना चाहिए… काव्या को इस हालत में छोड़ कर जाना उसे ठीक नहीं लग रहा था पर उधर पार्टी में भी जाना ज़रूरी था।काफ़ी देर हो चुकी थी… रोहन को काव्या के बारे में कुछ पता नहीं चल पा रहा था और इधर विवेक का बार-बार फ़ोन आ रहा था..

 

रोहन बार-बार फोन काट देता। वो जानता था इस वक्त काव्या को अकेले छोड़ना ठीक नहीं… ओटी के बाहर रोहन इधर उधर घूमता रहा। उसे समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि तभी ओटी से निकल कर एक नर्स आयी और उसने कहा कि काव्या को ब्लड की ज़रूरत है क्यूंकि उसका काफ़ी ख़ून बह चुका है। अस्पताल में काव्या का ब्लड टाइप नहीं था और रात काफ़ी हो चुकी थी और इससे पहले वो किससे हेल्प लेता कि तभी उसने विवेक को कॉल किया… कॉल उठाते ही विवेक बोल पड़ा..

 

विवेक  - कहां हैं आप?? कब से कॉल कर रहा हूं?? मिस्टर गुप्ता बार-बार आपके बारे में पूछ रहे हैं..

 

फिर उसे ध्यान आया.. रोहन तो मिस्टर गुप्ता के बारे में कुछ जानता ही नहीं.. फिर उसने कहा..

 

विवेक  - कब आएंगे आप सर??

 

रोहन ने गहरी सांस ली और फिर बोला..

 

रोहन - देख विवेक, मेरी बात ध्यान से सुन.. मैं इस वक्त सिटी हॉस्पिटल में हूं…

 

सिटी हॉस्पिटल का नाम सुनते ही विवेक ने रोहन की बात काट दी..

 

विवेक  - क्या हुआ?? सब ठीक है?? आंटी को कुछ हुआ क्या??

 

रोहन - मां ठीक है.. मेरी बात सुन पहले, बीच में मत बोल। एक लड़की है काव्या, उसका एक्सीडेंट हो गया है। उसे लेकर सिटी अस्पताल आया हूं। मामला क्रिटिकल है इसलिए ब्लड की ज़रूरत है … तू कहीं से बी पाज़िटिव ब्लड टाइप का जुगाड़ कर और सिटी अस्पताल आ जा, मैं वेट कर रहा हूं..

 

फ़ोन कट करने से पहले विवेक ने धीरे से पूछा…

 

विवेक  - फिर आज की मीटिंग कैन्सल ??

 

रोहन  - कैसी बात कर रहा है?? किसी की जान खतरे में है और तुझे मीटिंग  की पड़ी है.. जल्दी आओ यहां.. इट्स माइ ऑर्डर ..

 

यह कहते हुए रोहन ने फ़ोन काट दिया.. डॉक्टर  ने बताया अभी तक काव्या को होश नहीं आया है। थोड़ी ही देर में विवेक भी अस्पताल पहुंच चुका था। रात भर भाग दौड़ चलती रही… पुलिस की टीम भी रिर्पोट लिखकर जा चुकी थी… काव्या का स्टैट्मन्ट लेने उनके साहब आएंगे। इस बात पर रोहन ने बिल्कुल ध्यान नहीं दिया… उसे सिर्फ़ काव्या की चिंता थी। सुबह के 5 बज चुके थे… विवेक और रोहन बाहर बैठे हुए थे.. विवेक को झपकी आ गई लेकिन रोहन की आंखों में नींद नहीं थी.. तभी डॉक्टर ने कहा - काव्या को होश आ गया है लेकिन उससे अभी कोई मिल नहीं सकता… यह सुनकर रोहन ने गहरी सांस ली.. काव्या के साथ उसकी कड़वी मुलाक़ात होने के बावजूद उसके दिल में इस वक्त काव्या के लिए नफ़रत नहीं थी…रोहन ने विवेक को उठाया और बताया कि काव्या ठीक है… ये सुनते हुए थोड़ी देर तो विवेक चुप रहा फिर उसने कहा..

 

विवेक  - ये काव्या कौन है जिसके लिए हमने इतनी इम्पॉर्टन्ट मीटिंग  छोड़ दी… और रात भर अस्पताल  में ऐसी तैसी करवाते रहे..

 

विवेक को अन्दर से बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वो कर भी क्या सकता था?  रोहन ने अस्पताल स्टाफ को अपना नंबर दिया और अस्पताल से घर के लिए निकल पड़ा.. विवेक रोहन के साथ जाना तो नहीं चाहता था लेकिन रोहन के कहने पर उसके साथ चल पड़ा..

 

रोहन और विवेक अभी रास्ते में ही थे तभी पुलिस स्टेशन से कॉल आया। उन्हें एक्सीडेंट के बारे में जानकारी चाहिए थी।  विवेक ने एक बार फिर रोहन को देखा… वो जानता था रात अस्पताल में काली हुई है और दिन पुलिस स्टेशन में! अब रोहन की कार पुलिस स्टेशन की तरफ़ मुड़ गई थी जहां वो जाना नहीं चाहता था। विवेक की आंखें भी रोहन से यही कह रही थी “और करो अच्छा काम! अब दो जवाब एसएचओ कर्मवीर के सवालों का” क्यूंकि जिस पुलिस स्टेशन की तरफ़ दोनों जा रहे थे उसका एसएचओ था कर्मवीर सिंह।  

क्या काव्या की मदद करना भारी पड़ेगा रोहन पर?  

क्या करेगा रोहन जब फिर से होगा उसका सामना एसएचओ कर्मवीर से?

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