ध्रुवी और आर्यन के गले में फूलों की माला पड़ी थी। ध्रुवी की मांग में लाल सिंदूर भरा था, और गले में मंगलसूत्र था। जिस कड़ाई और मजबूती से उसने आर्यन का हाथ थाम रखा था, इसके आगे किसी को कुछ भी पूछने या कहने की कोई ज़रूरत ही नहीं थी। सारी हकीकत शीशे की तरह साफ़ थी। मि. सिंघानिया तो जैसे यह नज़ारा देखकर कुछ पल तक अपनी जगह स्तब्ध खामोश खड़े रहे। और इससे पहले कि वे कुछ रिएक्ट करते, उनके दोस्त मि. ओब्राय गुस्से से लगभग आगबबूला होते हुए, अपनी पैनी नज़रों से ध्रुवी को घूरते हुए, अपनी जगह खड़े होकर वहाँ बरस पड़े।

 

मि. ओब्राय (नाराज़गी भरे लहजे से): “व्हाट इज दिस रजत?? क्या तमाशा है यह?? अगर तुम्हारी बेटी पहले ही किसी और को पसंद करती थी, तो आखिर तुमने हमारा तमाशा बनाने के लिए हमें यहां बुलाया ही क्यों?? और क्यों ऐसे हमें बेइज़्ज़त किया???”

 

मि. गुप्ता (निशा के पापा और मि. सिंघानिया के मैनेजर, बात को संभालने की कोशिश करते हुए): “मि. ओब्राय, ऐसी बात नहीं है। दरअसल, ज़रूर कोई बड़ी गलतफहमी हुई है। मैं आपको एक्सप्लेन करता हूँ...”

 

मि. ओब्राय (गुस्से से): “मि. गुप्ता, आप कहना क्या चाहते हैं? कि हम अपनी आँखों देखी मक्खी को आपकी फिजूल एक्सप्लेनेशन के बलबूते पर निगल जाएँ?? (एक पल रुक कर) जो भी सच है, वह सबकी आँखों के ठीक सामने है, और इसके बावजूद भी आप मुझसे यह उम्मीद रखते हैं कि मैं इस बात को लेकर आपकी फिजूल एक्सप्लेनेशन को तवज्जो देकर अपने बेटे की ज़िंदगी बर्बाद कर दूँगा?? (बिना किसी भाव के शून्य को निहारते हुए मि. सिंघानिया को देखकर) और तुम रजत, सब कुछ जानते-बूझते हुए भी तुमने हमें यहां बेइज़्ज़त करने के लिए बुलाया। यह इंसल्ट कभी नहीं भूलूँगा मैं। इनफैक्ट, गलती मेरी ही थी। मुझे यह प्रपोजल एक्सेप्ट करना ही नहीं चाहिए था। और मुझे पहले ही यह बात समझनी चाहिए थी कि बिन माँ की बच्ची में संस्कारों और संस्कृति की कमी होना तो लाज़िमी ही होगा!!!”

 

ध्रुवी (गुस्से से आगे आते हुए): “इनफ! आप मेरे डैड के दोस्त हैं, इसीलिए मैं इतनी देर से आपकी फिजूल बातें टॉलरेट कर रही थी, लेकिन अब बहुत हो गया। और बहुत कह लिया आपने, मगर अब एक लफ्ज़ भी अगर आपने मेरे डैड या उनकी परवरिश के खिलाफ़ कहा, तो मैं भी सारी हदें और मैनर्स भूल जाऊँगी, और फिर असल में अपनी ज़ुबान में आपको समझाऊँगी कि मैनर्सलेस कहते किसे हैं!!!”

 

मिसेज़ ओब्रॉय (मुँह खोलते हुए): “आए!हाय! यह लड़की सिर्फ़ बेशर्म ही नहीं, बल्कि पूरी बदतमीज़ भी है! (अपने बेटे की बाज़ू थामते हुए) अच्छा हुआ हमारा चिंटू बच गया, वरना कहीं इसकी इससे शादी हो जाती, तो बिचारे हमारे सर्वगुण सम्पन्न बेटे के तो भाग ही फूट जाते!!!”

 

ध्रुवी (तंज भरी मुस्कान के साथ चिंटू की ओर इशारा करते हुए): “ओह रियली?? (चिंटू की ओर इशारा करते हुए) यह...यह...आपका एक नंबर का आवारा बेटा सर्वगुण संपन्न है??!!”

 

मि. ओब्राय (नाराज़गी भरे लहजे से ध्रुवी की ओर देखकर): “तुम मेरे बेटे की इंसल्ट करने की कोशिश कर रही हो?? हद में रहो अपनी लड़की!!!”

 

ध्रुवी (तंज भरे लहजे से, सेम तेज़ आवाज़ के साथ): “जी नहीं, मैं ऐसी कोई कोशिश नहीं कर रही, बल्कि एक्चुअल में मैं आपके सामने आपके सर्वगुण सम्पन्न बेटे की आवारागर्दी और निकम्मेपन को हाइलाइट करने की महज़ एक छोटी सी कोशिश कर रही हूँ। (एक पल रुक कर) और अभी कुछ देर पहले ही आपने मेरी परवरिश पर उंगली उठाई थी ना, क्योंकि मेरी माँ नहीं है। लेकिन अगर मेरी माँ ज़िंदा होती, तो मैं आपकी नज़रों में सर्वगुण सम्पन्न होती, लेकिन क्योंकि ईश्वर ने उन्हें मुझसे छीन लिया, तो आपने मुझे मैनर्सलेस होने का टैग दे दिया। (एक पल रुक कर तंज भरे लहजे से) मगर आई थिंक आप दोनों ही अपने बेटे के सगे माँ-बाप हैं, और दोनों ही सही-सलामत ज़िंदा भी हैं, तो उसकी परवरिश इतनी घटिया और गिरी हुई कैसे हो सकती है जो कॉलेज की हर चलती-फिरती लड़की पर, नुक्कड़ के आवारा लड़कों की तरह पूरे वक्त बस भद्दे कॉमेंट ही पास करता है, जैसे इसने वहाँ एडमिशन ही इस नेक काम के लिए लिया है। (एक सख्त नज़र चिंटू की ओर देखकर) और इसके इस नेक काम के चलते कई और लड़कियों के साथ ही, इसने मेरे हाथों भी एक कड़कदार थप्पड़ का इनाम हासिल किया था। (मिसेज़ ओबराय की ओर देखकर तंज से) क्यों...बताई नहीं यह बात मम्मा-पापा के सर्वगुण सम्पन्न बेटे ने???”

 

यह सुन मि. ओब्राय ने अपने बेटे की ओर देखा, जिसने झेंप कर झट से अपनी नज़रें झुका लीं। अपने बेटे के एक्शन से ही मि. ओब्राय समझ गए कि ध्रुवी ने उनके बेटे के बारे में जो कुछ भी कहा, वह शत-प्रतिशत सच है। उन्होंने एक जलती निगाह अपने बेटे पर डाली, मगर इस वक्त वह चाह कर भी उसे कुछ नहीं कह पाए। और भले ही असल में चाहें उन्हें ध्रुवी के लिए खुद के द्वारा किए गए लफ्ज़ों का इस्तेमाल करने पर कभी भी थोड़ा भी अफ़सोस न होता, लेकिन अपने बेटे की वजह से ही अब उनके अपने कहे लफ्ज़ ही उन पर भारी पड़ गए, और उस पर ध्रुवी की बातों का जूता मखमल के कपड़े में लपेटकर उनकी इज़्ज़त के सर पर मारने जैसा महसूस हो रहा था। और अपने बेटे की वजह से वह चाह कर भी उसे जवाब नहीं दे सकते थे, क्योंकि ध्रुवी की कही बात और उनके बेटे की हरकतों ने उनकी परवरिश पर ही उंगली उठा दी थी, और जो कि बिल्कुल भी गलत या नाज़ायज़ भी नहीं नज़र आ रही थी।

 

ध्रुवी (मि. ओब्राय की ओर देखकर तंज भरे लहजे से): “अभी आपने ही मेरी परवरिश को घटिया कहा, तो अब अपने बेटे की परवरिश के बारे में आपका क्या ख़्याल है मि. ओब्राय?? (मिसेज़ ओब्राय की ओर देखकर) और आप मिसेज़ ओब्राय, अभी कुछ पल पहले क्या कहा था आपने कि आपके बेटे के भाग फूट जाते मुझसे शादी करके?? (एक पल रुक कर) अरे आपके कैरेक्टरलेस और घटिया बेटे से शादी करने से अच्छा मैं ज़हर खाकर अपनी जान देना ज़्यादा पसंद करूँगी। (मि. ओब्राय और उनकी पत्नी ने ध्रुवी की बात सुनकर अपनी नज़रें झुका लीं) (ध्रुवी तंज भरे लहजे से) आई थिंक आज के लिए आपके बेटे की इतनी तारीफ़ें और अच्छाई काफ़ी हैं। नेक्स्ट टाइम आप फ़ुरसत से मिलिएगा, एंड आई प्रॉमिस आपके बेटे के बड़े-बड़े कारनामों से मैं आपको ज़रूर रूबरू करवाऊँगी। फ़िलहाल मेरा इतना ही वक्त ख़राब करना काफ़ी है आप लोगों के लिए, सो अब अपने सो-कॉल्ड सर्वगुण सम्पन्न बेटे की गुणों की खान के साथ आप यहाँ से जा सकते हैं!!!”

 

ध्रुवी की बात सुनकर मि. ओब्राय ने गुस्से भरी एक नज़र से अपने बेटे की ओर देखा, जैसे आज घर पहुँचकर वह उसे किसी हाल नहीं बख्शने वाले थे, और उसे आँखों ही आँखों में वार्निंग दे रहे हों कि आज तुम्हारी ख़ैर नहीं। और फिर अगले ही पल वे वहाँ से बाहर की ओर चले गए। उनके पीछे उनकी पत्नी, और फिर चिंटू जी भी डरते-झेंपते वहाँ से खिसक लिए। इक्का-दुक्का दोस्त जो भी थे, वे लोग भी बिना कुछ बोले वहाँ से चले गए। अब मेंशन में सिर्फ़ ध्रुवी, मि. सिंघानिया, दिशा, प्रिया, मि. गुप्ता, और आर्यन के अलावा घर के कुछ नौकर ही बाकी थे। मि. सिंघानिया शून्य को निहारते हुए अभी भी बस एक जगह ही खामोश खड़े थे। और जब से ध्रुवी वापस आई थी या यहाँ अभी कुछ देर पहले तक इतनी बातें हुईं, मगर मि. सिंघानिया ने एक लफ़्ज़ तक कुछ नहीं कहा था। वे अपनी ही किसी गहरी सोच में गुम थे जैसे। ध्रुवी ने अपने पिता की ओर देखा, जो उससे कुछ कदमों के फ़ासले पर उसकी ओर पीठ करके खड़े थे, और जिनके भाव पर बस ख़ामोशी ही ख़ामोशी पसरी हुई थी। यह देख ध्रुवी फ़ौरन उनके पास गई।

 

ध्रुवी (मि. सिंघानिया के कंधे पर हाथ रखते हुए): “डैड, आई एम सो...”

 

जैसे ही ध्रुवी ने मि. सिंघानिया के कंधे पर हाथ रखते हुए उनका नाम पुकार कर उनसे सॉरी कहने के लिए अपनी चुप्पी तोड़ी, कि अचानक से मि. सिंघानिया ध्रुवी की ओर पलटे, और बिना एक पल भी सोचे उन्होंने एक जोरदार थप्पड़ सीधा ध्रुवी के गाल पर रसीद कर दिया, जिसे देखकर वहाँ मौजूद हर इंसान शॉक़्ड हो गया, और प्रिया और दिशा ने तो हैरानी से अपनी हथेलियाँ अपने मुँह पर ही रख ली थीं। आर्यन भी दौड़कर ध्रुवी के करीब आया, और ध्रुवी की ओर उसे सहारा देने के लिए जैसे ही बढ़ा, कि मि. सिंघानिया की एक सख्त नज़र से वह बीच में ही ध्रुवी से कुछ कदम दूर ही रुककर अपनी नज़रें झुकाए खड़ा हो गया। गुस्सा, नाराज़गी, झुँझलाहट, निराशा, दुःख, और ऐसे ही बहुत सारे मिले-जुले भाव इस वक्त मि. सिंघानिया के चेहरे पर साफ़ तौर पर नज़र आ रहे थे। और दूसरी तरफ़ अपने डैड का यह एक्शन देखकर ध्रुवी की आँखें फ़ौरन ही आँसुओं से डबडबा गई थीं। सब जानते थे कि आज तक मि. सिंघानिया ने ध्रुवी पर हाथ उठाना तो दूर, उन्होंने कभी उससे ऊँची या सख्त आवाज़ तक में भी बात नहीं की थी, और आज पहली बार था, पहली बार था जब मि. सिंघानिया ध्रुवी से ना सिर्फ़ इस क़दर नाराज़ थे, बल्कि अपने गुस्से में ध्रुवी पर हाथ तक उठा दिया था। एक पल के लिए ध्रुवी ने भी आँसू भरी आँखों के साथ मि. सिंघानिया की ओर अविश्वास और हैरानी से देखा।

 

ध्रुवी (हर्ट और अविश्वास भरे भाव से मि. सिंघानिया की ओर देखकर): “डैड...”

 

मि. सिंघानिया (बेइंतेहा गुस्से और नाराज़गी के साथ): “ख़बरदार! ख़बरदार! जो तुमने मुझे डैड कहकर पुकारा भी तो... (झुँझलाहट के साथ) खो दिया है तुमने यह हक़, और मर गया आज से तुम्हारा यह बाप तुम्हारे लिए!!!”

 

ध्रुवी (रोते हुए ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए): “नो डैड...प्लीज़ नो...डोंट डू दिस डैड...प्लीज़ नो!!”

 

आर्यन (आगे बढ़कर मि. सिंघानिया को समझाने की कोशिश करते हुए): “मि. सिंघानिया, दरअसल आप...”

 

मि. सिंघानिया (गुस्से से आर्यन को घूरते हुए लगभग चिल्लाकर): “डोंट! डोंट यू डेअर! हिम्मत भी मत करना मेरे और मेरी बेटी के बीच में बोलने की! (सख्त भाव और लहजे से) ज़िंदगी में पहली बार, पहली बार मेरी बेटी ने मेरा दिल दुखाया है, मुझसे बगावत की है, मुझे धोखा दिया है, मेरी इज़्ज़त, मेरी ख़्वाहिश को अपने पैरों तले रौंदा है उसने, और उसकी वजह तुम हो! (नफ़रत भरे भाव से) तुम्हारी वजह से, सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारी वजह से आज मेरी उस बेटी ने मुझे दुनिया की नज़रों में गिराने से पहले एक बार भी नहीं सोचा, जो हमेशा मेरे लिए, मेरी इज़्ज़त, मेरी खुशी के लिए अपनी तक हाज़िर करने के लिए तैयार रहती थी, मगर तुम्हारी वजह से आज मेरी बेटी के लिए मेरा प्यार निहायती मामूली और छोटा रह गया, जिसे वह कुछ दिन पहले मिले प्यार के लिए बिना एक बार भी सोचे बेहिसी से ठोकर मारकर चली गई!!”

 

ध्रुवी (भावुकता से लगातार अपना सर ना में हिलाते हुए): “नो डैड...ऐसा कुछ भी नहीं है...नहीं है ऐसा कुछ...इनफैक्ट आई लव यू...आई लव यू सो मच डैड... (बहुत ही भावुकता से) मैं बहुत प्यार करती हूँ आपको, और आपको दुनिया की नज़रों में गिराना तो दूर, ऐसा करने का सोच भी नहीं सकती मैं। मैंने यह सब सिर्फ़ इसीलिए किया ताकि मैं इस सगाई को होने से रोक पाऊँ और...”

 

मि. सिंघानिया (ध्रुवी की बात को बीच में ही काटते हुए): “तो कांग्रेचुलेशन! मुबारक हो! बहुत-बहुत मुबारक हो ध्रुवी! तुम अपने मक़सद में कामयाब हो गई। इनफैक्ट आज के बाद तुम्हारे और तुम्हारे हैप्पी मैरिड लाइफ़ के बीच कोई रोड़ा या कोई परेशानी कभी भी नहीं आएगी। तुम जैसे चाहो, जहाँ चाहो, जिसके साथ चाहो अपनी ज़िंदगी गुज़ार सकती हो। (एक पल रुक कर) मुझे तुमसे, तुम्हारी ज़िंदगी से, या तुम्हारी ज़िंदगी के फ़ैसलों से ना तो अब कोई गरज़ है और ना ही तुम्हारी ज़िंदगी में मेरा कोई भी या किसी भी तरह का कोई इंटरफ़ेयर नहीं होता। जस्ट गो एंड लिव योर सो-कॉल्ड हैप्पी मैरिड लाइफ़!!!”

 

इतना कहकर मि. सिंघानिया बिना ध्रुवी के जवाब का इंतज़ार किए या सुने वहाँ से सीधा अपने कमरे की ओर ऊपर जाने के लिए मुड़ते हैं कि ध्रुवी के आगे के लफ़्ज़ सुनकर वह कुछ देर के लिए अपनी ही जगह रुक जाते हैं।

 

ध्रुवी (मि. सिंघानिया को जाता हुआ देखकर): “मैंने और आर्यन ने कोई शादी नहीं की है डैड। (सिंघानिया ध्रुवी की बात सुनकर पलटकर सवालिया नज़रों से उसकी ओर देखते हैं) हाँ डैड, मैंने और आर्यन ने कोई शादी नहीं की है!!!”

 

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