आर्यन (पूरी गंभीरता के साथ): “मैं वादा करता हूँ कि मेरी वजह से तुम्हारी आने वाली ज़िन्दगी में कभी भी...कोई भी परेशानी...या थोड़ी भी उलझन नहीं आएगी...क्योंकि आज अगर तुमने मुझे नहीं चुना...तो मैं वादा करता हूँ...मैं वादा करता हूँ कि मैं ज़िन्दगी भर...फिर कभी तुम्हें अपनी शक्ल तक भी नहीं दिखाऊँगा...!!!”

ध्रुवी (थके हुए भाव के साथ): “आर्यन, मैं पहले ही बहुत परेशान हूँ...तुम क्यों ऐसी बातें करके बेवजह और ज़्यादा मेरी परेशानियाँ और टेंशन बढ़ा रहे हो...आई लव यू सो मच...पर मैं तुमसे शादी करके डैड का दिल नहीं तोड़ सकती!!!”

आर्यन: "ठीक ही तो कह रही हो...यही मैं तुम्हें समझाना चाह रहा हूँ...और ध्रुवी, मैं तुम्हारी परेशानी नहीं बढ़ा रहा हूँ...बल्कि चीज़ों को सुलझाने की कोशिश कर रहा हूँ..." (एक पल बाद ध्रुवी के चेहरे पर टेंशन और परेशानी की लकीरें देखकर, एक गहरी साँस लेकर) “...अच्छा, ठीक है। तुम इतना ज़्यादा बेवजह टेंशन मत लो...हम कुछ सोचते हैं क्या किया जाए...फिलहाल के लिए तुम रिलैक्स करो...क्योंकि ऐसे परेशान होने और टेंशन लेने से प्रॉब्लम का सोल्यूशन नहीं निकलेगा...इसके लिए हमें ठंडे दिमाग से कुछ सोचना पड़ेगा!!!”

ध्रुवी (अपना सिर हाँ में हिलाते हुए): “हम्मम!!!”

आर्यन: “अच्छा, ये बताओ...कौन है वो लड़का...जिससे तुम्हारे डैड तुम्हें मिलवाना चाहते हैं...एनी आइडिया??”

ध्रुवी (अपने कंधे उचकाते हुए): “नो आइडिया!!”

आर्यन: “ओके, डोंट वरी...जस्ट चिल...एक हफ़्ते का टाइम है हमारे पास...तब तक कुछ न कुछ सोल्यूशन ढूँढ़ लेंगे हम!!!”

ध्रुवी (अपना सिर हाँ में हिलाते हुए): “हम्मम...आई होप सो!!!”

 

            काफी देर तक दोनों कैफ़े में बैठे एक-दूसरे से बातें करते रहे। आर्यन पूरी कोशिश कर रहा था कि वह ध्रुवी को रिलैक्स महसूस करा सके। कुछ देर बाद आर्यन और ध्रुवी कैफ़े से बाहर आए और आर्यन ने ध्रुवी को अपनी बाइक से उसके मेंशन के बाहर छोड़ा। उसे कल मिलने का वादा करके वहाँ से चला गया।

 

             ध्रुवी जैसे ही मेंशन के अंदर आई, उसे उसके डैड लिविंग एरिया में बैठे मिले। लेकिन उन्होंने ध्रुवी से कुछ नहीं कहा और ध्रुवी भी चुपचाप सीधा अपने रूम में चली गई। वह डिनर करने नीचे नहीं आई, तो एक मैड उसके लिए उसके रूम में ही खाना ले आई! अगले दिन सुबह, ध्रुवी जैसे ही अपने दोस्तों से मिलने जाने के लिए तैयार होकर नीचे आई और बाहर जाने को हुई कि मिस्टर सिंघानिया ने उसे पीछे से टोका।

 

मिस्टर सिंघानिया (जाती हुई ध्रुवी को टोकते हुए): “कहाँ जा रही हो तुम???”

ध्रुवी (अपने डैड की ओर पलटते हुए): “अपने दोस्तों से मिलने!!”

मिस्टर सिंघानिया (सख्त भाव से): “अपने दोस्तों से मिलने...या उस चालबाज आवारा लड़के से मिलने???”

ध्रुवी (नाखुशी भरे भाव से): “डैड, मैंने आपको पहले भी कहा है और फिर से वही कहूँगी कि आर्यन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है...सो डोंट से दिस...और रही उससे मिलने जाने की बात, तो मुझे आपको या किसी को भी ऐसा कोई झूठ कहने की ज़रूरत नहीं है...मैं अभी अपने दोस्तों से ही मिलने जा रही हूँ...आर्यन मुझसे शाम को मिलने आएगा!!!”

मि. सिंघानिया (सख्त भाव से): “बहुत मिल ली तुम उससे...अब बस हुआ...और जैसा कि मैंने तुम्हें बताया था कि आज तुमसे मिलने के लिए मिस्टर ओबरॉय का बेटा आ रहा है, तो आई थिंक कि दोस्तों से मिलने जाने के बजाय तुम्हें शाम की अपनी उस लड़के से मीटिंग की तैयारी करनी चाहिए!!!”

ध्रुवी (उसी जिद भरे भाव के साथ): “और मैंने भी आपको कहा था डैड कि मुझे किसी से नहीं मिलना...और जब मुझे किसी से मिलना ही नहीं है डैड...तो फिर कैसी और किस चीज़ की तैयारी!!”

मिस्टर सिंघानिया (नाखुशी भरे भाव से): “ध्रुवी, मैं सुबह-सुबह तुमसे किसी बहस में नहीं पड़ना चाहता...इसीलिए शाम को किसी बहस या सीन क्रिएट किए बिना ही तुम चुपचाप उस लड़के से मिलने चली जाना...!!”

 

                  इतना कहकर मिस्टर सिंघानिया अपना कोट उठाकर ऑफ़िस के लिए निकल गए। ध्रुवी ने गुस्से से एक पल के लिए अपनी आँखें बंद की और फिर अपना बैग लेकर वह भी बाहर जाने के लिए निकल गई। ध्रुवी तो पहले ही मन बना चुकी थी कि वह किसी भी कीमत पर उस लड़के से नहीं मिलने वाली, लेकिन उसके डैड ने बिना उसकी मर्ज़ी के ज़बरदस्ती उसकी मीटिंग उस लड़के से फिक्स करा दी थी। ध्रुवी भी ध्रुवी ही थी और जिद में तो उससे शायद ही कोई जीत सकता था। इसीलिए उसने जानबूझकर उस लड़के से मिलने वाली मीटिंग के टाइम को घर के बाहर आर्यन और अपने दोस्तों के साथ बिताया। और वक़्त निकलने के बाद, काफी रात गए ध्रुवी वापस घर लौटी। और जैसे ही वह अपने कमरे में जाने लगी, कि उसके कानों में मि. सिंघानिया की गुस्से और नाराज़गी भरी आवाज़ आई।

 

 

मि. सिंघानिया (सख्त भाव से): “कहाँ थी तुम अब तक??? मैंने तुम्हें सुबह ही कहा था न कि तुम्हें उस लड़के से मिलना है...उसके बावजूद भी तुम उस लड़के से मिलने के लिए नहीं पहुँची...और ऊपर से तुम्हारा सेल फ़ोन भी स्विच ऑफ़ था...क्यों???”

ध्रुवी (बिना किसी अफ़सोस या डर के): “मेरा फ़ोन स्विच ऑफ़ इसलिए था क्योंकि वह टूट गया है...और रही बात उस लड़के से मिलने की...तो मैंने आपसे पहले ही कहा था डैड कि मैं उस लड़के से नहीं मिलने वाली...यह आप ही की जिद थी...और आपने ही बिना मेरी मर्ज़ी के उस लड़के के साथ मेरी मीटिंग फ़िक्स की...मगर मैं न तो उससे मिलना चाहती थी और न ही मिलना चाहती हूँ...तो आप बेवजह अपना और मेरा दोनों का वक़्त जाया करना छोड़ दीजिए डैड...क्योंकि मैं इस लड़के से तो क्या...बल्कि किसी भी और लड़के से नहीं मिलने वाली...!!!”

मिस्टर सिंघानिया (नाराज़गी भरे लहजे से): “आज तक मैंने तुम्हारी हर जिद को...तुम्हारी नादानी और बचपना समझ के नज़रअंदाज़ किया...और उसे माना...लेकिन आज जो तुमने किया...वह सच में डिसएपॉइंटेड था ध्रुवी...तुम्हें एहसास भी है कि मुझे कितना एम्बेरेसमेंट फ़ील हुआ था मिस्टर ओबरॉय के सामने...और मैंने किस तरह से...और कितनी मुश्किल से बात को संभाला...!!”

ध्रुवी (हल्की मायूसी से): “एम सॉरी डैड...एम रियली सॉरी...मैं आपको बिलकुल भी हर्ट या इम्बेरेस फ़ील नहीं करवाना चाहती थी...लेकिन आप भी तो मेरी बात समझने की कोशिश कीजिए डैड...(एक पल रुक कर)...जब मुझे आर्यन के सिवा किसी और लड़के से शादी ही नहीं करनी...तो मैं क्यों बेवजह उससे या किसी भी और लड़के से मिलूँ...या उसके बारे में फ़िजूल कुछ भी जानने की कोशिश करूँ???”

मिस्टर सिंघानिया (गुस्से से): “बस बहुत हो गया और बहुत चला ली तुमने अपनी...अब वही होगा जो मैं चाहूँगा...मैंने मिस्टर ओबरॉय से बात कर ली है...तुम्हारी सगाई एक हफ़्ते बाद नहीं बल्कि परसों है...और दो हफ़्ते बाद तुम्हारी शादी है...अब चाहे इसे तुम अपनी मर्ज़ी से कुबूल करो या फिर ज़बरदस्ती से...चॉइस इज़ ऑल योर्स...लेकिन अब मैं अपनी जुबान दे चुका हूँ...जिससे किसी भी कीमत पर अब मैं पीछे नहीं हटने वाला!!!!”

इतना कहकर जैसे ही मिस्टर सिंघानिया अपने कमरे में जाने के लिए मुड़े, कि ध्रुवी ने भी पूरे जोश और कॉन्फिडेंस के साथ अपनी बात कहते हुए अपनी चुप्पी तोड़ी।

ध्रुवी (पूरी दृढ़ता के साथ): “तो आप भी मेरी एक बात अच्छे से सुन लीजिए डैड...मैं भी अगर शादी करूँगी तो सिर्फ़ आर्यन से करूँगी...और आप ही की तरह मैं भी आर्यन को जुबान दे चुकी हूँ...और आपकी बेटी होने के नाते इतना तो आप भी मुझे अच्छे से जानते और समझते हैं...कि मैं जान दे दूँगी...लेकिन अपनी जुबान से पीछे कभी नहीं हटूँगी...इसीलिए कोई भी कदम उठाने से पहले आप अच्छे से सोच लीजिएगा...क्योंकि मेरा कोई भी एक्शन आपके ही एक्शन का रिएक्शन होगा...और जिसके लिए भविष्य में आप मुझे ज़िम्मेदार नहीं ठहरा सकते!!!”

मिस्टर सिंघानिया (गंभीर भाव से): “यह तो वक़्त ही बताएगा ध्रुवी कि किसकी ज़िद...और जुबान बनी रहती है!!!”

 

      इतना कहकर मिस्टर सिंघानिया बिना रुके अपने रूम की ओर बढ़ गए और ध्रुवी उन्हें बस जाता हुआ देखती रह गई। अगले दो दिन भी यूँ ही बहस और गहमागहमी में निकल गए और वह दिन भी आ गया जिस दिन मिस्टर सिंघानिया ने ध्रुवी और अपने दोस्त के बेटे की सगाई रखी थी। आज संडे था, इसीलिए ध्रुवी देर तक सोई हुई थी। दूसरी तरफ़ शाम के फ़ंक्शन के लिए जोरों-शोरों से तैयारियाँ चल रही थीं, मगर ध्रुवी तो जैसे सुकून से बस सो रही थी, जैसे आज उसकी कोई सगाई होनी ही नहीं थी। ध्रुवी आराम से रोज़मर्रा की तरह अपने टाइम पर ही उठी और फ़्रेश होने के बाद अपना बैग लेकर घर से बाहर जाने लगी।

 

 

मिस्टर सिंघानिया (जाती हुई ध्रुवी को टोक कर): “कहाँ जा रही हो तुम???”

ध्रुवी (बिना पलटे ही): “आर्यन से मिलने!”

मि. सिंघानिया (सख्त भाव से): “अभी के अभी वापस अंदर जाओ!”

ध्रुवी (अपने डैड की ओर पलटकर): “लेकिन डैड, मुझे आर्यन से मिलना है!!!”

मि. सिंघानिया (झुंझला कर): “तुमने सुना नहीं मैंने क्या कहा है...अभी के अभी अपने कमरे में जाओ ध्रुवी...राइट नाउ!!!”

मि. सिंघानिया की बात सुनकर ध्रुवी ने आगे उनसे कोई बहस नहीं की और ध्रुवी गुस्से से वापस अपने कमरे में आ गई। कुछ देर बाद ही प्रिया और दिशा ध्रुवी के कमरे में आते हैं, जिन्हें मि. सिंघानिया ने ही ध्रुवी की सगाई में शामिल होने और सगाई के लिए तैयार होने में उसकी मदद करने के लिए बुलाया था।

दिशा (कुछ ज्वेलरी बॉक्स और सुंदर सी ब्रांडेड ड्रेसेस बेड पर रखते हुए): “ये अंकल ने भेजा है और कहा है कि इन्हें ट्राई कर ले...शाम को तुझे फ़ंक्शन में इन्हीं में से कुछ पहनना है!!!”

ध्रुवी (गुस्से से): “ये सारा सामान अभी के अभी उठा कर मेरे कमरे से बाहर फेंको!”

प्रिया: “कॉम डाउन ध्रुवी...इतना हाइपर मत हो!!!”

ध्रुवी (झुंझला कर): “तो क्या करूँ...खुशी-खुशी किसी भी लड़के के साथ सगाई करने के लिए मान जाऊँ...और बस तैयार होकर नीचे चली जाऊँ...और ले लूँ बस सात फेरे किसी के भी साथ...हुंह???”

दिशा: “ध्रुवी, प्रिया का वो मतलब बिल्कुल नहीं है...वो सिर्फ़ इतना कहना चाहती है कि ठंडे दिमाग से काम ले...अगर ऐसे हाइपर रहेगी तो प्रॉब्लम का कोई सलूशन नहीं निकलने वाला!!!”

प्रिया: “हाँ और डोंट वरी...तू बस रिलैक्स कर...बाकी तेरी प्रॉब्लम के सोल्यूशन के लिए मेरे पास एक ब्रिलियंट आईडिया है...जिससे तू इस सिचुएशन से चुटकियों में बाहर आ सकती है...!!!”

ध्रुवी (उत्सुकता से): “कैसा प्लान...और क्या है प्लान???”

प्रिया (विक्ट्री स्माइल के साथ): “बताती हूँ...सुनो!!!”

 

           प्रिया की बात सुनकर ध्रुवी और दिशा बड़ी ही उत्सुकता से प्रिया की ओर देखने लगती हैं और प्रिया कमरे का दरवाज़ा बंद करके ध्रुवी और दिशा को अपने पूरे प्लान के बारे में बताती है। ध्रुवी और दिशा दोनों को ही प्रिया का प्लान कारगर लगा और दोनों को ही प्रिया का प्लान बहुत पसंद भी आया। और ध्रुवी ने उस प्लान को एक्ज़ीक्यूट करने के लिए तुरंत हामी भर दी। प्रिया के प्लान के मुताबिक ही ध्रुवी ने आर्यन को फ़ोन करके अपने घर के बाहर मिलने के लिए बुलाया।

 

 

दिशा (ध्रुवी की ओर देखकर): “प्लान तो यकीनन अच्छा है...लेकिन इसे अंजाम तो तू तभी दे सकती है ना...जब तू मेंशन से बाहर निकलेगी...और यकीनन अंकल तो अपने सामने से तुझे आज सगाई से पहले बाहर जाने नहीं देंगे!!!”

ध्रुवी (कुछ सोचकर शरारती मुस्कान के साथ): “तो अंकल के सामने से जाएगा ही कौन!!”

प्रिया: “मतलब???”

ध्रुवी (मुस्कुरा कर): “वेट...अभी बताती हूँ!!!”

 

           इतना कहकर ध्रुवी अपने कबर्ड की तरफ़ बढ़ गई और उसमें नीचे की रैक में रखी एक मोटी सी वायर जैसी कोई चीज़ निकाली, जिसे देखकर दिशा और प्रिया भी ध्रुवी की बात समझते हुए मुस्कुरा उठीं। और फिर कुछ पल बाद ध्रुवी ने अपनी दोस्तों की हेल्प से उस वायर को अपने रूम की पीछे वाली विंडो के बाहर लटकाया और फिर ईश्वर का नाम ले कर वह उस वायर के सहारे नीचे उतरी और काफी मशक्कत और मेहनत के बाद आखिर वह नीचे जा पहुँची। और नीचे उतरते ही ध्रुवी ने थम्स अप दिया, तो प्रिया और दिशा ने फ़ौरन ही वह वायर वापस ऊपर खींच ली!!

 

         उन दोनों ने ध्रुवी को थम्स अप देते हुए ऑल दी बेस्ट बोला। और ध्रुवी एक पल बाद ही वहाँ से बिना गार्ड की नज़रों में आए मेंशन से बाहर निकल गई। मेंशन से कुछ दूरी पर ही आर्यन अपनी बाइक पर बैठा उसका इंतज़ार कर रहा था। ध्रुवी ने उसके पीछे बैठते हुए उसे जल्दी से वहाँ से चलने के लिए कहा और आर्यन ने बिना कोई सवाल किए अपनी बाइक स्टार्ट करते हुए उसे आगे बढ़ा दिया।

 

         शाम हो चुकी थी। मि. सिंघानिया के बताए अनुसार आज की लगभग सारी अरेंजमेंट्स हो चुकी थीं। कुछ ही देर में लड़के वाले भी आ गए क्योंकि यह सगाई बस परिवार की मौजूदगी में ही की जा रही थी। इसीलिए चंद ख़ास दोस्तों और फैमिली के लोगों के सिवा यहाँ और तीसरा कोई मौजूद नहीं था। लड़के वालों के आने के बाद मिस्टर सिंघानिया ने उनका अच्छे से वेलकम किया और थोड़े खान-पान के बाद कुछ ही देर बाद पंडित जी ध्रुवी को सगाई की रस्म को पूरा करने के लिए बुलाने के लिए कहते हैं। मिस्टर सिंघानिया पास खड़ी दिशा और प्रिया से ध्रुवी को नीचे लाने का इशारा करते हैं, लेकिन वह परेशान होते हुए एक-दूसरे की तरफ़ देखने लगती हैं। मिस्टर सिंघानिया उनकी परेशानी को भापते हुए उन्हें थोड़ी दूरी पर ले जाकर उनसे ध्रुवी के बारे में पूछते हैं।

 

मि. सिंघानिया (शक भरी नज़रों से दिशा और प्रिया से): “कहाँ है ध्रुवी??? क्या बचकानी हरकत की है उसने??? डोंट टेल मी कि उसने कोई बेवकूफी की है??? (एक पल बाद दिशा और प्रिया को ख़ामोश देखकर हल्की सख्ती से) मैं तुम दोनों से कुछ पूछ रहा हूँ...आखिर कहाँ है ध्रुवी???”

प्रिया (डरते हुए): “अंक...अंकल...वो...वो दरअसल...ध्रुवी...ध्रुवी...”

 

              प्रिया सोच ही रही थी कि वह मि. सिंघानिया को क्या बताए कि एन मौके पर तभी अचानक मेन दरवाज़े से ध्रुवी मेंशन के अंदर आती है और प्रिया और दिशा की नज़रों को फॉलो करते हुए जब मि. अग्निहोत्री भी दरवाज़े पर खड़ी ध्रुवी को आर्यन का हाथ थामे हुए घर के अंदर आता देखते हैं, तो उनके पैरों तले जैसे ज़मीन ही खिसक जाती है और ध्रुवी को देखकर वहाँ मौजूद सभी लोगों के साथ ही मिस्टर सिंघानिया भी पूरी तरह शॉक्ड रह जाते हैं। उन्हें जैसे अपनी आँखों देखे पर देखकर भी यकीन ही नहीं हो रहा था। ध्रुवी और आर्यन के गले में फूलों की माला पड़ी हुई थी, ध्रुवी की मांग में लाल सिंदूर भरा था और गले में मंगलसूत्र था और जिस कड़ाई और मज़बूती से उसने आर्यन का हाथ थाम रखा था, इसके आगे किसी को कुछ भी पूछने या कहने की कोई ज़रूरत ही नहीं थी। सारी हकीकत शीशे की तरह बिलकुल साफ़ थी!!!

 

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