कार में बैठी मीरा के दिल में उसे चोट पहुंचाने वाली सारी यादें उमड़ने लगी...न चाहते हुए भी उसका मन आर्यन जैसे दरिंदे की ओर चला गया। 

मैंने ऐसे इंसान से कैसे प्‍यार कर लिया जो बेरहम था, खुंखार था, वहशी था, किसी की जान लेना जिसके लिए महज एक खेल और एक बिजनेस था?

मीरा को वे सारे पल याद आने लगे जो उसने आर्यन के साथ बिताए थे, पहली बार उसके घर जाना, उसकी भव्‍यता देखना, आर्यन की पसंद की साड़ी पहनकर उसके साथ पार्टी में जाना और फिर समुद्र किनारे वाले बंगले में जाना, वहां आर्यन के साथ प्‍यार और छेड़छाड़ वाली बातें करना, आर्यन को राघव की जगह रखना, उस गेस्‍ट हाउस में आर्यन का बेसब्री से इंतजार करना और उसके लिए तैयार होना। 

आखिर क्‍यों किया मैंने यह सब? मैं बहक गई थी, शायद मुझे उसमें राघव जैसा ही कुछ दिखा था, पर वह राघव के आसपास कहीं भी नहीं है। 

मेरी ही मति मारी गई थी जो मैं उस शैतान से दिल लगा बैठी, शायद राघव सबकुछ जानता था….वह हमेशा मेरे आसपास ही रहता था, अगर उसे पता था कि आर्यन ही चीफ है तो उसने मुझे बताया क्‍यों नहीं? नहीं…नहीं शायद उसे भी नहीं पता था, मेरी ही तरह उसे भी केवल इतना ही पता था कि चीफ नाम का कोई आदमी हृयुमन ऑरगन का धंधा करता है, और शायद वह उस नन्‍हें से बच्‍चे कबीर के साथ भी करना चाहता होगा, राघव ने यह सब देख लिया होगा और कबीर को बचाने के लिए उसे लेकर दूर चला गया। 

ओह…राघव तुमने इतनी बड़ी कुर्बानी क्‍यों दी? एक बार मुझसे कहकर जाते। काश तुम इस तरह से मुझे छोड़कर न जाते। 

‘’दीदी, पुलिस स्‍टेशन आ गया है‘’ मनीषा की आवाज ने मीरा का ध्‍यान भंग किया।

मीरा पुलिस स्‍टेशन के अंदर घुसी ही थी कि किसी ने उसे उसका नाम लेकर पुकारा, ‘’अरे मीरा तुम यहां?‘’

मीरा ने देखा और उस शख्‍स के ड्रेस से अंदाजा लगाया यह तो दिल्‍ली पुलिस कमिश्‍नर यानी जतिन खड़ा था। 

‘’पुलिस कमिश्‍नर और इस छोटे से पुलिस स्‍टेशन में?‘’ मीरा ने मन ही मन कहा। 

फिर मीरा को वे कुछ जाने पहचाने से लगे, ‘’आपको कहीं देखा है मैंने?‘ 

जतिन के साथ खड़े एक पुलिस इंस्‍पेक्‍टर ने कहा, ‘’आफकोर्स देखा होगा मैडम जी, ये दिल्‍ली के पुलिस कमिश्‍नर हैं…आप भी कैसी बात कर रही हैं।‘’ 

‘’ओह हां, हो सकता है शायद टीवी पर देखा हो।‘’ तभी मीरा का दिमाग जैसे घूमा, ‘’आप मेरा नाम कैसे जानते हैं?‘’ 

जतिन ने कहा, ‘’मैं राघव का दोस्‍त हूं, और तुमने मुझे मुंबई के अपने शोरूम के नीचे राघव के साथ देखा होगा।‘’

मीरा ने अपने दोनों हाथों से सिर थाम लिया, ‘’हां….हां, कुछ ही महीने पहले की बात है, आपके साथ शायद आपका बेटा रेयांश था।‘’ 

‘’जी हां, मीरा जी।‘’

फिर मीरा ने पूछा, ‘’राघव कहां है प्‍लीज मुझे बताइए, वे ठीक तो हैं ना?‘’ मीरा की आवाज में एक तड़प थी, बेचैनी थी। 

जतिन ने मीरा को एक दूसरे वीआइपी पुलिस वालों के लिए रिर्जव रूम में चलने के लिए कहा, ‘’आओ बैठकर शांति से बातें करते हैं।‘’

मीरा और भी ज्‍यादा उतावली हो गई, वह जल्‍दी से जल्‍दी जानना चाहती थी कि राघव कैसा है पर जतिन को जैसे बताने की कोई जल्‍दी नहीं थी। 

मीरा झट से चेयर पर बैठ गई और सामने बैठे जतिन को देखकर बोली, ‘सर प्‍लीज बताइए ना।‘ 

बताता हूं मीरा, थोड़ा सब्र करो, यह बताओ की तुम कुछ लोगी चाय या काफी?

‘नहीं सर, कुछ नहीं थैंक्‍स।‘

जतिन ने फिर पूछा, ‘’अच्‍छा यह बताओ कि तुम्‍हारी तबीयत कैसी है, और हास्‍पिटल से डिस्‍चार्ज कब हुई?‘’ 

‘’मैं एकदम ठीक हूं सर, आज ही हास्‍पिटल से डिस्‍चार्ज हुई हूं।‘’ 

’आज ही, और तुम रेस्‍ट करने के बजाय यहां चली आई।‘

मीरा अंदर ही अंदर बुरी तरह से तड़प उठी, कोई साधारण पुलिसवाला होता तो शायद मीरा अब तक उस पर चिल्‍ला रही होती कि जो पूछ रही हूं उसका जवाब दो फालतू के सवाल क्‍यों पूछ रहे हो, पर सामने पुलिस का बहुत बड़ा अधिकारी बैठा था। पुलिस कमिश्‍नर और दूसरा वह राघव का दोस्‍त भी था, राघव के बारे में अब उससे ज्‍यादा अच्‍छे से और कौन जान सकता था। 

‘’हां, सर प्‍लीज मुझे राघव के बारे में केवल इतना ही बता दीजिए कि वह ठीक है ना?‘’

जतिन ने कुछ सेकेंड मीरा को एकटक देखा, मीरा की हालत खराब होने लगी थी, किसी अनहोनी की आशंका से उसका दिल दुगनी गति से धड़कने लगा। 

कहीं राघव को तो कुछ नहीं हो गया.? उस मंदिर में सुमेधा, नैना, मेरी नीता मां को लेकर पचास से ज्‍यादा लोग मारे गए थे, कहीं राघव भी तो उनमे से एक नहीं था? नहीं…नहीं मैं इतना बुरा कैसे सोच सकती हूं?

जतिन ने मीरा के दिल की धड़कनों को राहत देते हुए कहा, ‘’वह एकदम ठीक है, पर तुम्‍हें हास्‍पिटल पहुंचाने के बाद और नीता आंटी का अंतिम संस्‍कार करने के बाद वह कहां चला गया किसी को नहीं पता, हर बार तो मुझे बता कर जाता था पर इस बार तो बिना बताए ही चला गया।‘’

मीरा का चेहरा फक्‍क हो गया, ‘’नीता मां का अंतिम संस्‍कार राघव ने किया था।‘’ 

‘’हां यह सच है मीरा, मरते समय नीता ने अमरीश को अपनी लाश को हाथ लगवाने से मना कर दिया था, उनकी नजर में अमरीश एक पापी था, और तुम्‍हारे भाई चिराग पर खतरा था…लोगों का कहर उसपर टूट सकता था। इसलिए सिक्‍योरिटी रीजन से हमने उसे अंतिम संस्‍कार में शामिल होने से मना कर दिया, तुम्‍हारी मां का अंतिम संस्‍कार करने में भी बहुत दिक्‍कतें आई थी, लोग उनकी डेडबॉडी को शमशान घाट तक आने ही नहीं दे रहे थे।‘’

मीरा का दिल दर्द से भर उठा, उसकी आंखे छलछला उठी, वह बोली, ‘’लेकिन मम्‍मी का तो इन सबसे कोई लेना देना नहीं था, जब उन्‍हे पता चला कि पापा क्‍या करते हैं तो वे उनसे नफरत करने लगी थी।‘’

‘’हां मीरा, यह बात कुछ ही लोगों को पता है, अब जिनके अपने गुम हुए हैं, उनका गुस्‍सा फूटना तो जायज़ था, हमने किसी तरह लोगों को समझा-बुझाकर लोगों को मनाया तब जाकर एक कोने में नीता का अंतिम संस्‍कार हुआ था।‘’

‘’इतना सब कुछ हो गया और मुझे कुछ भी खबर नहीं।‘’ 

‘’तुम होश में नहीं थी, और हास्‍पिटल में भी तुम्‍हारी पहचान छिपाकर तुम्‍हें एडमिट किया गया था, इसलिए राघव ने तुम्‍हारी मां का अंतिम संस्‍कार किया था, उनकी अस्‍थिया....’’ 

‘’मेरी मां के पास है, कुंती मां के पास‘’ मीरा ने कहा। 

जतिन ने सहमति में सिर हिलाई, ‘’तुम्‍हारे पास अब भी एक मां है।‘’ 

मीरा ने पलकें झपका दी। 

‘’इस बार राघव केवल इतना बताकर गया है कि वह हम सबसे दूर जा रहा है, अब वह ऐसी जगह जाएगा जहां उसे कोई न ढूंढ सके…पता नहीं क्‍यों वह ऐसे चला गया? जबकि हमारा मिशन तो पूरा हो चुका था, उसके पास अपने परिवार के पास लौटने का रास्‍ता खुल गया था और जिस चीफ यानी आर्यन को ढूंढने के लिए हमने एड़ी चोटी का जोर लगाया उसके अंत के बाद तो उसे तुम्‍हारे पास लौट आना चाहिए था पर वह चला गया, उसने मुझे साफ मना किया है कि मैं उसे न ढूंढू‘’ कहकर जतिन चुप हो गया। 

मीरा को अपनी सांस में जैसे कुछ फंसता हुआ सा महसूस हुआ….कहीं ना कहीं उसे मेरी बेवफाई ने दुख पहुंचाया होगा, उसे पता चल गया होगा कि मैं आर्यन को पसंद करने लगी हूं और उससे शादी करना चाहती हूं, इसलिए...मैं इसके लिए खुद को कभी माफ नहीं कर पाउंगी। 

‘’नहीं मीरा, तुम खुद को दोष मत दो, तुमने आगे बढ़ने का फैसला लिया था, इसमें कुछ गलत नहीं था, और राघव ने ही तो तुमसे सारे कान्‍टेक्‍ट तोड़ दिए थे। यह बात मैं जानता हूं कि तुमने भले ही आर्यन से शादी करने का फैसला लिया था, पर दिल के एक नाजुक कोने में केवल राघव बसा था, आर्यन कभी भी राघव की जगह नहीं ले सकता था। मैंने राघव से कई बार कहा था कि वह तुमसे बात करे, तुमसे मिले, पर वह नहीं माना....’’

मीरा से कुछ बोलते नहीं बना, पर उसे एक धक्‍का सा जरूर लगा था। 

जतिन ने फिर कहा, ‘’देखो मीरा, अब पहले जैसा तो कुछ भी नहीं हो सकता, तुम राघव के लिए आज भी उतनी ही तड़प रही हो जितनी पहले तड़पती थी, और तुम्‍हे आर्यन के जाने से शायद बहुत दुख भी नहीं है….वह एक दगाबाज था, बहरूपिया था।‘’ 

‘’और राघव क्‍या है, वह एक बार कहता तो मैं सबकुछ छोड़कर उसके साथ आ जाती, शायद मैंने राघव को समझने में ही कोई गलती कर दी थी।‘’

‘’नहीं मीरा, वह राघव आज भी वही है, वह नहीं बदला है‘’ जतिन ने कहा 

मीरा चेयर से उठ कर खड़ी हो गई....आप नहीं समझेंगे कमिश्‍नर साहब, मैंने राघव को अपनी जिंदगी में सबसे निकट समझा था पर उसने आज से पांच साल पहले भी जाने से पहले मुझे सूचना नहीं दी और अब भी वह बिना कुछ बताए चला गया…दगाबाज और बहरूपिया तो राघव भी है।‘’ 

दिल में भारी दर्द लिए वह पुलिस स्‍टेशन के बाहर निकली। मीरा ने अपने आंसू पोंछे और कार में बैठ गई…मनीषा चुपचाप मीरा को देख रही थी।

मीरा ड्राइवर से बोली, ‘’मुझे कहीं रास्‍ते में उतार दीजिए प्‍लीज, मैं थोड़ी देर बार आश्रम आ जाउंगी।‘’ 

ड्राइवर ने हां में सिर हिलाया, मनीषा समझ गई कि मीरा दीदी अकेले रहना चाहती है, अभी एक्‍सीडेंट से नहीं उभरी और मानसिक पीड़ा में भी हैं, पर कुंती चाची ने कहा था कि कुछ भी हो जाए मीरा को अकेले नहीं छोड़ना है। 

मनीषा बोली, ‘’दीदी, यही पास में यमुना किनारे एक घाट बना हुआ है, चलेंगी? बहुत अच्‍छा है और वहां ज्‍यादा भीड़ भी नहीं रहती और पास में खुला मैदान है, एक छोटा सा मंदिर भी है।‘’

मीरा ने मनीषा की ओर देखा और हां में सिर हिला दिया। 

मनीषा ने ड्राइवर को इंतजार करने के लिए कहा, फिर वह मीरा से बोली, ‘’आइए दीदी, वैसे तो यमुना का पानी गंदा है पर इस साइड जहां मैं आपको लेकर आई हूं, वहां थोड़ा साफ है…आपको अच्‍छा लगेगा।‘’ 

वह एक छोटा सा घाट था, जहां दो चार बूढ़ी औरतें एक कोने बैठी थी। मीरा और मनीषा दूसरे कोने में सबसे नीचे वाली सीढ़ी पर पानी में पैर डालकर बैठ गई। यमुना अपनी पूरी चंचलता से बह रही थी, मनीषा ठीक कह रही थी यहां का पानी थोड़ा सा साफ था। मनीषा गंभीर होकर बहती हुए यमुना को देख रही थी। 

‘’तुम यहां हमेशा आती रहती हो क्‍या?‘’ मीरा ने पूछा। 

मनीषा चौंक गई और बोली, ‘’हमेशा तो नहीं दीदी, पर आ जाती हूं, एक्‍चुली मैं अपने हसबेंड से पहली बार यहीं मिली थी।‘’

‘’ओह, तो तुम दोनों की लव मैरिज है।‘’ 

‘’नहीं…नहीं दीदी, अरेंज मैरिज ही है, मेरे कहने का मतलब है कि मेरे पति अपने परिवार के साथ पहली बार मुझे यहीं देखने आए थे।‘’ 

‘’अच्‍छा..यहां पर घाट किनारे अरे वाह, लोग तो घर में होटल में या मंदिरों में मुलाकात करते हैं।‘’

‘’हां वे लोग यही चाहते थे, यहां एक मंदिर भी है….शाम को छोटी सी यमुना जी की आरती भी होती है पर वह अभी गंगा आरती जितनी फेमस नहीं है।‘’

फिर मनीषा ने आसमान की ओर देखकर कहा, ‘’शाम होने वाली है, अब आरती भी होगी, क्‍या आप आरती देखेंगी या घर चलेंगी?‘’ 

मीरा ने भी दूर क्षितिज की ओर डूबते हुए सूरज को देखा और कहा, ‘’घर जाने की अब कौन सी जल्‍दी? सब कुछ तो छूट गया, प्‍यार मोहब्‍बत से नाता टूट गया, परिवार तो खत्‍म हो ही गया...अब तो जैसे कुछ अच्‍छा ही नहीं लग रहा है।‘’

‘’ऐसा न कहो दीदी, समय के साथ सब ठीक हो जाएगा...देखना राघव भैया एक दिन आपको जरूर मिलेंगे।‘’

‘’तुम मुझे दिलासा देने के लिए ऐसा कह रही हो ना‘’

‘’नहीं दीदी, हो सकता है कि आपका मिलना अभी न हुआ हो।‘’ 

मीरा ने कहा, ‘’मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्‍या करूं, कहां जाउं कि सुकून मिल जाए?‘’ 

मनीषा बोली, ‘’दीदी, चैन सुकून तो सब हमारे अंदर पहले से मौजूद है, बस हम बेचैनी का चौगा ओढ़कर तड़पने लगते हैं, दीदी जिंदगी बहुत सुंदर है….बस सबके पास जीने की इतनी ही खूबसूरत वजह होनी चाहिए।‘’

मनीषा ने मानो मीरा को जिंदगी का सार समझा दिया। मीरा के चेहरे पर मुस्‍कुराहट तैर गई, तभी उस मंदिर से घंटी बजने की आवाज सुनाई दी… 

मनीषा चहकी, ‘’लगता है आरती का समय हो गया।‘’

‘तो चलो चलते हैं।‘

अब मीरा को जीने की वजह तलाशनी थी। 
 


क्‍या मीरा राघव को ढूंढ पाएगी?

क्‍या मीरा का दर्द कम हो पाएगा? 

जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्‍बत।

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