रेणुका डिटेक्टिव शर्मा जी से बात करने के बाद गहन चिंतन में थी कि कैसे वो वैभव के लिए अमृता का हाथ मांगे? पर अचानाक उसे अम्मा के कमरे से वैभव की आवाज़ आई। उसने जैसे ही आवाज़ सुनी, तो वो अम्मा के कमरे की तरफ दबे पांव बढ़ी। अम्मा का कमरे का दरवाज़ा आधा खुला था। रेणुका ने जैसे ही वैभव को कमरे में अम्मा से बात करते देखा तो वो बाहर ही खड़ी रह गई और दीवार से कान लगा कर दोनों की बातें सुनने लगी। वैभव अम्मा को अमृता के बारे में बता रहा था।

वैभव – अम्मा आपको पता है, l अमृता के आसपास ऐसा लगता है जैसे मैं  उससे पहले भी मिल चुका हूं!

जब रेणुका ने वैभव की ये बात सुनी तो वो अपने मन में वैभव और अमृता के सात जन्मों तक साथ होने के सपने देखने लगी। उसको तो आजकल बस वैभव और अमृता की जोड़ी को परफेक्ट जोड़ी साबित करने का मौका चाहिए होता है।  

वहीं वैभव अमृता की तारीफ कर रहा था कि उसे अमृता का अम्मा के पैर छूना बहुत  अच्छा लगा। इस बात पर अम्मा भी मुस्कुरा रही थी। जब ये बात रेणुका ने दीवार के उस तरफ से सुनी तो उसकी आंखों में एक नई चमक और चेहरे पर एक मुस्कराहट आ गई। वैभव के बदलते मन की वजह से रेणुका को अब कुछ भी impossible नहीं लग रहा था।

वैभव थोड़ी देर अम्मा से बात करता रहा और उसके बाद वो अपने कमरे की तरफ जाने के लिए उठ गया। रेणुका को जैसे ही वैभव की आवाज़ आई, वो धीरे-धीरे दबे पांव वापस  अपने कमरे में जाने लगी पर वैभव ने रेणुका को देख लिया और उस ने उसे आवाज लगा दी,

वैभव ( हैरान) – मां? आप ऐसे क्यों चल रहे हो?

रेणुका ने वैभव की आवाज़ सुनी तो मन ही मन खुद को कोसने लगी,

रेणुका (मन में) – रेणुका, किसी दिन अपने ही plan में फंस कर मरेगी तू!  

वैभव – मां, क्या हुआ, आप कुछ बोल क्यों नहीं रही?

वैभव घबरा कर रेणुका के पास आकर खड़ा हो गया। रेणुका ने उसे बगल में देखा तो मुस्कुराकर वैभव से कह दिया कि उसके घुटनों में हल्का सा दर्द हो रहा था इसलिए वो धीरे धीरे चल रही थी। ये सुनते ही वैभव ने रेणुका को कंधों से पकड़ा और उसे उसके कमरे तक छोड़ आया। जब वो रेणुका को उसके bed पर बिठा रहा था तो रेणुका ने उससे पूछ लिया

रेणुका – वैभव! तुझे अमृता पसंद आई?

वैभव ये सुनकर कुछ देर तक चुप हो गया, उसे समझ नहीं आया कि वो रेणुका से क्या कहे? क्योंकि वैभव को तो खुद भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसका और अमृता का चल क्या रहा है? इसलिए उसने हल्के से मुस्कुरा कर रेणुका को आराम करने के लिए कहा और कमरे से चला गया पर रेणुका वैभव की मुस्कुराहट को उसका शर्माना मान कर मन ही मन खुश हो गई।

फिलहाल अमृता को बहू  बनाना रेणुका के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी क्योंकि न तो उसे ये समझ आ रहा था कि वो दोनों को कैसे मिलवाए और ना ही उसके पास अमृता के घरवालों की कोई जानकारी थी जिससे वो रिश्ता लेकर वहां जा सके। इसलिए उसने तय किया कि वो खुद अब इस problem का solution ढूंढेगी।

रेणुका वैभव की शादी और अमृता को बहू  बनाने के सपने में बहुत  मशगूल हो गई थी। वो ये तो जानना चाहती थी कि अमृता के पापा  कौन हैं ताकि वो रिश्ता लेकर वहां जा सके पर इन सब बातों में वो ये भूल ही गई थी कि अमृता उस दिन उस पार्टी में बिना किसी के बुलाए आई थी। हालांकि डिटेक्टिव शर्मा, जी-जान लगा कर अमृता का सच ढूंढने में लगे हुए थे। रेणुका की धमकी से पहले भी उन्होंने हर तरफ बस अमृता की जानकारी ढूंढवाने के लिए कई junior जासूस लगा रखे थे पर रेणुका की धमकी के बाद उन्होंने तय किया कि अब इस process को रफ्तार देने में ही उनकी भलाई है। इसलिए रेणुका से फोन पर बात करने के तुरंत बाद उन्होंने शहर के कई जासूसों को अमृता की जानकारी निकालने की जिम्मेदारी दे दी।

रात के घंटे बढ़ते जा रहे थे और घर में शांति छा गई थी। रेणुका ने महसूस किया कि उसे बहुत  थकान हो रही थी।   इसलिए अपनी थकी हुई आंखों को आराम देने के लिए उसने अपना बिस्तर तैयार किया और आराम से लेट गई।

उसके मन में वैभव और अमृता की तस्वीरें घूम रही थीं, लेकिन उसने थोड़ा और सोचा तो उसे समझ  आया कि इस बार उसे अपनी योजना को और गहराई से बनाना होगा। उसने सोचा कि सुबह नई तरकीब बनाने के लिए सबसे अच्छा समय होगा, उस समय उसका दिमाग  fresh होता है तो वो एक मस्त सा प्लान बना पाएगी। इसलिए रेणुका ने अपनी आंखें बंद की और सोने की कोशिश करने लगी।

एक तरफ रेणुका अमृता और वैभव की शादी के सपने  देख रही थी और दूसरी तरफ वैभव को आज नींद आने का नाम नहीं ले रही थी। आजकल वैभव की नींद जैसे नटवरलाल ने चुरा ली थी। हर रात वो  पुरानी अमृता और नई अमृता के ख्यालों में फंस के रह जाता है। आज भी ऐसा ही हुआ। उसने कई बार फोन उठाया और अमृता को मैसेज करने की कोशिश की पर हर बार मैसेज डिलीट कर के वो फोन साइड में रख देता। आखिरकार उसने हिम्मत जुटाई और अमृता को फोन लगा दिया।

वैभव को इतनी देर रात अमृता को फोन लगाना सही तो नहीं लग रहा था पर chats पर वो बार बार लिख कर मैसेज मिटा रहा था इसलिए उसे लगा कि शायद फोन लगाने से वो कम से कम अमृता से बात तो कर पाएगा क्योंकि वहां उस पर मैसेज की तरह अपनी बातों को डिलीट करने का मौका जो नहीं होगा।

तो फिर क्या था, भगवान का नाम लेकर वैभव ने अमृता को फोन लगा दिया। अब वैभव ने उसे फोन तो लगा दिया था पर डर के मारे उसके दिल में बम फट रहे थे। फोन की घंटी जा रही थी पर जब अमृता ने तीन घंटी पर भी फोन नहीं उठाया तो वैभव फोन काटने लगा। जैसे ही वो फोन काटने वाला था, दूसरी तरफ से अमृता की आवाज आई,

अमृता – हेलो? कौन?

वैभव के दिल की घबराहट अमृता की आवाज़ सुनकर और बढ़ गई। उसने अपना नाम बताया तो अमृता दो सेकंड के लिए चुप हो गई। अमृता की चुप्पी से वैभव ने बात को संभालते हुए कहा,

वैभव – अमृता! मुझे माफ करना अगर आपको मेरा कॉल करना सही न लगा हो तो! मैंने बस ये जानने के लिए फोन किया था कि आप ठीक से घर पहुंच गए थे न?

अमृता वैसे तो चुप थी पर ये सुनकर उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

अमृता ( अच्छी तरह) – हां वैभव! मैं  घर आ गई हूँ। मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई।

वैभव ने आगे बात बढ़ाते हुए अमृता से अपनी मां रेणुका की उस हरकत के लिए भी माफी मांगी जब उन्होंने अमृता से घुमा फिरा के शादी के topic पर बात करने की कोशिश की थी। वैभव ने अमृता से इस बात पर शर्मिंदगी जताई।

हालांकि वैभव, रेणुका से नाराज जरूर था पर वो ये भी जानता था कि रेणुका का इरादा किसी का दिल दुखाने का नहीं होता। इसलिए उसने अमृता से माफी मांगने के बाद, रेणुका की तरफदारी करते हुए कहा,

वैभव – अमृता पर.. तुम मां को गलत मत समझना, वो बस मेरी शादी के पीछे पड़ी है, इसलिए उन्होंने ऐसा किया। वो दिल की बुरी नहीं है!

अमृता ने ये सुन कर वैभव को भरोसा दिलवाया कि उसे रेणुका या फिर किसी की भी कोई भी बात से कोई शिकायत नहीं है। उसने ये भी कहा कि वैभव को इस बारे में ज़्यादा नहीं सोचना चाहिए।

अमृता और वैभव के बीच जो अजीब रिश्ता बन गया था, वो इस कॉल के बाद थोड़ा बेहतर हो गया। अमृता से बात कर के वैभव भी आज कई दिनों बाद सुकून की नींद सोया।

अगले दिन सुबह सूरज के उगने के कुछ ही समय बाद रेणुका तैयार हो गयी। फिर उसने डिटेक्टिव शर्मा जी को call किया,

रेणुका – नमस्ते शर्मा जी! क्या खबर है?

डिटेक्टिव शर्मा ने कहा, “रेणुका जी, अमृता के पापा  का नंबर तो मिल गया है लेकिन….”

रेणुका ने शर्मा जी की बात को काटते हुए कहा कि

रेणुका – हम ये सारी बातें बाद में कर लेंगे शर्मा जी।  अभी आप बस मुझे अमृता के पापा  का नंबर और उनकी details दे दीजिए।

रेणुका की बात सुन कर शर्मा जी ने उसे अमृता के पापा  का फोन नंबर और जो भी पता चला था, सब लिख कर भेज दिया। detective शर्मा जी रेणुका को अमृता के बारे में कुछ तो जरूरी बताना चाहते थे पर रेणुका की बहू  बनाने की जल्दबाजी की वजह से उनकी खास बात नज़र अंदाज हो गई।

शर्मा जी से फोन पर बात करने के बाद रेणुका अपने कमरे में बैठ कर वैभव और अमृता की शादी के लिए कुछ खुराफाती सोचने लगी। वह अमृता की फ़ैमिली को शादी का प्रस्ताव देने के लिए एक अच्छा समय और जगह चुनना चाहती थी। ताकि इस बार बात किसी भी वजह से न बिगड़ पाए।

रेणुका ने पहले अमृता के पापा  के बारे में पढ़ा और फिर अच्छे से उनके सामने उनकी बेटी का हाथ वैभव के लिए मांगने का एक प्लान बनाया। इस प्लान को बनाते बनाते रेणुका कई बार भावनाओं में बहकर अपने सपने सजाने लगती थी पर फिर उसे याद आता कि उस पर ज्यादा समय नहीं है।

एक तरफ रेणुका अमृता को बहू  बनाने के लिए पागल हो रही थी और दूसरी तरफ, अमृता अपने कमरे में अकेली बैठी हुई थी। उसके bed पर एक डायरी रखी थी जिस में वो कुछ लिख रही थी। अचानक हवा के एक झौंके से डायरी के पन्ने पलटने लगे। अमृता ने डायरी को पकड़ा तो एक पन्ना खुल गया जिसमें लिखा था, “मैं  कभी शादी नहीं करूंगी। मैं अपने जीवन को अपने तरीके से जीना चाहती हूं। मैं अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती हूं और अपना करियर बनाना चाहती हूं।”

आखिर क्यों नहीं करना चाहती है अमृता शादी? क्या होगा जब रेणुका को ये बात पता चलेगी? क्या रेणुका का अमृता के पापा  से उसका हाथ मांगना कर देगा कोई नयी मुसीबत खड़ी?


जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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