अयाना- "पहले ये बताईऐ आप हमारी मदद कर सकते है क्या आईमीन आप माहिर खन्ना नहीं है मैं माहिर खन्ना से हेल्प लेने आई हूं!"
अनुज -"बिन बात जाने.…तो माहिर खन्ना भी आपकी हेल्प नहीं करेगें, वैसे आपको कितने पैसों की हेल्प चाहिए?"
"दस लाख? वो भी आज कल में...."अयाना ने जैसे ही ये कहा अनुज की भोहें चढ़ गयी-"दस लाख और वो भी आज कल में?"
अयाना - "जी दस लाख....आप नहीं कर पाएगें ना हमारी इतनी बड़ी हेल्प और वो भी इतनी जल्दी, आप कैसे कर सकते है,आप माहिर खन्ना थोड़ी है....सो आपसे क्या ही बात करनी,आप हमारी मिटिंग माहिर खन्ना से करवा दिजिए ना जिनसे हमें हेल्प लेनी है डिरेक्ट उनसे ही बात कर लेगें, मेरे पास ज्यादा वक्त नही है, समझिऐ ना!"
अनुज - "मैं तो समझ रहा हूं पर आप नहीं, हां मैं माहिर खन्ना नहीं हूं पर उनका मैनैजर हूं, आप मुझे बात बताइए, मै आपकी बात उन तक पहुंचा सकता हूं, उनसे हेल्प दिलवाने में आपकी हेल्प कर सकता हूं। माहिर खन्ना खुद किसी से नहीं मिलते मैं ही उनकी मीटिंग करवाता हूं, वो मना कर देते है बट मैं फिर भी उनको मना लेता हूं, सोचिए आप खुद माहिर खन्ना से नहीं मिल सकती बट मैं जरिया बन सकता हूं।"
ये सुन अयाना मुस्कुरा दी - "हां, ये तो मैनैं सोचा ही नहीं?"
अनुज - "पर मैनैं सोच लिया तो आप बताएगी मुझे बात?"
"हां बताऊंगी ना जरूरी बताऊंगी" अयाना तपाक से बोली तो अनुज हंस दिया - "क्या बात है आप तो बड़ा जल्दी मान गई, मुझे बात बताने को भी तैयार हो गयी।"
अयाना - "सॉरी हम भूल गये थे आप जरिया है माहिर खन्ना तक मेरी बात पहुंचाने के....बड़े आदमी है सबसे नहीं मिलते होगें वो, मैं डिरेक्ट उन से नहीं मिल सकती बट आपके जरिये मेरा काम हो सकता है, आई मीन हेल्प, मुझे ये ध्यान ही नहीं रहा रियली सॉरी!"
अनुज - "इट्स ओके...परेशानी में इंसान कभी कभार जो सोचना चाहिए वो सोच नहीं पाता है, अब बताइए आपकी परेशानी? फिर देखते है मैं आपकी परेशानी को दूर करने के लिए क्या कर सकता हूं, ओके?"
अयाना ने हां में सिर हिलाया और अपनी मां के बारे में सोचते हुए बोली - "मेरी मां.......कह अयाना ने अनुज को अपनी मां की हालत के बारे में बताते हुए जल्द से जल्द ऑपरेशन की बात बता डाली, कि उसकी मां को कैंसर है और जल्द उसे उनका ऑपरेशन करवाना है....अयाना की बात सुनकर अनुज कुछ सोचने लगा, अयाना उसके जवाब का इंतजार करते हुए उस की ओर एकटक देख रही थी।
कुछ देर बाद अनुज ने कहा - “आपने आज तक माहिर खन्ना को नहीं देखा, एम राईट?”
अयाना हां में सिर हिलाया - "हां मैं तो जानती भी नहीं और ना कभी देखा, ना कभी मिली, यहां तक की मैगजीन वगैरह में भी मैनैं उनको नहीं देखा है, कभी ध्यान ही नहीं दिया मैनैं, बस सुना है नाम, मैनैं सोचा मैं उनसे मिलने पर मदद मांगूगी और वो हेल्प कर देगें तो मैं उनकी शुक्रगुजार के साथ उनका एक-एक पैसा जल्द चुका दूंगी। मेरी फ्रेंड ने उनका कार्ड देते वक्त मुझे कहा था माहिर खन्ना जरूर मेरी हेल्प करेगे….मुझे जो रकम चाहिए (परेशानी भरे भाव से)....वो बहुत ज्यादा है और बैंक भी इतनी जल्दी इतना बड़ा लोन नहीं देगा, एमरजेंसी है इसलिए प्लीज जल्द मिलवा दिजिए आई मीन उनसे मुझे हेल्प दिलवा दीजिए।"
【खन्ना विला】
साक्षी अपने कमरे में आयने के सामने खड़ी जल्दी-जल्दी बाल बना रही थी कि तभी सार्थक ने आकर उसे पीछे से हग कर लिया, साक्षी खुद को उससे छुड़ाते हुए - "छोड़ो सार्थक मुझे रेडी होने दो"
पर सार्थक ने उसे नहीं छोड़ा, वो उस पर अपनी बाहों की पकड़ कस लेता है और उसके कंधे पर अपना चेहरा टिकाते बोलता है - "क्या जरूरत है इतना रेडी होने की, वो भी जल्दीवाजी में, कौन से लड़के वाले देखने आ रहे है तुम्हें?"
साक्षी हंस दी - "तुम्हारी बदौलत मुझे वो दिन भी नसीब ना हुआ!"
सार्थक भी हंस दिया - "हां तो ये तो अच्छी बात है ना, तुमको कभी कुछ करना नहीं पड़ा मुझे इम्प्रेस करने के लिए....और ना ही मेरे लिए स्पेशल रेडी होना पड़ा, तुम जैसी थी साक्षी मैं तुम पर वैसे ही मर मिटा और आज भी तुम जैसी होती हो तुमनें जो भी पहना होता है…मुझे अच्छी ही लगती हो।"
साक्षी मुस्कुराते हुए - "आई नो, बट आज मैं अपने बेटे अपने रियान के लिए रेडी हो रही हूं, उसके लिए उसका फेवरेट ब्रेकफास्ट बनाना है, पहले ही देर हो चुकी है, सो जल्दी तो करनी पड़ेगी ना, अब छोड़ो मुझे।"
सार्थक ने उसे छोड़ने की बजाये अपनी तरफ घुमा लिया और कमर पर बाहों को फंसाते हुए बोला "मिसिज अग्निहोत्री आपके जल्दबाजी करने से कुछ नहीं होने वाला, आपको पता है ना आपका बेटा आपका रियान घर आकर ऑर्डर देगा उसे क्या खाना है? फिर आप उसके लिए कुछ खाने को बनाएगी एंड यूअर काइंड इंफोर्मेशन रियान अग्निहोत्री अभी आए नहीं है सो पहले से कुछ भी तैयारी करने की और जल्दबाजी करने की कोई जरूरत नहीं है।"
साक्षी हामी भरते - "हां ये तो है"
सार्थक - "हम्म!"
साक्षी - "सार्थक कब तक आएगा रियान?"
सार्थक - "जब माहिर खन्ना लेकर आएगें।"
साक्षी - "हम भी चलते ना रियान को लेने?"
सार्थक - "कैसे जाते रियान अग्निहोत्री का ऑर्डर था माहिर खन्ना उसे लेने आएगें और माही ने भी तो बोला था घर पर वेट करो मैं रियान को लेकर आ जाऊंगा।"
साक्षी - "दोनों मामा भांजे एक जैसे है।"
सार्थक - "मैं तो हमेशा यही बोलता हूं।"
साक्षी - "तुम तो बहुत कुछ बोलते हो!"
सार्थक - “हां तो चलो मेरे बोलने पर ध्यान दो” कहते सार्थक अपना चेहरा साक्षी के कान के पास लाया और धीरे से कुछ फुसफुसाया, जिसे सुन साक्षी की आखें चौड़ी हो गयी, वो उसी पल सार्थक को खुद से दूर धकेल देती है - "शर्म नहीं है थोड़ी सी भी, मन नहीं भरा रातभर रोमांस कर के, जो सुबह सुबह फिर रोमांटिक हो रहे हो?"
सार्थक साक्षी को फिर अपने करीब खींच लेता है - "जिसकी इतनी सुंदर बीवी हो मन भर सकता है क्या.....जान मन ही तो नहीं भरता है....बोल सार्थक साक्षी के बालों से खेलते गुनगुनाने लगा - "पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले…."
ये सुन साक्षी हंस दी - "सार्थक तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता.…सार्थक उसकी गर्दन में अपना चेहरा छुपा लेता है और "अच्छा" कहते अपनी दाढ़ी साक्षी को चुभाते उसे गुदगुदी करने लगा, साक्षी खिलखिलाकर हंस पड़ी, उसने सार्थक से खुद को छुड़ाना चाहा पर उसने उसे नहीं छोड़ा, सार्थक की शैतानियां जारी रही और साक्षी की हंसी की गूंज कमरे में गूंजती रही!!
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【कैफे 】
अनुज अयाना से - "मैने आपकी बात को सुन भी लिया, आपकी परेशानी को अच्छे से समझ लिया और मैं आपकी मदद करने को भी तैयार हूं।"
ये सुन अयाना खुश हो गयी पर तभी अनुज ने "बट?"......कहा जिसे सुन उसके चेहरे पर फिर परेशानी चली आई और वो हैरान होते बोली - "बट क्या?"
अनुज टेबल पर कोहनी टिकाते हुए - "आप पैसे चुकाएगी कैसे, दस लाख रूपए बहुत बड़ी रकम है, वापस कैसे देगी इस बारे में भी तो सोचा होगा ना आपने?"
ये सुन अयाना सोच में पड़ गयी, अनुज उसकी ओर देख रहा था, अयाना कुछ सोच उसकी ओर देखते - "अभी तो नहीं सोचा पर हम सच में सारे पैसे वापस लौटा देगें"
अनुज - "किस्तों में या एक साथ?"
ये सुन अयाना ने चुप्पी साध ली तो अनुज फिर उससे बोला - "आपको नहीं पता आप पैसे कैसे वापस देगी, और आसान भी नहीं रहने वाला आपके लिए इतने सारे पैसे जल्द लौटाना..…फिर आप जल्द लौटाने की बात भी कर रही है (एक पल रूककर) आई थिंक आप कोई जॉब वगैरह भी नहीं करती है एम राईट?"
अयाना - "या राईट, बट एप्लाई किया हुआ है मैने जॉब के लिए....जॉब मिल जाने के बाद सेलरी मिलेगी उससे.....वो आगे कुछ कहती कि अनुज बोल पड़ा - "जहां आपने एप्लाई किया है वहां से आपको जॉब मिलेगी इस बात की कोई गांरटी भी नहीं है, क्योकि अभी आपको जॉब मिली नहीं है आपके पास ऐसा कोई सोर्स नहीं है जो मुझे लग सके कि आप पैसे चुका पाएगी"
"इसका मतलब आप से मुझे मदद नहीं मिलेगी?" अयाना बोल रही थी कि अनुज बोल पड़ा - "मैने ऐसा भी नहीं कहा है (एक पल रूककर) आपके लिए मेरे पास एक आईडिया है"
अयाना सवालियां नजरों से उसे देखते - "क्या?"
अनुज मुस्कुराते हुए - "मैं आपको ....अपने यहां जॉब के लिए सिलेक्ट करता हूं, आप मेरे यहां जॉब कीजिए, आपके साथ हम एक एग्रीमेंट करेगें जिसमें हम आपको दस लाख रूपए एडवांस में दे देगें और आप वो पैसे हमारे यहां पर काम कर के चुका देना और हां सारे पैसे चुकाने के बाद आप चाहे तो जॉब छोड़ भी सकती है!"
ये सुन अयाना फट से चेयर से उठ गयी - "क्या ऐसा हो सकता है?"
अनुज चेयर से उठते हुए - "जरूर हो सकता है, आपकी परेशानी भी दूर हो जाएगी और आप पर कोई प्रेशर भी नहीं रहेगा, कोई अहसान भी नहीं रहेगा। दो -ढाई साल काम करना होगा आपको हमारे यहां इतने में सारे पैसे आप चुका देगी, वैसे तो काम कर पैसे मिलते है आप पैसे लेकर काम कर लेना, मैं अपने बॉस से जल्द ही डिसकस कर आई मीन आपके बारे में बात कर आपको इंफोर्म करता हूं ओके!"
अयाना खुश होते - "जी, थैंक्यू सो मच, आप बहुत अच्छे है, मैनैं तो सोचा ही नहीं था कि मेरी हेल्प ऐसे भी हो सकती है, मै रेडी हूं, आप जल्द अपने बॉस आई मीन माहिर खन्ना से बात कर के मुझे बता दीजिएगा, मैं अच्छे से काम करूंगी, अपना 100% दूंगी!"
अनुज - "जानता हूं आपको जो भी काम देगें आप उसे पूरी डेडीकेशन के साथ करेगी और फिर हम आपकी सेलरी से पैसे पूरे कर लेगें आपका भी काम हो जाएगा हमें भी हमारे पैसे वापस मिल जाएगें....है की नहीं!"
अयाना हामी भरते - "जी....मैं वेट करूंगी आपके जवाब का…"
अनुज हां में सिर हिलाते - "या....एंड डोंट वेरी जवाब पॉजिटिव ही मिलेगा....मैं खुद पर्सनली अपने बॉस से आपको जॉब देने को कहूंगा और एग्रीमेंट वाली बात भी करूंगा।"
अयाना उसकी ओर एकटक देखती रही - "आप हमारी इतनी बड़ी हेल्प करने को झट से तैयार हो गये वो भी इतना जल्दी? और साथ में आईडिया भी दे डाला आपके यहां जॉब का ताकि हमें ज्यादा प्रोब्लम ना हो"
अनुज मुस्कुराते हुए - "इंसान की परख है मुझे, और यकीकन मैं कह सकता हूं आप जो कह रही है सच कह रही है और आप भरोसे के भी लायक हैं।"
ये सुन अयाना अनुज की ओर अपना हाथ बढ़ा देती है - "थैंक्स!"
अनुज खुश होते अयाना से हाथ मिला लेता है - "बाई द वे....आपका नाम?"
अयाना अपना हाथ वापस लेते - "अयाना, अयाना मिश्रा!"
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अयाना हॉस्पिटल में राजश्री जी के वार्ड रूम के बाहर आखें मूंदे दीवार से सटकर खड़ी थी, वो अनुज के फोन के आने का वेट कर रही थी और साथ-साथ प्रार्थना भी कर रही थी कि उसे जॉब मिल जाए माहिर खन्ना के यहां...और उसकी प्रोब्लम सोल्व हो जाए, यानि उसे पैसे मिल जाए और वो अपनी मां का जल्द से जल्द ऑपरेशन करवा सके....तभी वहां पिहू आ जाती है, और अयाना को "दी" कहती है पर अयाना उसे कोई जवाब नहीं देती, वो वैसे ही खड़ी रही।
तभी पिहू उसके कंधे पर हाथ रखते हुए - "अयू दी!" पिहू के छूने से अयाना की तंद्रा टूटी और उसने हड़बड़ाते हुए पिहू की ओर देखा - "पिहू? पिहू मां ठीक है ना?"
पिहू - "रिलेक्स दी, आप कहां खोये हो आवाज दी वो भी नहीं सुनी!"
अयाना आह भर अपनी हथेली अपने चेहरे पर फैरते हुए - "कुछ नहीं पिहू!"
पिहू - 'पैसों को लेकर परेशान हो ना, हो जाएगा दी सब और वैसे आप कहां गये थे?"
अयाना - "वो ....वो मैं किसी काम से गयी थी।"
पिहू - "हुआ?"
अयाना - "हो जाएगा, तुम च़िंता मत करो पैसों का इंतजाम भी हो जाएगा और मां का ऑपरेशन भी!"
पिहू अयाना के कंधे पर सर रखते हुए - "आप हो तो क्या टेंशन दी, वैसे मैनैं पूछा डॉक्टर वर्मा से बोले शाम तक हम बुआ को घर लेकर जा सकते है।"
अयाना ने हां में सिर हिलाया और मन ही मन राजश्री जी के वार्ड रूम की ओर देख बोली - "घर से ज्यादा मां यहां सेफ है यहां डॉक्टर है, घर पर मां आराम से रहे उसके लिए पहले ये ऑपरेशन होना जरूरी है वो भी जल्द, अब हम देर नहीं करेगें मां के ऑपरेशन में, इस महीने क्या? इसी वीक ऑपरेशन करवाएगें मां का, बस जो सोचा है वो हो जाए, माहिर खन्ना के यहां मुझे एग्रीमेंट वाली जॉब मिल जाए, फिर मैं उनके यहां जॉब कर सारे पैसे चुका दूंगी, जो काम कहेगें वो सब कर दूंगी, अपनी मां को ठीक करने के लिए मैं कुछ भी करूंगी.....कुछ भी!"
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माहिर खन्ना जो कि एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन है, खन्ना इंडस्ट्रीज का मालिक, जिसके पास पैसे की कोई कमी नहीं....जिसका नाम रूतबा सब बहुत बड़ा है जो कि फ्री का एक गिलास पानी भी नहीं पीता, अपनी जरूरते अपने शौंक अपनी ख्वाहिश अपनी जिद्द हर चीज की कीमत चुकाने के लिए उसके पास बेशुमार दौलत है, प्यार शादी जैसी चीजों से उसे कोई मतलब नहीं और ना ही उसके लिए रिलेशनशिप जैसी चीज मायने रखती है ,यहां तक वो लड़कियों से भी दूरी बनाकर रखता है जबकि लड़कियां उस पर बहुत मरती है, उसकी एक झलक देखने को बेकरार रहती है उसे पाने के ख्वाब देखती है, उसके यहां पर काम करने को तैयार रहती है, वो अपने एटीट्यूड और बेशुमार दौलत के चलते वो पूरी दुनिया को अपने कदमों में रखने की हिम्मत रखता है।
बाहरी दुनिया और उसका परिवार उसके बारें में उतना जानती है जितना कि माहिर खन्ना चाहता है माहिर खन्ना को ना सुनना पंसद नहीं है, ऐसा कोई भी नहीं जो उसकी बात नहीं मानता या वो मनवा नहीं सकता है, सुबह होते ही वो ऑफिस चला जाता है, सुबह से लेकर रात तक खुद को अपने काम में बिजी रखता है और जैसे ही रात हुई वो खन्ना विला चला जाता है या फिर जहां उसका मन होता है, किसी में इतनी हिम्मत नहीं जो उससे कोई सवाल कर सके, फैमिली के नाम पर उसके पास बड़ी बहन है साक्षी, जीजा है सार्थक अग्निहोत्री और उनका एक बेटा रियान जो खन्ना विला में उसके साथ रहते है और एक छोटा भाई भी है ईशान खन्ना जो कि इंडिया से बाहर रहता है........!!
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आगे जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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