कुंती, नीता को अपने अंदर वाले कमरे में लेकर चली गई...दोनों के बीच बहुत देर तक गहरी खामोशी पसरी रही...चाय के दो खाली प्याले उन दोनों के बीच में पड़े थे। घर के बाहर कोयल के कूकने की आवाजें लगातार आ रही थी।
नीता ने यह बोझिल खामोशी तोड़ते हुए कहा, ‘’तुम्हारा घर बहुत ही अच्छे लोकेशन पर है, चारों ओर केवल हरियाली…पेड़ पौधे बगीचे और सबसे बड़ी बात ढेर सारी चिड़ियों की चहचहाहट, हम तो शहर में इतने सालो से रहकर इन सभी चीजों को बहुत याद करते हैं, हमारे नसीब में तो यह सब है ही नहीं…केवल वही पॉल्युशन, दिन भर गाड़ी मोटरों की कानफोड़ू आवाजें, ले देकर कुछ पार्क है पर वहां भी हरियाली केवल नाममात्र की है, बैठ भी जाओ तो थोड़ी ही देर में बच्चे फुटबाल खेलने आ जाते हैं, हमें तो वहां से निकलना पड़ता है कि कहीं फुटबाल लग न जाए।
कुंती ने अपने चेहरे पर जबरदस्ती मुस्कुराहट लाने की कोशिश की पर वह नाकाम रही, इस समय कुंती का दिल बहुत ही गहरे जख्म से दर्द हो रहा था, यह जख्म आज का नहीं था, सालो पहले का था जब बलवंत ने उसे धोखा दिया था, पर गलती तो कुंती ने भी की थी….एक शादीशुदा आदमी से दिल लगा बैठी थी।
कुंती ने कहा, ‘’मैं कितनी बड़ी पापिन हूं ना नीता, अपनी बेटी मीरा को बचाने के लिए एक मासूम बच्ची सुमेधा को अपनी बेटी बताकर बलवंत को सौंप दिया, अगर कभी उसे पता चल गया तो वह सुमेधा के साथ क्या करेगा यह सोचकर ही मेरा कलेजा कांप उठता है।‘
नीता ने कहा, ‘’अब बलवंत सुमेधा के साथ कुछ भी नहीं कर सकता है कुंती, और बलवंत ने तो सुमेधा के मां बाप की हत्या करवाई थी यह सुमेधा का हक है कि वह अपने मां बाप के हत्यारे से बदला ले। सोचो अगर मीरा ही बलवंत के पास चली जाती और अनाथ सुमेधा किसी अनाथ आश्रम में पली बढ़ी होती तो क्या वह इतनी स्ट्रांग होती जितनी अभी है, बलवंत की जान अब सुमेधा के हाथ में है, अब सुमेधा वह सच जानने के एकदम करीब है, जिससे बलवंत के कैरियर की धज्जियां उड़ जाएंगी।‘’
कुंती ने नीता से पूछा, ‘’मेरी बेटी मीरा कैसी है? कहां है? उसकी शादी टूटने के बाद उसने अपने लिए कोई नया लाइफ पार्टनर नहीं चुना क्या?‘’
नीता बोली, ‘’मीरा तुम्हारी ही तरह बहुत मजबूत है, वह फैशन वर्ल्ड में नाम कमा रही है, जहां तक शादी का सवाल है अभी तो वह मना कर रही है पर मेरा दिल कह रहा है कि उसे उसका सच्चा जीवन साथी जरूर मिलेगा।‘’
कुंती सोचने लगी जब वह बलवंत की पर्सनल सेक्रेट्री बनकर उसके पास गई थी...कैसे वह और बलवंत एक नाजुक से पल में एक दूसरे के करीब आ गए थे। उस एक रात ने कुंती की जिंदगी बदलकर रख दी थी। वह बलवंत के बच्चे की मां बनने वाली थी, बलवंत ने साफ कह दिया था कि वह इस बच्ची को नहीं अपनाने वाला है।
कुंती ने अपनी सबसे प्यारी सहेली नीता को यह बात बताई, कुछ ही दिन पहले नीता का गर्भपात हो गया था और उस समय अमरीश विदेश गए थे, अमरीश विदेश गए थे इसलिए नीता ने उन्हें अपने गर्भपात की बात नहीं बताई थी, अपने रिश्तेदारी में भी कहीं नही।
कुंती अपने बच्चे को गिराना नहीं चाहती थी पर बलवंत भी उससे शादी नहीं कर सकता था क्योंकि वह पहले से ही शादीशुदा था और दो बच्चों का बाप भी था, ऐसे में किसी दूसरी लड़की का बच्चा अपनाना बलवंत के लिए नामुमकिन था।
बलवंत ने कुंती से कह दिया था कि कहीं अनजान जगह चली जाए और बच्चे को पालती रहे, समय आने पर वह किसी तरह कोई उपाय निकालकर कुंती के बच्चे को अपना नाम दे देगा, लेकिन कुंती के लिए तब तक एक बच्चे के साथ अकेले रहना मुश्किल था।
नीता अपने गर्भपात की बात सबसे छुपाकर कुंती के साथ एक अनजान जगह रहने चली गई, नीता का बेटा उस समय दो साल का था इसलिए उसके स्कूल की भी कोई टेंशन नहीं थी और अमरीश के वापस लौटने में भी अभी समय था, इतना समय कि तब तक कुंती बच्चे को जन्म दे सकती थी। नीता के लिए कुंती के बच्चे को अपनाने में कोई दिक्कत नहीं आने वाली थी क्योंकि अगर नीता भी अपने दूसरे बच्चे को जन्म देती तो लगभग कुंती के होने वाले बच्चे के साथ ही होता।
कुछ समय बाद कुंती ने एक बेटी को जन्म दिया और नीता ने उसे अपना लिया और अमरीश को फोन करके बता दिया था कि उसने एक बेटी को जन्म दिया है, अमरीश बेटी का बाप बनकर बहुत खुश थे, उनकी फैमिली पूरी हो चुकी थी। इधर कुंती ने बलवंत से अपने सारे सम्पर्क तोड़ दिए थे, कुछ समय बाद बलवंत ने अपने खिलाफ लिखने वाले एक पत्रकार को और उसकी पत्नी को गोली मारकर हत्या करवा दी थी, उसकी तीन साल की बेटी सुमेधा उस समय स्कूल में थी।
नीता उस समय उसी शहर में थी, सुमेधा अनाथ हो चुकी थी और उसके कोई भी रिश्तेदार उसे गोद लेने के लिए तैयार नहीं थे। नीता, सुमेधा को लेकर कुंती के पास चली आई थी, कुंती अपनी बेटी मीरा को बहुत याद करती रहती, लेकिन अब वह मीरा को वापस नहीं ले सकती थी क्योंकि नीता के पास उसकी अच्छी परवरिश हो रही थी और अब उसे मां बाप का नाम मिल गया था लेकिन अब सुमेधा के बारे में सोचना था।
नीता ने सोच लिया था कि सुमेधा को बड़ी होकर अपने मां बाप के हत्यारे से बदला लेना चाहिए, कुंती की जिंदगी भी उसने बरबाद की है। कुंती, सुमेधा को लेकर प्रतापगढ़ आ गई थी। जहां नीता का मायका था, नीता ने अपने मायके में सबको बताया कि कुंती का पति एक्सीडेंट में मर चुका है और इसके ससुराल वालों ने इसे निकाल दिया है। नीता के मायके वालों ने कुंती का खुले दिल से स्वागत किया और वहीं के एक स्कूल में नौकरी दिला दी।
संयोग से कुछ साल के बाद बलवंत उसी स्कूल के एक प्रोग्राम का उदघाटन करने के लिए आए, उन्होंने कुंती को देखा और उसके साथ छोटी बच्ची सुमेधा को, उनके मन में एकदम संदेह नहीं था कि सुमेधा उनकी बेटी नहीं है, दो बेटों के बाद एक बेटी का बाप बनना बलवंत के लिए बहुत ही सुखद था।
वे सुमेधा को अपनाना चाहते थे, उसे अपना नाम देना चाहते थे, पर यह सीधे-सीधे मुमकिन नहीं था। इसके लिए उन्होंने एक चाल चली, कि वे कुछ अनाथ बच्चों को गोद लेकर अपना नाम देना चाहते हैं, जिससे समाज में उन्हें सम्मान मिले।
इसकी शुरूआत उन्होंने इसी स्कूल की टीचर कुंती से की, वे कुंती से मिलने उसके घर गए...कुंती मानों यही चाह रही थी पर फिर भी बलवंत को दिखाने के लिए उन पर चिल्लाई कि मेरी बेटी अनाथ नहीं है, उसकी मां अभी जिंदा है और वह बहुत ही अच्छी लाइफ जी रही है।
बलवंत ने कहा, ‘’हां मैं, जानता हूं, लेकिन अब मुझे मेरी बेटी वापस चाहिए, तुम क्या चाहती हो कि मैं एक कत्ल और करवाउं?‘
कुंती आतंकित भाव से बलवंत को देखने लगी।
बलवंत ने कड़े स्वर में कहा, ‘’हां कुंती मैं सुमेधा के लिए तुम्हें मरवा भी सकता हूं, मैं सुमेधा को सच में अनाथ कर दूंगा और उसके बाद मेरी बेटी को अपनाने से मुझे कोई नहीं रोक सकता है, अगर तुम जिंदा रहना चाहती हो तो दुनिया के सामने कह दो कि तुम अपनी बेटी को पाल नहीं सकती इसलिए मुझे सौंप रही हो, इससे मेरे दो फायदे होंगे, एक तो मेरी बेटी मेरे पास रहेगी और दूसरा मेरा वोट बैंक भी बढ़ेगा....तुम नहीं जानती हो कुंती तुम्हारा दोबारा मिलना मेरे लिए कितना फायदेमंद रहा है।’’
कुंती ने बलवंत को घृणा भरी दृष्टि से देखते हुए कहा, ‘’तुम्हारे कमीनेपन की कोई हद भी है या नहीं, अपनी ही बेटी को अपने राजनीतिक फायदे के लिए यूज करना चाहते हो।‘’
तो इसमें गलत क्या है? उसके बदले में सुमेधा को कितना कुछ मिल रहा है, एक अच्छी लाइफस्टाइल, शहर के अच्छे स्कूल में पढ़ने का मौका मिलेगा, देश-विदेश घूमेगी..अच्छा खाना अच्छा कपड़ा, क्या नहीं मिलेगा उसे, दुनिया का कौन सा सुख नहीं मिलेगा उसे और तुम उसे क्या दे रही हो? यह दो कमरो वाला घर जिसके छत पर खपरैल है, केवल खाने पीने भर का ही कमा पाती हो, कपड़े खरीदती हो तो प्राइस टैग देखती हो, अपने बजट के हिसाब से उसके लिए चीजें खरीदती हो, उसके पास अच्छे खिलौने तक नहीं हैं, बलवंत की बेटी ऐसी जिंदगी जिए यह मुझे पसंद नहीं है, तुम सीधे तरीके से मेरी बेटी मुझे दे दो वरना उसे बिना मां का कर दूंगा और फिर उसके मेरे पास आने के अलावा कोई चारा भी नहीं होगा…कहते-कहते बलवंत हांफने लगा था, उसे प्रतापगढ़ के मेयर और डीएम से मिलने जाना था, उसने कुंती से कहा, कल मैं सुमेधा को सबके सामने बेटी के तौर पर गोद लूंगा आज उसे तुम अच्छे से बता देना कि वह अपने पिता के घर जा रही है।
कुंती ने उसी रात नीता से सम्पर्क किया और उसे सारी बात बताई...नीता ने उससे कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है मीरा मेरे पास एकदम सुरक्षित है, पर सुमेधा को बलवंत के पास भेजने से पहले उसे सारी हकीकत बता दो कि बलवंत कौन है और उसने उसके मां बाप के साथ क्या किया था?
दस साल की मासूम सुमेधा का दिल सुलग उठा था जब उसे पता चला कि कुंती उसकी मां नहीं है, बल्कि उसके मां बाप की तो बलवंत ने हत्या करवा दी थी।
उसी बलवंत के पास जाकर उसकी बेटी बनकर उसे रहना था, कुंती ने सुमेधा को समझाया था, ‘’तुम्हें यह करना ही होगा बेटी, मैं चाहती हूं कि तुम उसके पास रहकर उसकी ऐसी लाड़ली बनों कि सबसे ज्यादा तुम पर ही भरोसा करे, और भावावेश में आकर अपनी सच्चाई तुम्हें बता दे, बेटा अपने मां बाप की मौत का बदला तुम्हें ही लेना है।‘’
जब बलवंत ने सबके सामने सुमेधा को अपनी बेटी समझकर उसके सिर पर हाथ फेरा तो सुमेधा का पूरा शरीर बदले और नफरत की आग में जलने लगा था, वह अपने मां बाप के हत्यारे को अपना पिता कैसे मान सकती थी?
यह सब इतनी जल्दी हो गया था कि किसी को कुछ भी सोचने समझने का मौका ही नहीं मिला, बलवंत, सुमेधा को लेकर दिल्ली आ गए थे, किसी को शक न हो कि सुमेधा उनकी बेटी ही है इसलिए उन्होंने कुछ और अनाथ लड़कियों को गोद ले लिया…इससे उनको कई सारे फायदे हुए, औरतों का वोट बैंक भी बढ़ गया था, अनाथ लड़कियों के लिए वे पूजनीय भी हो गए थे।
नीता और कुंती बीच-बीच में मौका निकालकर सुमेधा से मिलती ही रहती थी...सुमेधा ने एक बार पूछ ही लिया था कि मां आपकी अपनी बेटी कहां है और कैसी है?
कुंती ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा था, ‘’मेरी बेटी तो तुम ही हो, वह जहां भी है अपनी जिंदगी जी रही है और मैं चाहती हूं कि तुम भी अपनी एक अच्छी लाइफ जिओ।‘’
सुमेधा को आज भी कुंती की अपनी बेटी से मिलने का इंतजार था जो कि मीरा थी, सुमेधा अपनी शादी में पहने जाने वाले लंहगे को बड़े ही ध्यान से देख रही थी, वह कुंती और नीता को बहुत याद कर रही थी। पर दोनों ही नहीं आ सकती थी, कुंती बलवंत के कारण और नीता राघव के कारण। सुमेधा को नहीं पता था कि वह इन सबसे कहीं ना कहीं जुड़ी हुई है, जिस राघव से वह शादी करने वाली है उसका पहला प्यार है मीरा, वही मीरा उसकी कुंती मां की अपनी बेटी और वही मीरा दुनिया की नजरों में नीता की बेटी है।
पता नहीं मैं उससे कभी मिल भी पाउंगी या नहीं, पता नहीं उसे अपने लाइफ के बारे में कुछ पता भी होगा या नहीं? भगवान करे उसे कभी पता न चले, वह हमेशा खुश रहे।
तभी सुमेधा के रूम के डोर पर किसी ने नॉक किया, सुमेधा दरवाजा खटखटाने के इस तरीके को पहचानती थी, वह बोली, ‘’पापा अंदर आ जाइए, कितनी बार कहा है कि ऐसे नॉक करके आने की जरूरत नहीं है।‘’
बलवंत मुस्कुराते हुए अंदर घुसे, सुमेधा को शादी के कपड़ों के बीच बैठा देखकर बोले, ‘’मेरी इच्छा थी कि तुम्हारी और राघव की शादी खूब धूमधाम से करूं पर राघव की पहचान सबके सामने न आए इसलिए मैं कुछ ज्यादा नहीं कर सकता।‘’
सुमेधा ने कहा,’’पापा आप जानते हैं ना कि मुझे बहुत ज्यादा तड़क-भड़क पसंद नहीं है।‘
बलवंत बोले, ‘’हां बेटा, मैं तुम्हें अपनी लाइफ के बारे मे एक राज़ की बात बताने आया हूं, जो आजतक किसी को नहीं पता….मेरी पत्नी और दोनों बेटों को भी नहीं।‘’
क्या आज सुमेधा बलवंत का सच जान जाएगी?
क्या मीरा को अपनी जिंदगी की इतनी बड़ी हकीकत का पता चल पाएगा?
जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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