आधी रात का समय हो चला था, गेस्‍ट हाउस के सभी रूम के लाइट बंद हो चुके थे….केवल उस रूम की लाइट जल रहा थी जिसमें मीरा थी..। उसके हाथ में नेहा की लिखी हुई डायरी थी, इससे पहले उसने चीफ की वह पुरानी फोटो अपनी एक डॉक्‍टर फ्रेंड यामिनी के पास यह कहकर भेज दी कि अगर इस आदमी के चेहरे की प्‍लास्‍टिक सर्जरी कराई जाए तो उसका चेहरा कैसा हो जाएगा?

यामिनी के हास्‍पिटल में कई सारे सर्जन थे, जो प्‍लास्‍टिक सर्जरी भी करते थे, यह केवल वही बता सकते थे। यामिनी ने एक दिन का समय मांगा था यानी कल शाम तक का समय । 

मीरा ने ओके कर दिया था, कल बहुत कुछ घटित होने वाला था, राघव की शादी...आर्यन का प्रपोजल और चीफ का असली चेहरा सामने आना। 

काश मारिया जिंदा होती...तो कितना अच्‍छा होता, उसने चीफ का अपने हाथों से गोली मारने की जो प्‍लानिंग की थी वह कर सकती थी। पर कोई बात नहीं चीफ तो मारा जाएगा और बहुत ही बुरी मौत मारा जाएगा, मैं मौका निकालकर आर्यन से यह बात कहूंगी...वह जरूर मेरी बात समझेगा आखिर उसके कारण मुझे भी तो बहुत कुछ झेलना पड़ा था। सोचकर मीरा सिर के नीचे तकिया लगाकर लेट गई और नेहा की डायरी पढ़ने लगी। 

‘वह एक मनहूस रात थी, जब मैं इरू से मिली थी इल्‍लीगल बाइक रेसिंग में पार्टीसिपेट कर रहा था, न जाने कहां से उसकी नजरें मुझसे मिल गई, वह चाहता था कि मैं उसे चीयर करूं, क्‍यों करती मैं उसे चीयर...कितनी बदतमीजी से उसने मेरा हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचा था और अपनी बाइक पर बैठा लिया था। 

यह थी मेरी और इरू की पहली मुलाकात, जो बिल्‍कुल भी अच्‍छी नहीं थी और याद करने लायक तो एकदम नहीं है। इरू यह उसका शार्ट नाम है, यह उसका निकनेम नहीं है, एक्‍चुली उसका कोई निकनेम है ही नही, जब मैंने उसे इरू बुलाना शुरू किया तो वह चिढ़ गया था, वह चाहता था कि मैं उसे उसके नाम से बुंलाउ….

मीरा को अपनी और आर्यन की पहली मुलाकात याद आ गई...वह भी तो बिल्‍कुल ऐसा ही करता था। कुछ लड़के बिल्‍कुल एक जैसे होते हैं, जैस मेरा आर्यन और वह चीफ, मीरा ने पहली बार अपने दिल के एक कोने से आर्यन को मेरा आर्यन कहा। 

मीरा ने कुछ और भी पेज पलटे कुछ खास नहीं था, सबसे बड़ी बात यह थी कि नेहा ने कहीं भी अपने बॉयफ्रेंड का असली नाम लिखा ही नहीं था, हर जगह केवल इरू..इरू ओर इरू।

यह उस चीफ के नाम का शार्ट नेम था जो नेहा ने खुद रखा था। मीरा सोचने लगी कि अगर नेहा उस चीफ को उसके शार्ट नेम से बुलाती थी तो इसका मतलब था कि उस चीफ का असली नाम इ से शुरू होता है। 

मीरा ने अपने दिमाग पर जोर डाला कि इ नाम से कौन-कौन से बिजनेस मैन हैं जो बहुत फेमस हैं।

एक तो टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्रीज में हैं जिनका नाम ईश्‍वरी प्रसाद है, ओह नहीं वे तो करीब साठ साल के होने वाले हैं अब तो शायद ग्रैंड फादर भी बन चुके हैं, वह चीफ तो इस समय करीब पैंतीस साल का होगा।

मुझे इसी एज के बिजनेस मैन के बारे में सोचना होगा, जो नाम इ से शुरू होता है, बहुत याद करने पर भी मीरा को कोई ऐसा नाम नहीं याद आया जो कि चीफ हो सकता था और जिसकी एज तीस से पैंतीस साल के बीच की हो। 

खैर कोई बात नहीं, आज नहीं तो कल तुम्‍हारा सच सामने आ ही जाएगा। कल तुम्‍हारा असली चेहरा मेरे सामने होगा चीफ...तब तुम क्‍या करोगे? 

नेहा की डायरी से मीरा को पता चला कि नेहा बहुत ही रोमांटिक मिजाज, हंसमुख जिंदादिल और मजाकिया किस्‍म की लड़की थी और चीफ इसका एकदम उल्‍टा, खड़ूस...उज्‍जड...तानाशाह...अड़ियल ...गरम मिजाज वाला। 

न जाने क्‍यों चीफ के इस स्‍वभाव की कल्‍पना करते हुए मीरा को आर्यन की याद आ गई, सेम ऐसा ही तो आर्यन भी है। 

ऐसा लग रहा है कि मैं नेहा के बॉयफ्रेंड चीफ के बारे में नहीं बल्‍कि आर्यन के बारे में पढ़ रही हूं, अगर मुझे आर्यन के बारे में कुछ भी लिखना होता तो शायद मैं भी ऐसा ही लिखती जैसा नेहा ने लिखा है। क्‍या सारे बिजनेस मैन ऐसे ही बोरिंग स्‍वभाव वाले होते हैं, वे गलफ्रेंड तो बना लेते हैं पर उसका दिल जीतना नहीं जानते, पता नहीं नेहा जैसी इतने सुलझे विचारों वाली लड़की ऐसे अजीब से स्‍वभाव वाले चीफ से दिल कैसे लगा बैठी? 

फिर मीरा ने खुद से ही कहा, ‘’ओह मीरा तुम उसके बारे में क्‍यों सोच रही हो? पहले खुद को तो देखा, तुमने भी तो कुछ ऐसे ही नेचर वाले लड़के को पसंद कर लिया है।‘’

आर्यन के बारे में सोचते-सोचते मीरा को कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला। 

 

इधर प्रतापगढ़ में....झींगुर और मेढकों के मिली-जुली आवाज रात का सन्‍नाटा तोड़ रही थी। कुंती और नीता बेड पर लेटी थी। 

नीता कुंती से बोली, ‘’तुम बहुत ही हिम्‍मती हो, इतने सालों तक इतने बड़े घर में अकेले कैसे रही?‘’

कुंती कुछ न बोली। थोड़ी देर की चुप्‍पी के बाद कुंती ने कहा, ‘’हम दोनों ने कितने ही लोगों के साथ धोखा किया है, अगर यह सच सामने आ गया तो कितनी जिंदगियों में भूचाल मच जाएगा।‘’

‘’कौन बताएगा? यह राज केवल तीन लोगों को पता है कि मीरा तुम्‍हारी और बलवंत की बेटी है, मुझे, तुम्‍हें और सुमेधा को, और सुमेधा को तो यही नहीं पता मीरा दिखती कैसी है? हम में से कोई नहीं बताएगा, क्‍योंकि जिसने भी बताया उसकी मौत तय है, इतने सालों से जब किसी को भनक नहीं लगी तो अब क्‍या लग पाएगी?

कुंती ने कहा, ‘’तुम्‍हारे कारण मेरी बेटी मीरा बच तो गई, पर एक मासूम लड़की सुमेधा की जिंदगी तबाह हो गई।‘’

नीता ने कहा, ‘’नहीं कुंती, मीरा को मुझे देकर तुमने एक तरह से मुझ पर एहसान ही किया था। और सुमेधा अपने मां बाप के हत्‍यारे के बीच में है, अब समय आ गया है कि वह अपना बदला ले, और जल्‍दी ही बलवंत की मौत की खबर तुम सुनोगी।‘

‘’और फिर सुमेधा का क्‍या होगा?‘’ 

उसने अपनी जिंदगी का फैसला तय कर लिया है, अगर वह जिंदा रही तो अनाथ बच्‍चों के लिए काम करेगी...’’

सुनकर कुंती का दिल जोरो से धड़क उठा....अगर जिंदा रही तो का क्‍या मतलब है नीता जी?‘’

नीता ने कहा, ‘’हां, वह इस समय जो करने जा रही है वह किसी जान से खेलने जैसा है। अब से दो दिन के बाद एक होटल में बलवंत जी और उनके सभी साथियों की एक मीटिंग होने वाली है, वहां पर सुमेधा बहुत बड़ा काम करने वाली है, जो कि न्‍यूज पेपर पर छपेगा..’’ 

कुंती झट से उठकर बैठ गई, और नीता का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा, ‘’नीता जी, माना सुमेधा मेरी बेटी नहीं है, आपकी बेटी नहीं है….पर हम सबने मिलकर उसे पाला है, वह हमारी मीरा जैसी ही है, हम उसे अकेले नहीं छोड़ सकते हैं।‘’ 

नीता ने कहा, ‘’उसे कुछ नहीं होगा, वह बस बलवंत जी को एक झटका देगी, बलवंत यह कभी पता नहीं कर पांएगे कि उनके साथ यह सब किया किसने है?‘’

 

सुमेधा, बलवंत को आंखे फाड़कर देख रही थी, इतनी रात को पापा को भला मुझसे क्‍या बात करनी है?

बलवंत ने सुमेधा का सिर प्‍यार से सहलाते हुए कहा, ‘’कल तुम्‍हारी लाइफ का बहुत ही इम्‍पॉटेंट दिन है, तुम ऐसे इंसान से शादी कर रही हो जिसका सच हम किसी को बता ही नहीं सकते, क्‍योंकि वह देश के लिए काम करता है और हम सभी के लिए देश पहले होना चाहिए।‘’

सुमेधा ने हां में सिर हिलाया। 

बलवंत ने आगे कहा,’’बस मन में यही टीस रहेगी कि तुम्‍हारी शादी धूमधाम से नहीं कर पाया, लोग अपनी शादी को लेकर कैसी-कैसी प्‍लानिंग करते हैं, थीम वेडिंग रखते हैं, यहां तक मैंने तुम्‍हें रॉकी को जानने का मौका भी नहीं दिया, पता नहीं वह तुम्‍हारे लिए अच्‍छा पति साबित होगा भी यह भी नहीं?

सुमेधा ने कहा, ‘’कैसी बातें कर रहे हैं आप पापा? फिजुलखर्ची वाली शादी मुझे करनी ही नहीं थी, कभी भी नहीं, इतना खर्च तो मैं किसी अनाथालय, किसी हास्‍पिटल या फिर वृद्धआश्रम में कर सकती हूं शादी में एकदम नहीं, और जहां तक रॉकी की बात है तो वह मुझे पहली ही नजर में पसंद आ गया था। मैं उसके साथ खुश रहूंगी, उसके साथ मैं जितना भी समय बिताती हूं मुझे ऐसा लगता है कि मुझे उनके बारे में कुछ जानने समझने की जरूरत ही नहीं है, मुझे ऐसा फील होता है कि मैं उन्‍हें पहले से ही अच्‍छे से जानती हूं।‘

बलवंत का चेहरा उल्‍लास से चमक उठा, ‘’मुझे गर्व है कि तुम मेरी बेटी हो।‘’ 

सुमेधा मन ही मन हंसी, और बोली, ‘’आपकी अपनी बेटी तो आपकी इस मनहूस छाया से बहुत दूर है पिताजी, मैं तो वो हूं जिसके मां बाप का आपने बेरहमी से कत्‍ल करवा दिया था, वो न्‍यूज पेपर आज भी मेरे पास है जिसमें मेरे मां बाप की फोटो है जो कि खून से लथपथ हैं और बीच रोड पर मरे पड़े हैं, मैं वो रोज देखती हूं जिससे मेरे अंदर बदले की जो आग है वो कम न हो।‘’

बलवंत आगे बोले, ‘बेटा मैं तुम्‍हें एक बात बताने जा रहा हूं, कई सालों से अपने दिल में दबाकर बैठा हूं, किसी से भी नहीं कहा पर मेरा दिल कह रहा है कि तुमसे कह देना चाहिए, एक तुम ही हो जो मेरी मजबूरी को समझ सकती हो।‘

‘’जी, पापा कहिए‘’ सुमेधा ने भौंहे सिकोड़कर बलवंत से कहा।

फिर बलवंत ने ऐसा कुछ बताया जिसके बारे में सुमेधा को केवल शक था, पर आज बलवंत ने अपना जुर्म काफी हद तक कूबुल कर लिया था। 
 

चीफ के साथ युग, मकरंद और अभिजीत भी आए थे, कल की मीटिंग में उन्‍हें भी चीफ के साथ जाना था, एक मीटिंग कल होनी थी और एक मीटिंग दो दिन बाद। जिस होटल में यह मीटिंग होनी थी, उसकी नाकेबंदी कर दी गई थी, होटल के मैनेजर को कह दिया गया था कि दो तीन दिनों तक कोई नई बुकिंग नहीं लेनी है, जो भी नुकसान होगा, वह चीफ बलवंत और उनके बाकी के सहयोगी करेंगे। 

युग जो चीफ के कमरे के बगल वाले कमरे में था, वह मीरा से मिलने के बारे में सोच रहा था….अगर मीरा से एक मुलाकात हो जाए तो मैं उसे चीफ का सच बता सकता हूं, मारिया ने मरने से पहले मुझे बता दिया था कि मीरा चीफ की गर्लफ्रेंड के घर जाएगी, शायद वहां से उसे चीफ के बारे में कोई क्‍लू मिल जाए, और क्‍या पता न भी मिले मैं जानता हूं की चीफ की असली सच्‍चाई क्‍या है? उसका असली नाम क्‍या है? पता नहीं चीफ का सच जानने के बाद मीरा पर क्‍या गुजरेगी? पर आज नहीं तो कल उसे चीफ के बारे में पता चल ही जाएगा, अच्‍छा ही तो है वह इस सच को आसानी से सहन कर लेगी। 

अगले दिन दोपहर दो बजे के बाद नैना की नींद झटके से खुली....वह एक अनजान कमरे में थी..बगल में उसका फोन भी रखा था, उसने झट से अपना फोन उठाया और पहले तो मैसेज और काल चेक करने लगी। 

‘’ओह गॉड आज तो चीफ के साथ मीटिंग थी, मेरा अशोका होटल में पहुंचना बहुत जरूरी है।‘’ नैना का सिर भारी भारी सा हो रहा था, वह कल हुई घटनाओं के बारे में सोचने लगी, कितनी चालाकी और धोखे से शेखर और उसकी फैमिली ने मुझे फंसाकर रखा था पर कोई बात नहीं आज तो चीफ से मुलाकात होगी मैं यह सारी बातें उन्‍हें बताउंगी। 

नैना को अपने उन गुंडो का ध्‍यान आया जो कल हाल में फंस गए थे, पता नहीं उन सबका क्‍या हुआ होगा? कहीं उन पुलिसवालों के बीच फंस तो नहीं गए होंगे ना?

ओह गॉड, मुझे यहां आना ही नहीं चाहिए था, इन लोगों ने मुझे फंसाने की पूरी प्‍लानिंग कर ली थी, मैं जानती हूं कि राघव रमन की हल्‍दी की रस्‍म में भी आया था, मैंने ही उस बात को हल्‍के में ले लिया था और मेरे गुंडे राघव को पहचान नहीं पाए थे। मैं किसी को भी नहीं छोड़ूंगी। आज तो राघव शादी करने वाला है, ओह माई गॉड उसने कर ली होगी, पर किससे कर रहा है और क्‍यों कर रहा है? यह जानते हुए भी कि उसके चारों ओर खतरा मंडरा रहा है फिर भी….

नैना उठी और बाहर जाने के लिए दरवाजे को पीटने लगी...किसी ने बाहर से दरवाजा बंद कर रखा था। 

तभी दरवाजा खुला और शेखर अंदर आ गए वे बोले, अब बस दस पंद्रह मिनट में राघव की शादी हो जाएगी तब तुम जहां मरजी वहां जा सकती हो।‘’

‘’राघव की शादी हो या ना हो, पर मुझे ऐसे बंदी बनाकर रखने का क्‍या मतलब है?‘’

मतलब है, क्‍योंकि राघव बलवंत सिंह की बेटी से शादी कर रहा है, सुमेधा का नाम सुना होगा तुमने शायद।‘’ 

नाम सुनते ही नैना के चेहरे पर आश्‍चर्य के सारे भाव उतर आए।

 

क्या नैना राघव की शादी रुकवा पायेगी? 

कौन है चीफ, क्या है उसकी सच्चाई? 

मीरा चीफ के सच और अपने अतीत का राज़ जान पायेगी?

जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!

Continue to next

No reviews available for this chapter.