अगली सुबह मृत्युंजय नींद से ज़रूर उठा लेकिन उसके दिमाग में राघव से हुई बातचीत घूम रही थी। क्या राघव कोई ऐसा राज़ खोलने वाला था जो मृत्युंजय के लिए जानना अब ज़रूरी हो चुका था? कई सवाल थे लेकिन इसी बीच अब मृत्युंजय के दिमाग में अपनी बिज़नेस ट्रिप, कनिका को मानाने का ख्याल और कई चीज़ें घर कर रही थीं। ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए मृत्युंजय काफी सीरियस था लेकिन मन ही मन वो बस ये चाहता था कि जाने से पहले उसे नेहा से जुड़ी कोई लीड मिल जाए।

थोड़ी देर बाद मृत्युंजय ऑफिस पहुँचा और कनिका को ढूँढ़ने लगा। कनिका ऑफिस में नहीं थी. मृत्युंजय कनिका का कैफेटेरिया में वेट करने लगा, मृत्युंजय को पता है की कनिका अपने दिन की शुरुआत बिना कॉफी के नहीं कर सकती. थोड़ी देर बाद, कनिका आई – आज उसके चेहरे पर थोड़ी उदासी और हल्का गुस्सा भी था। मृत्युंजय उसके पास गया।

मृत्युंजय: "गुड मॉर्निंग, कनिका! तुमसे कुछ इम्पोर्टेंट बात करनी थी।"

कनिका (टोंट मारते हुए): "ओह, अब इंपोर्टेंट  बातें करनी है? जब मैं तुम्हारे साथ ऑस्ट्रेलिया ट्रिप का प्लान डिसकस कर रही थी, तब तो तुम्हारे पास वक्त ही नहीं था सुनने का।" (गुस्से में )

मृत्युंजय: (शर्माते हुए) “मैं बस... बिज़ी था, तुम जानती हो न। पर ये ट्रिप वैसे भी तुमने मेरे बिज़नेस के लिए ऑर्गनाइज़ की थी, तो तुम्हें तो जाना ही चाहिए।”

कनिका: (थोड़ा नखरे से) "हां, पर तुमने कभी ऐप्रिशियेट ही नहीं किया! और अब, जब सबकुछ सॉर्ट हो गया है, तब तुम्हें मेरी याद आ रही है? एक मिनट, नेहा ने कहीं तुम्हे तुम्हारे गुस्से की वजह से तो नहीं छोड़ा?"

मृत्युंजय: (घबराते हुए) "अरे,  कुछ भी बोल रही हो।

कनिका: (फ्लर्ट करते हुए कहा) "हम्म... ऑस्ट्रेलिया में तो बहुत सारी रोमांटिक जगहें है, पर तुम्हें क्या फर्क पड़ता है? तुम तो सिर्फ काम करना चाहते हो, ऐन्ज्वॉय कैसे करोगे?"

मृत्युंजय: (awkward होते हुए)- अरे हाँ हाँ, कोई नहीं देख लेंगे।

कनिका: (मुस्कुराते हुए) "अच्छा, ठीक है। पर एक शर्त है – तुम्हें वहां सिर्फ काम का नहीं, अपना भी ध्यान रखना होगा।

कनिका की बात सुनकर मृत्युंजय मुस्कुराने लगा लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। जैसे ही मृत्युंजय और कनिका अपनी बातें खत्म करते है, मृत्युंजय के फोन पर एक कॉल आती है। वो कॉल राघव का था। मृत्युंजय का चेहरा थोड़ा सीरीअस हो जाता है। वह वहाँ से यह बोलकर निकल जाता है कि यह कॉल बहुत इंपोर्टेंट है।

मृत्युंजय: "हां, राघव। क्या पता लगा नेहा के बारे में?"

राघव की आवाज़ में एक गहरी उदासी और थोड़ा टेंशन था, जिसे सुन तुरंत मृत्युंजय अलर्ट हो गया। राघव उसे बताता है, कि उसने जो भी जानकारी अब तक इकट्ठी की थी, वह बहुत ज़्यादा अजीब थी। ये सुनकर मृत्युंजय के चेहरे पर हल्की चिंता की लकीरें उभर आईं, मानो कुछ बुरा होने का अंदेशा था।

राघव- देखो मृत्युंजय मैंने नेहा से जुडी हर एक जानकारी निकालने की कोशिश की लेकिन अब तक कोई लीड नहीं मिल रही है। उसके मां-बाप के घर गया, उसके पुराने दोस्तों से मिला, और ऑफिस में भी पूछताछ की। पर उसने अपने मां-बाप का घर पांच दिन पहले ही छोड़ दिया था, और तब से वह किसी रिश्तेदार या दोस्त के यहां भी नहीं पहुंची।"

मृत्युंजय: "मतलब? उसने कुछ भी मेंशन नहीं किया कि वह कहां जा रही है? और तुम्हें कोई लीड नहीं मिली?"

मृत्युंजय की बात सुनकर राघव को भी थोड़ी टेंशन होने लगती है। लेकिन राघव मृत्युंजय का कॉन्फिडेंस मेनटेन करने के लिए कहता है कि अब उसे नेहा का फ़ोन ट्रैक करना पड़ेगा। अब तक नेहा का फ़ोन कहाँ है, किस लोकेशन पर है, ये सब राघव को नहीं पता था। लेकिन अब वक़्त आ गया है की  राघव कोई बड़ा कदम उठाये। राघव की बातों में एक ठहराव था, लेकिन उन बातों को मृत्युंजय समझने की कोशिश कर रहा था। मृत्युंजय को अब नेहा की चिंता और भी सताने लगी। इतने दिन बीत चुके थे और नेहा की तरफ़ से न तो कोई कॉल, न कोई मैसेज, न कोई अपडेट थी। फिर आखिर नेहा कहाँ है? ये सवाल मृत्युंजय के दिल में घर करने लगा।

मृत्युंजय: "राघव, तुम्हें जो कुछ भी करना पड़े, करो। मुझे पता नहीं क्यों, पर लगता है वह किसी मुसीबत में है। बस जल्दी से उसका पता लगाओ।"

राघव ने थोड़ा सोच-समझ कर जवाब दिया। उसकी आवाज़ में ठहराव और तसल्ली थी। राघव ने मृत्युंजय को दिलासा दिया की वो अपने दोस्त की मदद करने की पूरी कोशिश करेगा, चाहे इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े. उसने मृत्युंजय को संभालते हुए कहा कि वह अपने काम पर ध्यान दे और बाकी सब उसके ऊपर छोड़ दे। जैसे ही कुछ पता चलेगा, वह मृत्युंजय को तुरंत अपडेट करेगा।

कॉल काटते ही मृत्युंजय परेशान होकर अपने केबिन में जा बैठा। उसके दिल का बोझ और ज्यादा बढ़ गया। उसके चेहरे पर एक अजीब सी उदासी और टेंशन दिखाई दे रही थी। कनिका ने उसकी उदासी देखी।

कनिका- सब ठीक है न मृत्युंजय ?

मृत्युंजय- नेहा के बारे में कुछ पता नहीं लग रहा है।  मैंने अपने दोस्त राघव को उसे ढूंढ़ने के काम में लगाया है लेकिन अब तक राघव को भी कोई जानकारी नहीं मिल रही।  

कनिका- मृत्युंजय चिंता मत करो, राघव कर रहा है न. कुछ न कुछ जल्द हमे पता लग जाएगा।  कम से कम अब इस वजह से अपना मूड मत ख़राब करो।  प्लीज़ !

मृत्युंजय (हल्की मुस्कान में)- हाँ यार। बस अब नेहा वापस आ जाये ! और कुछ नहीं चाहिए।

 

मृत्युंजय का ये जवाब सुनकर कनिका थोड़ा जेलस फील करने लगी। उसका अनकंफर्टेबल फेस  साफ तौर पर नजर आने लगा । इससे पहले वो कुछ कहता, उसने मृत्युंजय से ऑस्ट्रेलिया ट्रिप पर बात करनी शुरू की। ऑस्ट्रेलिया ट्रिप पर बिज़नेस से जुड़े क्या-क्या काम करने है, किस क्लाइंट के साथ मीटिंग होनी है। मृत्युंजय इन सब बातों में राघव की बातों को और नेहा के लापता होने को पूरी तरह से भूल चुका था।

शाम होते-होते, मृत्युंजय और राघव ने तय किया कि अब उन्हें कुछ पर्मिशन्स लेने के लिए अपने एक पुराने पॉलिटीशियन दोस्त से मिलना होगा। वह दोस्त उनके काफी करीबी और मददगार थे, और उनके पास वह अथॉरिटी भी थी जो उन्हें नेहा के फोन के कॉल रिकॉर्ड्स और लोकेशन ट्रैक करने की पर्मिशन दिलवा सकती थी।

रात को मृत्युंजय और राघव अपने पॉलिटीशियन दोस्त, मंत्री प्रताप सिंह, के ऑफिस पहुँचते है। मंत्री प्रताप सिंह उन्हें देखकर मुस्कुराते है और उनका स्वागत करते है। फिर वह मृत्युंजय की तरफ़ देखकर पूछते है, "तुम यहाँ कैसे आए? कोई बात है क्या ? थोड़े परेशान से लग रहे हो?"
प्रताप सिंह की नजर मृत्युंजय के चेहरे पर रुकती है, जैसे वह उसके चेहरे पर छुपी चिंता को समझने की कोशिश कर रहे हों।
मृत्युंजय ने अपने दिल की बात और नेहा के लापता होने की पूरी कहानी प्रताप सिंह को बताई। प्रताप सिंह ने घबराहट के साथ कहा, “यह तो बहुत ही अजीब बात है, मृत्युंजय। हम परमिशन और जो भी कानूनी चीज़ें है, वह सब जल्दी से क्लियर करने में तुम्हारी मदद करेंगे। तुम बिल्कुल चिंता मत करो।”

प्रताप सिंह ने तुरंत अपने सेक्रेटरी और लॉ इन्फोर्समेंट कॉन्टैक्ट्स को कॉल किया और कुछ ही देर में परमिशन अरेंज करवा दीं। राघव ने अपने लैपटॉप पर नेहा के फोन का ट्रैकर इनिशियेट किया और कॉल रिकॉर्ड्स भी ऐक्सेस करना शुरू कर दिया। कुछ देर में राघव को एक बड़ा क्लू मिला और राघव ने नेहा का लास्ट लोकेशन ट्रैक करते हुए कहा 'स्कंदगिरी हिल्स'!


मृत्युंजय को शक होने लगा कि नेहा आखिर स्कंदगिरी हिल्स क्या करने गई है। थोड़ी और जांच के बाद पूरी जानकारी कांच की तरह सबके सामने आ गई।

राघव (गहरी सांस लेते हुए ) - मृत्युंजय…नेहा शायद किसी मैडिटेशन कैंप में है।  शायद वह कुछ पर्सनल चैलेंजेस से गुजर रही होगी, जिसका अंदाजा तुम्हें भी न हो।

में नेहा की तस्वीरें घूमने लगती है – उसके चेहरे का वह दर्द जो उसने कभी खुले तौर पर नहीं दिखाया, उसके चुपके से खोए हुए पल, और अब उसका बिना किसी को बताए इस मेडिटेशन कैंप में चले जाना। उसके दिल में सवाल उठता है, क्या वह सच में ठीक है? या फिर कुछ और है जो उसने कभी नहीं बताया?

वह याद करता है कि नेहा ने हमेशा अपने दर्द को छुपाने की कोशिश की थी। उसके चेहरे पर एक गहरी उदासी थी, जो वह किसी से नहीं साझा करती थी। कभी-कभी उसने अपने दुखों को छोटे-छोटे लम्हों में छिपाया था, और मृत्युंजय कभी उन्हें समझ नहीं पाया। अब उसे लगता है कि कहीं न कहीं वह नेहा को सही से समझ नहीं पाया।

उसके मन में यह भी सवाल उठता है कि क्या नेहा ने उसे कभी अपनी असल हालत बताने की कोशिश की थी? या उसने उसे बिना कहे ही सब कुछ छोड़ दिया था? उसे डर है कि कहीं उसने किसी ऐसे संकेत को नज़रअंदाज़ तो नहीं कर दिया, जो उसे समझने के लिए जरूरी था।

मृत्युंजय को लगता है कि अब वह नेहा के बिना अपने सवालों का जवाब नहीं पा सकता। उसकी यादें उसे हर पल घेरे रहती है, और वह जानने की कोशिश करता है कि क्या वह कभी नेहा के अंदर का सच जान पाया था।

मृत्युंजय: "मुझे वहाँ जाना पड़ेगा, राघव। मैं उसे वहाँ से खुद लेकर आऊँगा... अगर वह ठीक है तो,"

राघव ने उसके कंधे पर हाथ रखा,

राघव: “मैं तुम्हारे साथ हूं। पर तुम्हें संभाल के जाना होगा। शायद जो तुम सोच रहे हो, वह उतना आसान नहीं होगा।”

क्या मृत्युंजय सच में कैम्प में जाने की सोच रहा था? अगर मृत्युंजय इस कैंप में गया, तो नेहा और रोहित की कहानी पर क्या असर पड़ेगा? क्या मृत्युंजय नेहा को रोहित के साथ देख पाएगा? एक ओर जहाँ नेहा रोहित के साथ अपने पुराने पलों को याद कर कॉलेज का खूबसूरत टाइम गुजार रही थी, तो वहीं दूसरी ओर मृत्युंजय की टेंशन और नेहा को वापस लाने का वो जज़्बा उसकी आँखों में साफ झलक रहा था। क्या मृत्युंजय का वहाँ जाना, नेहा और रोहित की स्टोरी का "दिन एंड" होगा? आखिर, अब…क्या होगा?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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