राघव से बात करने के बाद और नेहा के बारे में बड़ी जानकारी हाथ लगने के बाद मृत्युंजय का मन मानो लगातार मचल रहा था। मृत्युंजय अब केवल नेहा को ढूंढना चाहता था। नेहा के अलावा उसका ध्यान अब कहीं नहीं लग रहा था। नेहा के साथ बिताए वो सारे पल अब उसके मन में मानो घर करने लग गए है। गिल्ट में मृत्युंजय न तो कुछ सोच पा रहा था और न ही कोई कदम उठा पा रहा था। इतनी देर में मृत्युंजय के पास कनिका का मैसेज पॉप अप हुआ।

कनिका ने अपने मैसेज में मृत्युंजय को लिखा था, "मुझे पता है तुम बहुत परेशान हो, लेकिन कम से कम इस वजह से ब्रेकफास्ट तो मत स्किप करो, प्लीज़ आ जाओ ब्रेकफास्ट कर लो।" कनिका का ये मैसेज देख मृत्युंजय थोड़ा इमोशनल हो जाता है। जब से नेहा गई है तब से कनिका ही मृत्युंजय का पूरा ध्यान रख रही थी। उसे क्या पसंद है, क्या नहीं, कब मृत्युंजय ठीक है या नहीं, रोना-हसना, हर एक चीज़ में कनिका उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हुई है। कनिका के इस मैसेज से मृत्युंजय को अपनी ऑस्ट्रेलिया ट्रिप वाली बात भी याद आती है। एक ओर वह नेहा के जाने के ग़म में है, तो दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया की बिज़नेस ट्रिप पर जाना भी मृत्युंजय के लिए बहुत ज़रूरी है।

इस प्रोजेक्ट में ऑस्ट्रेलिया की एक बड़ी कंपनी के साथ कोलैबरेशन का एक गोल्डन चांस था, और कनिका उसका पूरा सपोर्ट भी कर रही थी। वह मृत्युंजय की दोस्त भी थी और खुद भी एक समझदार बिज़नेस वुमेन थी, तो इस प्रोजेक्ट में उसका रोल बहुत ही इंपोर्टेंट था। लेकिन उसके दिल में एक और ख्वाहिश भी थी – वह चुपके से मृत्युंजय के करीब आना चाहती थी, बिना कुछ जाहिर किए।

कनिका के मैसेज के बाद मृत्युंजय रेडी होकर ब्रेकफास्ट करने पंहुचा। नीचे जाकर वो कनिका को ढूंढ़ने लगा। लेकिन कनिका उसे कहीं नहीं दिखी। मृत्युंजय ने अपने शेफ से ब्रेकफास्ट रेडी करने को कहा। तो शेफ ने कहा, "सर, आज मैंने नहीं, कनिका मैम ने आपके लिए ब्रेकफास्ट रेडी किया है।"

इतनी देर में कनिका खुद एंटीलिया हाउस पहुँचती है और मृत्युंजय उसे देख मुस्कुराने लगता है।

मृत्युंजय- आज फिर तुमने ब्रेकफास्ट बनाया ?

कनिका(हँसते हुए )- हाँ, क्यों ? मैं नहीं बना सकती ? मैंने सोचा तुम्हे सरप्राइज़ दिया जाए

मृत्युंजय(ब्रेकफास्ट देखते हुए मुस्कुराते हुए )- ये सब तो मेरे फेवरेट आइटम है। तुम्हे कैसे पता कि ये सब मुझे पसंद है ?

कनिका: "इतने सालों की दोस्ती है, कुछ तो पता होगा! और वैसे भी, तुम पर इतना स्ट्रेस है, थोड़ा रिलैक्स  करना भी जरूरी है।"

मृत्युंजय को खुश देख कनिका ऑस्ट्रेलिया प्रोजेक्ट को लेकर आइडियाज़ डिसकस करने लगती है। मृत्युंजय के प्वाइंट्स को कनिका सपोर्ट करने लगती है। कनिका का ये बर्ताव मृत्युंजय के लिए नोर्मल  नहीं था। लेकिन मृत्युंजय को ये सब देख कर खुशी होने लगी। उसे ऐसा लग रहा है कि नेहा नहीं है, लेकिन कनिका उसका पूरा सपोर्ट करने की कोशिश कर रही है। ब्रेकफास्ट करके दोनों ऑफिस के लिए निकलते है और अपने ऑस्ट्रेलिया प्रोजेक्ट के आइडियाज़ को कंबाइन करने की तैयारी शुरू करते है। लंच का वक्त होने वाला था, कनिका अपने केबिन में बैठी पूरे दिन बस यही सोचती रहती है कि आखिर मृत्युंजय को कैसे अपना बना ले। ये सोचते-सोचते, कनिका अपनी असिसटेंट को कहती है, “मृत्युंजय को लंच के लिए अपने केबिन में बुलाओ।”

जब मृत्युंजय लंच के लिए उसके केबिन में आता है, तो वह देखता है कि कनिका ने एक स्टाइलिश रिस्ट वॉच लपेटकर उसके लिए रखी है।

कनिका (मुस्कुराते हुए) : "जब मैंने ये देखा, तो मुझे तुम्हारी याद आयी। इसलिए मैंने सोचा कि ये तुम्हारे लिए परफेक्ट रहेगा। तुम्हारे बिज़ी शेड्यूल के लिए ये वॉच काफी यूज़फुल होगी। तुम्हारी मीटिंग कभी ख़त्म नहीं होती, इसलिए टाइम ट्रैक करने में मदद करेगी।"

मृत्युंजय थोड़ा इमोशनल हो जाता है और कनिका का शुक्रिया अदा करता है। उसके अंदर एक अजीब सा एहसास जागता है। उसे लगता है की पता नहीं वह कभी कनिका का चुका पाएगा या नहीं, लेकिन कनिका के साथ उसे एक अलग सा सुकून मिलता है। लंच के बाद कनिका और मृत्युंजय ने प्रेज़ेन्टेशन प्लान किया, जो ऑस्ट्रेलिया प्रोजेक्ट के नई डेवलेपमेंट्स के बारे में थी। यह प्रेज़ेंटेशन मृत्युंजय के सपने को आगे बढ़ाने का एक बड़ा कदम था, और कनिका इसे और भी खास बनाना चाहती थी। प्रेज़न्टैशन के दौरान वह मृत्युंजय के विज़न और उसके आइडियाज़ को हाइलाइट करती है, हर एक स्लाइड पर उसका नाम लेकर उसके काम की तारीफ करती है।

कनिका की कोशिश साफ थी, कि वह मृत्युंजय के करीब आने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसका तरीका थोड़ा नॉर्मल नहीं था। कभी उसे काम में इम्प्रेस करके तो कभी मृत्युंजय के साथ आडियाज़ शेयर करके। लेकिन वहीं, मृत्युंजय की सिचुऐशन थोड़ी उलझी हुई थी, क्योंकि वह कनिका का एहसानमंद था, उसे कनिका के इन इरादों के बारे मे अभी कोई आइडीया नहीं था। वह अपने जीवन के बड़े मुद्दों, जैसे नेहा में उलझा हुआ था, तो ऐसे में ये छोटे इशारे उसे अलग तरह से अफेक्ट करते थे। क्या मृत्युंजय कनिका को कभी उस तरह से देख पाएगा जैसे वह नेहा को देखता है?

मीटिंग के बाद मृत्युंजय अपने केबिन की ओर वापस जाता है। उसके मन में एक अलग सा सुकून था। अचानक उसे अपने दोस्त राघव का एक मैसेज दिखाई देता है। मैसेज पढ़ते ही मृत्युंजय के चेहरे पर टेंशन साफ नजर आने लगा।

उस मैसेज में लिखा था, "मृत्युंजय, अभी एक नई इंफॉर्मेशन मिली है। मेडिटेशन कैंप के आस-पास कुछ लोगों ने नेहा को किसी और के साथ देखा है – एक दूसरे आदमी के साथ। मुझे लगता है की हमें जल्दी से वहां पहुंचना होगा।"

मैसेज देखते ही मृत्युंजय के चेहरे का रंग उड़ जाता है।

मृत्युंजय: (खुद से) दूसरा आदमी?

मैसेज पढ़ते ही उसके मन में एक तूफान उठा। वो सोचने लगता है कि आखिर नेहा किसके साथ है? और क्या उसके वहां होने की कोई और वजह है? बहुत देर तक वो सोचता रहता है कि आखिर अब वह करे तो क्या करे। क्या मृत्युंजय को अब स्कंदगिरी हिल्स जाकर ही सारी सच्चाई पता लगेगी, या फिर किसी और रास्ते से वह नेहा के बारे में पता लगा सकता है?

इतनी ही देर में उसे अचानक याद आता है कि उसके पास नेहा की एक बेहद खास चीज़ है, नेहा की वो डायरी जो नेहा अपने सीने से लगा कर रखती थी। मृत्युंजय तुरंत उठकर इंटीलिया हाउस पहुँचता है और नेहा की अलमारी से वो डायरी निकालता है।

उसने डायरी का पहला पन्ना खोला। उस पर कुछ पुराने दिन की बातें थीं – उनका पहला सफर, कुछ स्वीट मेमोरीज़, और उनके शादी के दिन की कुछ हंसी-मजाक की बातें। मृत्युंजय को थोड़ा सुकून मिला, लेकिन इसके बाद के पन्ने उनके बीच के तनाव और मिसअंडरस्टैंडिंग से भरे हुए थे। नेहा ने लिखा था कि कैसे वह मृत्युंजय के ऐंबिशन्स को सपोर्ट करते-करते अपनी खुद की आइडेंटिटी को नेगलेक्ट कर रही थी। ये बातें मृत्युंजय के दिल में गिल्ट और अफसोस को और गहरा कर रही थीं।

तभी, एक और चीज़ ने उसका ध्यान खींच लिया। एक छोटा सा कागज़ का टुकड़ा डायरी के बीच में रखा हुआ था, पहले तो उसने उसपर ध्यान नहीं दिया। लेकिन फिर, उसने वह कागज़ उठाया और देखा, उसमें नेहा के किसी पुराने दोस्त की बातें थीं, कि वह उसको अब भी याद करती थी। मृत्युंजय का दिमाग काफी तेजी से काम कर रहा था। उसने तुरंत कैंप में कॉल किया।


मेडिटेशन कैंप के रिसेप्शन से किसी ने फोन उठाते ही कहा- “हेलो, स्कंदगिरी हिल्स मेडिटेशन कैम्प, कैसे मदद कर सकते है आपकी?”

मृत्युंजय (आराम से )-: “जी, मैं मृत्युंजय बोल रहा हूं। क्या आप मुझे बताएंगे कि मेडिटेशन सेंटर का हीलिंग चैंबर किस काम के लिए है? क्या ये पब्लिक ऐक्सेस के लिए है या किसी प्राइवेट पर्पज़ के लिए?”

सामने वाले ने कुछ पल रुक कर जवाब दिया “सर, मेडिटेशन  सेंटर एक प्राइवेट हीलिंग आश्रम है, जहां कुछ सेलेक्टेड मेंबर्स को स्पेशल परमिशन के साथ प्राइवेट आश्रम और काउंसलिंग दी जाती है। हमारे यहां काफी हाइप्रोफाइल लोग भी विज़िट करते है, तो confidentiality मेनटेन करना हमारे रूल्स का हिस्सा है। इस आश्रम में शामिल होने के लिए पहले ऐप्लिकेशन देनी पड़ती है। क्या आप किसी और के रेफरेंस से आये है?”

मृत्युंजय का मन और भी उलझन और परेशानी में चला गया। यह कौन सा आश्रम था, और नेहा वहां क्या कर रही थी? क्या उसका कोई प्राइवेट हीलर था जो उसे पर्सनल स्ट्रगल के लिए सेशंस दे रहा था? या फिर वह किसी और वजह से इस जगह से जुड़ी थी?

जब तक मृत्युंजय इस बातचीत को और डीटेल में समझने की कोशिश करता, उसका फोन फिर से बीप करने लगा।

राघव का एक और मैसेज था: "एक और चीज़ मिली है, मृत्युंजय। तुम्हारे बिना यह केस और पेचीदा लगने लगा है। शायद हमें कुछ ज़रूरी क्लूज़ वहां से मिले है। तुम्हें यहाँ आके मुझसे मिलना पड़ेगा।"

अब मृत्युंजय का मन और भी ज्यादा उलझ चुका था। उसने सोचा, "क्या नेहा का मेडिटेशन कैंप में जाना सिर्फ एक हीलिंग प्रोसेस था, या फिर इसके पीछे कुछ और ही कहानी छुपी हुई है?" उसे समझ में नहीं आ रहा था कि नेहा ने ऐसा फैसला क्यों लिया। क्या वह सच में खुद को ठीक करने के लिए वहाँ गई थी, या फिर उसके मन में कुछ और था?

मृत्युंजय के दिमाग में यह सवाल घूमता रहा कि अब उसे क्या करना चाहिए। क्या वह सीधे मैडिटेशन् कैंप जाकर नेहा से बात करेगा? क्या वह उसे वहाँ से मनाकर वापस ला पाएगा? या फिर शायद अब नेहा और उस आदमी, रोहित की कहानी का सच सामने आएगा? मृत्युंजय को यह समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर इस सब का क्या मतलब था।

वह सोचने लगा कि क्या उसे उस मैडिटेशन् कैंप में जाकर सब कुछ पूछना चाहिए, या फिर उसे इस मामले को छोड़ देना चाहिए। क्या नेहा सच में सिर्फ शांति पाने के लिए वहां गई थी, या फिर वह किसी और की तरफ़ अट्रैक्ट हो गई थी? मृत्युंजय का दिल और दिमाग लगातार यही सवाल पूछ रहे थे, और वह जानता था कि उसे कोई फैसला लेना होगा।

उसके मन में यह भी ख्याल आया कि शायद उस आदमी का नेहा की ज़िंदगी में कोई और खास जगह है। क्या वह वही आदमी था जिसे नेहा ने अपनी डायरी में ज़िक्र किया था? मृत्युंजय को यह सब समझने में बहुत परेशानी हो रही थी, क्योंकि हर सवाल का जवाब उसे और भी उलझा देता था।

अब मृत्युंजय को यह महसूस हो रहा था कि उसे किसी न किसी रास्ते पर तो चलना ही होगा। क्या वह अपनी पुरानी ज़िंदगी को छोड़कर नेहा के साथ एक नया रास्ता अपनाएगा, या फिर वह इस सबको छोड़कर अपने काम और जीवन पर ध्यान देगा? मृत्युंजय के दिमाग में यह सारी बातें चल रही थीं, और वह जानता था कि जल्द ही उसे किसी न किसी फैसले पर पहुँचना होगा।

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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