मृत्युंजय कैबिन में बैठा था, लेकिन उसका ध्यान कहीं और था। उसका मन लगातार नेहा के बारे में सोच रहा था। स्कंदगिरी हिल्स का निजी ध्यान शिविर और वहाँ नेहा का दूसरे आदमी के साथ होने का विचार उसे परेशान कर रहा था। हर एक पल में उसके दिमाग में यह सवाल घूम रहा था कि वह दूसरा आदमी कौन हो सकता है। उसने कई बार कोशिश की थी कि वह खुद को काम में व्यस्त रखे, लेकिन दिमाग़ में उलझन बढ़ती जा रही थी।
नेहा के साथ बिताए हुए पल उसे अब और ज़्यादा याद आ रहे थे। उसका ध्यान बार-बार उस डायरी पर जाता, जिसमें नेहा ने अपनी कुछ बातों का ज़िक्र किया था। क्या वह वही आदमी था, जिसका नाम उसने कभी अपनी डायरी में लिखा था? क्या वह उसका पुराना दोस्त था, जिसे उसने कभी उसके सामने लाकर नहीं रखा था? ये सारे सवाल मृत्युंजय को अंदर से परेशान कर रहे थे।
वह अपनी खिड़की से बाहर देखता और बाहर के नज़ारे को देखने की कोशिश करता, लेकिन उसकी आँखों के सामने सिर्फ वही सोचें आ रही थीं। वह जानता था कि यह समय नेहा के लिए शांति और ध्यान का था, लेकिन फिर भी उसके मन में यह सवाल था कि उस ध्यान शिविर में क्या कुछ और भी चल रहा था?
मृत्युंजय की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, वह समझ नहीं पा रहा था कि इस स्थिति में क्या करना चाहिए। वह यह नहीं समझ पा रहा था कि क्या उसे इस बारे में और जानने की कोशिश करनी चाहिए या फिर इसे ऐसे ही छोड़ देना चाहिए। उसके मन में अजीब सी घबराहट थी और उसे लग रहा था कि कुछ ऐसा था जो उसे जानना चाहिए, लेकिन फिर भी वह डर रहा था कि कहीं अगर उसने यह सब जान लिया तो उसकी और नेहा की ज़िंदगी में कुछ बदल न जाए।
वह खुद से सवाल कर रहा था, लेकिन उत्तर कहीं भी नहीं मिल रहे थे। हर सवाल उसके दिल और दिमाग में गूंज रहा था, और वही उलझन उसे अंदर से तोड़ रही थी।
उसने पहली बार महसूस किया कि उसने शायद नेहा के जज़्बातों को कभी उतना समझा ही नहीं जितना समझना चाहिए था। अब उसके दिल में यह डर था कि कहीं उसकी गलतफहमियों के चलते नेहा, उसकी पत्नी, उसका प्यार उससे दूर तो नहीं हो जाएगा। यह सब अब मृत्युंजय के लिए पहेली बनता जा रहा था।
वह डायरी के पन्नों को एक बार फिर देखता है, नेहा की लिखी बातें उसके ज़ेहन में घूमने लगती है – कैसे वह अपने आप को उस रिश्ते में नजरअंदाज महसूस करती थी। हर बात उसके गिल्ट को और गहरा करती जा रही थी।
मृत्युंजय (खुद से): “क्या नेहा मेरे पास वापस आएगी? कहीं मेरा प्यार मुझसे दूर तो नहीं हो गया? वह हर कदम में मेरे साथ थी, कैसे जीयूंगा मैं नेहा के बिना ?
इतने में, कनिका उसका चेहरा देखती है और उसकी परेशानी को तुरंत महसूस कर लेती है। वह घर में आई और उसके सामने एक चेयर पर बैठ गई।
कनिका (घबराई आवाज़ में) : "मृत्युंजय, तुम ठीक हो?"
कनिका ने धीमी आवाज में पूछा, जैसे वह उसके दिल की घबराहट को समझने की कोशिश कर रही हो। मृत्युंजय ने अपना सिर ऊपर उठाया, उसकी आँखों में एक छिपी हुई उदासी थी।
मृत्युंजय: "कनिका , मुझे लगता है कि मैं नेहा को खो दूँगा। उसका मुझसे दूर जाना... ये सोचना भी मेरे लिए बहुत मुश्किल है।"
कनिका मृत्युंजय की बात सुनते ही समझ गई कि फिर कुछ न कुछ बात मृत्युंजय को परेशान कर रही है, उसने मृत्युंजय के कंधे पर हाथ रखा।
कनिका : "मृत्युंजय, तुम ऐसे नेगेटिव थॉट्स क्यों ला रहे हो? तुम्हें नेहा से कितना प्यार है, यह सब जानते है – वो तुम्हारी ज़िन्दगी का सबसे अहम हिस्सा है और ये बात वह भी जानती है। तुम ये सब सोचकर डरो मत, भरोसा रखो वो ज़रूर आएगी।
कनिका के इन शब्दों ने मृत्युंजय को थोड़ा शांत कर दिया है। लेकिन डर का साया मृत्युंजय के चेहरे पर साफ दिख रहा है।
कनिका : "देखो, नेहा सिर्फ एक ब्रेक के लिए गई है, अपने माइंड को क्लियर करने के लिए। लेकिन अगर वो अकेली नहीं किसी और के साथ है तो इसका मतलब ?
कनिका की ये बात, मृत्युंजय के मन में एक शक पैदा कर रही है।
मृत्युंजय (डरते हुए बोला ): "तुम सही कह रही हो, लेकिन मुझे डर लगता है कि कहीं उसका स्पेस लेने का मतलब ये तो नहीं कि वो हमसे दूर होना चाहती है? अगर वो वहाँ किसी और के साथ..."
कनिका ने मृत्युंजय को तसल्ली दी, और उस वक्त मृत्युंजय को सबसे ज़्यादा इसी की जरूरत थी। उसने अपनी आँखें बंद करके एक गहरी साँस ली और कनिका की बातों को अपने दिमाग में बैठाने की कोशिश की। शायद यह ब्रेक नेहा और उसके रिश्ते के लिए एक नया मोड़ ला सकता है, और यह वक्त उसे इस बात का एहसास दिला रहा है की नेहा उसके लिए कितना मायने रखती है।
लेकिन मृत्युंजय का मन अब भी स्कंदगिरी हिल्स की तरफ़ ही लगा था, मृत्युंजय के दिल में नेहा को लेकर एक अजीब सी बेचैनी बढ़ने लगी है। उसके दिमाग में यह डर बढ़ता जा रहा था कि शायद नेहा उसे हमेशा के लिए दूर चली गई है।
स्कंदगिरी हिल्स का मेडिटेशन कैंप अब उसके लिए सिर्फ एक लोकेशन नहीं रह गया है, बल्कि उसके रिश्ते का वह मोड़ बन गया है, जहाँ उसका प्यार, उसका साथ उसके हाथ से फिसल रहा है। उसने अपने घर के एक कोने में अकेले बैठे हुए नेहा की डायरी के कुछ पन्नों को देखा, और हर पेज उसे गिल्ट और उदासी में डालते जा रही थी।
मृत्यंजय की हालत देख कनिका की टेंशन भी बढ़ रही है। उसको ऐसा लग रहा है कि कहीं नेहा की याद मृत्युंजय को कनिका से दूर न कर दे। वह दूर बैठे मृत्युंजय को देख रही है, लेकिन आखिर मृत्युंजय को कहे तो कहे भी क्या? आखिर कब तक मृत्युंजय को अपना बनाने की कोशिशों में लगी रहे। क्योंकि मृत्युंजय का ध्यान अब पूरी तरह से केवल नेहा और नेहा के उस कैंप में जाने पर लगा हुआ है। कनिका को अब यह डर सताने लगता है कि कहीं नेहा को ढूंढने के चलते मृत्युंजय ऑस्ट्रेलिया का प्लान न कैंसिल कर दे। यह सोचकर कनिका परेशान हो गई। इतनी देर में कनिका तुरंत मृत्युंजय के कमरे में ऑस्ट्रेलिया प्रोजेक्ट से जुड़ी कुछ फाइल्स लेकर आती है और मृत्युंजय को अप्रोव करने को कहती है। मृत्युंजय वो फाइल्स तो देख रहा है, लेकिन उसका ध्यान अभी भी पूरी तरह से काम में नहीं लग रहा है। यह देख कनिका थोड़ा ऑकवर्ड हो जाती है।
कनिका- मृत्युंजय, देखो मैं जानती हूँ तुम नेहा के ही बारे में सोच रहे हो। पर trust me नेहा ठीक होगी। अभी के लिए प्लीज़ इन फाइल्स को देख लो। ऑस्ट्रेलिया प्रोजेक्ट हम दोनों के लिए बहुत ज़रूरी है।
मृत्यंजय कनिका की बात सुनकर ये समझ रहा था की वो उसे समझाने की कोशिश कर रही है। उसने कनिका का हाथ अपने दोनों हाथों में ले लिया।
मृत्युंजय - “शायद तुम सही कह रही हो, कनिका। मुझे अभी थोड़ा अपने आप को संभालने की ज़रूरत है।”
कनिका के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान थी, और उनके बीच की खामोशी भी उन्हे अच्छी लग रही थी। मृत्युंजय के दिल में पहली बार कनिका के लिए कुछ और था – एक ऐसा एहसास जो उसके दिल को छु रहा था। मृत्युंजय का दिल अब भी नेहा के लिए बेचैन था, लेकिन इस समय कनिका की तसल्ली उसके जज़्बातों को और गहराई में खींच रही थी।
उधर ऑफिस में काफी हलचल हो रही है, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया बिजनेस ट्रिप की फाइनल तैयारियाँ चल रही थीं। मृत्युंजय ने अपना फैसला पक्का कर लिया है कि वह जाएगा, और कनिका, अपनी यूज़ुअल कामनेस के साथ, यह तय कर रही थी कि सब कुछ परफेक्ट हो। उसके लिए यह सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं था; यह मृत्युंजय के साथ वक्त बिताने का एक मौका था, उसके करीब जाने का और शायद उसे यह दिखाने का कि वह उसके लिए कितनी इंपोर्टेंट है।
कनिका अपने डेस्क पर बैठी थी, लैपटॉप और ट्रिप की डीटेल्स सामने फैले हुए है। उसकी नज़रें डॉक्युमेंट्स और मृत्युंजय के कैबिन के दरवाज़े के बीच इधर-उधर जा रही थीं। उसके दिल में उम्मीद थी—अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक हुआ, तो यह ट्रिप वह टर्निंग प्वाइंट हो सकता है जिसका वह इंतज़ार कर रही थी।
मृत्यंजय भी तैयारियों में लगा हुआ था, उसके मैनेजर मिस्टर शर्मा उसके केबिन के लगातार चक्कर लगा रहे थे, लेकिन उसका दिमाग़ बंटा हुआ था। वह अब भी नेहा के बारे में सोच रहा था, लेकिन उसे पता था कि यह ट्रिप बिज़नेस और ऑस्ट्रेलिया वेंचर फ्यूचर के लिए बहुत ज़रूरी है।
मिस्टर. शर्मा के सारी डीटेल्स समझाने के बाद मृत्युंजय ने कहा:
मृत्युंजय: “गुड, मिस्टर शर्मा। ध्यान रहे की सब स्मूथली होना चाहिए। कनिका और मैं कंपनी को रिप्रेजेंट करेंगे, तो कोई कमी नहीं रहनी चाहिए।”
एक कोने में बैठी कनिका यह सब देख रही थी, जैसे ऑफिस की हलचल में एक ठंडक लेकर आ रही हो। उसने मृत्युंजय की तरफ़ देखा और एक कॉन्फिडेंट स्माइल के साथ कहा,
कणिका - “डोंट वरी, मृत्युंजय। सब कुछ कंट्रोल में है।”
मृत्यंजय की नज़रें कुछ नरम हो गईं; कनिका की शांति और प्रोफेश्नलिज़म ने उसे कुछ सुकून दिया।
मृत्यंजय (थोड़ी relaxed tone में) - “थैंक्स, कनिका। मैं तुम पर काउंट कर रहा हूँ कि सब कुछ ठीक रहे,”
जैसे-जैसे दिन गुजर रहे है, ऑफिस में काम और तेज़ हो रहा है।—ऑफिस स्टाफ इधर-उधर भाग रहे थे, कुछ प्रेज़ेंटेशन्स तैयार कर रहे थे और कुछ फाइनल टिकट बुक कर रहे थे। कनिका और मृत्युंजय, दोनों मिस्टर. शर्मा के साथ मिलकर ट्रिप के हर डीटेल को रिव्यू कर रहे थे। उनके बीच अब एक साइलेंट अंडरस्टैंडिंग हो चुकी थी।
दिन बीता, पूरा ऑफिस अपनी चीज़ें फाइनल कर चुका है और ऑस्ट्रेलिया जाने की तैयारियों में जुटा हुआ है, तब अचानक कनिका ने मृत्युंजय की ओर देखा और कुछ कहने की कोशिश की। कहीं न कहीं कनिका अब कोशिश कर रही थी कि मृत्युंजय को अपनी फीलिंग्स कन्फैस कर दे। लेकिन एक ओर मृत्युंजय है, जो हाथ में फाइल लिए बहुत बिजी था। कनिका उठी और उसके हाथ से फाइल ले कर एक कोने में रख दी।
यह देख मृत्युंजय थोड़ा अजीब लगा, लेकिन मृत्युंजय की नज़रें लगातार कनिका पर ही टिकी हुई थीं। मानो वह भी कुछ कनिका को कहना चाहता हो। क्या कनिका मृत्युंजय के इतने करीब जाकर, अपनी फीलिंग्स कन्फेस कर पाएगी? क्या मृत्युंजय नेहा की जगह कनिका को कभी दे पाएगा?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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