रोहन कंचन को घर छोड़कर अस्पताल वापस आ गया था। दिन में हेमलता ने रोहन से ज़्यादा बातें नहीं की। उन्होंने हमेशा की तरह अपने जज़्बातों को दिल में दबा लिया था। रोहन के पापा योगेश के गायब होने के बाद हेमलता की ज़िंदगी में बहुत कुछ बदल गया था। वो उस रात को कभी नहीं भूल पाई जिस रात योगेश और हेमलता में बहुत बड़ा झगड़ा हुआ था। योगेश ने रोहन के स्कूल की फ़ीस नहीं जमा की थी। झगड़ा इस बात से शुरू हुआ और पल भर में कई और मुद्दों को लेकर बात आगे बढ़ती गई। झगड़े का आकार बढ़ता गया और बात हद से आगे बढ़ गई थी। हेमलता ने योगेश को साफ़-साफ़ कह दिया वो उसके साथ नहीं रहना चाहती थी। वो नहीं चाहती कि योगेश की वजह से रोहन की ज़िंदगी ख़राब हो। पढ़ी-लिखी और समझदार हेमलता, रोहन की ज़िंदगी को ख़राब नहीं होने देंगी। यह सुनते ही योगेश अपने गुस्से को कंट्रोल नहीं कर पाया और हेमलता पर हाथ उठा दिया। रोहन यह सब कुहह देख रहा था। उस एक थप्पड़ के बाद, पूरे घर में सन्नाटा छा गया, मानो थप्पड़ कि गूंज पूरे घर में फैल गया हो। इसके बाद, किसी ने कुछ नहीं कहा। सुबह रोहन को स्कूल छोड़ने के लिए हेमलता उठी तो घर में योगेश नहीं थे। उसने सोचा कि वॉक करने गए होंगे। ऐसा नहीं था कि हेमलता और योगेश के बीच पहले लड़ाई नहीं हुई थी लेकिन कभी भी योगेश ने हेमलता पर हाथ नहीं उठाया था।  

 

हेमलता और योगेश की लव मैरिज थी। कॉलेज में ही दोनों को प्यार हुआ था। हेमलता के घरवाले बहुत बड़े लोग थे और योगेश ठहरा मिडिल क्लास फैमिली का… रिश्ता बराबरी का कहां था? हेमलता तो प्यार के सहारे अपनी दुनिया बसाना चाहती थी। योगेश भी उसे दिल-ओ-जान से चाहता था। हेमलता ने कॉलेज से निकलने के बाद घरवालों के खिलाफ़ जाकर योगेश से शादी कर ली। शादी के कुछ साल तक सब अच्छा रहा। हेमलता और योगेश दोनों बहुत खुश थे - एक दूसरे के साथ और अपने वैवाहिक जीवन के साथ। इसी खुशी के चलते, उन दोनों के जीवन में रोहन आया। रोहन के आने से उनको ऐसा लगा कि जैसे पारिवारिक तस्वीर बिल्कुल कम्प्लीट हो गई हो।  

ऐसा माना जाता है कि खुशियों की ज़िंदगी बहुत सीमित होती है। वह ज़्यादा टिकते नहीं हैं। योगेश की अचानक नौकरी चली गई। सेविंग्स के सहारे घर चलता रहा, पर एक न एक दिन तो जमा पूंजी को खत्म होना ही होता है। आखिर कब तक चलता ऐसा?  

 

 

हेमलता - योगेश तुम कोई दूसरी नौकरी क्यों नहीं ढूंढ़ लेते? औरों की भी नौकरियाँ जातीं हैं, पर फिर वो कोई दूसरी नौकरी पकड़ लेते हैं। ऐसा क्यों है कि तुमको छोड़ कर बाकी सबको नौकरियाँ मिल जातीं हैं? ऐसे कैसे घर चलेगा कभी सोचा है तुमने?? कुछ बोलो भी योगेश, ऐसे चुप मत रहो! तुमने कुछ तो सोच होगा? मैं क्या करूं अभी, बताओ? घर के खर्चे, रोहन की पढ़ाई सब कैसे मैनेज होगा??? कभी सोचा है??

 

हेमलता और योगेश के बीच रोज़ इसी तरह के झगड़े होते और योगेश घर से बाहर निकल जाता। हेमलता जैसे-तैसे घर चला रही थी। योगेश भी घर की जिम्मेदारियाँ उठान चाहता था लेकिन क़िस्मत उसका साथ नहीं दे रही थी। जिस काम को वो करता उसमें उसे नाकामयाबी ही मिलती। योगेश ने अपने दर्द को छुपाना शुरू कर दिया था। एक ही छत के नीचे रहते हुए भी योगेश ने हेमलता से कुछ नहीं कहा। उसको भी ऐसा लगा कि अब योगेश पूरी तरह से बदल चुके हैं... न तो उन्हें उसकी की परवाह थी और न ही अपने बच्चे रोहन से प्यार। सच्चाई बेशक़ कुछ और ही थी, पर दिख कुछ और ही रहा था।  अपनी असफलता का दर्द लिए योगेश सड़कों पर भटकता रहा। अपने बच्चे से दूर होने की तकलीफ़ और पत्नी की नज़रों में गिर जाने का डर योगेश को पल-पल कमज़ोर बना रहा था। इधर घर के हालत बिगड़ते जा रहे थे। घर के खर्चे, रोहन की पढ़ाई, पहले हेमलता ने अपने गहने बेचे लेकिन उससे कोई रास्ता नहीं निकल पाया। इसके बाद हेमलता ने घर में ट्यूशन पढ़ाना भी शुरू कर दिया था पर ट्यूशन की कमाई से घर-संसार चलाने के लिए पर्याप्त नहीं थे।  हेमलता खुद्दार थी। उसने कभी अपने घर वालों से मदद नहीं माँगी। अगर उसने योगेश के साथ जीवन में चलने का फ़ैसला लिया था तो हर हाल में उसके साथ चलेगी। दिन बीते और अचानक एक दिन योगेश ने 25,000 रुपए हेमलता को देते हुए कहा, इन्हें रख लो। कई महिनों के बाद योगेश घर में पैसे लेकर आया था… वो भी पूरे 25,000 रुपए!

 

 

हेमलता - कहाँ से कए हो यह पैसे?  

 

योगेश ने कुछ कहा। या यों कहें कि उससे कुछ कहा नहीं गया। इसस खामोशी से हेमलता बिल्कुल खुश नहीं थी।  

 

हेमलता: मैं तुमसे कुछ पूछ रही हूं? कहां से लाए हो इतने सारे पैसे???

 

 

योगेश ने हल्के हिचकिचाहट के साथ कहा कि उसने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर एक काम शुरू किया है, वहीं से लेकर आया है ये पैसे।  यह सुनकर हेमलता को तसल्ली हुई, चलो! योगेश ने काम करना शुरू तो किया…

 

हेमलता - देखो योगेश, मैं तुमसे जिस तरह से पेश आती हूं, यह मुझे अच्छा नहीं लगता… आई रिएली लव यू बट रोहन की ज़िंदगी का सवाल है इसलिए मैं चुप नहीं बैठ सकती… समझ रहे हो, न?  

 

काफ़ी दिनों बाद दोनों के बीच का अदृश्य फ़ासला कुछ कम होने लगा था। हेमलता फिर से खुश रहने लगी थी… लेकिन हेमलता की खुशी ज़्यादा दिनों तक टिकी नहीं। योगेश ने पैसे देने बंद कर दिए, बल्कि अब तो वो हेमलता से ही पैसे मांगने लगा था। हेमलता पूछती थी कि पैसे किस लिए चाहिए तो वो बिज़नेस में घाटा हो रहा कहकर बहाना बना देता। कुछ दिनों तक हेमलता पैसे देती रही लेकिन जब पैसे खत्म होने लगे तो दोनों के बीच फिर से तनाव पैदा हो गए। घर का माहौल अब और बिगड़ने लगा था। इन सब बातों का असर रोहन पर पड़ने लगा था। रोहन अकेला पड़ गया था। घर की लड़ाई बाहर तक पहुंच गई थी… और आस पड़ोस के लोग तरह-तरह की बातें करते। इस वजह से हेमलता ने रोहन को बाहर जाने से मना कर दिया था। स्कूल से आने के बाद रोहन घर पर ही रहता, यहाँ तक उसने अपने दोस्तों से मिलना भी बंद कर दिया था। हेमलता के परिवार को किसी की नज़र लग गई थी। घर की हालत दिन-ब-दिन ख़राब होती चली गई। रोज़ झगड़े होते और अब बात यहां तक पहुंच गई कि योगेश ने हेमलता पर हाथ उठा दिया था। रोहन स्कूल से वापस आ चुका था लेकिन योगेश का कुछ पता नहीं था। शाम हो गई और जब रात के 12 बजे तो हेमलता को घबराहट हुई क्योंकि दोनों के बीच कितनी भी लड़ाई क्यूं न हो, योगेश रात के 9 बजे तक घर लौट आते थे। आज पहली बार रात के 12 बजे तक योगेश का अता-पता नहीं था। रोहन सो रहा था और बालकनी में खड़ी हेमलता योगेश का इंतज़ार करती रही थी। सुबह होते ही उसने घरवालों को इसके बारे में बताया… सब पुलिस स्टेशन पहुंच गए। गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई गई।  दिन हफ्तों में, हफ़्ते महिनों में और महीने सालों में बदलते चले गए लेकिन योगेश कभी नहीं लौटा। कहाँ है योगेश? ज़िंदा भी है या नहीं?? हेमलता खुद को कोसती रही कि अगर उस रात वो योगेश से नहीं झगड़ती तो वह आज यहीं होता, जींदा होता…हेमलता अतीत के पन्ने पलट ही रही थी कि तभी रोहन ने हेमलता से कहा….

 

 

रोहन - मां रो क्यूं रही हो?? तुम्हें कुछ नहीं होगा?? तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगी… तुम्हारे बेटे के पास बहुत पैसा है, टेंशन मत लो…

 

हेमलता कहती भी तो क्या?? अपने पति योगेश के लिए उनका प्यार कभी कम नहीं हुआ था लेकिन ये भी तो सच है कि ज़िंदगी सिर्फ़ प्यार के सहारे नहीं चलती। यही सवाल तो हेमलता ने अपने पति योगेश से पूछा था… उसके सवालों ने तो योगेश को हमेशा के लिए छीन लिया था। क्या फिर से उसके अन्दर का सवाल उसके बेटे से दूर कर देगा??? हेमलता ने मन ही मन सोच लिया था कि वह चुप रहेगी! उनका चुप रहना ही ठीक होगा। हेमलता अपने अतीत के सारे दर्द कुरेद रही थी। अपने आँखों से आँसू पोंछते हुए हेमलता ने अपने आप को अतीत से वर्तमान में लाते हुए रोहन से कहा…

 

हेमलता - मुझे घर वापस जाना है…

 

रोहन - डॉक्टर ने कहा है कल तुम्हें हॉस्पिटल से छुट्टी मिल जाएगी फिर चलेंगे हम…

 

हेमलता  - मैं तेरे घर की बात नहीं कर रही हूं, मैं अपने घर वापस जाना चाहती हूंI

 

रोहन - क्यूं क्या हुआ??? तुम्हें मेरे साथ अच्छा नहीं लग रहा?

 

हेमलता - किस मां को अपने बेटे के साथ अच्छा नहीं लगेगा? पर ज़रा कंचन के बारे में सोच… जवान लड़की है..उसे अपने घर में इस तरह रखना ठीक नहीं है।  

 

 

रोहन थोड़ी देर तक चुप रहा… वो समझ समझ रहा था कि हेमलता क्या कहना चाह रही थी और वो सही भी थी। एक जवान खुबसूरत लड़की का इस तरह सबके साथ रहना ठीक नहीं…

 

 

रोहन - ठीक है मां जैसे तुम कहो… लेकिन पहले घर चलते हैं। फिर डिसाइड करेंगे क्या करना है???

 

 

उस वक्त तक कंचन भी वहां आ चुकी थी उसे समझ आ चुका था कि हेमलता क्या कहना चाह रही थी। तभी कंचन ने कहा

 

 

कंचन  - क्या आंटी… आप इस तरह करेंगी तो मैं आपके साथ नहीं रहने वाली बाबा! मैं तो डर ही गई थी वो तो बबलू साथ था…

 

 

कंचन यह कहते-कहते अचानक से रुक गई, शायद वो भी हेमलता को अपने साथ वापस ले जाने की बात कर रही थी और कहीं न कहीं रोहन कि माँ भी यही सोच रही थी कि वो अपने शहर वापस चली जाएँ।  

 

क्या हेमलता के सवालों से होगा रोहन का सामना?  

क्या हेमलता को पता चल जाएगी रोहन की सच्चाई ?  

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