प्रकाश जी की बात सुनते ही सविता जी गुस्से से बरस पड़ी - "क्या बोले आप?"
पिहू धीरे से - "पापा तो गए, शेर के मुंह में हाथ दे डाला।"
अयाना - "हम्म बट शेर नहीं शेरनी, मामी को छेड़ दिया" और दोनों हंसने लगी।
तभी प्रकाश जी हल्का सा मुस्कुराते बोले - "वो मैंने ये कहा कि फिक्र मत कीजिए मिश्राईन जी हम आपको जेल में चक्की पीसने नहीं देगें, है ना अयू पिहू!"
अयाना सविता जी के पीछे से गले लगते हुए - "हां, ना चक्की पीसने देगें और ना ही वहां का वो बिना मसाले वाला खाना खाने देगें, सुना है बिल्कुल नमक मिर्च नहीं होता है (सोचने की एक्टिंग करते हुऐ) मामी जी कैसे खा पाएंगें?"
पिहू - "हां बेस्वाद होता है गले से नीचे भी नहीं उतरेगा, मम्मी चटोरी है ना और मच्छर भी कितने होते है वहां, मम्मी को नींद कितनी प्यारी है, वहां तो ये सो भी नहीं पाएंगें सोचो?"
प्रकाश जी - "और क्या सच में, तो हमें ना जेल, उस खाने और मच्छरों से इनको हर हाल में बचाना ही होगा।"
अयाना सविता जी के कंधे पर मुस्कुराते अपना चेहरा टिकाते - "हां हम बचा लेगें क्योकि हम सविता जी से बहुत प्यार करते है और ये हमसे…"
पिहू भी सविता जी को साइड से हग करते हुए - "मम्मी जेल में कैदी बनकर नहीं....हमारे घर की थानेदारनी बनी ही अच्छी लगते है हम रह नहीं पाएगें इनके बिना!"
तभी सविता जी तीनों की ओर बड़ी बड़ी आखें कर खाने वाली नजर से देखती है और दूजे ही पल सब हंस पड़ते है और एक साथ गले लग जाते है।
पिहू प्रकाश जी अभी भी सविता जी को छेड़ रहे थे अयाना उनकी ओर देखते मन ही मन खुद से कहती है - "सब हंसते मुस्कुराते हुए कितने प्यारे लगते है, मानों कुछ हुआ ना हो, बस इसी हंसी खुशी के लिए मुझे जल्द कोई रास्ता ढूंढना होगा जो मेरा परिवार ऐसे ही हमेशा बेफिक्र, मुस्कुराता रहे।"
तभी अयाना के पीछे से आवाज आई - “अयाना मिश्रा?”
जैसे ही पीछे से आवाज आई तो अयाना के साथ सबकी नजर दरवाजे (घर का मेन डोर खुला था) की ओर चली जाती है जहां पर अनुज अपनी पेंट की जेब में हाथ डाले खड़ा था, अनुज की ओर देख अयाना ने अपने परिवार की ओर देखा जो एक दूसरे की ओर हैरानी से देख रहे थे, अभी जो सभी खुश थे पल भर में ही उनके माथे पर परेशानी की लकीरें चली आती है।
अयाना ने वापस अनुज की ओर देखा तो अनुज बोला - "अंदर आ जाऊं?"
अयाना - "आइए ना वैसे भी आपको तो शौंक है बिना किसी की मर्जी के उनकी लाईफ में घूसने की…"
अनुज अंदर आते हुए - "ताना दे रही है क्या आप हमें!"
अयाना मुस्कुराते हुए - "डोंट वेरी ये आपके लिए नहीं था।"
अनुज - "इट्स मीन ताना ही था!"
अयाना - "इसमें आपकी कोई गलती नहीं है, संगत का असर होना लाजमी है, हमें तो लगा था आप में इंसानियत है आप हमारा अच्छा ही चाहते है पर आपने वहीं किया.…जो आपके बॉस ने आपसे करने को कहा चाहे फिर वो गलत ही क्यों ना हो जिसके चलते आपने अपनी अच्छाई भी साइड में रख दी खैर आइए बैठिए। कुछ लेगें आप अरे नहीं नहीं, अब थोड़ा संगत का असर है तो फिर आदतों का भी होगा ना, आप थोड़ी हमारे यहां बैठेगें, इस मामूली सी कुर्सियो पर, आप तो अकेले के लिए पूरा कैफे, होटल बुक करने वालों में से है जहां सब हाई फाई हो…हमारे यहां की सस्ती सी चाय थोड़ी पीएंगें, आप तो मंहगी कॉफी, मिनर्ल वॉटर पीने वाले लोग है, राईट!"
ये सुन अनुज हंस पड़ता है - "कमाल है अयाना जी वाकई में आप बातें बहुत कमाल की करती है, सुना भी देती है और आगे वाले को पता भी नहीं चलता ताना मार रही है या यू हीं बोल रही है।"
अयाना - "सच ही कहा है खैर कैसे आना हुआ आपका यहां?"
अनुज - "आप फोन नहीं उठा रही थी माहिर खन्ना का तो मुझे यहां आना ही पड़ा, वो आप से बात करना चाहते है वेट मैं कॉल करता हूं उन्हें"
इतना कह अनुज अपना फोन निकालने ही लगा कि तभी अयाना हंस पड़ी…अनुज उसकी ओर हैरानी से देखता है - "व्हाट हेपन?"
अयाना - "आप फोन पर बात करवाने के लिए मेरे घर तक चले आए?"
अनुज - "अब उनके काम मैं ही देखता हूं यू नो, तो बस आना ही पड़ा.…ताकि वो आपसे बात कर सके।"
अयाना - "हमें नहीं करनी, आप जा (दरवाजे की ओर हाथ से इशारा करते) सकते है और हां आगे से यहां मत आइएगा।"
अनुज - "मैने तो सोचा था आप ने अबतक अपना मन बदल लिया होगा, आप नहीं जानती आप नहीं मानेगी तो आपके लिए प्रोब्लम बढ़ जाएगी।
अयाना - "मौसम नहीं हूं जो बदल जाऊं और ना ही आपके बॉस में इतनी हिम्मत है जो मुझे बदल सके, बढ़ा लीजिए जितनी प्रोब्लम बढ़ानी है और हां जाकर कह दीजिए अपने बॉस द ग्रेट माहिर खन्ना से अयाना मिश्रा बदलने वालों में से नहीं है अब भी मेरा इरादा वहीं है, आपके यहां ना काम करने का!"
अनुज सबकी ओर देखते - "आप सब क्यों अपने लिए और मुसीबत बढ़ा रहे है, सब जानते एऐ भी कि माहिर खन्ना कुछ भी कर सकते है आप उन्हें कुछ और करने पर क्यों मजबूर कर रहे है मान जाओ अयाना मिश्रा"
अयाना कुछ कह पाती कि तभी प्रकाश जी बोल पड़े - "मैने सुना है आप मैनैजर है.…मैनेजर का काम क्या होता है पता है ना, आप अपने बॉस को समझाने की जगह हमें समझा रहे है, नहीं मानेगें, नहीं करेगी मेरी बेटी आपके यहां पर काम दट्स इट!"
अयाना - “रहने दीजिए मामा जी ये ऐसे मैनेजर है इनके बॉस गलत भी करेगें.....तब भी ये साथ उनका ही देगें, हो रही डील को लेकर ये फायदे नुकसान बता सकते है किसी के ट्रीट को लेकर नहींं, वैसे भी इनका दोष नहीं है अपने बॉस के आर्डर मान रहे है ये, उनके अकोर्डिंग सब काम मैनेज करते है राईट क्योकि वो बॉस है (एक पल रूककर) आप जा सकते है और हां मेरी ना है, आप जाकर बता दीजिए माहिर खन्ना को!”
अनुज अयाना की ओर आते - "बिना बात कराये नहीं जा सकता, लीजिए बात कीजिए...फोन की रिंग जा रही थी....अयाना अनुज को फिर मना करती है पर अनुज नहीं माना? "बात करनी ही पड़ेगी"....अनुज ने फोन की ओर इशारा करते कहा कि तभी अयाना अनुज के हाथ से फोन लेकर जोर से जमीन पर फैंक देती है - "उप्स ये तो टूट गया, कितने का था, मंहगा होगा ना चलो कोई बात नहीं जो दस लाख रूपये आपने दिए है उनमें एड कर लेना इसका भी, और हां उनका ब्याज भी बना लेना, मैं जल्द आपके वो सारे पैसे चुका दूंगी, ओके अब शराफत से आप (दरवाजे की ओर फिर हाथ करते हुऐ) जाइए।"
अनुज -"ये आप सही नहीं कर रही है, ऐसे कर के आप अपने लिए नयी आफत मोल ले रही है।"
अयाना हाथ बांधते हुऐ - "आफत से तो पाला पड़ चुका है, अब तो उससे छूटने की बारी है...जाइए जाइए आपके बॉस परेशान हो रहे होगें। उनका कॉल आप उठा नहीं पाएंगें फिर आपके लिए ही मुसीबत हो जाएगी….जल्दी उनके पास पहुंचे, सुना है माहिर खन्ना को वेट करने की आदत नहीं जल्दी जाइए भागिए।"
अनुज - "वो किसी भी हद तक जा सकते है।"
अयाना - "हम देख लेगें कितना गिर सकते है वो, उनको हमारा एक ये भी मैसेज दे देना कि उनके बिजनेस की कोई डील नहीं है और ना ही उनके शौंक की कोई चीज है हम जो वो चाहे और पा ले, अयाना मिश्रा है हम जो कि उनके चाहने और मिलने वालों में नहीं।"
ये सुन अनुज अपने कदम पीछे लेता है और वहां से उसी वक्त चला जाता है, अयाना दरवाजे की ओर देख रही थी तभी पिहू बोली - "वाव दी क्या स्टाइल था आपका, क्या जवाब दिया आपने उनकी बात का।"
अयाना पिहू की ओर देखते - "सच को कभी भी नजरें झुकाकर नहीं नजरों से नजरें मिलाकर ही बात करनी चाहिए, आगे वाले को पता भी नहीं चलना चाहिए पिहू हम उनसे डर गए है या फिर कमजोर पड़ गए है, इससे उनकी हिम्मत और बढ़ जाती है जिससे वो खुद को वीनर और हमें लूजर समझ लेते है और बिना फाइट लड़े, खुद को लूजर तो नहीं बनने दे सकते है ना….पता नहीं लगने देना है उनको कि हमारी तैयारी कैसी है और हमनें अभी तैयारी शुरू भी नहीं है, राईट (प्रकाश जी से) मामा जी!
प्रकाश जी - "हां अब उसे भी पता चलेगा जिनसे वो उलझ रहे है वो उनकी टक्कर की है, और हम आखिर तक लड़ेगे जितनी हिम्मत है हम में, हम कोशिश किए बिना हार नहीं मानेगें बेटा!"
पिहू - "हम्म लाइक एंड तक गेम में बने रहेंगे आई होप हम ही वीनर हो, बट अयू दी आपने तो उनका फोन भी तोड़ दिया?"
अयाना - "यार गुस्सा आ गया था वो जिद्द कर रहे थे।"
तभी सविता जी बोली - "हो गया तुम सबका, क्या टक्कर का बोल रहे है आप, क्या हम उनके टक्कर के हैं भी, वो बहुत पैसे वाले है, खेल भी उनका और जीत भी उनकी ही होनी है। भगवान जाने वो अब क्या करेगें, कौन सी और मुसीबत आने वाली है, इतना खुश होने की जरूरत नहीं है कोई युद्ध जीत नहीं लिया है, बड़े तेवर से बात की है अयाना तुमने उनसें, हमारी औकात वो भी जानते है कि हम इतनी जल्दी उनके पैसे नहीं लौटा पाएंगें। क्यों समस्या बढ़ा रहे हो और तो और ब्याज का भी बोल दिया, और ये फोन भी तोड़ दिया (जमीन पर पड़े फोन के टूटे टुकड़ो की ओर देख) जोड़ लेना क्या जोड़ लेना, सूद तो दूर की बात हम मूल भी ना चुका पाएंगें उनका, आ बेल मुझे मारने वाले काम कर रहे हो आप लोग।"
प्रकाश जी - “बेल तो आप ही लेकर आई थी, हम तो बस काबू करना चाह रहे थे।”
सविता जी - "पर उस बेल को तो आपकी लाड़ली पहले ही छेड़ चुकी थी, न जाने कब? जो अब वो भड़का हुआ है।"
पिहू - "बेल कौन?"
अयाना - "माहिर खन्ना की बात कर रहे है, जो कि लाईक बेल बुद्धि रियेक्ट कर रहा है।"
सविता जी चेयर पर जाकर बैठ गयी और अपना सिर पकड़ते हुए बोली - "जो हो रहा है ना ठीक नही हो रहा है तैयार रहो, आता होगा नये स्यापे का बुलावा।"
तभी अयाना उनके पास आई और उनके कंधे पर अपना हाथ रखते हुए बोली - "हम तैयार है और आप क्यों परेशान हो रही हो मामी जी!"
सविता जी उसकी ओर देखते - "तो क्या करे हम बताओ....अब तुम उनकी बात तो मानोगी नहीं तुम्हारे मामा जी की शह भी तो मिल गयी है तुम्हें हम तो कुछ कहने से रहे पर समझ नहीं आ रहा तुम मना क्यों कर रही हो, हमें बताओ तो सही क्या काम करना चाहते है वो?"
ये सुन अयाना इधर उधर देखते हुए बोली - "हमें नहीं पता।"
सविता जी - "तो क्यों मना कर रही है?"
अयाना फट से - "वो इंसान हमें पंसद नहीं!"
सविता जी - "लो जहां काम करना है वो भी पंसद का नहीं है इसलिए काम नहीं करना है, सलमान खान के यहां काम नहीं मिलने वाला है अब तुम्हें समझी?"
तभी पिहू बोल पड़ी - "अयू दी वहां फिर भी कर लेगें पर माहिर खन्ना के यहां नहीं करेगें मम्मी!"
अयाना पिहू से - "चुप कर और सविता जी का हाथ अपने हाथ में लेते हुए - "उस बारें में हम कुछ नहीं कह पाएंगें मामी जी पर हां ये वादा है अपने इस परिवार पर हम कोई मुसीबत नहीं आने देगें, आगे हम ढाल बनकर खड़े है....आप चिंता मत कीजिए माहिर खन्ना मेरे रहते आप सबको एक खरोंच भी नहीं दे पाएंगें, कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाने देगें, बस इतना सा यकीन रखिए हम पर प्लीज। अब चाहे अंजाम जो भी हो मैं उस माहिर खन्ना का सामना करूंगी जरूरी करूंगी!"
सविता जी मुस्कुराते हुए - "अच्छा, तो अब आप क्या करने वाली हो अयाना जी वो भी बता दो?"
अयाना हल्का सा मुस्कुराते हुए- "वो तो हम देख लेगें फिलहाल आप जाकर हल्वा बनाएइ और मामा जी आप जाकर मिठाई-आईसक्रीम लेकर आएइ, और हम देखते है बाकि के इंतजाम, आज पार्टी जो होगी हमारी पिहू के सैंकड ईअर का रिजल्ट जो आने वाला है आप सब भूल गये क्या?"
तभी पिहू अयाना के चेहरे की ओर देखते अपना सिर खुझाते बोली - "सब क्या दी मैं भी भूल गयी, और सिर्फ दो घंटे ही बचे है मेरे रिजल्ट के आने में!"
अयाना पिहू का चश्मा ठीक करते हुए - "पर मुझे तो याद है और देखना इस बार भी हमारी पिहू हमेशा की तरह टॉप करेगी, है ना मामा जी मामी जी!"
ये सुन प्रकाश जी और सविता जी दोनों हां में सिर हिला देते है तभी अयाना सबकी ओर देखते कहती है - "उस परेशानी के चलते इस खुशी को लूज...इस मूंमेट को नजरअंदाज मत कीजिए, खुलकर खुश हो ना, मां हमेशा कहते थे दिन कभी एक जैसे नहीं रहते, जरूरी नहीं जो आज समस्या है वो हमेशा रहे, परेशानी के चलते हम अपनी खुशियों को तो नहीं भूल सकते है ना?
हमारी पिहू आज टॉप करने वाली है फीकी सी मुस्कान इस खुशी को कम कर देगी जो कि नहीं होना चाहिए, दोनों बाते अलग-अलग है । चलिए ना हमारी पढ़ाकू पिहू के इस दिन को हम सब वैसे ही सेलिब्रेट करते है (उम्मीद भरी नजरों से सब की ओर देखते) पूरे जोर शोर से जैसे हमेशा करते है....हम्म!"
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