नेहा की बातों से मृत्युंजय हर्ट होकर उसके घर से चला तो गया, पर वह नेहा को अपने दिमाग से नहीं निकाल पा रहा है। आज पूरा दिन ऑफिस में भी मृत्युंजय सिर्फ नेहा के बारे में ही सोचता रहा। नेहा का इस तरह घर छोड़कर जाना उसे बहुत अखर रहा है। मृत्युंजय ने सारी कोशिश कर ली, यहां तक कि वह नेहा को उसके घर पर मनाने भी गया, पर नेहा की ज़िद देखकर अब मृत्युंजय भी थक चुका है।

मृत्युंजय खुद से कहता है कि अब वह नेहा को नहीं मनाएगा; अगर नेहा को मानना होगा, तो वो खुद मान जाएगी।

मृत्युंजय पूरे रास्ते मायूसी में गाड़ी ड्राइव करता हुआ अपने घर वापस आ गया । घर पर भी उसे बहुत बेचैनी महसूस हो रही है, और अकेले रहने का बिल्कुल भी मन नहीं है। तभी मृत्युंजय का फोन बजा। एक अनजान नंबर देखकर मृत्युंजय सोच में पड़ जाता है। वह आम तौर पर अंजान नंबर के कॉल नहीं उठाता, पर नेहा भी घर पर नहीं है, कहीं नेहा किसी परेशानी में तो नहीं है, यह सोचकर मृत्युंजय फोन उठा लेता है।

मृत्युंजय: हेलो… कौन?

 

फोन से कोई आवाज़ नहीं आती, सिर्फ जोर-जोर से सांस लेने की आवाज़ आ रही है। मृत्युंजय बस कॉल काटने ही वाला था कि दूसरी तरफ़ से एक लड़की की आवाज़ आती है।

लड़की (सेड्यूसिव आवाज़ में): मुझे पहचाना?

मृत्युंजय को ये आवाज़ जानी-पहचानी तो लगी  पर वह पहचान नहीं पाया

लड़की: अब ये मत बोलना कि तुम्हें याद नहीं मैं।

मृत्युंजय (कन्फ्यूज्ड आवाज़ में): सॉरी! मैं पहचान नहीं पाया।

फोन से एक प्यारी सी हंसी की आवाज़ आई, और मृत्युंजय इस हंसी को पहचान गया।

मृत्युंजय: कनिका?

कनिका(खुश होकर): हां… कनिका…। पहचान तो गए।

कनिका, मृत्युंजय की कॉलेज टाइम की वो दोस्त थी, जिसे मृत्युंजय पसंद करता था, लेकिन कनिका पहले से एक रिलेशनशिप में थी, इसलिए उसने कभी अपनी फीलिंग्स के बारे में उसे बताया नहीं था।

मृत्युंजय: इस प्यारी सी हंसी को भला कैसे भूल सकता हूं। और बताओ, आज मुझे कैसे याद किया?

कनिका: बेंगलुरु आई हुई हूँ एक बिजनेस के सिलसिले में। मेरा होटल यहां से बहुत दूर है और कोई कैब भी नहीं मिल रही। क्या आज रात मैं तुम्हारे यहां रुक सकती हूं?

मृत्युंजय: ये भी कोई पूछने की बात है? यू आर ऑलवेज़ वेलकम…फौरन सामान उठाओ और यहां आ जाओ।

कनिका: एक बार नेहा से भी पूछ लो। क्या पता उसे दिक्कत हो।

मृत्युंजय: तुम आओ, मैं बात कर लूंगा नेहा से।

 

मृत्युंजय को यह समझ में नहीं आ रहा है कि उसने अभी झूठ क्यों बोला। नेहा के घर पर न होने की बात कनिका से छुपाना उसके लिए बड़ी समस्या बन सकती है। वह फिर से कनिका को कॉल करके सब सच बताने ही वाला होता है कि तभी उसने देखा कि सीमा कुछ बैग्स लेकर नीचे आ रही है।.

मृत्युंजय ने सीमा से पूछा कि वह कहां जा रही है, तो सीमा ने साफ तौर पर बोला कि वह कहीं नहीं जा रही, ये बैग्स नेहा के है और उसने ही इन्हें मंगवाया है।

मृत्युंजय का गुस्सा, जो थोड़ी देर पहले शांत हुआ था, अब फिर से उफान भरने लगता है। उसे अब यह साफ समझ में आ गया कि नेहा ने सीमा से बैग्स मंगवाए है, इसका मतलब साफ है—नेहा को अब मृत्युंजय से कोई मतलब नहीं है।

मृत्युंजय ने सीमा की ओर देखा, फिर उसके हाथ में पकड़े बैग्स की तरफ। उसने कहा कि वह नेहा मैडम से यह कह दे कि अब वापस आने की कोई जरूरत नहीं है।

ये कहकर मृत्युंजय गुस्से में अपने कमरे की ओर चला गया, सीमा भी बैग्स लेकर बाहर चली जाती है। मृत्युंजय इस प्वाइंट पर कनिका से हुई बात को भूल चुका था और फिर से नेहा के बारे में ही सोच रहा था। एंटीलिया हाउस का ड्राइवर शंभू नेहा का सामान उसके घर पहुंचा देता है…

नेहा बैठी भले ही अपने घर पर थी, लेकिन सोच बस मृत्युंजय के बारे में ही रही थी। पहले उसने मृत्युंजय से बहुत सख्ती से बात की थी, और उसे अब महसूस हो रहा था कि शायद वह बहुत रूड थी। शंभू के जाने के बाद नेहा ने अपने मन में सोचा, क्या उसे मृत्युंजय को हर्ट नहीं करना चाहिए था?

उसे एहसास हुआ कि शायद उसे मृत्युंजय से एक बार और बात करनी चाहिए। उसने तय किया कि वह मृत्युंजय को एक और मौका देगी। नेहा ने तुरंत उठकर अपने सामान को एक तरफ़ रखा और मृत्युंजय के घर जाने का फैसला किया। मृत्युंजय से इतनी रूडली बात करने के बाद नेहा अब मृत्युंजय का सामना करने से ना केवल डर रही थी, बल्कि थोड़ी नर्वस भी हो रही थी, और सोचने लगी।

 

नेहा (खुद से): मृत्युंजय यहां से जाते वक्त बहुत गुस्से में थे। पता नहीं अब वह मेरी बात सुनेंगे भी या नहीं।

नेहा ने अपने चेहरे पर एक हल्की मुस्कान लाते हुए सोचा, की शायद अब सब कुछ ठीक हो सकता है

उधर मृत्युंजय के घर की बेल बजती है, दरवाजा खोलने पर सीमा देखती है कि सामने एक निहायती खूबसूरत, यंग, कर्वी, तीखे नयन नख्श, काले-घने लंबे बालों वाली, अप्सरा सी सुंदर एक लड़की खड़ी है। यह लड़की कोई और नहीं बल्कि कनिका थी, जो बिना कुछ कहे अंदर आने लगी।

 

उस लड़की को देख सीमा ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगती है और पूछती है की आखिर वो अंदर कैसे आ गयी, तभी सीमा सिक्योरिटी को भी आवाज़ देती है, लेकिन कनिका के कदम नहीं रुकते।

कनिका सीमा के किसी भी सवाल का जवाब नहीं देती है। बाहर शोर सुन मृत्युंजय भी अपने कमरे से बाहर आ जाता है और उसे देखकर कनिका के चेहरे पर एक अलग सी मुस्कान दौड़ जाती है। नेहा से लड़ाई और फिर उसके अपने बैग्स मंगवाने के बीच मृत्युंजय कनिका के आने के बारे में बिल्कुल भूल जाता है…

मृत्युंजय: अरे, कनिका तुम…

कनिका दौड़कर मृत्युंजय को कसकर अपनी बांहों के बीच जकड़ते हुए हग कर लेती है…कनिका के ऐसे रिक्शन से मृत्युंजय बिल्कुल शॉक्ड था।

कनिका: मैंने तुम्हें बताया तो था कि मैं आ रही हूं। अब ये मत बोलना कि तुम इतनी जल्दी भूल गए।

मृत्युंजय (शरमाते हुए): ओह! कनिका! आई एम सो सॉरी…मुझे याद ही नहीं रहा।

मृत्युंजय कनिका को हॉल में बैठाता है। दोनों की बातों से साफ दिख रहा था कि मृत्युंजय और कनिका अपने कॉलेज के दिनों में कितने करीब हुआ करते थे। कनिका बड़े ही आराम से मृत्युंजय के बालों पर हाथ फेरते हुए उससे बात कर रही थी और मृत्युंजय का उसे ऐसा करने से न रोकना, सीमा को बहुत अटपटा लग रहा था।

ये देख कर सीमा को लगा की नेहा का यहां न होना ही सहीं है, क्योंकि ये देख कर शायद नेहा ये सब बर्दाश्त नहीं कर पाती।

 

यह सोचते हुए सीमा किचन की ओर जाने लगी। कनिका के लिए चाय पानी का इंतजाम जो करना था। कनिका की नज़र बार-बार पूरे घर में दौड़ रही थी, मृत्युंजय को ये बात थोड़ी अटपटी ज़रुर लगी।

मृत्युंजय: कुछ चाहिए तुम्हें?

कनिका: अरे नहीं, मैं तो बस तुम्हारे घर को एप्रिशिएट कर रही थी। तुम्हारा नया घर कितना बड़ा और शानदार है!

मृत्युंजय: हां है तो सही। तुम्हें हाउस टूअर चाहिए?

कनिका: ऑफ कोर्स!

 

मृत्युंजय कनिका को हाउस टूर दे रहा था, और जब वह टूर दे ही रहा था, तभी उसका फोन बजता है। उसने कनिका से माफी मांगते हुए बोला कि उसे कुछ फाइल्स अपने बेडरूम से लानी है तो क्या वह थोड़ी देर रुक सकती है? कनिका ने तुरंत बोला कि वह भी उसके साथ चलती है।

कनिका बेडरूम की ओर बढ़ने लगी, और मृत्युंजय अब कनिका से थोड़ा अजीब महसूस कर रहा था। कनिका भी उसके पीछे-पीछे बेडरूम की तरफ़ जाने लगी। जब वे बेडरूम में पहुंचे, तो कनिका सोफे पर बैठ गई, मृत्युंजय ने अपनी फाइल उठाई और उसे पढ़ने लगा।

लेकिन तभी, कनिका अचानक से उठकर मृत्युंजय के हाथ से फाइल छीन लेती है। कनिका का इस तरह से बिहेव करना मृत्युंजय को अब अजीब लगने लगा था।

कनिका: मैं तुमसे इतने समय बाद मिल रही हूँ, और तुम्हें फाइल पढ़नी है। क्या मैं तुम्हारा थोड़ा सा समय ले सकती हूँ?

मृत्युंजय कुछ नहीं बोलता, वो चुपचाप कनिका की तरफ़ देख रहा है। कनिका मृत्युंजय को उसकी फाइल वापस कर देती है।  

कनिका: "सॉरी, मुझे तुम्हारे और तुम्हारे काम के बीच नहीं आना चाहिए था।"  

कनिका के इन शब्दों को सुनकर मृत्युंजय को तुरंत नेहा की याद आ गई। नेहा का मृत्युंजय की हर समय काम करने की आदत से चिढ़ना अब मृत्युंजय को याद आ रहा था।  

कनिका: "वैसे, नेहा कहाँ है? मैंने पूरा घर देख लिया, वो कहीं नहीं दिखी। कहाँ छुपा रखा है?"  

मृत्युंजय को अंदाज़ा था कि कनिका ये सवाल ज़रूर पूछेगी। वह यह भी उम्मीद कर रहा था कि कनिका आते ही गेस्ट रूम में सोने चली जाए। अब दोनों बातें एक साथ संभव होती नहीं दिख रहीं थीं।  

 

मृत्युंजय: "नेहा अपने माँ-पापा से मिलने गई है, रात तक वापस आ जाएगी।"  

कनिका: "कोई बात नहीं। मैं इंतजार कर लूंगी। क्यों ना तब तक हम कुछ ड्रिंक कर लेते है। मैं गोवा से एक बहुत अच्छी वाइन लाई हूँ।"  

इतना कहकर कनिका अपने पर्स से वाइन निकाली मृत्युंजय भी शेल्फ से ग्लास लेकर आया । कनिका ने मृत्युंजय का हाथ पकड़कर उसे अपने बगल में बैठा लिया।  

कनिका ने थोड़ा फ्लर्ट करते हुए कहा, "अच्छा हुआ नेहा यहाँ नहीं है। अब तुम अपनी कॉलेज क्रश के साथ थोड़ा समय बिता सकते हो।"  

मृत्युंजय को समझ नहीं आ रहा था कि कनिका कहना क्या चाह रही है। कनिका उसकी कॉलेज टाइम की क्रश थी, हालांकि इस बात को अब कई साल बीत चुके थे  

मृत्युंजय: "तुम्हारा तो एक बॉयफ्रेंड था न? फिर बात आगे बढ़ी उसके साथ?"  

कनिका (हल्की हंसी में): "हम कॉलेज के तुरंत बाद अलग हो गए।"  

मृत्युंजय: "तो फिर कौन है वो लकी बंदा जिससे तुम्हारी शादी हुई है?"  

कनिका चुप होकर नीचे देखने लगी। उसकी आँखों में आँसू आ गए ।  

मृत्युंजय: "अरे! सॉरी, मुझे ये सवाल नहीं पूछना चाहिए था।"  

कनिका: "इट्स ओके!"  

कनिका ने अपने आँसू छुपाने की कोशिश की, पर उसके चेहरे पर उदासी साफ दिख रही थी। मृत्युंजय ने उसका हाथ पकड़कर उसे सांत्वना देने लगा।  

मृत्युंजय: "क्या हुआ कनिका? तुम मुझसे शेयर कर सकती हो।"  

कनिका थोड़ी देर चुप रही और कुछ सोचने लगी। मृत्युंजय को कनिका के हावभाव से साफ दिख रहा था कि उसे अपनी बातें शेयर करने की जरूरत है। मृत्युंजय के थोड़ा फोर्स करने पर कनिका एक गहरी साँस लेती है और मृत्युंजय को सब बता दिया । कनिका इसी सिलसिले में बेंगलुरु आई थी। वह अब अपना सारा बिज़नेस बेंगलुरु में रिलोकेट करने का सोच रही है।

कनिका जो कि गोवा की एक सक्सेसफुल बिजनेसवुमन है। जिसने कुछ साल पहले ही अपने बिजनेस पार्टनर से शादी की थी। शुरुआत में तो सब कुछ ठीक था, पर कुछ समय बाद उनके बीच झगड़े आम हो गए थे। यहाँ तक कि कनिका के पति ने उस पर हाथ तक उठा दिया था। इसी वजह से अब दोनों साथ नहीं रहते।

मृत्युंजय, कनिका की यह कहानी सुनकर हैरान हो गया। उसे वो कॉलेज वाली कनिका याद आ रही थी, जो इतनी स्ट्रॉन्ग और फियरलेस हुआ करती थी। कॉलेज वाली कनिका किसी से नहीं डरती थी, और आँसू? वो क्या होते है? कॉलेज की कनिका के लिए लाइफ एक ब्लैंक कैनवास था, जिस पर वो अपनी मस्ती के रंग बिखेर रही थी। आज मृत्युंजय के सामने बैठी यह एक नई कनिका थी, जो ज़िन्दगी  से थकी-हारी, आँखों में आँसू लिए बैठी थी।

मृत्युंजय ने कनिका को प्यार से गले लगा लिया और बोला कि उसे पता है कि कनिका बहुत स्ट्रॉन्ग है और वह फिर से खड़ी हो सकती है। उसने यह भी कहा कि अभी वह थोड़ा आराम कर ले, क्योंकि आराम करना कोई बुरी बात नहीं है। फिर उसने बोला कि जब वह आराम कर लेगी, तो वापस उठकर सबको दिखा देगी कि “हू इज़ कनिका?”

यह सुनकर कनिका की आँखें भर आईं, और वह धीरे-धीरे अपना सिर मृत्युंजय के कंधे पर रखकर रोने लगी। मृत्युंजय अपने हाथों से बड़े ही प्यार से कनिका के बालों को ठीक कर रहा था और उसके कंधे पर हल्का सा थपथपाकर उसे तसल्ली देने लगा। इसी दौरान, उसने बेडरूम के दरवाजे पर हलचल महसूस की, जब उसने सिर उठाकर देखा, तो पाया कि नेहा दरवाजे पर खड़ी थी। मृत्युंजय तुरंत हड़बड़ी में सोफे से उठ गया।

नेहा ने कमरे में आकर महसूस किया कि शायद उसे वहां नहीं आना चाहिए था। उसे लगा कि उसने कुछ गलत किया है, इसलिए नेहा ने बिना कुछ कहे कमरे से जाने की कोशिश की। मृत्युंजय उसे रोकने की कोशिश कर रहा था, लेकिन नेहा बिना उसकी बात सुने चली गई। उसने कहा कि कुछ ऐसा नहीं है जैसा नेहा सोच रही थी, लेकिन नेहा उसे सुने बिना दरवाजे से बाहर चली गई। नेहा की नाराज़गी को क्या मृत्युंजय दूर कर पाएगा? या अपने पति को किसी दूसरी लड़की के साथ देखकर, नेहा का यूं नाराज़ होकर चला जाना कहीं  इस रिश्ते का अंत तो नहीं बन जाएगा?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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