पुलिस हेडक्वाटर्र का एक वीआईपी रूम…वहां शानदार, हेल्दी और टेस्टी नाश्ते से टेबल सजी थी। बलवंत सिंह, सुमेधा, जतिन यानी पुलिस कमिश्नर यशवर्मन और राघव टेबल के चारों ओर बैठे थे। एक पूरी रात मेहनत करने के बाद राघव को बहुत ज़ोरो की भूख लगी थी।
राघव ने जतिन से आंखो के इशारे से पूछा, ‘’क्या मैं इनमें से कुछ खा सकता हूं?
जतिन ने मुस्कुराते हुए पलकें झपकाकर हां कहा, फिर राघव ने बलवंत की ओर संकेत करके पूछा, ‘’इनके सामने ऐसे खाना ठीक रहेगा क्या?‘’
बलवंत बहुत देर से राघव को प्रशंसापूर्ण दृष्टि से देख रहे थे, वे समझ गए कि राघव इस समय क्या चाहता है। वे बोले, ‘’अरे बरखुरदार...पेट पूजा करने के लिए किसी की इजाजत लेने की जरूरत नहीं होती है। शौक से खाओ भरपेट खाओ…तुमने जो कुछ मेरे लिए किया है उसका एहसान तो मैं चुका ही नहीं सकता, फिर भी तुम मुझसे क्या चाहते हो यह नि:संकोच बता सकते हो, अगर मेरे बस में रहा तो मैं उसे जरूर पूरा करूंगा।‘’
राघव एक चम्मच पोहा अपने मुंह में डालकर चबाकर निगलने के बाद बोला, ‘’मैंने केवल अपना फर्ज निभाया है, जैसे आप देश की सेवा करके अपना फर्ज निभाते हैं।‘’
सुनकर जतिन मुसकुरा दिया, वह और राघव जानते थे कि बलवंत जी किस तरह की देशसेवा करते हैं। देश के भ्रष्ट मंत्रियों में से एक, बड़े-बड़े अपराधियों से भी सांठगांठ थी उनकी, कुछ बड़े बिजनेसमैन को करोड़ों का लोन दिलाकर देश से बाहर भगाने में भी बलवंत ने उनकी मदद की थी और सबसे बड़ा राज़ यह था कि बलवंत का चीफ से भी कनेक्शन था, जहां मीरा चीफ तक पहुंचना चाहती थी वहीं राघव भी चीफ के कारनामों का भंडाफोड़ करना चाहता था, इसके लिए बलवंत का बहुत ही ज्यादा करीबी बनना जरूरी था, और करीबी बनने के लिए दिल जीतना जरूरी था।
बलवंत ने कहा, ‘’माना मैं देश सेवा करता हूं, पर तुम जो करते हो और किया है वह वाकई काबिले तारीफ है।‘’
सुमेधा भी राघव को बड़े ही प्यार से देख रही थी...हालांकि एक समय बेहद हैंडसम, डैशिंग और हॉट लड़कों में गिनती होने वाले राघव की पर्सनालिटी से सुमेधा कुछ खास इम्प्रेस नहीं लग रही थी पर उसने जिस तरह से अपनी जान की बाजी लगाकर उसकी जान बचाई थी उससे राघव, सुमेधा के दिल में बस गया था। उसने कालेज के हैंडसम लड़कों को दरकिनार कर दिया।
‘’अगर यह आदमी अपना वेट थोड़ा कम कर ले तो किसी स्टाइलिश क्रिकेट प्लेयर से कम नहीं लगेगा, घनी दाढ़ी मूंछ तो आजकल के लड़कों का फैशन सिम्बल है। मुझे इसकी दाढ़ी मूछें पसंद हैं, पर इसका बाहर निकला हुआ पेट और यह डबल चिन भी अगर नहीं होती तो कितना अच्छा होता.…’’ सुमेधा ने मन ही मन कहा।
सुमेधा ने राघव को पोहा खाते देख कहा, ‘’आपकी हेल्थ देखकर मुझे लगा कि आप डीप फ्राई की हुई पूरियां और तेल मसाले में लबालब डूबी हुई सब्जियां खाएंगे।’’
राघव ने कहा, ‘जी शुक्रिया, पिछले कई दिनों से मैं ऐसा ही खाना खा रहा हूं आज सोचा कुछ हल्का फुल्का खा लूं वैसे मुझे एक शादी में जाना है तो वहां वैसे ही हैवी खाना खाने को मिलेगा।‘’
जतिन ने सुमेधा से पूछा, ‘’सुमेधा, क्या तुम उस किडनैपर को पहचानती हो, जिसने तुम्हें किडनैप किया था?’’
सुमेधा याद करने लगी, वह लेडीज वॉशरूम के बाहर निकली थी…सामने रोड पर बाइक पर बैठकर एक आदमी आया, उसने एक कागज की पर्ची निकालकर सुमेधा को आवाज लगाकर कहा, ‘’मैडम, मैं यहां नया हूं क्या आप मुझे बता सकती हैं कि यह कहां का एड्रेस है? सुमेधा उस आदमी की मदद करने के लिए रोड के किनारे गई...वह पर्ची हाथ में ली, पर वह खाली थी…उसमें कुछ नहीं लिखा था। मैंने गुस्से से उससे कहा था, यह तो सादा पेपर है, इसमें तो कोई एड्रेस नहीं लिखा है...वह कुछ कहता कि इससे पहले किसी ने मेरी नाक पर रूमाल रखकर मेरा मुंह बंद कर दिया और कुछ ही सेकेंड में मेरी आंखो के आगे अंधेरा छा गया और जब मुझे होश आया तो मैं उस झोपड़ी में थी जहां से रॉकी जी ने मुझे निकाला था।
जतिन ने कहा, ‘’यानि तुमने किसी का चेहरा नहीं देखा, उस हेलमेट वाले का भी नहीं।‘’
सुमेधा ने ना में गरदन हिला दी।
जतिन ने फिर पूछा, ‘’तुम्हें किसी पर शक है क्या, क्योंकि तुम बलवंत सिंह की अपनी बेटी हो यह शायद ही कोई जानता होगा...लोगों की नजरों में तुम एक मीडिल क्लास फैमिली की अनाथ लड़की हो, जिसे बलवंत जी ने गोद लिया है और वो तुम्हारी पढ़ाई लिखाई का खर्चा उठाते हैं।‘’
‘’जी हां, कॉलेज में सबको यही लगता है कि मैं इनकी गोद ली हुई बेटी हूं।
जतिन ने बलवंत से कहा, ‘’मुझे तो यह भी नहीं लगता कि उन लोगों ने फिरौती के लिए सुमेधा को उठवाया होगा, क्योंकि अगर फिरौती चाहिए होती तो आपके बेटों में से किसी को किडनैप करते और आसानी से कर भी सकते हैं...आपके दोनों बेटे कुछ खास सिक्योरिटी लेकर नहीं चलते।‘’
बलवंत सिंह अपने बेटों के जिक्र से चिढ़ गए...वे बोले, ‘’अच्छा होता उन्हें ही किडनैप करते, मैं तो उन्हें छुड़ाने के लिए न तो एक फूटी कौड़ी देता और ना ही रॉकी जैसे एजेंट को हायर करता।‘’
‘’बलवंत जी, मैं आपकी तकलीफ समझता हूं, पर यह जरूरी नहीं है कि बाप के नक्शेकदम पर बेटे भी चलें…आपके बेटे जो करना चाहते हैं वो करने दीजिए, वैसे भी सुमेधा का तो पॉलिटिक्स में इंटरेस्ट है, तो इसे ही अपनी विरासत सौंप दीजिए।‘’
सुमेधा को खुद पर गर्व हो रहा था कि कम से कम वह अपने सौतेले भाइयों से बेस्ट है, जो उसके भाई नहीं कर सकते वह कर सकती है।
जतिन ने बलवंत से कहा, ‘’सर बाहर प्रेस से कुछ लोग आए हैं, वे आपसे कुछ पूछना चाहते हैं, सुमेधा का उन लोगों के सामने जाना ठीक नहीं है, और रॉकी को भी मैं लोगों के सामने नहीं लाना चाहता हूं, वह एक सीक्रेट एजेंट है, आप समझ रहे हैं ना सर की मैं क्या कह रहा हूं।‘’
हां बिल्कुल, चलो, फिर वे राघव से बोले, ‘’बेटा रॉकी, आज का डिनर हमारे साथ…’’
राघव कुछ सकुचाया, उसे अपने घर भी जाना था।
सुमेधा तपाक से बोली, ‘’आप इतना सोच क्यों रहे हैं, स्टेट मिनिस्टर खुद आपको इनवाइट कर रहे हैं।
जतिन ने कहा, ऐसी कोई बात नहीं है, रॉकी आ जाएगा।
बलवंत और जतिन बाहर चले गए, सुमेधा राघव को एकटक देखे जा रही थी…राघव को यह सब अजीब लग रहा था। लेकिन उसे सामान्य रहना था उसे सुमेधा को इम्प्रेस ही तो करना था, जिस खतरनाक मंजिल तक उसे पहुंचना था...सुमेधा उसकी सीढ़ी थी…राघव को सुमेधा का इस्तेमाल करना था। क्या एक मासूम लड़की की जिंदगी बरबाद करना सही था?
‘’मिस्टर रॉकी जी, क्या सोच रहे हैं आप?‘’ सुमेधा ने राघव का ध्यान भंग करते हुए कहा।
राघव ने अपना माथा सहलाया, कुछ नहीं आप कुछ कह रही थी क्या..?’’
‘’हां मैं यह पूछना चाहती थी कि आपका नाम तो बहुत ही हॉट...बहुत पहले मेरे पास एक रैबिट हुआ करता था, उसका नाम रॉकी था।‘’
राघव उसकी बात पर मुस्कुरा दिया। आपको बुरा नहीं लगा..?’’ सुमेधा ने पूछा।
राघव ने ना में गरदन हिलाकर कहा, ‘’एकदम नहीं, मैं सोच रहा हूं कि मैं एक बिल्ली पाल लूं और उसका नाम सुमेधा रख दूं।‘’
सुमेधा ने राघव को अजीब नजरों से देखा और फिर खिलखिलाकर हंस दी। राघव ने कहा, ‘तुम्हें देखकर तो लग ही नहीं रहा है कि अभी कुछ घंटे पहले तुम खतरनाक गुंडो और आदमखोर सियारों के चंगुल में फंसी थी, मुझे तो लगा था कि वहां से छुड़ाकर लाने के बाद तुम कई घंटो तक सदमें में रहोगी, कई दिनों तक इस हादसे को याद कर के डर जाओगी...पर तुम तो ऐसे बिहेव कर रही हो जैसे कुछ हुआ ही नहीं। तुम मेंटली बहुत स्ट्रांग हो यार...’’
‘’यार..?’’ सुमेधा लगभग उत्साहित होकर बोली। ‘’आपने तो मुझे यार ही बना लिया…’’
‘’नहीं नहीं सॉरी मेरे मुंह से निकल गया, पर सच में क्या तुम्हें वह भयानक पल नहीं याद आ रहा है?
सुमेधा बोली, ‘’प्लीज, याद मत दिलाओ, वह वाकई दिल दहलाने वाला मंजर था, पर जब आप उन आग की लपटों को पार कर के मेरे पास आए और मुझे वहां से सुरक्षित निकाल लिया तो मेरा सारा डर खत्म हो गया, कहीं ना कहीं मुझे विश्वास था कि मैं यहां से सुरक्षित निकल जाउंगी।‘’
‘’क्या तुम्हें किसी पर शक है?‘’ राघव ने पूछा।
सुमेधा ने सोचते हुए कहा, ‘’मैं श्योर नहीं हूं...पर मेरे कॉलेज का एक लड़का है, उसका नाम अंशुमन है वह छात्र संघ का नेता है और आगे मेयर का चुनाव लड़ना चाहता है, उसे मेरे पापा से टिकट भी चाहिए था, पर किसी रीजन से मेरे पापा ने मना कर दिया….फिर उसने डायरेक्ट तो नहीं पर इनडायरेक्ट देख लेने की बात कही थी।
‘’कब कहीं थी यह बात..?’’
‘’यही कोई महीने भर पहले।‘’
‘’एक महीने पहले और किडनैपिंग कल सुबह हुई थी...तो फिर अंशुमन नहीं हो सकता, क्योंकि यह इतनी बड़ी बात नहीं है। जहां तक मुझे लगता है तुम्हारी किडनैपिंग तुम्हारे साथ कुछ गलत करने के लिए की गई थी...जब मैं तुम्हें छुड़ाने के लिए उस जगह जा रहा था तो रास्ते में कुछ गुंडो तुम्हारे साथ जोर जबरदस्ती करने का प्लान कर रहे थे, जहां तक मुझे लगता है अंशुमन ऐसा नहीं करवा सकता है, अगर वह राजनीति में अपना कैरियर बनाना चाहता है तो ये उसके लिए घातक सिद्ध हो सकता है।‘’
‘’ऐसा आप कैसे कह सकते हैं? मुझे उसी पर शक है...’’ सुमेधा को राघव की सोच पर आश्चर्य हो रहा था।
राघव ने कहा,‘’क्योंकि ऐसे काम को तुरंत अंजाम दिया जाता है, हो सकता है कि अंशुमन ने गुस्से में आकर ऐसी बात बोल दी हो और फिर जब उसका गुस्सा शांत हो गया तो शायद वह इस बात को भूल गया होगा…कोई और ऐसा है जिस पर तुम्हें शक है?’’
‘’नहीं नहीं कोई और ऐसा नहीं है, मैं अपने पापा की गोद ली हुई बेटी हूं, पर लोगों की नजरों में मामूली इंसान ही हूं, क्योंकि मेरे पापा ने मुझे लोगों के शक से बचाने के लिए आठ और लड़कियों को गोद लिया है, जिससे लोगों को, मेरी सौतेली मां और भाई को शक न हो कि मैं बलवंत सिंह की ही बेटी हूं।‘’
‘’तुम्हारे पापा एक अच्छे और मंझे हुए पॉलिटिशियन हैं, इससे उनको चुनाव में भी बहुत फायदा होता है’’ राघव ने व्यंग्यपूर्ण स्वर में सुमेधा से कहा।
सुमेधा ने नाराजगी भरे भाव से राघव के देखकर कहा, ‘’मिस्टर रॉकी जी, सारे पॉलिटिशियन ऐसे नहीं होते...लोगों को मेरे और पापा के रिश्ते पर शक ना हो इसलिए अलग अलग उम्र की लड़कियों को गोद लिया है।‘’
‘’आइ एम सॉरी मिस सुमेधा...मैं आपको हर्ट नहीं करना चाहता था और आप सही कह रही हैं कि सारे पॉलिटिशियन एक जैसे नहीं होते। मुझे उम्मीद है कि आप एक अच्छी नेता बनेंगी और देश की सेवा करेंगी।‘’
सुमेधा ने भौंह टेड़ी करके राघव को देखा और कहा, ‘एक्सक्यूज मी, मेरा पॉलिटिक्स में कोई इंटरेस्ट नहीं है, मैं सांइस और एग्रीकल्चर पढ़ रही हूं, मैं अपने देश में आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना चाहती हूं, मैं फूड इंडस्ट्री में जाना चाहती हूं, पॉलिटिक्स में तो बिल्कुल भी नहीं...मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं होगा तो भी नहीं...इससे अच्छा तो मैं शादी करके हाउसवाइफ बनना ज्यादा पसंद करूंगी।‘
राघव ने हैरानी से सुमेधा को देखकर कहा, ‘’वाह, मतलब तुम्हारे अंदर तुम्हारे पापा के गुण नहीं है....’’
‘’मेरी मां के गुण है, मेरी वो मां जो इस दुनिया में नहीं है।‘’
राघव इस बारे में कुछ बात नहीं करना चाहता था, उसने अपनी घड़ी पर नजर डाली, ग्यारह बजने वाले थे उसे अपने भाई की हल्दी की रस्म में पहुंचना था, जतिन की सूचना के मुताबिक शर्मा मेंशन में दोपहर बारह बजे हलवाईयों का आना तय था, एक बजे से हल्दी की रस्म होनी थी और दोपहर ढाई बजे से लंच का प्रोग्राम था।
राघव ने जतिन को एक मैसेज किया…जतिन ने भी रिप्लाई किया, सब कुछ प्लान किया जा चुका था, उसके लिए एक कार आ गई थी।
‘’आइ एम सॉरी मिस सुमेधा, पर मुझे कहीं निकलना है...’’
‘’आप डिनर पर तो आ रहे हैं ना.? आपने मेरे पापा से प्रामिस किया है।‘
‘हां मिस सुमेधा मैं कोशिश करूंगा...’’ कहकर राघव रूम से बाहर निकल गया।
सुमेधा उसे जाते हुए देख रही थी, चेहरे पर एक रहस्यमई मुस्कुराहट तैर गई। ’’मिस्टर रॉकी ऊर्फ राघव...मैं आपकी सच्चाई जानती हूं, आपके यहां आने का मकसद भी जानती हूं, आप यहां मेरे पिता की असलियत जानने आए हैं ना...कोशिश करते रहिए, देखती हूं कि आप किस हद तक कामयाब होते हैं।
वैसे सच तो यह है कि मैं सच में बलवंत सिंह की बेटी हूं ही नहीं.....बलवंत सिंह की बेटी तो कोई और है। मेरे माता पिता को तो बलवंत सिंह ने मेरे पैदा होने के एक हफ्ते बाद ही मार डाला था, पर उस बलवंत सिंह के साथ कोई और भी था। वह कौन था? जल्दी ही मेरा यह बाप जो मुझे अपनी बेटी समझता है, मुझे उस इंसान के बारे में बताएगा...फिर मैं उस इंसान को तड़पा-तड़पाकर मारूंगी और फिर उस बलवंत को…उसके मरने से पहले उसे बताऊंगी कि मैं उसकी बेटी नहीं हूं...मैं उसे बताउंगी कि तुमने अपनी नाजायज़ बेटी को उसके पैदा होने के दस साल बाद देखा था। मुझे तुम्हारी बेटी की जगह भेजा गया था बलवंत सिंह...तुम्हारी अपनी बेटी तो कहीं और है।
क्या राघव अपने भाई की हल्दी की रस्म में जा पाएगा?
सुमेधा की सच्चाई क्या है…अगर वह बलवंत की बेटी नहीं है तो फिर कौन है?
अगर बलवंत को सच का पता चल गया तो क्या होगा?
जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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