मीरा की सोसाइटी…दोपहर के बाद कल की तरह आज भी मौसम खराब हो गया था, कल की तरह आज भी भारी बारिश की आशंका थी।
आज फिर मुंबई की सड़कों का बुरा हाल होने वाला था…मीरा ने बालकनी में फैलाए हुए कपड़े उठाकर अंदर रख दिए...कल मीरा किचन और रूम की खिड़कियां बंद करना भूल गई थी तो कल की भारी बारिश के कारण पानी की बौछार रूम के अंदर तक आ गई थी।
किचन का स्लैब पानी के दाग और सूखी हरी पत्तियों से पटा हुआ था...मीरा आर्यन के घर से देर से लौटी इसलिए उसकी कामवाली भी आकर लौट गई थी...अब शायद शाम को ही आए। इसी वजह से मीरा खुद ही घर की साफ सफाई में जुट गई…चलो अच्छा है कम से कम घर के कामों में लगी रहूंगी तो उसका ख्याल तो नहीं आएगा, ख्याल मैं क्यों बार-बार उसी के बारे में सोचने लगती हूं…वह घमंडी बिजनेस मैन पता नहीं क्या समझता है आपने आप को? माना की अभी वह परेशान है...मुझे बता भी तो सकता था या फिर मुझे भी अपने साथ ले जाता। शायद उसका दर्द कुछ कम हो जाता, अपने बॉडीगार्ड से मुझे मेरे घर पहुंचवा दिया। मैं कोई छोटी सी नाजुक दिल की डरपोक बच्ची हूं क्या कि किसी घायल इंसान को देखकर घबरा जाती?
कुछ देर पहले मीरा को पछतावा हो रहा था पर फिर से वह नाराज हो उठी...नाराजगी का कारण यही था कि आर्यन उसे ऐसे छोड़कर क्यों चला गया? माना की इमरजेंसी थी, पर एक बार आवाज तो लगा देता…गलती मेरी भी तो थी....एक अनजान घर में इतनी गहरी नींद में मैं केसे सो सकती हूं? पता नहीं आर्यन का वह एम्पलाई कैसा होगा? हो सकता है कि शाम तक कुछ खबर मिले…उनके बॉडीगार्ड को तो कुछ भी नहीं पता था।
वह रूम की खिड़की साफ कर ही रही थी कि तभी बारिश शुरू हो गई...वह पीछे हो गई। अब सफाई करने का कोई फायदा नहीं है, खिड़की बंद कर देती हूं नहीं तो गददे और भीग जाएंगे। मीरा ने रूम और किचन की खिड़कियां बंद कर दी...और बालकनी में आ गई। बारिश के साथ-साथ हल्की ठंडी हवा भी चल रही थी…चलो कम से कम मौसम तो अच्छा हो जाएगा। पर यह सोचकर कि सड़क पर पानी भर जाएगा...मार्केट जाकर सामान लेना दूभर हो जाएगा।
मीरा बालकनी में आकर खड़ी हो गई....उसने अपने दोनों हाथों से खुद को समेट लिया था। बारिश की बौछारों ने उसे पूरी तरह से भिगो दिया था...हालांकि वह अभी थोड़ी देर पहले ही नहाई थी, पर बारिश में नहाना उसे बेहद पसंद था। तभी मीरा को अपनी सोसाइटी में एंबुलेंस की आवाज सुनाई दी...उसने झांककर देखा, वह एंबुलेंस मीरा की बिल्डिंग के नीचे से होकर दूसरी ओर रूक गई। जहां तक मीरा देख सकती थी, झांककर देखा, एंबुलेंस का पिछला हिस्सा थोड़ा सा दिखाई दे रहा था...एंबुलेंस के पीछे का गेट खुला...सफेद कपड़ो में ढकी एक बॉडी को निकलते बाहर दिखा, उसके बाद दो-चार लोग छाता लेकर बॉडी के आसपास खड़े हो गए।
अब मीरा को दिखाई देना बंद हो गया। वह अंदर आ गई....कौन हो सकता है? क्या इस बिल्डिंग में कोई बीमार था या किसी का एक्सीडेंट हुआ? कल दिन भर तो मैं ऑफिस में थी और रात भर आर्यन के यहां...क्या मुझे जाना चाहिए? पर पता नहीं कौन हो वो? यहां तो लगभग 90% लोगों को तो मैं जानती ही नहीं हूं...पर एक बार जाकर देख लेती हूं, जब सोसाइटी के कई लोग जुट गए हैं तो मुझे भी जाना चाहिए।
ये सोचकर मीरा ने फटाफट टॉवेल से अपने हल्के हो गए गीले बालों को सुखाया...कपड़े चेंज किए और नीचे उतर गई।
वहीं राघव ने इस समय पूरी तरह से हलवाई का भेष धारण कर रखा था…बांह वाली हल्दी और मसालों वाली दागदार बनियान....सफेद मटमैला पजामा और लाल गमछा...जिसे राघव ने एक हलवाई से उधार लिया था। राघव के साथ आए हलवाई भी पुलिस वाले थे और जतिन ने किसी तरह शेखर से कान्टेक्ट कर के बता दिया था कि राघव इस तरीके से आएगा इसलिए जो हलवाई तुमने हायर किया है उन्हें तो रहने देना और हमारी ओर से भेजे गए हवलाईयों को भी काम पर लगा देना, वे राघव के साथ रहकर उसकी सुरक्षा भी करेंगे और तुम्हारे बेटे की हल्दी की रस्म में उसके भागीदारी भी हो जांएगे। इससे पहले जतिन और राघव के पिता शेखर के बीच लम्बी चौड़ी प्लानिंग हुई थी।
‘’नैना को संभालने का जिम्मा मेरा....मैं उसपर कड़ी नजर रखूंगा...हो सकेगा तो उसे किसी बहाने इंगेज भी रखूंगा।'' जतिन ने राघव को भरोसा दिलाते हुए कहा।
‘’मेरे घर के बाहर नैना ने सीक्रेट कैमरे लगवा रखे हैं, वे घर के अंदर तक झांक सकते है, अगर उसने राघव को पहचान लिया तो?‘’ शेखर ने अपनी परेशानी जतिन के सामने रखी।
जतिन ने कहा, ‘’मिस्टर शेखर...हमारे पास एक से बढ़कर एक साइबर और कमप्यूटर एक्सपर्ट हैं, एक सिम्पल सा सीसीटीवी कैमरा हैक करना उनके लिए कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। टेंशन मत लो....चार पांच घंटो के लिए कैमरा जाम हो जाएगा, तुम आराम से राघव और अपनी पूरी फैमिली के साथ रस्में निभाओ....उस नैना को हम देख लेंगे, रही बात उसके गुंडों की तो आखिर वे सब मर्द ही तो हैं और ऐसे मर्दों के सामने सुंदर-सुंदर लड़कियां आ जाएं तो उनका मन बहकते देर नहीं लगती।‘’
शेखर मुस्कुराया और जतिन से बोला, ‘तुम्हारे दिमाग की दाद देनी होगी जतिन बेटा...मुझे गर्व है कि तुम राघव के दोस्त हो और जब तक तुम उसके साथ हो, राघव को उसके टारगेट तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता।
‘’बिल्कुल सही कहा आपने मिस्टर शेखर।‘’
‘वैसे तुम मुझे अंकल कह सकते हो जतिन...मिस्टर शेखर कहते हो तो ऐसा लग रहा है कि जैसे मैं किसी से बिजनेस डील कर रहा हूं।‘
जतिन हंसा और बोला, ‘’अच्छा ठीक है अंकल जी, अब आप अपनी रस्मों को तैयारी कीजिए…मैं नैना को ठिकाने लगाता हूं।‘’ कहकर जतिन ने शेखर का फोन काट दिया और रिटायर पुलिस आफिसर....शोभित को फोन किया।
‘’कैसे हैं मिस्टर शोभित जी?‘’
‘’जयहिंद सर...मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि पुलिस कमिश्नर सर ने मुझे फोन किया है।‘’
विश्वास कर लीजिए मिस्टर शोभित जी, मुझे आपसे एक काम है, मैंने सुना है कि आपने अपनी पुलिस की ड्यूटी के दौरान बहुत से रेड लाइट एरिया में छापे मारे हैं, क्या आप कहीं के रेड लाइट एरिया के बारे में जानते हैं?‘’
शोभित ने अपनी भौंहे सिकोड़कर पूछा, ‘’सर सर आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं?‘’
‘अरे मिस्टर शोभित कुछ ऐसा वैसा काम नहीं था, सुनिए मैं आपको सबकुछ बताता हूं।‘ कहकर जतिन ने सबकुछ बता दिया....जतिन को यह सुनकर अचम्भा हुआ कि शोभित तो अमरीश का दोस्त है, वही अमरीश जिसके साथ नैना काम करती है और नैना जिसका सच जतिन सामने लाना चाहता है पूरे सबूत के साथ।
ओह सर यह तो समझिए मेरा पर्सनल काम ही है, अमरीश पर तो मेरी कई दिनों से निगाह है…पर चूंकी वो मेरा दोस्त है तो बहुत ज्यादा उससे पूछताछ नहीं कर सकता पर जब आप कह रहे हैं तो मामला बहुत ही गंभीर होगा।
वैसे कोई रेड लाइट एरिया तो नहीं पर सर कुछ मसाज पार्लर हैं, जिसमें रेड लाइट एरिया वाले ही काम होते हैं, पैसा और पुलिस का डर दिखाया जाएगा तो सब काम हो जाएगा…
सबकुछ सुनकर जतिन ने कहा, ‘ठीक है मिस्टर शोभित, आपको जो ठीक लगे वह कीजिए, बस उन लड़कियों को कुछ ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए और बाद में उन्हें समझाबुझाकर उनके घर भेज देना, उनसे कहना की मसाज पार्लर के नाम पर ऐसे गलत काम करना ठीक नहीं है।‘
‘’जी सर, मैं सबकुछ हैंडल कर लूंगा, नैना और उसके गुडों को संभालने का काम मेरा।’’
इधर चीफ अपने एक सीक्रेट रूम में बैठा था...वह रूम जिसमें उसके पर्सनल बॉडीगार्ड भी कभी नहीं आ सकते थे। उसके हाथ में एक सिगरेट थी, जिसका धुंआ उसके आसपास उड़ रहा था, ऐश ट्रे सिगरेट की राख से भरी हुई थी...करन की डेडबॉडी को देखने के बाद चीफ ने कितनी सिगरेट पी उसे पता ही नहीं चला। चीफ का दूसरा हाथ चेयर के हैंडरेस्ट पर रखा था, इस समय उसकी सुनहरी आंखे भयानक रूप से जल रही थी…ऐसा लग रहा था कि अगर इस समय कोई उसके सामने आ गया तो वह उसे जलाकर खाक कर देंगी।
चीफ अपने आप को अपंग महसूस कर रहा था...करन वह बॉडीगार्ड था जो मीलों दूर तक चीफ के खिलाफ हो रही साजिशों को सुन सकता था, चीफ के आसपास की नकारात्मकता को भांप सकता है, चीफ पर कोई खतरा बने उससे पहले ही वह उस खतरे का जड़ से नाश कर देता था। चीफ को ऐसा महसूस हो रहा था कि अब वह चारों ओर खतरों से घिर गया है, हालांकि अभिजीत, युग और मकरंद अभी भी चीते की तरह मुस्तैद और सावधान थे, करन के जाने के बाद तो और भी एलर्ट हो गए थे, वे किसी भी कीमत पर चीफ को करन की कमी महसूस नहीं होने देना चाहते थे....पर चीफ के लिए करन की भरपाई कोई नहीं कर सकता था। उसकी अपनी एक जगह थी एक कीमत थी...इस समय चीफ का अकेला रहना ही सही था।
चीफ के सामने एक बड़ा सा टीवी लगा हुआ था, जिसमें कुछ छोटे-छोटे वीडियो चल रहे थे, उन वीडियो में उन सभी शख्स की फोटो थी…जिनसे चीफ की दुश्मनी थी, सारे बिजनेस से रिलेटेड कम्पटीटर थे पर इनमें से ऐसा कोई नहीं लग रहा था जो चीफ के बॉडीगार्ड को मार सके। करन इसके पहले भी कई बार अकेला होटलों में रूका था पर उसे किसी ने कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।
कौन हो सकता है? वह लड़की कौन थी? जिसे करन ले गया था, कहां से उसे हायर किया था? क्या वह पहले से ही कुछ प्लान करके आई थी? इतना तो साफ है कि उसे करन से पैसे नहीं चाहिए थे…केवल करन की मौत चाहिए थी।
इधर पुलिस स्टेशन में सुदीप मारिया के चेहरे का हुलिया पुलिस को बताने में कांप रहा था...एक ओर तो उसने पहले ही कह रखा था कि मैंने उस लड़की को ध्यान से नहीं देखा, पर वह थी ही इतनी सुंदर कि सुदीप चाहकर भी नहीं बता सकता था।
इंस्पेक्टर भोसलेकर पर और भी दबाव आ गया था, क्योंकि यह एक हाई प्रोफाइल केस था...मुंबई के बड़े बिजनेस मैंन से रिलेटेड था, सारे केस को दरकिनार कर पहले इसे सॉल्व करना था। चीफ को किसी भी कीमत पर करन का कातिल चाहिए था, चीफ ने पुलिस के सभी बड़े अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि उस कातिल के बारे में पता चलते ही उसकी सूचना सबसे पहले मुझे दी जाए...पुलिस वालों को गुंडो मवालियों वाले काम करना पड़ रहा है।
वह अपने सामने बैठे सुदीप से बोला, ’देखो अगर तुम और तुम्हारा स्टाफ हमारी मदद नहीं करेगा तो हम तुम्हें उस आदमी से नहीं बचा पाएंगे...तुम्हें पता है ना कि तुम्हारा होटल सील हो गया है, और अगर यह सील खुलवाकर दोबारा काम चालू करवाना चाहते हो तो उस लड़की का सही-सही हुलिया बता दो।‘
सुदीप ने हां में गरदन हिलाई और मारिया का हुलिया बताने लगा...पर उसे लग रहा था कि मारिया ने कुछ ज्यादा ही मेकअप कर रखा था, आंखो को गहरे आइलानर से हाईलाइट कर लिया था। होंठो पर भी कुछ ज्यादा ही डार्क लिपस्टिक लगा रखी थी, ऐसा उसने जानबूझकर किया था जिससे उसका हुलिया सही से बताया न जा सके।‘’
माथा कैसा था उसका..? स्केच बनाने वाले ने पूछा,
माथा, सुनकर सुदीप घबराया, माथा तो उसने अपने बालों से कवर कर रखा था, मेरा मतलब है कि उसके साधना कट बाल थे।
‘’ओह यानी माथा चौड़ा होगा और साधनाकट बाल थे, यह अनुमान लगाकर सामने बैठा वह आदमी स्केच बनाने लगा।
वहां मीरा जल्दी-जल्दी नीचे उतरने लगी, उसके हाथ में एक छाता था। जैसे जैसे वह नीचे उतरती जा रही थी, उसकी कान में किसी की चीख पुकार करके रोने की आवाज तेज होती जा रही थी। डेडबॉडी अभी बिल्डिंग के पास बने एक शेड के नीचे रखी गई थी, लोग छाता लेकर बॉडी को घेर कर खड़े थे।
मीरा लोगों के बीच से रोने वाले का चेहरा देखने लगी...अचानक एक औरत का बिलखता चेहरा दिखा, वह तो रजनीश की मम्मी है, जो अभी कुछ समय पहले ही मीरा से यहीं मिली थी और रजनीश के बारे में पूछ रही थी...तो क्या रजनीश.? ओह नो....'' मीरा का रोम रोम डर के मारे कांप उठा।
वह जगह बनाती हुई एकदम आगे आकर खड़ी हो गई...डेडबॉडी को देखकर मीरा सन्न रह गई। उसका चेहरा खून से लथपथ था...उसे सामने से सिर के बीचोंबीच गोली मारी गई थी। मीरा के पैर लड़खड़ा उठे...कौन हो सकता है इतना निर्दयी? माना रजनीश अपराधी किस्म का इसांन था पर ऐसी मौत का हकदार तो एकदम नहीं था।
क्या क्या आर्यन.? सोचते ही मीरा की रूह कांप उठी।
क्या मीरा की नजरों में आर्यन रजनीश का कातिल बन जाएगा?
क्या चीफ मारिया तक पहुंचने में सफल हो पाएगा?
राघव अपने परिवार से मिलकर अपने भाई की शादी में शामिल हो पाएगा?
जानने के लिए पढते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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