"आप वहाँ हथियार नहीं ले जा सकते और सिर्फ 3 लोग ही आगे चल सकते हैं, सिर्फ मिस्टर वर्मा को छोड़कर। बांकी यहीं रहेंगे। इसके अलावा हमारे कुछ हथियारबंद सैनिक आपलोगों के साथ रहेंगे जो जरा भी किसी गड़बड़ी पर हरकत कर दे।"- एक सुरक्षा गार्ड ने आगे बढ़ने से पहले बोला।
सबने हामी भरी और सब आगे बढ़ गए। इस खरीददारी की शुरुआत भले नितिन ने की हो, लेकिन ख़रीददारी की इजाज़त सिर्फ मेलविन को थी ऐसा उनका सख्त आदेश था।
नितिन और रघु के साथ मिस्टर वर्मा, मेल्विन के पीछे-पीछे डीकोस्टा के गुप्त ठिकाने की ओर बढ़ रहे थे. शहर की भीड़भाड़ वाली गलियों से होते हुए, फिर एक सुनसान औद्योगिक इलाके में, उनकी गाड़ी एक पुरानी, वीरान दिखने वाली वेयरहाउस के सामने रुकी. बाहर से शांत दिखने वाली इस जगह के अंदर, अंगों का एक काला बाज़ार चल रहा था, और आज वे यहाँ एक बेहद ख़ास "उत्पाद" के लिए आए थे – उच्च-गुणवत्ता वाले अंग. मेल्विन के चेहरे पर शांत भाव थे, लेकिन उसके अंदर एक तूफान उमड़ रहा था. उसका असली मक़सद अंगों का सौदा करना नहीं, बल्कि MI को बचाना था. MI, जिसके बारे में किसी को नहीं पता था कि वह इस नरक में कैसे फँस गई थी, मेल्विन के लिए एक बहुत ख़ास शख्स थी. उसे हर हाल में उसे बचाना था, लेकिन बड़ी सावधानी से. उसे एक ग्राहक की तरह व्यवहार करना था, क्योंकि एक भी ग़लती उसकी और MI की जान ले सकती थी.
वेयरहाउस के अंदर घुसते ही, हवा में अजीब सी दुर्गंध फैली हुई थी - एंटीसेप्टिक और कुछ और भी, जो इंसान को अंदर तक झकझोर दे. मंद रोशनी में, मेल्विन ने डीकोस्टा को देखा. वह अपनी ऊंची कुर्सी पर बैठा था, चेहरे पर वही पुरानी, क्रूर मुस्कान. डीकोस्टा और मेल्विन का इतिहास कड़वा था। उनकी पिछली मुलाकात एक भयंकर लड़ाई में खत्म हुई थी, जिसमें दोनों ने एक-दूसरे को तगड़ा नुकसान पहुँचाया था. डीकोस्टा जानता था कि मेल्विन उसे कभी माफ नहीं करेगा, और मेल्विन के दिल में भी डीकोस्टा के लिए कोई जगह नहीं थी. आज, उन्हें फिर से आमने-सामने होना था, लेकिन इस बार हालात बिल्कुल अलग थे.
मिस्टर वर्मा ने डीकोस्टा को देखते ही मुस्कुराते हुए बोला और औपचारिक रूप से बातचीत शुरू की, "मिस्टर डीकोस्टा, हम आपके 'उत्पादों' की गुणवत्ता के बारे में देखने आए हैं।"
डीकोस्टा की नज़र मेल्विन पर पड़ी, और उसकी मुस्कान और चौड़ी हो गई. उसकी आँखों में एक शातिर चमक थी. "मेल्विन, तुम यहाँ! मुझे लगा तुम इस संस्था को बंद करवाकर ही मानोगे।"
उसकी आवाज़ में एक अजीब सी ख़ुशी और चुनौती थी, मानो वह मेल्विन को किसी पुरानी बात पर चिढ़ा रहा हो. "और क्या सुनने में आया है तुम्हें, मेरे दोस्त?" उसने ‘दोस्त’ शब्द पर खास जोर दिया, मानो कोई पुराना घाव कुरेद रहा हो.
मेल्विन ने खुद को शांत रखते हुए कहा, "पुराने दोस्त, बस बाज़ार में कुछ अच्छा देखने आया था. सुना है तुम्हारे पास कुछ ख़ास है."
उसकी नज़रें डीकोस्टा के पीछे की ओर घूम रही थीं, जहाँ उसे उम्मीद थी कि MI को बंदी बनाया गया होगा. उसे MI की एक झलक भर चाहिए थी, यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह ज़िंदा है और कहाँ है. डीकोस्टा की खुशी साफ झलक रही थी; उसे यह जानकर मज़ा आ रहा था कि मेल्विन, वह आदमी जिसने उसे कभी नहीं बख्शा था, वो जो उसके माल का सबसे करीबी था, आज उसी इंसान के हाथों से अपने सबसे करीबी को खरीदने आया था. यह उसके लिए एक अजीबोगरीब जीत थी, मेल्विन की बेबसी उसकी आँखों में साफ दिख रही थी।
डीकोस्टा ने कुछ "सैंपल" दिखाए, जो भयानक रूप से असली थे. मेल्विन ने बिना कोई भाव दिखाए उन पर एक नज़र डाली, उसके दिमाग में केवल MI थी. उसे अपनी बातचीत में इतनी चतुराई दिखानी थी कि डीकोस्टा को ज़रा भी शक न हो. उसे समय भी निकालना था, ताकि वह MI का पता लगा सके।
"आपके पास कुछ 'ताज़ा' नहीं है?" मेल्विन ने जानबूझकर डीकोस्टा को उकसाया, "हमें हाइ क्वालिटी वाला माल वाला चाहिए, तुरंत।"
डीकोस्टा हँसा, "धैर्य रखो, मेल्विन. अच्छी चीज़ों में समय लगता है. और हाँ, मेरे पास कुछ ऐसा भी है, जो शायद तुम्हें पसंद आए." उसकी आँखें चमक उठीं, मानो वह कोई अंदरूनी मज़ाक कर रहा हो. "तुम्हें शायद यह नहीं पता होगा कि मैं कितना 'ख़ास' सामान रखता हूँ. कभी-कभी, जो चीज़ तुम सबसे ज़्यादा चाहते हो, वह तुम्हारे सबसे करीब होती है... और तुम उसे खरीदने आते हो."
डीकोस्टा के शब्द एक ज़हर की तरह मेल्विन के कानों में घुल गए. उसने अपने दाँत भींच लिए, अंदर ही अंदर अपने गुस्से और बेबसी से जल रहा था. वह जानता था कि डीकोस्टा उसे पहचान गया था, और वह उसके खेल को खेल रहा था।
जैसे ही डीकोस्टा ने एक हाथ से इशारा किया, एक परदा हटा और अंदर से एक स्ट्रेचर बाहर आया. उस पर एक आकृति लेटी हुई थी, कमज़ोर और अचेत. मेल्विन की आँखें चौड़ी हो गईं – यह MI थी! उसके चेहरे पर एक पल के लिए सारी बनावटी शांति हट गई, और उसके अंदर का दर्द स्पष्ट दिख गया. डीकोस्टा यह सब देखकर मुस्कुराया. "तो मेल्विन," डीकोस्टा ने विजय भरी आवाज़ में कहा, "आज तुम क्या खरीदने आए हो? एक पुराना बदला... या एक नई जिंदगी?"
मेल्विन ने अपनी मुट्ठी कस ली. डीकोस्टा की चाल इतनी गहरी थी कि वह अब पूरी तरह फँस चुका था। उसके पास MI को बचाने का कोई और रास्ता नहीं था सिवाय इसके कि वह इस सौदे में शामिल हो. डीकोस्टा उसे एक ग्राहक के रूप में देख रहा था, और MI की जान की कीमत मेल्विन के लिए कुछ भी नहीं थी. उसकी आँखें डीकोस्टा पर गड़ी थीं, जिसमें गुस्सा, दर्द और एक भयानक बेबसी झलक रही थी.
मेल्विन की आँखें MI पर टिकी थीं, जो अब स्ट्रेचर पर पूरी तरह अचेत लेटी हुई थी. डीकोस्टा की मुस्कान और चौड़ी हो गई. "तो मेल्विन," डीकोस्टा ने अपनी कुर्सी से उठते हुए कहा, "आज तुम क्या खरीदने आए हो? एक पुराना बदला... या एक नया जीवन?" उसकी आवाज़ में जीत की खुशी थी, और मेल्विन को महसूस हुआ जैसे वह अपने ही जाल में फँस गया है.
मिस्टर वर्मा, जो अब तक शांत थे, डीकोस्टा की इस सीधी चुनौती से सकपका गए. उन्हें अंदाज़ा नहीं था कि मेल्विन और डीकोस्टा का इतना गहरा इतिहास है, उन्होंने मेल्विन की ओर देखा, उनके चेहरे पर सवालिया निशान थे।
मेल्विन ने खुद को संभाला. उसके अंदर का ज्वालामुखी उबल रहा था, लेकिन उसे पता था कि एक भी गलत कदम MI की जान ले सकता है. उसने डीकोस्टा की आँखों में देखा, अपनी आवाज़ में एक अजीब सी खामोशी लाते हुए बोला, "कितनी कीमत लगाओगे इसकी?"
डीकोस्टा हँसा, एक ऐसी हँसी जो मेल्विन के कानों में चुभ रही थी. "कीमत? मेल्विन, हर चीज़ की एक कीमत होती है. और इस 'माल' की कीमत तुम्हारी उम्मीद से कहीं ज़्यादा है." उसने MI की ओर इशारा किया. "यह सिर्फ एक अंग नहीं है, यह तुम्हारे लिए एक सबक है. एक सबक कि तुम हमेशा नहीं जीत सकते, और कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें तुम कभी नियंत्रित नहीं कर सकते।"
मेल्विन ने एक गहरी साँस ली. डीकोस्टा ने एक चाल चली थी एक गहरी चाल। वह उसे सिर्फ MI को बेचने नहीं आया था, वह उसे मानसिक रूप से तोड़ना चाहता था. "बोलो," मेल्विन ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी खामोशी थी जो डीकोस्टा को भी कुछ पल के लिए शांत कर गई. "कितनी कीमत लगाओगे?"
डीकोस्टा ने एक पल के लिए मेल्विन की आँखों में देखा, फिर एक लंबी साँस ली. "तुम्हारी पूरी संपत्ति। हर चीज़ जो तुमने पिछले दस सालों में कमाया है, वो सब कुछ, और साथ ही मिस्टर कपूर के कम्पनी का पूरा मालिकाना हक बिना किसी शर्त, बिना किसी पैसे के। और हाँ, एक छोटी सी अतिरिक्त चीज़... तुम्हारी इज़्ज़त।"
मेल्विन का चेहरा और भी सख्त हो गया। वह समझ गया था कि डीकोस्टा उससे सिर्फ पैसे नहीं, बल्कि उसकी आत्मा चाहता है. उसे यह भी पता था कि उसके पास कोई विकल्प नहीं है. अगर वह MI को बचाना चाहता है, तो उसे यह सौदा करना होगा, चाहे उसकी कीमत कुछ भी हो.
"ठीक है," मेल्विन ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी बेबसी थी. "मैं तैयार हूँ।"
मिस्टर वर्मा और नितिन अवाक रह गए. उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि मेल्विन, इतना सक्षम और चालाक आदमी, इतनी आसानी से हार मान रहा था. रघु भी कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था. डीकोस्टा के चेहरे पर एक भयानक मुस्कान आ गई. यह उसकी जीत थी. उसने मेल्विन को उस मोड़ पर ला दिया था जहाँ वह चाहकर भी भाग नहीं सकता था।
"मरवेलॉस!" डीकोस्टा ने खुशी से कहा. "तो अब, सौदे की शर्तें..." उसने मेल्विन की ओर एक फाइल बढ़ाई. "इस पर सिग्नेचर करो, और MI तुम्हारी होगी."
मेल्विन ने फाइल को उठाया, उसके हाथ हल्के से काँप रहे थे. उसे लगा जैसे वह अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी हार मान रहा हो, लेकिन MI की आँखों में उसे एक उम्मीद की किरण दिखाई दी, और उसने अपने दिल को मजबूत किया. उसे पता था कि यह सिर्फ शुरुआत है, और अभी भी उसे डीकोस्टा से बदला लेना है, भले ही इसके लिए उसे कितना भी इंतज़ार करना पड़े।
मेल्विन ने उस फाइल को उठाया, उसके हाथ हल्के से काँप रहे थे, लेकिन उसकी आँखों में अब बेबसी की जगह एक नई चमक आ गई थी – एक चमक, जो किसी बेहद तेज़ दिमाग की सूझबूझ का संकेत थी. उसने डीकोस्टा की आँखों में देखा और एक हल्की मुस्कान उसके होठों पर तैर गई.
"डीकोस्टा," मेल्विन ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी खामोशी थी जो माहौल को और भी गहरा कर गई, "तुम जानते हो, मुझे हमेशा से लगता था कि तुम एक चालाक खिलाड़ी हो. पर तुमने कभी सोचा है कि असली खेल कौन खेल रहा है?"
डीकोस्टा की मुस्कान थोड़ी फीकी पड़ी. उसे मेल्विन की बात समझ नहीं आई थी, पर उसे यह ज़रूर लगा कि मेल्विन हार मानने वालों में से नहीं है. "क्या बकवास कर रहे हो?" उसने कुछ झुंझलाहट में पूछा.
"नहीं, बकवास नहीं," मेल्विन ने कहा, "एक सच्चाई. तुम MI को बेच रहे हो, और मैं उसे खरीद रहा हूँ. लेकिन क्या तुमने सोचा है कि MI मेरे लिए इतनी ज़रूरी क्यों है? सिर्फ इसलिए कि वह उसके साथ मेरा लगाव है? या इसलिए कि उसमें कुछ ऐसा है जो तुम्हें भी नहीं पता?"
डीकोस्टा की भौंहें तन गईं. "तुम मुझे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हो, मेल्विन. वह सिर्फ एक कमज़ोर लड़की है। एक कमजोर बच्ची।"
"कमज़ोर?" मेल्विन ने धीरे से सिर हिलाया. "तुमने उसे कभी कम करके नहीं आंका, डीकोस्टा. MI कोई साधारण बच्ची नहीं है. उसके पास कुछ ऐसी जानकारी है, कुछ ऐसे राज़ जो तुम्हें भी नहीं पता. राज़, जो तुम्हारी पूरी सल्तनत को हिला सकते हैं।"
डीकोस्टा के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं. वह जानता था कि मेल्विन हवा में बातें नहीं करता. "किस तरह के राज़?" उसने पूछा, उसकी आवाज़ में अब उतनी आत्मविश्वास नहीं था जितनी पहले थी।
"ऐसे राज़," मेल्विन ने कहा, अपनी आवाज़ में रहस्य का पुट भरते हुए, "जो उसे ज़िंदा रखने के लिए मुझे मजबूर कर रहे हैं. अगर उसे कुछ हुआ, तो वो राज़ सबके सामने आ जाएंगे, और फिर तुम किसी को अंग नहीं बेच पाओगे, डीकोस्टा. क्योंकि तुम्हारे पास कोई ग्राहक नहीं बचेगा, सिर्फ दुश्मन बचेंगे।"
"तुम झूठ बोल रहे हो। यह संस्था, सालों से यहाँ है। कइयों ने इसे डुबाने की कोशिश की। कोई इसका कुछ नहीं बिगाड़ सका। और तुम कह रहे हो कि तुम इसे हिला सकते हो।"-डिकोस्टा ने आत्मविश्वास के साथ कहा।
"तुम समझे नहीं डिकोस्टा। मैं भला कौन होता हूँ इस संस्था को हिलाने वाला। मैं तो तुम्हारी बात कर रहा हूँ।"- मेलविन ने मुस्कुराते हुए बोला।
"हाहाहा। तुम जरूर मुझे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हो। लेकिन तुम समझ लो। मैं तुंम्हारे चाल में नही,,,,"- इससे पहले की डिकोस्टा कुछ भी कह पाता। मेलविन ने उसे अपना फोन थमा दिया। डिकोस्टा ने जब उसमें बात की तो उसके कानों में किसी की आवाज गूंज पड़ी, वह आवाज मिस्टर कपूर की थी। फोन पर ही उसने कुछ ऐसा कहा कि डिकोस्टा के छक्के छूट गए, उसके चेहरे से पसीना आने लगा।
अब डीकोस्टा सोचने लगा. मेल्विन की बात में दम था। अब उसे सबकुछ समझ आ रहा था। वो सारे तार जोड़ पा रहा था। इसके अलावा भी, अगर MI के पास वाकई ऐसी कोई जानकारी है जो उसकी साख को नुकसान पहुँचा सकती है, तो उसे बेचना या मारना उसके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा. डीकोस्टा एक व्यापारी था, और व्यापार में नुकसान उसे कभी मंज़ूर नहीं था।
"तुम क्या चाहते हो?" डीकोस्टा ने पूछा, उसकी आवाज़ अब नरम पड़ चुकी थी।
"मैं MI को चाहता हूँ," मेल्विन ने जवाब दिया, "सुरक्षित और ज़िंदा. और बदले में, मैं तुम्हें एक मौका दूंगा अपनी सल्तनत को बचाने का।"
डीकोस्टा की आँखें चमक उठीं. "तुम मुझे क्या दे सकते हो जो मेरे पास पहले से न हो?"
"ज्ञान"- मेलविन ने कहा- "वो ज्ञान जो तुम्हें और तुंम्हारे सल्तनत को बचाए रखेगा। अगर तुम्हारी बात मिस्टर कपूर से अच्छे से कोई हो तो तुम समझ चुके होंगे कि MI को कुछ भी होना तुंम्हारे लिए कौन सी मुसीबत लाएगा।"
"लेकिन अगर ये सौदा नहीं हुआ तो तुम भी जानते हो कि मैं तुम्हें उस 500 करोड़ तक पहुँचाने के लिए बाध्य नहीं रहूँगा। तो तुम सोच लो कि तुम्हें Mi चाहिए या फिर वो 500 करोड़ रुपये।"- डिकोस्टा ने भी आगे कहा।
यह बहुत बड़ी दुविधा थी क्योंकि पैसों का ना मिलना पूरे प्रक्रिया को नुकसान पहुंचा सकता था। एक पल के लिए मेलविन सोच में पड़ गया। उसे भी अब कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे? अब क्या वो mi को बचाएगा या फिर 500 करोड़ रुपये लेगा। जानने के लिए सुनते रहिए।
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