जिन सवालों से रोहन बचना चाहता था, वो सवाल उसके दरवाज़े पर खड़े थे। पवन चौहान के साथ रोहन का कैसा रिश्ता था ये बात सिर्फ रोहन को मालूम थी। एसएचओ उन कड़ियों को जोड़ना चाहता था जिसके सहारे वो रोहन तक पहुंच सके। अगर एसएचओ रोहन तक पहुंच जाता, तो रोहन के लिए उस मुसीबत से निकल पाना नामुमकिन होता… एसएचओ कर्मवीर के लिए ये सवाल बड़ा ही पेचीदा था कि एक बड़े बिजनसमैन ने क्यूँ और किस लिए रोहन के नाम कर दी थी जबकि पवन चौहान का अपना भरा पूरा परिवार था… एसएचओ कर्मवीर का रोहन के घर पर आना रोहन के लिए बड़ी मुसीबत थी, लेकिन आप वक्त से जुड़े सवालों से मुंह नहीं फेर सकते… अतीत का कोई हिस्सा कभी न कभी आज में उभर कर आ ही जाता है। उस वक्त राहत की बात बस इतनी ही थी कि घर में हेमलता और कंचन दोनों ही नहीं थे वरना क्या होता, ये सोचकर ही रोहन घबरा गया और उसकी घबराहट को एसएचओ कर्मवीर ने भांप लिया था…
एसएचओ - अरे रोहन, आप तो मुझे देखकर घबरा ही गए जैसे मैंने आपकी कोई चोरी पकड़ ली हो… वैसे भी हम पुलिस वालों को देख कर अक्सर लोग घबरा ही जाते हैं। मैं जनता हूँ कि आपने कुछ किया नहीं है… लेकिन पुलिसवाला हूं न, हर किसी पे शक करने की भी आदत है… ख़ैर ये बताइए, मुझे देखकर कैसा लगा आपको….
रोहन - नहीं सर ऐसी कोई बात नहीं… आप अचानक आ गए, वही सोच रहा था..
एसएचओ - मैं अचानक आ गया ये सोच रहे थे या फिर ये कि होम वर्क तो किया नहीं और ये एसएचओ सप्राइज़ टेस्ट लेने आ गया… वैसे बात तो सही सोची आपने, तो चलिए आज फिर से एक टेस्ट के लिए तैयार हो जाइए… वैसे एक बात बता दूं, क्वेशन आउट सिलबस नहीं होगा…
एसएचओ कर्मवीर का इस तरह से रोहन के घर आना उसके सामने खड़ी परेशानी का इशारा था। रोहन एसएचओ कि बातें सुन रहा था उसको को यूं चुप चाप देखकर एसएचओ कर्मवीर ने कहा…
एसएचओ - मुझे लगा आप खुश होंगे, उस दिन इतनी अच्छी बात चीत हुई थी हमारे बीच… भाई एक बात तो है लोग पुलिस वालों को ऐसे ही बदनाम करते हैं। मैं तो बस यहां से गुज़र रहा था.. पता चला आप भी यहीं रहते हैं तो मिलने चला आया ... कोई टेस्ट वेस्ट नहीं है रीलैक्स हो जाइए रोहन जी…
रोहन को एसएचओ कि बातों पर बिल्कुल यक़ीन नहीं हो रहा था। कोई न कोई बात ज़रूर है वरना ये यहाँ क्यूं आता? तब तक बबलू पानी लेकर वहां आ चुका था… बबलू को देखकर एसएचओ कर्मवीर कि आंखे चमक उठी, जैसे रोहन का सच निकालने की चाभी उसे मिल गई हो… पानी का ग्लास हाथ में पकड़ते हुए एसएचओ ने रोहन से पूछा..
एसएचओ - ये कौन है???
रोहन - मेरे साथ रहता है..
एसएचओ - आपका रिश्तेदार है??
इससे पहले रोहन कुछ कहता, बबलू ने ख़ुद ही कह दिया
बबलू - साहब! मेरा नाम बबलू है, हम रोहन भईया के घर में काम करते हैं…
एसएचओ - देखा.. ऐसे पुलिस वालों को जवाब दिया जाता है… मैं तुमसे बहुत खुश हुआ… मेरा यहां, मतलब मेरे घर में काम करोगे??
इस सवाल को सुनकर बबलू थोडा़ हिचकिचा गया… उसे समझ ही नहीं आया कि वो क्या जवाब दे??
एसएचओ - मुझे तुम्हारे जैसे लड़के की ज़रूरत है जो टू द पॉइंट बात करे.. मेरी वाइफ को झेल सके… चलोगे मेरे साथ… तुम्हारे रोहन भईया से ज़्यादा पैसे दूंगा…
एसएचओ कर्मवीर की बातों का अब तक बबलू ने कोई जवाब नहीं दिया… चुप चाप सोचता रहा…
एसएचओ - अगर तुम्हारे रोहन भईया कह दे तो हमारे साथ चलोगे?
इससे पहले बबलू कुछ कहता, रोहन ने कहा…
रोहन - जा बबलू अंदर जा… कुछ ज़रूरत होगी तो बुला लूंगा..
एसएचओ - ऐसे लड़के आज कल मिलते कहां हैं??? देख रहा हूं आप भी बबलू को मुझे देना नहीं चाहते… ख़ैर छोड़िए रोहन साहब… अगर आप इजाज़त दें तो एक आध सवाल अकेले में बबलू से पूछ लूं…
अब रोहन का माथा ठनका.. कोई न कोई बात एसएचओ को पता लगी है वरना बबलू से पूछताछ नहीं करता… इस बारे में उसकी बबलू से भी कोई भी बात नहीं हुई थी …और एसएचओ को वो मना भी नहीं कर सकता है…
रोहन - जी सर, आप अकेले में बबलू से जो पूछना चाहते हैं पूछ सकते हैं…
रोहन वहां से उठ कर चला गया… बबलू घबराहट से रोहन की तरफ़ देख रहा था… अब रोहन को कुछ नहीं मालूम एसएचओ ने बबलू से क्या पूछा और बबलू ने एसएचओ को क्या बताया… इस टेंशन के साथ एक और टेंशन ये थी कहीं मां और कंचन न आ जाए.….क़रीब 10 मिनट के बाद बबलू आया और कहा..
बबलू - भईया एसएचओ साहब बुला रहे हैं, जल्दी जाइए…
इससे पहले वो बबलू से कुछ कह पाता एसएचओ अन्दर आ चुका था…
एसएचओ - घर तो आपका शानदार है… काफ़ी खर्चा किया है… हां,जो इन्सान किसी का भी दिल जीत लेता हो उसे किस बात की कमी होगी… और हां कमी से याद आया, आपने पवन चौहान की प्रॉपर्टी तो वापस कर ही दी होगी… आख़िरकार वो आप पर आंख मूंद कर भरोसा करते थे…
रोहन - अभी तो वापस नहीं की है..
एसएचओ - आप तो कह रहे थे कर दूंगा, फिर क्या हुआ..
रोहन - सर, मेरी मां की तबियत ख़राब हो गई इसलिए नहीं कर सका… वैसे जल्दी ही उनकी फैमिली को प्रॉपर्टी वापस कर दूंगा…
एसएचओ - ग्रेटवैसे एक बात मुझे अब भी समझ नहीं आई…. ऐसी क्या मजबूरी थी जो पवन चौहान ने इतनी महंगी प्रॉपर्टी गिफ्ट कर दी… ख़ैर मैं चलता हूं…
रोहन - चाय तो पी लीजिए..
एसएचओ - मैं तो चाय बनाने वाले को ही साथ लेकर जाना चाहता था लेकिन आप तैयार ही नहीं हैं… ख़ैर चाय फिर कभी जब फुरसत होगी…
एसएचओ के जाने के बाद रोहन ने गहरी सांस ली लेकिन उसके जेहन में अब भी सवाल यही था कि एसएचओ के दिमाग़ में क्या चल रहा है??? क्या एसएचओ उसके खिलाफ़ सबूत इकट्ठा कर रहा है या फिर उसे पवन चौहान की मौत के मामले में फंसाना चाहता है। एसएचओ के जाने के बाद कंचन और हेमलता दोनों घर वापस आ गई। बबलू ने उन दोनों को एसएचओ के बारे में कुछ नहीं बताया। इस बारे में रोहन और बबलू के बीच भी कुछ बातचीत नहीं हुई थी। काफ़ी दिनों के बाद रोहन आज ख़ुद ही अपनी मां के पास गया… थोड़ी देर तक चुप रहा फिर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा…
रोहन - मां तुम नाराज़ हो क्या??
हेमलता ने उस वक्त कोई जवाब नहीं दिया… जब रोहन ने फिर से सवाल दोहराया तो हेमलता ने कहा…
हेमलता - नहीं तो.. ऐसा तुम्हें क्यूं लगता है मैं तुमसे नाराज़ हूं… अगर नाराज़ होती तो तेरे साथ थोड़ी न होती…
रोहन - फिर मुझसे बात क्यूं नहीं करती??
हेमलता - करती तो हूं… अब तुम छोटे बच्चे नहीं रहे जो तुम्हें हर बात पर रोकती टोकती रहूंगी… अब तुम बड़े हो गए हो… अपना अच्छा बूरा समझ सकते हो इसलिए तुम्हें बस अब्ज़र्व करती हूं… ख़ैर तुम्हारा काम कैसा चल रहा है…
हेमलता ने काम का ज़िक्र किया था… रोहन की ज़िंदगी में अब काम के सिवा बचा ही क्या था… ख़ुद को तो वो कब का भूल गया था…
रोहन - सही चल रहा है… कंचन अच्छी लड़की है… सही से तुम्हारा ख्याल रखती है…
रोहन ने बात बदलने की कोशिश की थी… वो जानता था काम का ज़िक्र करते करते कहीं सच न बाहर आ जाए… तभी हेमलता ने कहा…
हेमलता - हां अच्छी लडकी है… अगर मेरी बेटी भी होती तो शायद इतना ख्याल नहीं रखती जितना कंचन रखती है… तभी तो इसकी फ़िक्र होती है…
हेमलता इससे पहले कुछ और कहती वहां कंचन आ गई चाय लेकर…
कंचन - किसकी फ़िक्र हो रही है आपको आंटी?? आपने मुझे बताया नहीं… ये लीजिए चाय….
कंचन ने दोनों को चाय दी और ख़ुद भी चाय पीते हुए बोली…
कंचन - सर, मुझे एक काम के लिए घर जाना होगा... काम ख़त्म होते ही वापस आ जाऊंगी.. तब तक बबलू, आंटी का ख्याल रख लेगा…
कंचन ने वापस जाने की बात हेमलता को भी नहीं बताई थी… अचानक कंचन के वापस जाने की बात सुनकर हेमलता चौंक गई और फिर धीरे से बोली…
हेमलता - पराई लड़की को कब तक रख सकते हैं… मैं तुम्हारी मां थोड़ी न हुं … अब तू भी मुझसे तंग आ गई है इसलिए पीछा छुड़ाना चाहती है…
कंचन - कैसी बात कर रही हैं आंटी??? मैं आपसे तंग कैसे आ सकती हूं?? ये बात आप कैसे सोच सकती हैं?? आप फ़िक्र क्यूं कर रही हैं??? मैं जल्दी काम ख़त्म कर वापस लौट आऊंगी…
रोहन ने कंचन के जाने की बात सुनकर मां के चेहरे की उदासी को देख लिया था… वो जानता था कंचन के जाने से उसे परेशानी होगी लेकिन वो कर भी क्या सकता था???
रोहन - कंचन जाना ज़रूरी है क्या?? मैं वो काम नहीं कर सकता…
कंचन - सर, आप वो काम कर सकते तो मैं ज़रूर आपसे कह देती… बट ट्राइ टू अन्डर्स्टैन्ड मी...मैं कोई बहाना नहीं बना रही… सच में इम्पॉर्टन्ट काम है … मैं जल्दी वापस आ जाऊंगी…
इस बार रोहन को कंचन पर यक़ीन करने के सिवाय कोई रास्ता नहीं था… बस इस बात का डर था मां कंचन के बगैर कैसे रहेगी।
कंचन आखिर किस काम के सिलसिले में घर जा रही है?
क्या कंचन हमेशा के लिए रोहन की माँ और उसकी दी हुई जॉब को छोड़ कर चली जाएगी?
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