रिनी : "अविनाश, अगर तुमने मुझे भूषण का पता नहीं दिया, तो तुम्हारी ज़िंदगी में ऐसा तूफ़ान आ जाएगा, जिसका तुम सामना नहीं कर पाओगे। सोच लो, फैसला तुम्हारे हाथ में है।”
अविनाश के चेहरे पर असमंजस साफ झलक रही था। वह भूषण का सबसे अच्छा दोस्त था, लेकिन रिनी के शब्द उसके मन में डर पैदा कर चुके थे। रिनी ने उसे साफ शब्दों में यह धमकी दी थी। वैसे रिनी का मन भी इस समय किसी भँवर जैसा हो गया था, उसके भीतर भावनाओं का तूफान चल रहा था। एक ओर उसे डर था कि कहीं भूषण उसकी सच्चाई को सबके सामने न उजागर कर दे, और दूसरी ओर उसकी वह इच्छाएँ थी, जिन्होंने उसे अंधा कर दिया था। वह जानती थी कि उसे किसी भी हाल में भूषण को अपने रास्ते से हटाना होगा, जिसके लिए रिनी ने अविनाश का सहारा लिया था।
अविनाश के पास कोई और चारा नहीं था। उसने भारी मन से भूषण का पता रिनी को दे दिया और वहाँ से चला गया। रिनी ने उससे वादा किया कि वह अविनाश और उसके परिवार से दूर रहेगी, लेकिन वह यह वादा कब तक निभाएगी, यह भविष्य में आने वाले एक तूफ़ान पर निर्भर करता था। उस तूफ़ान से खुद रिनी भी अनजान थी। भूषण का पता मिलने के बाद रिनी के चेहरे पर एक क्रूर मुस्कान उभर आई। उसने उसी समय निकुंज को कॉल किया और उसे बिना कोई सवाल किए भूषण से मिलने भेज दिया। निकुंज, जो हमेशा से रिनी का अंधभक्त था, उसकी हर बात मानने के लिए तैयार रहता। रिनी ने उसे आर्डर देते हुए कहा
रिनी- तुम्हें बस निकुंज वह करना है, जो हमने कल decide किया था।
रिनी अब भी रेस्टोरेंट के कोने में बैठी अपने अगले कदम की योजना बना रही थी कि तभी उसके फोन पर आँचल का कॉल आया। कॉल देखते ही वह मुस्कुराई क्योंकि वह आँचल से बात करने का ही इंतजार कर रही थी। उसे पता था कि आँचल के पास उसके सवालों का जवाब हो सकता है। फोन उठाते ही उसने गहरे आत्मविश्वास के साथ पूछा,
रिनी(आत्मविश्वास)- कुछ पता चला, आँचल?
आँचल की आवाज़ गंभीर थी, “हाँ, रिनी, उस ज़मीन के असली मालिक का पता चल गया है। वह ज़मीन मंजू देवी कपूर के नाम पर है, और क्षितिज का उससे कोई लेना-देना नहीं। यह पूरी तरह से अवैध कब्जा है।” रिनी के चेहरे पर हैरानी और उत्सुकता साफ झलक रही थी। उसने असमंजस के साथ कहा,
रिनी(असमंजस में)- लेकिन क्यों? ऐसी क्या खासियत है उस ज़मीन में?
रिनी के सवाल पर आँचल ने कुछ पल रुककर कहा, “तुम्हें पता है, जब इस ज़मीन को खरीदा गया था, तब इसकी कीमत 5000 करोड़ थी... और अब इसकी कीमत 30,000 करोड़ है।” जमीन की कीमत सुनी तो रिनी की आँखें फटी की फटी रह गईं, उसने हकलाते हुए कहा
रिनी(हकलाते हुए)- क्या? मतलब... 30,000 करोड़… पर क्यों, और यह....
रिनी को चौंकते सुन आँचल ने कहा, “हाँ, और इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि क्षितिज को यह ज़मीन कैसे मिली, इस बात का कोई जवाब किसी के पास नहीं है। रिनी क्या तुम जानती हो, मंजू देवी कपूर कौन है? लास्ट नेम तो क्षितिज का ही सरनेम है… “ रिनी ने सोचते हुए कहा
रिनी(सोचते हुए)- नहीं, मैंने कभी इस नाम के बारे में नहीं सुना, लेकिन मैं इस बात का पता लगाकर रहूंगी। एक बात और बताओ आँचल... उस कॉल के बारे में कुछ पता चला, जो आया था, उस आदमी का?
रिनी के इस सवाल पर आँचल कुछ देर चुप रही फिर बोली, “उसे तुम एक फ्रॉड कॉल समझो, अभी के लिए उससे मत घबराओ, अगर फिर से वह कॉल आए तो उसे रिकॉर्ड करना। उसके बाद उसका क्या करना है, वह मैं देख लूंगी। बस तुम मेरे बैंक अकाउंट का ध्यान रखना”। रिनी ने आँचल की बात पर भौंहें चढाते हुए कहा
रिनी(नाराजगी से)- हाँ, हाँ, मैं जानती हूँ। तुम जैसे दो कौड़ी के जर्नलिस्ट, बिना मतलब किसी के लिए कुछ नहीं करते...आम भाषा में तुम्हें गिद्ध कहते हैं। खैर, चिंता मत करो, तुम्हारे अकाउंट में पैसे पहुँच जायेंगे..
रिनी ने इतना कहते हुए फोन काट दिया, और वेटर को अपने पास बुलाकर बिल मांगा। दूसरी तरफ, भूषण इस समय मंदिरा के साथ एक गेस्ट हाउस में था। मंदिरा उसे ब्रीदिंग टेक्नीक्स सिखा रही थी। मंदिरा ने भूषण के सामने मुस्कुराते हुए कहा
मंदिरा(समझाते हुए)- भूषण , अगर तुम अपने गुस्से को काबू में नहीं रखोगे, तो यह तुम्हें अंदर से खा जाएगा। सांस लेने की यह technique तुम्हारी मदद करेगी, बस 5 बार धीरे-धीरे सांस अंदर लो, और फिर धीरे-धीरे अपनी सांस बाहर छोड़ो…
मंदिरा के कहने के मुताबिक़ भूषण ने एक लंबी सांस ली और फिर अचानक पूछा,
भूषण(अचानक से)- वैसे, क्या तुम्हें कभी गुस्सा नहीं आता?"
मंदिरा ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया,
मंदिरा(मुस्कान के साथ)- भूषण, मैं भी इंसान हूँ। गुस्सा तो मुझे भी आता है, लेकिन मैंने इसे काबू करना सीख लिया है। पहले छोटी-छोटी बातों पर चिढ़ जाती थी, लेकिन जब से मैंने समझा है कि हर भावना हमारे दिमाग से जुड़ी होती है, तब से मैंने गुस्से को अपने ऊपर हावी होने देना बंद कर दिया…
भूषण उसकी बातों को ध्यान से सुन रहा था, उसने असमंजस के साथ कहा,
भूषण(हैरान होकर)- वैसे तुम्हारी ज़िंदगी में भी कितने हादसे हुए। मैं सोचता हूँ, तुम्हें यह सब कैसे संभालना पड़ा होगा..
मंदिरा(गहरी सांस लेकर)- भूषण , हम अपने अतीत को बदल नहीं सकते। जो होना था, वह हो गया, लेकिन हम अपनी ज़िंदगी को जीने का तरीका ज़रूर बदल सकते हैं। मेरे साथ जो हुआ, उसने मुझे तोड़ने की बजाय मजबूत बनाया।
भूषण ने उसकी बातों में सच्चाई महसूस की। उसने हैरानी से पूछा,
भूषण(सवालिया से)- लेकिन क्या तुमने कभी महसूस नहीं किया कि तुम्हारी बहन की हालत ने तुम्हें कमजोर बना दिया है?
भूषण का सवाल सुनकर मंदिरा एक पल के लिए बिल्कुल चुप हो गई। उसे महसूस हुआ कि जैसे किसी ने उसके मन के किसी कोने में दबी वह बात कह दी, जिसे कहने की हिम्मत वह कभी नहीं कर पाती। मंदिरा ने भूषण ने अपनी नज़रें चुराते हुए कहा
मंदिरा(समझाते हुए)- भूषण , मेरी बहन के साथ जो हुआ, उसे मैं बदल नहीं सकती, लेकिन मैंने सीखा कि उसकी हालत को अपनी कमजोरी नहीं बनने देना चाहिए। अगर वह ठीक होती, तो वह भी यही चाहती कि मैं अपनी ज़िंदगी खुशी से जीऊं। यही तो असली मूव ऑन करना है...जो है, जैसा है, उसके साथ चलते रहो, आगे बढ़ते रहो। हम बुज़दिल बनकर क्यों जियें…
भूषण मंदिरा की बातों से प्रभावित हुआ, उसे लगा जैसे न जाने वह कितने दिनों से ऐसे ही जवाबों के इंतज़ार में था, क्योंकि आज तक भूषण अपने बुरे अहसासों को, अपनी ज़िन्दगी में आए बुरे हालातों को अपने आगे न बढ़ पाने का कारण समझता था, लेकिन मंदिरा ने अपने परिवार की मौत और उसके बाद उसने अपनी बहन के साथ हुआ हादसा देखा था। वह इस बात से हैरान था कि इस सब ने मंदिरा को कमज़ोर नहीं बनाया था, बल्कि वह उन सब अहसासों का सामना बहादुरी के साथ कर रही थी. भूषण अपने मन में यह सब बातें सोच ही रहा था कि तभी मंदिरा ने उसे समझाने के लिए एक इग्ज़ैम्पल देते हुए बताया,
मंदिरा(समझाते हुए)- एक बहुत बड़े psychologist ने एक औरत के बारे में केस स्टडी की थी, उस औरत का नाम ब्रैंडा था। एक एक्सीडेंट में उसके दिमाग का वह हिस्सा काम करना बंद कर गया, जो हमें reaction देने के लिए उकसाता है, मतलब वह सुन भी सब सकती थी, और बोल भी, लेकिन वह तब भी चुप रहती थी। धीरे-धीरे उसका परिवार भी शांत और उदास रहने लगा, उसके बच्चों ने बोलना बंद कर दिया। उसके पति ने किसी से मिलना बंद कर दिया लेकिन तब उनके psychologist ने कहा, आप उसकी स्थिति को अपनी कमजोरी मत बनाइए, आपको भी अपनी ज़िंदगी जीने का हक है। यही बात हम सब पर लागू होती है… किसी और के हालात क्या हैं, या किसी ने हमारे साथ क्या किया, हम पर उसका क्या असर पड़ा, यह एक बहुत बड़ी कहानी का एक छोटा सा हिस्सा है। भूषण, जानते हो, जीवन बहुत लंबा है, हम इसे छोटा समझते हैं, खासकर वह लोग जो हर वक्त दूसरो में उलझे रहते हैं, या फिर उन कामों में उलझे रहते हैं जो उनकी जरुरत तो पूरी कर रहे हैँ, लेकिन उन्हें मोटिवेट नहीं कर रहे..
भूषण मंदिरा की बातों को समझने की कोशिश कर रहा था। उसकी बातें सुनने के बाद उसे महसूस हुआ कि मंदिरा कितनी सरलता से और समझदारी से यह सब बातें कह देती है। भूषण को आजतक ऐसा कोई भी इंसान नहीं मिला था जो उससे इस तरह की बातें करता हो। भूषण लगातार मंदिरा को देख रहा था, तब मंदिरा ने उसके मुंह से बात छीनते हुए कहा
मंदिरा(मुस्कुराते हुए) - मैं तुम्हारा चेहरा पढ़कर ही समझ सकती हूँ कि तुम यह ही कहने वाले हो कि मंदिरा तुम्हारा नजरिया कितना अलग है, तो मिस्टर भूषण तुम भी अपनी ज़िंदगी को इसी नज़रिये से देख सकते हो। बस तुम्हें मुझ पर और सबसे पहले खुद पर भरोसा करना होगा…
मंदिरा इतना कहकर अपने bed से उठी और फिर अपना चाय का कप उठाकर भूषण की तरफ मुड़कर बोली
मंदिरा(हँसते हुए)- अब चाय खत्म हो चुकी है, और मैं अच्छा महसूस कर रही हूँ, इसलिए अब मैं तुम्हें एक टास्क देना चाहती हूँ।
भूषण(चौंकते हुए)- टास्क?
मंदिरा(गहरी मुस्कान के साथ)- हाँ, एक ऐसा टास्क जो तुम्हें अपनी ज़िंदगी में अगले कदम पर ले जाएगा। तैयार हो?
भूषण उसकी तरफ देखता रह गया। उसने समझ लिया कि मंदिरा की बातें उसे बदलने लगी थीं। उसकी ज़िंदगी में रिनी का तूफान एक बार फिर दस्तक देने वाला था, लेकिन भूषण अभी इन सब बातों से अनजान था। मंदिरा ने भूषण को हल्की मुस्कान के साथ देखा और कहा,
मंदिरा(ऑर्डर देकर)- तुम्हें अपनी डायरी में लिखना है। जितने लोगों को अब तक खो चुके हो, उनकी लिस्ट बनाओ। यह भी लिखो कि वह तुम्हें छोड़कर क्यों गए? जब वह गए, तब तुम्हें कैसा लगा, और फिर ऐसा क्या हुआ कि तुम अपने अगले रिश्ते में जा पाए?
भूषण ने मंदिरा की बात सुनकर हल्का सा सिर हिलाया और कहा,
भूषण(मज़ाकिया ढंग से)- सीधे-सीधे कहो ना, तुम्हें मेरी सारी गर्लफ्रेंड्स के नाम जानने हैं…
मंदिरा(हंसते हुए)- हाँ, बिल्कुल यही, अब लिखो, और हाँ, मैं थोड़ी देर में वापस आती हूं। तब तक तुम्हारे जवाब तैयार होने चाहिए…
मंदिरा इतना कहते हुए कमरे से बाहर निकल गई। भूषण ने पहले तो टेबल पर रखी डायरी को ऐसे घूरा, मानो वह उसकी सारी यादों का भार उठाने वाली हो। फिर उसने गहरी सांस ली, पेन उठाया और लिखना शुरू कर दिया।
भूषण- 14-09-2006, क्लास 11 रिधिमा शाह।
जैसे ही भूषण ने रिधिमा का नाम लिखा, उसकी आंखों में वह पुराने दिन किसी फिल्म की तरह चलने लगे। ट्यूशन की हलचल भरी दुनिया… हर कोने में बच्चों की बातों और हंसी की गूंज। वही क्लासरूम, जहां भूषण पहली बार रिधिमा से मिला था। रिधिमा शाह, सीधी-सादी, गहरे भूरे बालों वाली लड़की। उसकी हंसी में एक अलग सी कशिश थी। जब भी वह अपने दोस्तों के साथ हंसती, उसकी खिलखिलाहट भूषण के दिल में कहीं गूंजती रहती। उस दिन क्लास में भूषण ने पहली बार रिधिमा से बात करने की कोशिश की थी, लेकिन रिधिमा की नज़रें हमेशा प्रियांशु पर रहती थीं। प्रियांशु, जो क्लास का सबसे मशहूर लड़का था, वह लड़कियों को हंसाना और उन्हें फंसाना जानता था। रिधिमा प्रियांशु को पसंद करती थी, प्रियांशु के लिए यह सब आम था, लेकिन भूषण के लिए यह नफरत की वजह बनने लगा। भूषण ने मन ही मन ठान लिया था कि वह रिधिमा का ध्यान अपनी तरफ खींचेगा। उसने अपनी चालाकी से पूरे ट्यूशन में एक अफवाह फैला दी
भूषण(बड़बोलेपन के साथ)- प्रियांशु की पहले से गर्लफ्रेंड है और वह एक फ्रॉड लड़का है, लड़कियों का इस्तेमाल करता है.. और रिधिमा जैसी लड़कियों को तो वह अपने आसपास भी नहीं फटकने देता..
बिना किसी परवाह के भूषण ने यह बात फैला दी, अफवाह तेजी से फैली। प्रियांशु की इज्ज़त के चीथड़े उड़ने लगे, रिधिमा के कानों तक भी पहुंची। उसने प्रियांशु से दूरी बनानी शुरू कर दी। भूषण को लगा कि उसने बाज़ी जीत ली है, लेकिन प्रियांशु ने भी अपने तरीके से पलटवार किया। उसने रिधिमा से दोस्ती कर ली और उसे इतना करीब कर लिया कि भूषण और ज्यादा अकेला महसूस करने लगा। गुज़रे हुए उस कल में भूषण ने खुद को उस दिन घटी घटना के केंद्र में पाया। क्लास खत्म होने के बाद प्रियांशु ने रिधिमा को एक चिट्ठी दी थी, वह चिट्ठी दरअसल भूषण ने रिधिमा के लिए लिखी थी, लेकिन प्रियांशु ने उसे अपने नाम से दे दिया। जब भूषण ने यह देखा, तो उसकी सांसें जैसे रुक गई थीं। उसने सोचा भी नहीं था कि प्रियांशु इस हद तक जाएगा। रिधिमा उस चिट्ठी को पढ़ते हुए मुस्कुरा रही थी, और भूषण का दिल अंदर ही अंदर टूट रहा था। उस दिन के बाद से रिधिमा और प्रियांशु और करीब आ गए, और भूषण पूरी तरह से अलग-थलग पड़ा रह गया। उसे अपनी हरकतों का नतीजा भुगतना पड़ा। ना सिर्फ रिधिमा ने उससे बात करना बंद कर दिया, बल्कि प्रियांशु ने भी उसे अपना दोस्त मानने से मना कर दिया..उस दिन की बात को याद करते हुए भूषण ने डायरी में लिखा
भूषण(खुद से)- मैंने रिधिमा को कभी नहीं पाया, लेकिन उसे खोने का दर्द हमेशा महसूस किया। उस वक्त मैं खुद को सही मानता था, लेकिन सच तो यह था कि मैंने अपने ही रिश्तों को बर्बाद किया। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था, मुझे रिधिमा को प्रियांशु के बारे में बताने से पहले अपने अहसासों के बारे में बताना चाहिए था..
यह बात लिखते हुए भूषण की आँखों में हल्की नमी उभर आई, उसने पेन नीचे रखा और चेहरा अपने हाथों में छिपा लिया। तभी दरवाज़ा खुला, और मंदिरा अंदर आई। उसने भूषण को देखा और मुस्कुराते हुए कहा,
मंदिरा(मुस्कुराते हुए)- क्या हुआ? इतने serious क्यों हो गए?
भूषण(आँसू छुपाते हुए)- कुछ नहीं, बस आँख में कुछ चला गया था। लो पढ़लो, एक नाम तो लिख भी दिया है।
मंदिरा(हल्की हंसीके साथ)- बिल्कुल पढ़ूँगी, फिलहाल तुम अपने अगले नाम पर काम करो। अभी तो यह सिर्फ शुरुआत है, मैं जानती हूँ तुम्हारी ज़िन्दगी में बहुत से नाम होंगे।
भूषण ने मंदिरा की बात पर सिर हिलाया और फिर से पेन उठाया। वहीं मंदिरा ने उसे देखा और फिर वापस कमरे का दरवाज़ा बंद कर बाहर की तरफ मुड़ गयी। उसने एक गहरी सांस लेते हुए खुद से मन ही मन में कहा
मंदिरा(गहरी सांस लेकर)- तुम्हें समझने और तुम्हारे लिए एक नया भविष्य बनाने के लिए मुझे यह सब करना होगा भूषण। क्या पता तुम्हारे इन नामों में मेरे नाम का भी ज़िक्र हो, पर उससे क्या ही फायदा होगा। मेरा मकसद तुम्हें यहाँ से निकालना और एक नई रौशनी में ले जाना है, न कि तुम्हें अपने अंधेरों में खींचना।
मंदिरा ने इतनी बात कहते हुए अपने फ़ोन को देखा और फिर किसी को मैसेज भेजते हुए कहा
मंदिरा(गिल्ट के साथ)- मुझे जल्द से जल्द 5 लाख रुपये चाहिए, भूषण की इनफार्मेशन आप तक पहुँच जायेंगी...
आखिर क्या कर रही है मंदिरा? क्या भूषण फंसने वाला है किसी मुसीबत में? और क्या निकुंज भूषण तक पहुँच पायेगा? क्या है उस ज़मीन का पूरा सच?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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