काव्या किसी भी हालत में चंचल को पीयूष के पास नहीं रहने देना चाहती थी। जबकि चंचल का बार बार यही कहना था.

चंचल: “मैं फैमिली में किसी के साथ नहीं रहूंगी!”

दोनों बहनों की काफी देर बहस चलने के बाद, चंचल काव्या के फ्लैट पर रहने के लिए मान गई थी।

आर्यन और हमज़ा खुश थे कि सारा मामला सॉल्व हो गया था। पीयूष वहां इस तरह खड़ा था जैसे उसे अभी भी काव्या को एक्सप्लेनेशन देना हो।

जाते जाते काव्या ने पीयूष को धमकी देते हुए कहा,

काव्या: “खबरदार अब मेरे और मेरी फैमिली के किसी भी लाइफ में दोबारा आए तो! हमारे पुराने रिश्ते को भूलकर मैं फिर तुम्हारा बहुत बुरा हाल करूंगी।”

काव्या की धमकी सुनकर पीयूष उसे अपनी राम कहानी सुनाना चाह रहा था पर काव्या ने बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं लिया और चंचल को वहां से निकल कर निकल गई।

काव्या ने घर पर चंचल के बारे में सिर्फ इतनी बात बताई कि चंचल उसे मिल चुकी थी और वो कुछ दिनों के लिए उसके पास रहना चाहती थी।

पर ये सुनकर काव्या की मॉम गुस्से से फटने लगी थीं। उन्होंने फोन पर ही चिल्लाना शुरू करते हुए बोला,

काव्या की मॉम: “कमाल है! आजकल मां बाप कुछ बोलें नहीं, बच्चे घर छोड़ने की धमकी पहले देने लगते हैं। ये सब कुछ तेरा किया धरा है। अगर तू घर की बड़ी लड़की घर से इस तरह नहीं गई होती तो छोटी की भी हिम्मत नहीं होती। कैसी औलादों को भगवान ने हमारी झोली में डाल दिया!”

और फिर उन्होंने मेलोड्रामा करना शुरू कर दिया था। जिसको टेप रिकॉर्डर की तरह कुछ देर सुनने के बाद काव्या ने कॉल कट कर दिया।

वो चंचल को फ्लैट पर ड्रॉप करके अपने ऑफिस वापिस निकल गई थी। आर्यन भी अपने ऑफिस वापिस आ चुका था। काव्या ने आर्यन और हमज़ा दोनों को टेक्स्ट करते हुए लिखा, “थैंक यू मेरी मदद करने के लिए। आई एम रिएलि ग्रेटफ़ुल फॉर दैट!”

दोनों का एक साथ दिल वाले इमोजी आए। जिसको देख कर काव्या फिर से एक गहरी सोच में पड़ गई थी। जिसकी वजह से वो अपने काम पर भी ध्यान नहीं दे पा रही थी। उसे हैरानी इस बात की थी, कि हमज़ा भी अब उसकी तरफ इंटरेस्ट दिखाने लगा था। उस बर्थडे पार्टी के बाद से हमज़ा का स्वभाव काव्या के लिए काफ़ी बदल गया था। वो अंदर ही अंदर इस बात से खुश भी थी। पर उसकी ये खुशी ज़्यादा समय तक नहीं रह पाती जैसे ही उसके मन में आर्यन के साथ उसके बिताए पल याद आने लगते। उसे एक गिल्ट फील होने लग जाता था।

ऑफिस में काम करते हुए वो अपनी दुनिया में डूबी हुई बैठी थी तभी पीछे से उसका कलीग आशीष आया। और उसने काव्या को चॉकलेट देते हुए कहा,

आशीष: “ये लो तुम्हारे लिए!”

चॉकलेट देखते ही काव्या का दिल खुश हो गया था पर उसे समझ नहीं आया कि आज अचानक आशीष उसके ऊपर इतना मेहरबान क्यों हो रहा था।

तभी आशीष ने बताया,

आशीष: “मुझे कोई पसंद आ गया है, और मेरी अभी उससे अच्छी बातें चल रही हैं! इसलिए मैं बहुत खुश हूं और ये सब हुआ सिर्फ तुम्हारी वजह से काव्या!”

काव्या ने सोचा उसने ऐसा क्या किया था कि आशीष को उसका साथी मिल जाए। उसने पूछा,

काव्या: “मेरी वजह से? कैसे?”

आशीष ने मुस्कुराते हुए कहा,

आशीष: “तुमने ही मुझे हिम्मत दी कि मैं घर पर डेट करने की बात बोल पाऊं। उस दिन तो हम एक फ्रेंड डेट पर ही गए थे लेकिन उसके बाद मैंने सोचा क्यों न मैं सच में किसी को डेट करूं। मैंने अपने फोन में डेटिंग आप इंस्टॉल किया। अपनी आईडी बनाई और कुछ देर बाद ही मेरे पास किसी लड़की का मैसेज आया। “हाय” और अब मुझे उससे प्यार हो चुका है काव्या!”

काव्या ने पूछा,

काव्या: “एक लड़की के ‘हाय’  बोलने से तुझे उससे प्यार हो गया?”

इस पर आशीष ने कहा,

आशीष: “नहीं एक 'हाय’  से नहीं। हमने उस पूरी रात चैट्स की थीं। मैं कैसे बताऊं तुझे, हम पूरी रात सोए ही नहीं। उसने मुझे अपनी पूरी फैमिली के बारे में बताया। और मैने भी उसको अपने पूरे खानदान के बारे में!”

काव्या: “वेरी गुड ”

काव्या के मुंह से आशीष की बात सुनते हुए सिर्फ यही निकला। उसने आशीष से पूछा,

काव्या: “फिर तुझे उससे प्यार हो गया?”

आशीष ने कहा,

आशीष: “अरे यहां नहीं। जब उसने मुझसे ये कहा कि उसको बचपन में शीनचैन डोरेमोन कार्टून देखना पसंद है। तब तक मेरा दिल मेरे मुंह को आ गया। पहली बार कोई लड़की मुझसे मेरे फेवरेट कार्टून्स के बारे में बात कर रही थी।”

इस बात से काव्या ने उसकी चुटकी लेते हुए कहा,

काव्या: “पक्का वो 18 से ऊपर थी? क्योंकि मैं नहीं चाहती तू किसी नाबालिग के साथ ये सब चीज़ करते हुए फंस जाए!”

इस बात से आशीष गुस्सा होते हुए बोला,

आशीष: “जी नहीं। वो मेरी ही उमर की थीं। मैं कल उससे मिलने भी वाला हूं, सीपी में।”

काव्या ने आशीष को बधाई देते हुए कहा,

काव्या: “कंग्रैच्युलेशन्स एण्ड ऑल दी बेस्ट  यार!”

तभी वहां काव्या की बॉस ने आ कर काव्या को बताया कि दो दिन के अंदर काव्या को डिजाइंस की प्रेज़न्टैशन  दिखानी हैं।

काव्या वापिस अपने काम में लग गई क्योंकि वो शैलजा मल्होत्रा को किसी भी तरह से निराश  नहीं करना चाहती थी।

उधर आर्यन के ऑफिस में उसके आसपास सारे कलीग ट्रिप जाने की प्लानिंग कर रहे थे। पर आर्यन ऑफिस के लोगों के साथ ट्रिप पर नहीं जाना चाहता था। तो वो उनकी प्लानिंग का हिस्सा नहीं था।

आर्यन को अलग अपने प्रोजेक्ट में लगा देखकर उसके बॉस ने उसके पास आ कर पूछा,

आर्यन के बॉस: “क्या हुआ तुमको नहीं जाना है?”

आर्यन ने कहा कि उसे अभी अपने प्रोजेक्ट पर बहुत काम करना था। इसलिए वो टाइम वेस्ट नहीं करना चाहता था।

ये सुनते ही बॉस ने कहा,

आर्यन के बॉस: “पर काम के साथ साथ इंसान को थोड़ा ब्रेक भी लेना चाहिए। इधर उधर घूमना फिरना चाहिए। इससे दिमाग  बैलेंस रहता है!”

आर्यन अपने बॉस की इन बातों से ऊब चुका था। उसकी जिंदगी में एक ही उसूल रहा था “मेहनत करके इंसान कुछ भी हासिल कर सकता था।”

आर्यन इसी उसूल के साथ हमेशा अपने सपनों को पूरा होते देखा था। बॉस की इन बातों पर कोई रिएक्ट नहीं किया। और कुछ देर बाद सबसे दूर हटने के लिए फोन ले कर वाशरूम चला गया।

इंस्टाग्राम स्क्रॉल करते समय, आर्यन को प्रज्ञा की फोटो दिखी। हाथ जोड़ते हुए वो एक आर्ट ऑफ लिविंग सेंटर की बिल्डिंग के सामने खड़ी थी। फोटो में उसने माथे पर चंदन का टीका लगा रखा था और सफेद रंग की साड़ी पहने खड़ी थी।

साथ में कैप्शन में लिखा हुआ था, “ज़िंदगी गुलज़ार  है!”

आर्यन ने प्रज्ञा को कभी भी इस अवतार में नही सोचा था। उसे हैरानी हुई कि प्रज्ञा उस दिन के बाद से कितनी बदल गई थी। साथ में उसके विपासना में जाने की भी पिक्चर्स थीं। एकदम से प्रज्ञा की काया पलट हो गई थी। अगर ये सब सच था तो आर्यन को प्रज्ञा के लिए काफ़ी अच्छा लग रहा था कि प्रज्ञा अपनी जिंदगी में मूव ऑन सही तरह से कर रही थी।

अब उसे प्रज्ञा को ले कर ज़रा भी चिंता करने की ज़रूरत नहीं थी। पर उसके पास ज्यादा वक्त नहीं बचा था जब उसकी लगाई शर्त अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंचने वाली थी। अब उसे अपना अगला प्लान बनाना पड़ेगा नहीं तो उसकी जगह उसकी बहन चंचल हमेशा के लिए रह जायेगी।

चंचल उधर घर में बोर होने के बाद स्पीकर में तेज गाने बजा कर नाच रही थी। तभी काव्या ऑफिस से घर पहुंची तो पूरे घर को बिखरा देख कर उसका दिमाग खराब हो गया। कितनी मेहनत से उसने घर को सजाया था और चंचल के आते ही तबाही मचना शुरू हो गई थी।

उसके कमरे में स्पीकर के फुल वॉल्यूम पर म्यूजिक चल रहा था। और चंचल पागलों की तरह उस म्यूजिक पर डांस कर रही थी। काव्या अंदर आई तो भी चंचल ऐसे नाचे जा रही थी। कुछ समय परेशान होने के बाद काव्या ने म्यूजिक बंद कर दिया। म्यूजिक बंद होते ही चंचल ज़ोर से काव्या की तरफ चिल्लाई।

चंचल: “हाउ डेयर यू ? तुमने म्यूजिक बंद क्यों किया?”

काव्या जानती थी चंचल उसके घर में आ कर उसके माहौल को बिगाड़ देगी। क्योंकि वो एक ऐसी आफत बन चुकी थी। जिसके साथ कोई भी रह नही सकता था। चंचल के इस तरह चिल्लाने पर काव्या ने सीरियस हो कर उसे समझाते हुए कहा,

काव्या: “पहली बात तो इस तरह चिल्ला कर बात करने की जरूरत नहीं है। दूसरी बात म्यूजिक इतना लाउड चला रखा था कि मैं तुमसे बात नहीं कर सकती थी और मेरे सिर में दर्द होने लगा था!”

चंचल ने झुंझलाते हुए कहा,

चंचल: “अच्छा बात करनी थी? तुम को मुझसे क्या बात करनी है?”

काव्या पहले आराम से बेड पर बैठी फिर गहरी सांस लेते हुए उसने बताया,

काव्या: “मैं नहीं चाहती कि तू इस तरह मेरे घर में रह!”

ये सुनते ही चंचल फिर से चिल्लाने लगी। उसकी आवाज़ में एक ऐसी चुभन थी जिससे सबके कानों में दर्द होने लगता था। उसने चिल्लाते हुए कहा,

चंचल: “किस तरह? और अगर तू मुझे पहले ही बता दे, अगर तू मुझे इस तरह बार बार टोकने वाली है तो पहले ही यहां से निकल जाती हूं। किसी का एहसान नहीं चाहिए वैसे भी मुझे!”

चंचल की बातों को सुनकर काव्या का पारा चढ़ना तय था। उसने भी आपा खोते हुए कहा,

काव्या: “तू मुझसे बहस मत कर! मैने तुझे अभी कुछ बोला नहीं है और तू धमकी देने पर उतर आई है। मैं बस चाहती हूं कि तू ये घर ठीक से रखे क्योंकि ये तेरे अकेले का नहीं है और न ही मैं यहां मॉम की तरह फैलाया हुआ सब समेटूंगी!”

इतना सुनते ही चंचल पैर पटक कर वहां से निकल गई। उसने जाते जाते काव्या को गाली भी थी। वो शब्द काव्या के दिमाग में कई देर तक चल रहा था। फिर जब काव्या हॉल में फैला सब सामान समेट रही थी। उसके मुंह से भी चंचल के लिए वो शब्द निकला, बिच !

काव्या को लग रहा था कि वो चंचल के साथ आगे किस तरह से निभा पाएगी। काव्या जब पूरा सामान समेट रही थी। तभी चंचल जो वहां से गुस्से में निकली थी, उसे नीचे गार्डन की तरफ़ हमज़ा मिला।

हालांकि हमज़ा से चंचल की मुलाक़ात आज दिन में हो गई थी। पर चंचल ने ध्यान से हमज़ा की तरफ नहीं देखा था तब वो और और किसी ज़ोन में थी। अभी नीचे आने पर उसने हमज़ा को अच्छे से गौर किया था। हमज़ा को देखते ही चंचल के मुंह से निकल गया था,

चंचल: “सो स्मार्ट !”

हमज़ा किसी से फोन पर बात किए जा रहा था कि उसे अपना ऑर्डर अभी जल्दी से ही चाहिए कि वो वहां नीचे ऑर्डर आने का ही इंतजार कर रहा है।

जैसे ही हमज़ा ने फोन रखा, चंचल आई। उसने हमज़ा के सामने हाथ बढ़ाते हुए कहा,

चंचल: “हाय ”

हमज़ा अलग ही धुन में खोया हुआ था। चंचल को अचानक से अपने सामने देख कर वो थोड़ा चौंक गया फिर उसने हाथ बढ़ाते हुए कहा,

हमज़ा: “हाय ! अरे आप ठीक हैं अब? आज दिन में आपसे फिर बात ही नहीं हो पाई थी।”

चंचल हमज़ा की आवाज़ सुनते ही दीवानी सी होने लगी थी। उसने मुस्कुराते हुए कहा,

चंचल: “हां! मैं तो ठीक ही हूं। मेरी भी तुमसे बात नहीं हो पाई थी, इसलिए अभी तुमको देखा तो सोचा मिल लेना चाहिए। वैसे तुम सिगरेट पीते हो?”

हमज़ा ने मना करते हुए कहा,

हमज़ा: “मैंने सिगरेट पीना छोड़ दिया है!”

इस पर चंचल ने हैरानी जताते हुए कहा,

चंचल: “ओह! कोई सिगरेट कैसे छोड़ सकता है? जिंदगी में इतना स्ट्रेस होता है। कुछ न कुछ तो होना चाहिए उसे रिलीज करने के लिए!”

हमज़ा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,

हमज़ा: “और भी तरीके होते हैं वैसे स्ट्रेस को रिलीज करने के।”

चंचल ने पूछा,

चंचल : “जैसे?”

तभी हमज़ा का फोन बज उठा और उसने चंचल से कहा,

हमज़ा: “में आपको अगली मुलाकातों में स्ट्रेस को रिलीज करने के लिए चीजें बताऊंगा! अभी मेरी एक चीज के लिए आर्डर आया है। तो मैं अभी निकलता हूं! फिर मिलते हैं आपसे!”

उसके जाते ही चंचल अपने बालों को पीछे करते हुए बोली,

चंचल: “कितने प्यार से बात करता है, आखिर काव्या दी के दोस्त हैं लाजवाब!”

चंचल का मूड थोड़ा अच्छा हो गया था और उसने सिगरेट को भूल कर वापस काव्या के फ्लैट में आ गई। पूरा घर वापस से ठीक हो चुका था। काव्या ने चंचल को वापिस आते देखा, तो उसने चेहरा मोड़ लिया। चंचल थोड़ी देर काव्या के पास घूमती रही इस सोच में शायद काव्या अगर उससे बात कर ले तो चीजें नॉर्मल हो जाएंगी। जैसे कि हर बार लड़ाई होने पर काव्या पहल करती थी। पर इस बार काव्या ने पहल नहीं की।

जिसकी वजह से चंचल थोड़ी देर बाद वहीं आस पास रह कर काव्या के रूम में जा कर सो गई।

पर अभी तक आर्यन ऑफिस से नहीं आया था। काव्या को पहले लगा शायद उसे आर्यन को टेस्ट करके पूछ लेना चाहिए कि उसे कितना समय लगेगा।

जैसी ही टेक्स्ट करने वाली थी। उसके पास हमज़ा का टेक्स्ट आया। जिसमें लिखा था,

हमज़ा: “हाय काव्या! क्या तुम कुछ देर के लिए नीचे गार्डन में आ सकती हो?”

काव्या चौंक गई कि हमज़ा ने उसे अचानक नीचे गार्डन में क्यों बुलाया था। वो जैसे ही नीचे गार्डन के पास पहुंची, तो उसे वहां पर कहीं भी हमज़ा नजर नहीं आया। उसने जब इधर उधर नज़र घुमाई पर जब वो कहीं नज़र नहीं आया। तो काव्या ने उसे कॉल करने के लिए जैसे ही नंबर डायल किया। पीछे से हमज़ा हाथ में फूलों का गुलदस्ता लिए आता हुआ नज़र आया। हमज़ा ने पठानी कुर्ता सलवार पहन रखी थी। जिसमें वो कोई राजकुमार से कम नहीं लग रहा था। उसके हाथ में फूल देख कर काव्या का दिल तेज़ी से धड़कने लगा था। उसके मन में आया कि कहीं हमज़ा उसे प्रपोज तो नहीं करने वाला था? ये सोचते हुए काव्या के पूरे शरीर में अजीब तरह की तरंग दौड़ गई थी।

और उसका सोचना सही हुआ, हमज़ा ने आते ही काव्या की तरफ़ फूल बढ़ाते हुए कहा,

काव्या:“आप मुझे और मेरी बेबी को बहुत अच्छी लगने लगी हैं। तो क्या आप मेरे साथ डेट पर चलना चाहेंगी, मिस काव्या?”

क्या होगा काव्या का जवाब? क्या काव्या हमज़ा को भी सेम जवाब देगी जो उसने आर्यन को दिया था? क्या आर्यन काव्या की ज़िंदगी से चला जायेगा? जानने के लिए पढ़िये अगला एपिसोड। 

Continue to next

No reviews available for this chapter.