काव्या के मन में, हमज़ा को अपने सामने यूं हाथ में फूल लिए खड़े देख कर, एक ही बात याद आई। “देने वाला जब भी देता, देता छप्पर फाड़ के!”
उसने नहीं सोचा था कि बचपन में जो लड़की प्यार की भूखी, लड़कों के पीछे पीछे घूमती रहती थी। उसकी ज़िंदगी में कुछ ही दिनों के अंदर दो दो प्रपोजल्स आ जायेंगे!
हमज़ा के चेहरे पर खिली मुस्कुराहट को देखते हुए काव्या ने उसे हां कह दिया। उसने हमज़ा के हाथ से फूल लेते हुए कहा कि वो हमज़ा के साथ डेट पर जरूर जायेगी।
हमज़ा की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उसने कस कर काव्या को गले लगा लिया। प्यार के फूल जहां महक रहे थे वहीं दूसरी तरफ़ इनकी महक किसी के लिए धुआं बनती जा रही थी।
दरअसल आर्यन ने काव्या और हमज़ा को ऐसे एक दूसरे के साथ गले लगे हुए देख लिया था। ये देखने के बाद तो आर्यन के शरीर के हर रूएं से धुआं निकलने लगा था। उसके दिल के टुकड़े टुकड़े हो चुके थे।
इससे पहले काव्या की नज़र आर्यन पर पड़ती वो वहां से दबे पांव निकल चुका था। उसे भरोसा ही नहीं हो रहा था कि काव्या हमज़ा को उसके ऊपर चुन लेगी।
वापिस घर आ कर आर्यन ने अपने ऑफिस बैग से वो नोवेल निकाली जो उसने काव्या को तोहफे में देने के लिए ली थी। पर अब इस नोवेल को देने से क्या फायदा था? उसकी कहानी का तो अंत हो चुका था।
रात भर वो अपने बिस्तर पर करवटें बदलता रहा। पर उसे नींद ही नहीं आई। दिमाग़ में काव्या और हमज़ा की साथ में गले लगने की इमेज बार बार आई जा रही थी। अपनी आंखों के पास आर्यन को अचानक ऐसी जलन महसूस होने लगी थी जैसे किसी ने मिर्च के हाथ उसके आंख में लगा दिए हों। और फिर धीरे धीरे आंसू उसकी आंखों से टपकने लगे थे।
अपनी आंखों में आंसुओं को महसूस करके आर्यन को याद आया कि कितने वक्त से रोया ही नहीं था। आज अचानक उसकी आंखें छलछला उठीं।
जब उससे अपने कमरे में नहीं रहा गया तो वो हॉल में आ कर टहलने लगा था।
तभी काव्या के रूम के दरवाजे खुलने की आवाज़ हुई। दरअसल काव्या को भी नींद नहीं आ रही थी। उसने हमज़ा के साथ डेट पर जाने का फ़ैसला तो कर लिया था पर उसे आर्यन के बारे में सोच कर उलझन हो रही थी। इसलिए वो भी अपने कमरे से बाहर आई तो हॉल में आर्यन भी था।
नींद न आने के कारण दोनों साथी हॉल में शांत बैठे हुए थे। तभी काव्या ने आर्यन से पूछा,
काव्या: “क्या हुआ? तुम्हें नींद नहीं आ रही!”
आर्यन ने सिर हिलाते हुए कहा,
आर्यन: “नहीं, तुमको?”
काव्या ने भी सिर हिला दिया। दोनों फिर कुछ देर तक शांत बैठे रहे। तभी थोड़ी देर बाद अचानक से आर्यन ने वहां से उठते हुए बोला,
आर्यन: “मुझे बहुत तेज़ नींद आ रही है! बाय गुड नाईट!”
ऐसा बोलते हुए आर्यन अपने रूम में चला गया और उसने कस कर अपने कमरे का दरवाजा भेड़ दिया। काव्या को समझ नहीं आया कि आर्यन को अचानक क्या हुआ। पर ये पहली बार था जब आर्यन इस तरह बिहेव कर रहा था।
काव्या के मन की बेचैनी और बढ़ती गई और पूरी रात उसने हॉल में ही सोफे पर सो कर बिता दी।
अगले दिन काव्या की सुबह देर से हुई थी। उसके ऑफिस जाने में आधा घंटा ही बचा था। उसने अपने कमरे में देखा तो चंचल शांत छोटी बच्ची जैसे बिस्तर पर सो रही थी। उसके सोते हुए चेहरे को देख कर ही नहीं लगता था कि वो जागने के बाद इतनी बड़ी आफ़त बन जाती थी।
पर आर्यन का कमरा अभी भी अंदर से बंद था। आर्यन के ऑफिस का टाइम भी हो चुका था पर ऐसा लग नहीं रहा था कि आर्यन उठा था। काव्या ने पहले सोचा कि उसे आर्यन का गेट खटखटाकर उसे जगा दे लेकिन कुछ सोच कर उसने आर्यन को नहीं जगाया। वो ऑफिस के लिए तैयार होने लगी थी। जल्दी बाजी में उसने ब्रेकफास्ट भी नहीं किया। वो जैसे ही तैयार हो कर निकलने को हुई उसने गौर किया कि आर्यन का गेट अभी भी अंदर से बंद था।
काव्या ने कुछ देर सोचा कि उसे गेट खटखटा देना चाहिए। फिर उसे आर्यन को उसके हाल में छोड़ते हुए अपने ऑफिस निकल जाना ही सही लगा।
दरअसल आर्यन ने आज अपने काम से छुट्टी ले ली थी। वो पूरे दिन बस बिस्तर पर लेटे रह कर ही बिताना चाहता था।
काफी देर बाद उसने अपने कमरे का दरवाज़ा खोला। और इधर उधर घूमने के बाद फिर से अपने बेड पर जा कर पड़ गया। तभी घर में एक रॉक म्यूजिक बजने की आवाज़ हुई। दरअसल चंचल की सुबह हो गई थी और उसने उठते ही म्यूजिक चला लिया था।
म्यूजिक की बीट पर पैर थिरकाते थिरकाते, मुंह में ब्रश दबाए हुए वो आर्यन के कमरे के पास से गुजरी। तो उसने देखा आर्यन दरवाजा खोल कर बिस्तर पर औंधे मुंह पड़ा हुआ था।
आर्यन को औंधे मुंह पड़े देख कर चंचल ने आर्यन के दरवाजे को खटखटाया। आर्यन ने बिना शरीर को हिलाए हुए सिर्फ अपनी मुंडी को दरवाजे की तरफ मोड़ते हुए चंचल की तरफ देखा।
चंचल ने मुंह से ब्रश निकाल कर पूछा,
चंचल: “एवरीथिंग ओके?”
इस बात का आर्यन ने कोई जवाब नहीं दिया बस हाथ से अंगूठा दिखाते हुए अपना मुंह फिर से दूसरी तरफ मोड़ लिया।
कुछ देर बाद उनके घर में म्यूजिक चेंज होता गया और चंचल इधर से उधर घर में घूम रही थी। कुछ देर बाद उसने आर्यन के कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए पूछा
चंचल: “कॉफ़ी?”
आर्यन ने बिस्तर से अपनी मुंडी उठाई और फिर कुछ देर सोचने के बाद कॉफी के लिए हां कर दिया।
काफ़ी जैसे ही बनी, दोनों हॉल में खिड़की के पास दीवाल से सिर टिका कर जमीन में बैठे थे।
कॉफी का सिप लेते हुए चंचल ने आर्यन से पूछा,
चंचल: “व्हाट्स अप? तू इतना उदास क्यों है?”
आर्यन पहले कुछ नहीं बोला फिर थोड़ी देर बाद उसने कॉफी का आखिरी घूंट पीते हुए कहा,
आर्यन: “मैं ये घर छोड़ कर जा रहा हूं। मुझे नहीं लगता अब मैं यहां और रह पाऊंगा। तुम चाहो तो मेरा रूम ले सकती हो!”
आर्यन के ऐसा बोलने पर चंचल ने कहा,
चंचल: “नहीं बाबा! मुझे कोई रूम नहीं चाहिए। मेरे पास इतना पैसा नही है कि इसका रेंट दे सकूं! लेकिन तू जाना क्यों चाहता है?”
आर्यन जैसे ही आगे बोलने जाता, उसके दिमाग़ में कल रात हुआ हमज़ा और काव्या का विजुअल आ जाता और मन भारी होने लग जाता था।
हिम्मत करते हुए उसने बताया कि कैसे उसने काव्या से शर्त लगाई थी। और उसे अब लगता था कि वो ये शर्त हार गया है।
इसलिए अब वो यहां ज्यादा समय तक नहीं रुक सकता।
चंचल ने पूछा,
चंचल: “तो फिर तू कहां रहेगा?”
आर्यन ने अपनी जगह से उठते हुए कहा,
आर्यन: “मैं अपने दोस्तों के यहां कुछ समय के लिए जगह ढूंढ लूंगा।”
और ऐसा कह कर आर्यन ने अपना समान, अपने कपड़े बांधना शुरू कर दिया।
उधर काव्या जब ऑफिस में थी तो उसके पास हमज़ा का मैसेज आया। उसने डेट के बारे में मैसेज किया था कि वो रात में काव्या को एक रेस्टोरेंट ले जायेगा और उसके बाद दोनों इंडिया गेट चलेंगे।
काव्या ने स्माइल का इमोजी भेज कर हां कर दिया। पर चेहरे की खुशी गायब थी। वो कहते हैं न किसी भी चीज़ के मिल जाने के बाद पता लगता है कि वो नहीं चाहिए थी। जैसे जैसे वो हमज़ा के करीब आ रही थी। वो आर्यन से अपनी दूरी महसूस कर सकती थी। और आर्यन से दूर जाते हुए उसे अंदर से अच्छा नहीं लग रहा था।
तभी पीछे से रोनी सूरत ले कर आशीष आया। जिसके शक्ल पर बारह बजे थे। उसको देख कर काव्या ने पूछा,
काव्या: “क्या हुआ तूने मुंह क्यों लटका रखा है? और कैसी रही तेरी डेट?”
ये सुनते ही आशीष रोने सा लगा। उसने काव्या के पास झुक कर रोना शुरू कर दिया।
आशीष: “मेरा दिल टूट गया काव्या! मेरा दिल टूट गया।
काव्या ने आशीष को ऐसे ऑफिस में रोते देखकर उसे समझाते हुए कहा,
काव्या: “पर क्या हुआ आशीष? तू पहले ऐसे रोना बंद कर!”
आशीष ने सिसकते हुए कहा,
आशीष: “मैं जिससे ऑनलाइन बात कर रहा था वो कोई लड़की नहीं लड़का था जो फेक आईडी से एप चला रहा था। जब मैं उस लोकेशन पर पहुंचा तो वहां कुछ लड़के मेरा मज़ाक बनाने बैठे थे। और ये देख कर मेरा दिल टूट गया। अब मैं कहां से उसे ढूंढूं जिसको मान कर मैं चैट्स किया करता था। वो तो असल में है ही नहीं।
आशीष के साथ गंदा स्कैम हुआ था। काव्या को आशीष के लिए बुरा लग रहा था। उसने प्यार से आशीष को समझाया।
काव्या: “कॉलेज में कई बार मेरे साथ भी ऐसे किस्से हो चुके हैं जब मैं किसी फेक आईडी बनाने वाले बंदे से बात कर रही थी। पर अच्छा हुआ न तुझे सही समय पर पता चल गया! क्योंकि कई बार मामला काफी आगे बढ़ जाता है इंसान को तब पता चलता है जब वो सामने वाले के साथ प्यार में पड़ जाए।”
काव्या की बात सुनकर आशीष को थोड़ा अच्छा लगा। और उसने डेटिंग एप खोल कर दोबारा प्रोफाइल स्वाइप करना शुरू कर दिया। ये देख कर काव्या की हंसी निकल गई ये सोच कर कि कितना आसान होता है मूव ऑन करना।
वहीं घर पर आर्यन ने अपना सूट केस पैक करना शुरू कर दिया था। जब वो एक एक सामान बैग में ठूंसता जा रहा था तभी चंचल आर्यन के पास आकर बोली,
चंचल: “तू श्योर है?”
आर्यन ने तुरंत कहा,
आर्यन: “हां!”
चंचल उसके पास आ कर बैठ गई। वो आर्यन को सारा सामान पैक करते हुए देख रही थी। तभी उसने आर्यन से पूछा,
चंचल: “तूने जो शर्त लगाई थी अभी तो उसने दो दिन बचे हैं! तो तू अभी से क्यूं जा रहा है?”
आर्यन ने चंचल की तरफ तिरछी नज़र से देखा और कहा,
आर्यन: “बताया तो मैने, अब सब खत्म हो चुका है। एग्ज़ैम होने से पहले ही पेपर लीक हो गया है!”
आर्यन की बात सुन कर चंचल ने आगे कहा,
चंचल: “पर एग्ज़ैम की डेट तो वही रहेगी न। और एग्ज़ैम होगा भी। तुझे पता है हमारे कॉलेज में इकोनॉमिक्स का पेपर लीक हो गया था। मैने उस पेपर को पूरा चाट डाला था। उसके अलावा कुछ और नहीं पढ़ा था। लेकिन एग्ज़ैम वाले दिन पेपर बदल गया। जो जो मैने पढ़ा था उसमें से सिर्फ बीस नंबर का सवाल आया। उसके बाद मैं उसमें फेल हो गई। पर तेरे लिए बात यहां पास या फेल की नहीं, एग्ज़ैम डेट पर ही एग्ज़ैम देने की है। पेपर लीक होने से कोई फर्क नहीं पड़ता!”
चंचल के इस किस्से को सुनकर आर्यन सकपका सा गया। उसे चंचल से उम्मीद नहीं थी कि चंचल के अंदर भी किसी दूसरे को समझने और समझाने का गुण था। उसने अपने कपड़ों को पैक करना रोक के बिस्तर पर फिर से लेट गया।
काव्या हमज़ा के बताए एड्रेस पर पहुंच गई। वो रेस्टोरेंट के अंदर पहुंची तो हमज़ा ने दोनों के लिए एक स्पेशल टेबल बुक कर रखी थी। ये कैंडल लाइट डिनर था। आस पास सब कुछ काफी सुंदर माहौल था जिसे देख कर काव्या के दिल में गुब्बारे उड़ रहे थे।
तभी हमज़ा हाथ में एक पैकेट ले कर काव्या के पास आया। उसने काव्या को पैकेट देते हुए कहा,
हमज़ा; “मैं चाहता हूं कि आप इसको पहन कर आए। ये ड्रेस मैने आपके लिए ली है!”
ये सुनकर काव्या को बड़ा अजीब लगा। क्योंकि रेस्टोरेंट में आ कर ड्रेस चेंज करना अपने आप में बड़ा भारी काम था। पर हमज़ा के चेहरे पर खुशी को देख कर उसने ड्रेस पहनने के लिए हामी भर दी।
वाशरूम में जा कर उसने ड्रेस को देखा तो वो एक गाउन था। जिसे वॉशरूम में पहनना बड़ा मुश्किल था। पर काव्या ने ये करके दिखा दिया। उसको पहनने में लेकिन बहुत वक्त लग गया था।
जब वो गाउन पहन कर बाहर आई तो हमज़ा उसे प्यार से बस देखे जा रहा था। उसने काव्या को देख कर कहा,
हमजा: “परफेक्ट! चलो इसके ऊपर ये नेकलेस पहनो!”
काव्या थोड़ी ऑक्वर्ड सी हो गई थी। उसे ऐसा लगा जैसे वो किसी दूसरे हमज़ा से मिल रही हो। उसे समझ नहीं आ रहा था हमज़ा रेस्टोरेंट में ही तैयार क्यों करवाने पर तुला था। उसने नेकलेस के लिए मना करते हुए कहा,
काव्या: “नहीं मैं ठीक हूं, हमज़ा! यहां पहनना अजीब हो जाएगा!”
इस पर हमज़ा ने बोला,
हमज़ा: “ओह! अच्छा? वैसे मेरा सपना था मैं किसी भी लड़की को डेट पर ले कर जाऊं तो उसे वैसे ही तैयार करूं जैसे मेरी पहली एक्स हो कर आई थी।”
ये सुनते ही काव्या को अजीब सा महसूस होने लगा था। हमज़ा की ये कैसे ख्वाइश थी। वो अपनी एक्स के साथ हुई पहली डेट की तरह ही आने वाली हर डेट चाहता था। काव्या खुद पर डाउट करने लगी कि क्या उसने हमज़ा के साथ डेट पर आने का सही फैसला लिया था।
क्या हमज़ा के बदले मिजाज़ को देख कर काव्या हमज़ा के साथ आगे बढ़ना चाहेगी? क्या आर्यन हार मान कर काव्या को छोड़ कर चला जायेगा? क्या होगा जब काव्या को आर्यन के घर छोड़ कर जाने के बारे में पता चलेगा? जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड।
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