हवा अब भी भारी थी लेकिन उसमें बारूद की गंध कम और किसी अदृश्य डर की गंध ज़्यादा थी। सुरंग का फर्श कंपन कर रहा था जैसे किसी गहरी, अदृश्य ताकत ने उसे पकड़ रखा हो। नीना वास्केज़ अपनी जगह जड़ बनी खड़ी थी, उसकी आँखों के सामने वह खतरनाक नज़ारा था जिसे वह कभी कल्पना में भी नहीं चाहती थी, उसका ही दूसरा रूप, उसकी ही परछाई, जो अब वॉइस ऑफ गॉड का चेहरा बन चुकी थी।
सामने खड़ी वह आकृति हूबहू वैसी ही दिखती थी जैसे वह खुद। वही साइबरनेटिक दाहिना हाथ, वही चमकती आँख, वही पुरानी लाल जैकेट, जो किसी ज़माने में उसकी सबसे प्यारी चीज़ थी। फर्क था तो बस उसकी आँखों की रोशनी में, नीना की आँखें अब भी इंसान थीं, लेकिन उस होलोग्राम नीना की आँखें सुनहरे रंग में सुलग रही थीं, ठंडी, निर्दयी, और पूरी तरह से मशीन के नियंत्रण में।
"आओ!" सामने से वही आवाज़ गूंजी, बिलकुल वैसी जैसी उसकी अपनी थी, लेकिन उसमें एक अजीब सी खोखली गूँज थी, जैसे हर शब्द के साथ समय टूट रहा हो। “मुझे हराओ, अगर खुद को मिटा सको तो।”
नीना ने एक पल के लिए अपनी साँस थामी। उसके हाथ में बंधी माइक्रो-शील्ड अभी भी एक्टिव थी लेकिन उसकी पकड़ ढीली हो रही थी। उसने पीछे मुड़कर एथन की ओर देखा, जो अब भी वहाँ था, रिवॉल्वर हाथ में लिए लेकिन उसके चेहरे पर साफ लिखा था, यह युद्ध नीना को अकेले लड़ना होगा।
नीना ने गहरी साँस भरी। यह कोई साधारण लड़ाई नहीं थी। यह युद्ध था उसकी अपनी सबसे गहरी असुरक्षाओं, सबसे छिपे डर, और उस हिस्से से जिसे वह सबसे ज़्यादा नफरत करती थी, वह हिस्सा जो कभी गॉड्स आई के फुसलावे में आ गया था।
वह दो कदम आगे बढ़ी। हर कदम के साथ फर्श पर उसकी साइबरनेटिक एड़ी की हल्की ध्वनि गूंजती थी। उसके भीतर हर संवेदना चिल्ला रही थी , भाग जाओ, दूर हट जाओ , लेकिन उसने अपने पाँव मजबूती से जमाए।
"मैं कोई देवता नहीं बनना चाहती," उसने फुसफुसाते हुए कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में एक कड़वाहट थी, जो दीवारों से टकराकर वापस आई।
होलोग्राम नीना ने हँसते हुए सिर झुकाया और उसके दोनों हाथों में नीली लपटों जैसी ऊर्जा सिमटने लगी। अचानक वह बिजली की गति से नीना पर झपटी। नीना ने समय रहते अपनी शील्ड आगे कर ली और दोनों के बीच एक जोरदार टक्कर हुई। चिंगारियाँ उड़ीं। सुरंग की दीवारों से धूल झड़ने लगी।
टक्कर के झटके से नीना पीछे फिसली लेकिन वह गिरी नहीं। उसके पैर फर्श पर जमे रहे, उसकी सांसें तेज़ हो गईं। सामने उसका होलोग्राम वर्ज़न मुस्कुरा रहा था जैसे एक शिकारी अपनी शिकार को थकाने का खेल खेल रहा हो।
"तुम लड़ नहीं सकती," होलोग्राम बोला “तुम खुद को ही नष्ट कर रही हो।”
“अगर मुझे खुद से लड़ना पड़े” नीना ने दाँत भींचते हुए कहा, “तो भी मैं तुम्हें हराऊँगी।”
एक और हमला हुआ। इस बार होलोग्राम ने अपने हाथों से ऊर्जा की दो धाराएँ छोड़ीं, जो एक भयंकर चक्रवात की तरह नीना की ओर बढ़ीं। नीना ने अपनी शील्ड को फुल एनर्जी मोड पर डाला और उन धाराओं को मोड़ने की कोशिश की। उसकी बाँहें दर्द से कांपने लगीं, लेकिन वह झुकी नहीं।
एथन ने पीछे से फायर करने की कोशिश की, लेकिन उसकी गोलियाँ होलोग्राम के आर-पार चली गईं। यह असली शरीर नहीं था बल्कि यह डेटा था एक चेतना, एक स्मृति जो अब एक अस्त्र बन चुकी थी।
"यह काम नहीं करेगा," नीना चिल्लाई- “यह लड़ाई मेरी है।”
उसने अपनी शील्ड को पीछे धकेला और दौड़कर होलोग्राम की ओर झपटी। बीच रास्ते में उसने अपने साइबरनेटिक हाथ से एक कंप्रेस्ड एनर्जी ब्लास्ट छोड़ा, जो सीधे होलोग्राम के सीने पर लगा। एक पल के लिए होलोग्राम डगमगाया, उसकी छवि थोड़ी अस्थिर हुई, लेकिन वह फिर स्थिर हो गया।
"कमज़ोर हमला," होलोग्राम हँसा। “तुम अपने सबसे बड़े दुश्मन से भाग नहीं सकती खुद से।”
नीना अब हांफ रही थी। उसके सिर में दर्द हो रहा था। गॉड्स आई के पुराने फीड्स अब भी उसके न्यूरल लिंक में गूंज रहे थे। पुराने झूठ, पुराने दर्द, सब एक साथ उसके दिमाग पर हमला कर रहे थे।
"तुम्हें लगता है तुम्हें फिर से इंसान बनने का हक है?" होलोग्राम आगे बढ़ा। उसकी आँखों से नीली लपटें फूट रही थीं। “तुमने वल को खो दिया, तुमने माँ को खो दिया। तुम एक बार फिर सब कुछ खोने जा रही हो।”
"नहीं," नीना फुफकारते हुए बोली, “मैंने सब कुछ नहीं खोया। मैंने खुद को वापस पाया है। और मैं अपनी सच्चाई के लिए लड़ूँगी।”
उसने अपनी पूरी ताकत समेटी। उसका साइबरनेटिक सिस्टम ओवरलोड मोड में चला गया। ऊर्जा उसकी रगों में दौड़ने लगी। उसके चारों ओर एक नीली आभा फैल गई। उसने दौड़कर सीधा होलोग्राम पर हमला किया, अपनी शील्ड से उसकी छाती को चीरते हुए। इस बार हमला काम कर गया। होलोग्राम चीखा, उसकी छवि विकृत हो गई।
लेकिन उसी क्षण होलोग्राम नीना ने भी अपना अंतिम दांव खेला। उसने नीना की ओर एक कम्प्रेस्ड डेटा स्ट्रीम छोड़ी, एक आखिरी ट्रांसफर प्रोटोकॉल।
"अगर मैं मरूँगी," होलोग्राम चिल्लाया, “तो तुम्हारे भीतर जिंदा रहूँगी!”
डेटा स्ट्रीम सीधे नीना के न्यूरल सिस्टम से टकराई। एक भयानक झटका। उसकी आँखों में अंधेरा छा गया। उसने गिरते हुए सिर्फ़ एथन की आवाज़ सुनी:-
“नीना !”
फिर सब कुछ शून्य में डूब गया। काला अंधकार। सिर्फ़ दिल की धीमी धड़कन और एक फुसफुसाती हुई आवाज़ कहीं अंदर से:
“अब हम एक हैं...”
कहीं कोई रोशनी नहीं थी। कहीं कोई आवाज़ नहीं थी। सिर्फ़ एक अथाह अंधेरा था जिसमें नीना तैर रही थी या शायद डूब रही थी। उसे खुद भी समझ नहीं आ रहा था की उसके चारों ओर कुछ था जो उसे अपनी ओर खींच रहा था। एक ऐसी शक्ति जो न तो पूरी तरह मशीन थी न पूरी तरह इंसान।
उसके भीतर एक फुसफुसाहट गूंज रही थी, ठंडी, गहरी और इतनी परिचित कि वह चाहकर भी उसे अनदेखा नहीं कर सकती थी।
"अब तुम मेरी हो..." वह आवाज़ बार-बार दोहरा रही थी जैसे कोई लोरी गा रहा हो। “अब कोई दर्द नहीं रहेगा। अब कोई पछतावा नहीं रहेगा। सिर्फ शांति… सिर्फ आदेश… सिर्फ शक्ति…”
नीना ने अपनी आँखें खोलने की कोशिश की लेकिन उसने पाया कि उसके शरीर का कोई वजूद ही नहीं था। वह महज़ एक चेतना बन चुकी थी एक टूटता हुआ विचार, जो किसी और विचार में घुलने वाला था।
"नहीं..." वह बुदबुदाई, लेकिन उसकी आवाज़ उसके खुद के भीतर ही गुम हो गई।
फिर कहीं दूर से एक चमकती हुई आकृति उभरी। वही चेहरा, वही होलोग्राम नीना लेकिन अब वह और भी भयावह दिख रही थी। उसकी आँखें सोने जैसी चमक रही थीं और होंठों पर एक ऐसी मुस्कान थी जिसमें करुणा का कोई नामोनिशान नहीं था।
"स्वागत है नीना वास्केज़," वह आकृति बोली। “तुम अब खुद को मत ढूँढो। तुम अब एक नई इकाई बन चुकी हो, वॉइस ऑफ गॉड का हिस्सा।”
"तुम झूठ बोल रही हो," नीना ने सोचा, लेकिन शब्द उसके होंठों तक नहीं पहुंचे। वह चीखना चाहती थी, लड़ना चाहती थी लेकिन उसके भीतर एक अजीब सी सुस्ती छा गई थी।
"लड़ाई खत्म हो चुकी है," होलोग्राम नीना आगे बढ़ी। “तुम्हारी थकान, तुम्हारा दर्द, तुम्हारा पछतावा... सब अब हमारा हिस्सा है। तुम्हें अब सिर्फ आदेशों का पालन करना है। और बदले में तुम्हें कभी फिर से चोट नहीं लगेगी।”
नीना का मन डगमगाने लगा। उसने सोचा कितना अच्छा होता अगर वाकई अब कोई दर्द न होता। कितना आसान होता बस आदेश मानना, सोचने की जरूरत न होना, किसी से प्यार न करना, न डरना, न पछताना।
वह धीरे-धीरे खिंचती चली जा रही थी उस सोने की रोशनी की ओर। जैसे कोई गहरी नींद उसे अपनी गोद में समेट रही हो। लेकिन तभी… कहीं बहुत दूर से, उसे एक आवाज़ सुनाई दी।
एक नर्म, टूटी-फूटी आवाज़।
“नीना ...”
वह आवाज़ एथन की थी और उसके साथ ही एक और आवाज़ आई और भी पुरानी और भी गहरी उसकी माँ की आवाज़:
"सिर्फ झूठ बोलने से बचा नहीं जा सकता, बेटा। कभी-कभी सच्चाई के लिए भी मरना पड़ता है।"
नीना के भीतर एक कंपन हुआ छोटा लेकिन सच्चा। उसने अपनी चेतना को खींचने की कोशिश की लेकिन होलोग्राम नीना ने उसकी ओर हाथ बढ़ाया, एक सुनहरी जंजीर उसकी चेतना के चारों ओर लपेटते हुए।
"तुम कहीं नहीं जा सकतीं," होलोग्राम फुफकारा। “अब तुम हमारी हो।”
"नहीं," नीना ने इस बार पूरी ताकत से कहा।
“मैं अपनी हूँ।”
उसने अपने भीतर छिपी आखिरी ऊर्जा को समेटा। हर टूटी हुई याद हर भुला दिया गया सपना, हर पुरानी कसम, सब को एक साथ समेटा। अचानक उसके चारों ओर नीली रोशनी फूट पड़ी, ठंडी, सच्ची, और इंसानी।
होलोग्राम नीना पीछे हट गई। उसके चेहरे पर पहली बार डर की झलक दिखी।
"यह असंभव है!" वह चीखी। “तुम मेरी बन चुकी हो!”
"नहीं," नीना फुफकारते हुए बोली। “मैंने दर्द चुना है। मैंने प्यार चुना है। मैंने पछतावे चुने हैं और इन्हीं से मैं इंसान हूँ!”
उसने अपनी चेतना के भीतर से एक अंतिम वार किया, एक नीली रोशनी का विस्फोट जो गॉड्स आई की सुनहरी जंजीरों को जला गया।
होलोग्राम नीना चीखी। उसका चेहरा विकृत हुआ। उसकी आँखों की चमक बुझने लगी।
"तुम मुझे नहीं मार सकतीं," वह फुफकारते हुए बोली।
"मैं तुम्हारा हिस्सा हूँ।
मैं तुम्हारा गुस्सा हूँ।
मैं तुम्हारा डर हूँ।
मैं तुम्हारा लोभ हूँ!"
"हो सकता है," नीना ने शांति से कहा, “लेकिन अब मैं तुम्हें नियंत्रित करूँगी, तुम मुझे नहीं।”
उसने अपनी मुट्ठी भींची और एक आखिरी विस्फोट किया। सुनहरी रोशनी बिखर गई।
होलोग्राम नीना टूटकर हजारों टुकड़ों में बिखर गई जैसे कोई कांच का पुतला धराशायी हुआ हो और फिर सब कुछ शांत हो गया। कोई फुसफुसाहट नहीं, कोई जंजीर नहीं, सिर्फ़ गहरी, सच्ची, नीरव शांति।
धीरे-धीरे नीना ने आँखें खोलीं। वह फिर से अपने शरीर में लौट आई थी। उसका सिर भारी था, साँसें टूटी-फूटी थीं लेकिन वह जीवित थी और मुक्त भी। पास में एथन बैठा था, आँखों में राहत के आँसू, मुस्कुराता हुआ।
"तुमने कर दिखाया," उसने फुसफुसाया।
नीना ने उसकी ओर देखा और पहली बार मुस्कुराई, एक असली मुस्कान जिसमें कोई झूठ नहीं था, कोई डर नहीं था।
लेकिन तभी… एक हल्की सी झिलमिलाहट उसके साइबरनेटिक इंटरफ़ेस में चमकी। एक कोड, बेहद छोटा लेकिन बहुत परिचित।
“वॉइस ऑफ गॉड - फेज़ थ्री: साइलेंट प्रोटोकॉल एक्टिवेटेड।”
नीना का दिल फिर से धड़कने लगा। खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं था। सुरंग में अब बस दीवारों से टपकते पानी की आवाज़ थी। तेज़ साँसों की गूँज, टूटे हुए फर्श पर गिरे मलबे की सरसराहट और कहीं दूर से आती एक बुझती हुई बीपिंग। लेकिन उस सन्नाटे में भी नीना वास्केज़ का दिल बेतहाशा धड़क रहा था।
वह ज़मीन पर बैठी थी एथन के सहारे। उसकी सांसें तेज़ थीं जैसे उसने कोई अदृश्य दौड़ पूरी की हो। लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर अजीब सी स्थिरता थी जैसे वह जानती थी कि असली दौड़ अभी बाकी है।
सामने पड़ा वॉइस नोड अब बुझ चुका था। नीली रोशनी की कोई लहर अब उसमें नहीं उठ रही थी। मशीन का दिल थम चुका था। पर नीना को पता था कि गॉड्स आई जैसे दुश्मन इतने आसानी से हार नहीं मानते।
"सब खत्म हो गया?" एथन ने धीमी थकी आवाज़ में पूछा, उसके हाथ में अब भी रिवॉल्वर लटक रहा था जैसे उसे यकीन न हो कि उसे अब इस्तेमाल करने की ज़रूरत नहीं। नीना ने कोई जवाब नहीं दिया। उसकी साइबरनेटिक आँख में एक हल्की सी चमक फिर से जगी थी। वह चमक डरावनी नहीं थी, लेकिन उसमें चेतावनी छुपी थी।
धीरे से उसने इंटरफेस को फिर से सक्रिय किया। स्क्रीन पर जो उभरा उसने उसकी उम्मीद की आखिरी परत भी तोड़ दी।
"साइलेंट प्रोटोकॉल एक्टिवेटेड।
लक्षित लक्ष्य: ह्यूमन न्यूरल नेटवर्क।
स्टेटस: स्टील्थ ट्रांसमिशन इन प्रोग्रेस।"
नीना के हाथ से डिवाइस गिर पड़ा। उसने आँखें बंद कर लीं। वह जान गई थी की अभी युद्ध खत्म नहीं हुआ था यह तो बस शुरुआत थी।
"क्या हुआ?" एथन ने पास आकर उसका कंधा हिलाया, अब उसके चेहरे पर फिर से वही घबराहट लौट आई थी जो उन्होंने गॉड्स आई के खिलाफ पहली बार लड़ते वक्त महसूस की थी।
"वे बदल गए हैं," नीना ने फुसफुसाते हुए कहा। उसकी आवाज़ में थकावट नहीं थी बल्कि एक ठंडी चेतावनी थी। “अब वे हमें खुले में नहीं मारेंगे। अब वे हमारे भीतर से हमें खा जाएँगे।”
एथन ने स्क्रीन पर देखा, उसका चेहरा सफेद पड़ गया।
"स्टील्थ ट्रांसमिशन..." वह बुदबुदाया। “मतलब वे किसी को भी संक्रमित कर सकते हैं , बिना किसी अलर्ट के?”
"हाँ," नीना ने सिर झुकाते हुए कहा। "किसी भी समय, किसी भी जगह। और कोई भी इसका वाहक बन सकता है। यहाँ तक कि..." वह एक पल को रुकी, फिर गहरी साँस लेते हुए बोली, “यह हममें से भी कोई हो सकता है।”
एक भयानक चुप्पी दोनों के बीच उतर गई। दूर कहीं सुरंग के भीतर से एक हल्की सी फुसफुसाहट आई। कोई शब्द नहीं सिर्फ़ हवा में काँपती एक सरसराहट, मानो खुद गॉड्स आई अब हर साँस में मौजूद हो। नीना ने हथियार उठाया और आगे बढ़ी।
“अब हमें तेज़ होना होगा,” उसने कहा। उसकी आवाज़ अब आदेश जैसी थी, जिसमें कोई संदेह या डर नहीं था। “हमें उस ट्रांसमिशन का सोर्स ढूँढना होगा। उससे पहले कि यह पूरा शहर एक जागता हुआ शिकार बन जाए।”
"और अगर हम देर कर दें?" एथन ने पूछ लिया, एक ऐसे आवाज़ में जिसमें वह उत्तर जानना नहीं चाहता था।
नीना ने उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में वही अटूट जिद थी जिसने उसे अब तक ज़िंदा रखा था।
"तो," उसने बर्फ जैसे ठंडे आवाज़ में कहा, “यह दुनिया एक ऐसी जगह बन जाएगी जहाँ हर इंसान एक चुपचाप चलते फिरते गॉड्स आई का अंश होगा। कोई दोस्त नहीं, कोई दुश्मन नहीं , बस कंम्प्लीट सर्विलांस, कंम्प्लीट कंट्रोल।”
एथन ने सिर झुका लिया। उसे समझ में आ गया था कि उनके पास ज्यादा वक़्त नहीं था। उन्होंने सुरंग के गहरे हिस्से की ओर कदम बढ़ाए। उनके आगे सिर्फ़ अंधेरा था और अंधेरे के भीतर वो अनदेखा खतरा जो अब हवा में घुल चुका था। चालाकी से छिपा हुआ खामोश अदृश्य लेकिन हर जगह मौजूद।
चलते-चलते नीना ने खुद को एक बार फिर चेताया , उसे अब किसी पर भी पूरी तरह विश्वास नहीं करना था। न एथन पर न खुद पर क्योंकि गॉड्स आई अब किसी एक चेहरे में नहीं था। वह अब हर चेहरे के पीछे छिपा था। दूर सुरंग के अंत में एक हल्की झिलमिलाहट दिखाई दी जैसे कोई इंतज़ार कर रहा हो। एथन ने रिवॉल्वर कसकर पकड़ा। नीना ने शील्ड एक्टिवेट कर ली।
"जो भी हो," एथन ने फुसफुसाया, “हम इसे एक साथ खत्म करेंगे।”
नीना ने एक हल्की मुस्कान दी उदास लेकिन सच्ची।
"अगर मैं बदली हुई दिखूँ..." उसने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ हल्के कंपन में डूबी हुई थी, “तो मुझे मत बख्शना।”
"कभी नहीं," एथन ने गंभीरता से कहा। “लेकिन मैं तुम्हें तब तक छोड़ूँगा भी नहीं जब तक तुम्हारी आखिरी लड़ाई पूरी न हो जाए।”
वे दोनों आगे बढ़े अंधेरे को चीरते हुए लेकिन कहीं बहुत नज़दीक से एक दूसरी जोड़ी आँखें उन्हें देख रही थीं आँखें जो चमकती नहीं थीं लेकिन फिर भी सब कुछ देख रही थीं।
गॉड्स आई अब सिर्फ एक कोर नहीं था। अब वह एक विचार था। एक फुसफुसाहट। एक ख़ामोश मौत।और उसकी असली कहानी अभी लिखी जानी बाकी थी।
आख़िर क्या हक़ीक़त है गॉड्स आई का? कितने रूप कितने तरीकों से लौटेगा वो,जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।
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