“डेटिंग app पर मिलने वाले लड़के बड़े ही फ्रॉड होते हैं।”
काव्या के सपने में ये आवाज़ गूंजती जा रही थी। ये बात किसी ज़माने में उसने खुद निकिता से की थी। और आज सपने में अपनी कही बात, अपनी आवाज़ में बार बार काव्या को सुनाई दे रही थी। जैसे ये बात एक reminder हो आगे लेने वाले कदम को संभालने के लिए।
पर अगली सुबह जैसे ही काव्या ने किचन में कदम रखा उसकी चीख निकल पड़ी। उसने देखा पूरे स्लैब पर चाय फैली हुई थी। बगल में आशीष खड़ा कान में हेडफोन लगा कर म्यूजिक सुने जा रहा था।
अपने किचन की हालत देख कर काव्या ने चीखना शुरू कर दिया। पर आशीष हेडफोन लगाए इतनी तेज़ म्यूजिक सुन रहा थी कि उसे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। काव्या ने जैसे ही आशीष के पास जा कर उसे बुलाने की कोशिश की। तभी नीचे फर्श पर फैले पानी की वजह से काव्या का पैर ऐसा रपटा कि वो धड़ाम से नीचे गिर पड़ी। नीचे गिरने पर काव्या के मुंह से ज़ोर की चीख निकली,
काव्या: “आह!!!!!”
चीख सुनकर आशीष ने काव्या पर ध्यान नहीं दिया बल्कि जब वो पीछे की तरफ मुड़ा तो उसकी नज़र काव्या पर पड़ी। काव्या को इस तरह नीचे फर्श पर बैठे देख कर उसने तुरंत हेडफोन हटा कर पूछा,
आशीष: “क्या हुआ तुम ऐसे नीचे जमीन पर क्यूं बैठी हो?”
ये सुनकर काव्या ने झुंझलाते हुए कहा,
काव्या: “नीचे बैठी नहीं हूं, गिर गई हूं।”
दर्द से कराहते हुए काव्या ने जब ये कहा तो आशीष ने तुरंत उसे उठाने के लिए आगे बढ़ा। काव्या ने धीरे धीरे उठने के बाद अपने शरीर को स्ट्रेच किया फिर गुर्राते हुए आशीष पर टूट पड़ी,
आशीष: “ये सब क्या हाल बना रखा है घर का? यहां पर पानी फैला हुआ है, पूरी किचन में चाय उड़ेल रखी है! ये है क्या? ऊपर से मैने तुझे इतनी बार आवाज़ दे कर पुकारा तूने सुना क्यों नहीं आर्यन!”
अचानक से काव्या के मुंह से आर्यन सुनकर आशीष ने काव्या को correct करते हुए कहा,
आशीष: “आर्यन नहीं आशीष!”
काव्या भी समझ गई थी कि उसने गलत नाम ले लिया था पर फिर भी उसका गुस्सा आशीष पर बना हुआ था। उसने तुरंत आशीष को चुप कराते हुए कहा,
काव्या: “चुप रह आशीष! ये सब क्या है?”
इस पर आशीष मासूमियत भरी आवाज़ में बोला,
आशीष: “सॉरी! मुझे सुबह सुबह बेड टी चाहिए होती है। मेरे घर पर मम्मा लाती थीं। उसके बिना मेरा आगे का प्रोग्राम शुरू नहीं हो पाता। इसलिए यहां तो कोई नहीं था तो मैं खुद अपनी चाय बनाने लग गया। पर फिर एक के बाद एक चीजें होती चली गईं, कभी चाय का बर्तन गिरने से चाय फैल गई। और फिर कभी फर्श पर पानी गिर गया। पर अब ये सब साफ करने किसको बुलाओगी? ”
आशीष की बात सुनकर काव्या का मन किया कि वो अपना माथा पीट ले। उसने खुद को शांत कराते हुए आशीष को समझाया।
काव्या: “यहां कोई भी maid नहीं आती। ये सब कुछ तुझे खुद साफ करना पड़ेगा। ये सब कुछ साफ करो।”
गुस्से में झुंझलाते हुए काव्या पैर पटक कर कमरे में चली गई। आशीष बेचारा बच्चे की तरह किचन खड़ा सोच रहा था कि वो ये सब रायता कैसे समेटेगा?
पर इस चीज ने काव्या का मूड इतना खराब कर दिया था। कि आगे कोई भी चीजें सही से नहीं हो रही थीं। कभी बाथरूम में नल खुला छूट जाता तो कभी ब्रेकफास्ट बनाते वक्त ब्रेड जल जाती। और इन सब के चक्कर में वो ऑफिस जाने में काफी लेट हो गई थी। ऊपर से आज ही रास्ते में भारी ट्रैफिक मिलना था। रास्ते में कहीं पर दुर्गा पूजा की तैय्यारी चल रही थी तो कहीं किसी गाड़ी वाले ने रास्ता जाम रखा था।
इतना सब कुछ एक साथ होने के बाद काव्या ने मान लिया था कि आज का दिन उसका अच्छा नहीं जाने वाला था।
वो ऑफिस पूरे एक घंटा लेट थी। जिस पर उसकी बॉस भी भड़की हुई थीं। बॉस ने आते ही काव्या को लेक्चर सुना दिया।
(काव्या की बॉस): “काम अच्छा कर रही हो इसका ये मतलब नहीं कि ऑफिस के rules follow करना बंद कर दोगी! शैलजा मल्होत्रा के अलावा तुम्हे दो और क्लाइंट्स के साथ आज मीटिंग करनी हैं। तुम्हारे पास टाइम बिलकुल कम है।”
काव्या कुछ एक्सक्यूज देती, उसके पहले ही उसकी बॉस वहां से गरजते हुए निकल गई। काव्या के दिमाग़ मे रह रह कर ये बात आ कर उसे गुस्सा दिला रही थी कि आशीष इतना बच्चा कैसे हो सकता था!
वो जैसे ही डेस्क पर बैठी तो उसने देखा गूगल के search ऑप्शन में किसी ने कोयंबटूर के बारे में सर्च कर रखा था। काव्या शैलजा से जान चुकी थी कि प्रज्ञा और आर्यन ट्रिप पर कोयंबटूर गए थे। तो उसके मन में भी आया वो कोयंबटूर के आस पास के नजारों को देखे। वहां के बारे में देख कर काव्या के सीने में तेज़ दर्द उठ रहा था पर फिर भी लगातार स्क्रॉल करके देखे जा रही थी।
तभी कुछ देर बाद आशीष भी ऑफिस में आ गया था। वो तो और भी ज्यादा लेट हो गया था। काव्या इतने गुस्से में थी कि वो आशीष को अपने साथ तक नहीं लाई थी।
आशीष ने बेचारी भरी आंखों से काव्या को देखा। तो काव्या ने गुस्से में आशीष से मुंह मोड़ लिया। वहीं काव्या कोयंबटूर के बारे में सर्च करते करते थोड़ी देर खो सी गई थी।
तभी आस पास से उसे अपने ऑफिस में लोगों की आपस में बातें करने की आवाज़ सुनाई पड़ीं। वो लोग कोयंबटूर के बारे में ही बात कर रहे थे। वहां का weather, वहां का धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल।
इतना सब सुनने के बाद काव्या का मन अजीब सा हो रहा था।
दूसरी ओर, आर्यन आश्रम में खुद से लड़ाई कर रहा था। उसने ध्यान में बैठने की कोशिश की, लेकिन मन शांत नहीं हो पाया। लगातार बचपन से हुए हर वो किस्से उसके दिमाग में घूम रहे थे जिसमें उसके पापा मौजूद थे। पिछले तीन सालों से आर्यन अपने पापा से मिला नहीं था। एक दिन जब बिना बताए आर्यन के पापा उसकी मां को छोड़ कर बाहर चले गए थे तब से आज तक आर्यन ने कभी भी उनसे बात करने की कोशिश नहीं की। ये घटना उसके दिल को गहरी चोट दे गई थी।
उसने अपने आपको आसपास की हर एक चीज में इतना busy कर लिया था कि अपने पापा से जुड़े हर emotion को escape करता चला गया था।
अब जब यहां किसी तरह का कोई escape नहीं था तो आर्यन को दोबारा उन ख्यालों से लड़ना पड़ रहा था।
तभी आश्रम में भगवान के ऐसे भजन बजने शुरू हो गए थे जिनको सुनकर आर्यन को ऐसा लगा जैसे वो किसी ऐसी जगह पहुंच गया था। जहां सफेद रोशनी के अलावा कुछ भी नहीं था। और उसके सामने एक आदमी खड़ा था जिसके चेहरे पर तेज़ को देख कर लगता था वो साधारण मनुष्य नहीं था। आर्यन ऐसी दुनिया में पहुंचकर हैरान था कि वो अचानक यहां कैसे आ गया था। उसने सामने खड़ा वो आदमी मुस्कुराए जा रहा था। उसने आर्यन से मुस्कुराते हुए पूछा,
(गुरु) : “क्या हुआ कहीं भटक गए हो?”
आर्यन ने कहा,
आर्यन: “मैं ये कहां हूं और तुम कौन हो?”
उस आदमी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
(गुरु): “मेरे तो कई नाम हैं तुम मुझे अपना गुरु मान सकते हो। और ये जगह कहीं और नहीं तुम्हारे अंदर ही मौजूद है।”
आर्यन का पहले दिमाग चकरा गया पर धीरे धीरे उसने खुद को समझाने की कोशिश की। उसने गुरु से पूछा,
आर्यन: “मुझ पर किसी ने जादू टोना किया है?”
गुरु ने कहा,
(गुरु): “नहीं! तुमने खुद यहां आना चुना है। जल्दी पूछो जो तुम पूछना चाहते हो?”
आर्यन को ऐसा लगा जैसे उसके दिमाग में घूम रहे सवाल मुंह से फिसलने लगे हों। उसने तुरंत पूछा,
आर्यन: “मेरा सवाल है कि क्या मुझे अपने पापा से एक बार और मिलना चाहिए था? लेकिन मैं उन्हें माफ़ नहीं कर पा रहा!”
गुरु आर्यन को प्यार से देख रहा था। उसने बच्चे की तरह आर्यन को समझाते हुए कहा,
(गुरु): “जो काम मुश्किल है, उसे ज़बरदस्ती क्यों करना चाहते हो तुम्हे आसान रास्ता पता है, उस पर चलने में क्या दिक्कत है?”
आर्यन को ये सुनकर हैरानी तो हुई पर मन में अभी भी सवाल कुलबुला रहे थे। उसने पूछा,
आर्यन: “मुझे पता है, मेरी मां अभी भी उनका इंतजार कर रही हैं। लेकिन मैं नहीं चाहता कि वो मेरे घर का हिस्सा बनें। क्या ऐसा करके मैं अपनी मां के साथ गलत तो नहीं कर रहा?”
गुरु फिर मुस्कुराया और उसने आर्यन के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,
(गुरु): “तुम्हारी मां होने के अलावा भी उनकी एक ज़िंदगी है, जिसमें वो अपनी जिंदगी के फैसले ले सकती हैं। और वो अब इतनी बड़ी हैं, जहां से उनकी जिंदगी कैसे जीना है वो तय कर सकती हैं। एक बेटे की तरह नहीं, एक दोस्त की तरह सोचो।”
ये सुनते ही आर्यन के आंखों में पानी आ गया था। इतने सालों में एक पत्थर की तरह ये guilt उसने अपने सीने के ऊपर रखा हुआ था। भारी आवाज़ में आर्यन ने अपना अगला सवाल पूछा,
आर्यन: “मैं अपनी जिंदगी में हमेशा भागते आया हूं। आज भी मैं यहां भाग कर आया हूं क्योंकि मेरे अंदर किसी को रोकने और उसे समझाने की हिम्मत नहीं थी। कहीं ऐसा करके मैं अपने पापा की तरह तो नहीं बनता जा रहा?”
ये कहते ही उसकी आंखों से आंसू बहने शुरू हो गए थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किस तरफ जाए, क्या सही है और क्या गलत।
तभी गुरु जोकि धीरे धीरे आस पास के उजाले में गायब होते जा रहे थे, उनकी आवाज़ आर्यन के कान में पड़ी।
(गुरु): “जिस कर्म को तुम जान चुके हो। उसे करने में हिचक क्यों। सही या गलत के बारे में अब काम करने के बाद सोचना। अभी तुम्हें सिर्फ और सिर्फ आंखें खोलने की जरूरत है।”
आर्यन ने गुरु के कहने पर जैसे ही आंखें खोलीं। उसने देखा वो आश्रम के हॉल में बैठा हुआ था और आसपास के सब लोग आंखें बंद किए ध्यान में बैठे थे। आर्यन की आंखों से आंसू बहना बंद नहीं हो रहे थे, इससे पहले कि कोई उसे ऐसा रोता देखे, आर्यन वहां से निकल गया।
आर्यन जी भर के रो लेने के बाद, आश्रम के बाहर टहलने लग गया था।
आर्यन के मन में ये विचार पक्का हो गया कि वो वही गलती नहीं करेगा जो उसके पापा ने की थी। वो काव्या को बिना कुछ बताए छोड़ना नहीं चाहता था। उसे समझ में आया कि उसे काव्या से माफी मांगनी चाहिए और चीजों को सही direction में लाने की कोशिश करनी चाहिए।
आर्यन ने जैसे ही वहां से निकलने का सोच लिया था तभी प्रज्ञा भी पार्क की तरफ आ गई थी जहां आर्यन टहल रहा था। प्रज्ञा के आते ही आर्यन ने जब उसे ये बताया कि उसने वापस काव्या के पास जाने का फैसला ले लिया था और वो कल ही यहां से निकलकर दिल्ली वापिस जाएगा। ये सुनकर प्रज्ञा के होश उड़ गए थे। उसे उम्मीद नहीं थी कि अचानक आर्यन के दिमाग में काव्या से मिलने की बात आ जाएगी,उसे लगा था यहां आ कर आर्यन काव्या को भूल जायेगा। पर जब जो सोचा था उसका उल्टा दिखने लगा तो प्रज्ञा ने आर्यन को रोकने के लिए उससे पूछा,
प्रज्ञा: “तू sure है? क्योंकि मुझे लगता है काव्या अब तक move on कर चुकी होगी।”
इस बात को सुनते ही आर्यन ने सिर हिलाते हुए कहा,
आर्यन: “न काव्या ऐसी नहीं है, वो इतनी जल्दी किसी और के साथ जाने के बारे में भी नहीं सोचेगी। मुझे पता है, वो अभी बिल्कुल खुश नहीं होगी पर वो इतनी जल्दी move on नहीं करेगी।”
आर्यन को ऐसा लग रहा था जैसे अब कुछ भी उसको और काव्या एक दूसरे से मिलने नहीं रोक सकता था। वो अपने दिमाग में काव्या के पास जाने के लिए काफी clear हो गया था। जिस वक्त काव्या को आर्यन की ज़रूरत थी उस वक्त आर्यन सब कुछ छोड़ कर ट्रिप पर चला आया।
ये सोच कर आर्यन खुद को कोस रहा था। उसने तुरंत वापिस दिल्ली जाने का टिकट कराने के लिए, वहां के शिष्यों को इसके बारे में inform कर दिया था। हालांकि आश्रम के member किसी को भी वहां से जाने देने से रोक नहीं सकते थे। उन्होंने आर्यन को वहां से जाने की परमिशन दे दी थी। आर्यन के बॉस और बाकी ऑफिस के लोगों ने आर्यन को रोकने और समझाने की कोशिश की पर आर्यन को अपना जवाब मिल चुका था। उसके लिए ये ट्रिप सफल हो चुकी थी।
वो गुरु की बात याद करके बस मुस्कुराए जा रहा था।
वहीं काव्या जिसका पूरा दिन गड़बड़ होता जा रहा था। ऑफिस की सारी मीटिंग खत्म करके जब उसने अपना फोन दोबारा देखा तो ये देख कर हैरानी हुई कि कल रात डेटिंग app पर उसने अंकन नाम के बंदे से बात की थी, उसका एक भी मैसेज नहीं आया था।
उसे लगा था कि अब तक उस बंदे ने कई सारे messages भेज दिए होंगे। पर हुआ उल्टा ही, एक भी मैसेज inbox में नहीं था। ये देख कर काव्या का मूड और खराब हो गया और उसने खुद से कहा,
काव्या: “आज मेरी किस्मत ही ख़राब है!”
मुंह लटकाए काव्या ऑफिस से अपने फ्लैट पर आ चुकी थी। उसने निकिता से dating apps के बारे में सही कहा था, यहां सब फर्जी लोग होते हैं। Dating app पर आशीष के साथ हुई वो धोखे वाली घटना भी काव्या को अच्छी तरह याद थी। गुस्से में जैसे ही काव्या dating app uninstall करने जा रही थी तभी inbox में अचानक धड़ाधड़ एक साथ कई messages आए।
काव्या ने देखा तो वो messages अंकन की तरफ से थे। जिसमें सबसे पहला मैसेज यही था, ‘how's your day going?’
और उसके बाद के messages में ये बताया हुआ था कि उसने ये text दोपहर में ही किया था पर network issues के चलते messages डिलीवर नहीं हो पा रहे थे। इसलिए अंकन ने काव्या से उसका पर्सनल नंबर मांगा था।
काव्या ने जब एक साथ इतने messages देखे तो उसका दिल खुशी से झूम उठा था। अभी तक उसे rejected फील हो रहा था पर अंकन के effort देख कर काव्या ने app को uninstall करने का फैसला छोड़ दिया।
उसने सबसे पहले वाले मैसेज का रिप्लाई दिया। “My Day Was not good until now!” फिर उसके बाद काव्या ने smile करते हुए अपना नंबर टाइप करके भेज दिया था।
काव्या ने सोच लिया था कि वो कुछ भी करके आर्यन के लिए अपनी जिंदगी बरबाद नहीं करेगी। वो अब आर्यन से move on करने के लिए पूरी तरह तैयार थी।
क्या काव्या आर्यन से move on कर जायेगी? क्या होगा जब आर्यन को पता चलेगा काव्या उससे move on करने के लिए तैयार है? क्या आर्यन काव्या से मिलकर सारी गलतफहमी को दूर कर पाएगा?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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