“सामने वाले की कौन सी फीलिंग है इसमें?” मेल्विन ने पूछा, “किसी ने आपसे सालों का रिलेशनशिप रखकर उस तोड़ दिया, आपको धोखा दिया, आपको छोड़कर चला गया तो आप अपने प्रिकॉशन के तौर पर दूसरों का इस तरह इम्तिहान लेंगी?”
“बात सिर्फ इतनी नहीं है कि कोई मेरी जिंदगी में आया और मुझे छोड़ कर चला गया। बात है अपनी गलतियों से सीख लेने की।” रेबेका ने कहा, “जब आप कोई गलती करते हैं तो उसे किस तरह सुधारते हैं?”
“उस गलती को दोबारा न दोहराकर।” मेल्विन ने जवाब दिया, “लेकिन आप एक गलती से बचने के लिए दूसरी गलती कर रही हैं। इस तरह के इम्तिहान के लिए सिर्फ वही तैयार हो सकता है जिसे आप की दोस्ती से कोई लाभ उठाना हो। जिस दोस्ती में किसी लाभ या हानि से मतलब नहीं वो इस तरह के इम्तिहान पर भरोसा नहीं करेगा।”
*मतलब आप को अब मेरी दोस्ती में कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया मेल्विन साहब?” रेबेका ने पूछा।
बात बिगड़ते हुए देखकर पीटर ने कहा, “नहीं–नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है मिस रेबेका। मेल्विन के कहने का ये मतलब नहीं है। वो सिर्फ इतना कह रहा है कि अपनी बात कहने से पहले दूसरों की फीलिंग को समझना भी जरूरी होता है। आपसे यहां चूक हुई है, आपको ये बात माननी पड़ेगी। अगर इंसान अपनी गलती मान लेता है तो नैतिक तौर पर वो बेहतर इंसान होता है। गलती न मानने वाले इंसान गलत होते हैं।”
“मिस्टर पीटर, इसमें रेबेका की क्या गलती है?” डायना ने पूछा, “उसने अपना दोस्त चुनने के लिए बस कुछ शर्त रखी थी जिसे मेल्विन ने बखूबी पूरा कर लिया है। तो अब इसमें बहस की जगह कहां बाकी रह गई है?”
“आपने शर्त रखी और मैंने उसे पूरी कर ली। शर्त की बात खत्म लेकिन जो तरीका आप दोनों ने अपनाया है उस पर बहस होना तो लाजमी है।” मेल्विन ने कहा।
“साफ-साफ कहिए मेल्विन साहब, आप क्या कहना चाहते हैं?” रेबेका ने पूछा, “क्या आप इतनी दूर यही कहने आए हैं?”
इससे पहले कि मेल्विन इस बात का कोई जवाब देता, उसके फोन की घंटी बजने लगी थी। मेल्विन ने फोन निकाल कर देखा। महेश का कॉल था।
“एक्सक्यूज मी।” मेल्विन ने रेबेका से कहा, “ये एक इंपॉर्टेंट कॉल है। मुझे ये कॉल लेनी पड़ेगी।”
“स्योर।” रेबेका ने कहा।
मेल्विन चेयर से उठकर कैफे के बाहर चला गया।
“हां महेश, बोलो! वहां सब ठीक है?” मेल्विन ने कॉल उठाते ही महेश से पूछा।
“जो काम तुमने मुझे दिया था वो मैंने पूरा करके बॉस को सौंप दिया है मेल्विन।” महेश ने कहा, “लेकिन एक प्रॉब्लम है।”
“कैसी प्रॉब्लम?” मेल्विन ने पूछा, “क्या बॉस वो काम एक्सेप्ट करने से मना कर रहे हैं?*
“नहीं, वो बात नहीं है मेल्विन।” महेश ने कहा, “बात दरअसल कुछ और है। बॉस तुम्हें कंपनी से निकल रहे हैं।”
“व्हाट?” मेल्विन ने कहा, “ये क्या फिर से बकवास शुरू कर रहे हैं बॉस?”
*मुझे लगता है बॉस को एक मौके की तलाश थी।” महेश ने कहा, “वो तुमसे तभी से गुस्सा है जब तुम एग्जीबिशन में बिना इनविटेशन के आ गए थे। ऊपर से तुमने अवार्ड भी जीत लिया था।”
“बात शायद उससे भी कहीं पहले की है महेश।” मेल्विन ने कहा, “खैर, मैं कल आकर देखता हूं कि क्या माजरा है। बॉस मुझे इस तरह ऑफिस से नहीं निकाल सकते। मैं उन्हें ऐसा नहीं करने दूंगा।”
“बॉस के इरादे इस बार पक्के लग रहे हैं। तुम क्या करने वाले हो मेल्विन?” महेश ने पूछा, “उन्होंने तो पूरे ऑफिस में इस बात का अनाउंसमेंट कर दिया है। शायद उन्होंने तुम्हें टर्मीनेशन लेटर भी मेल कर दिया है।”
“मैं क्या करूंगा, ये तो मैंने अभी नहीं सोचा है महेश। लेकिन मुझे कुछ तो करना ही पड़ेगा।” मेल्विन ने कहा, “वैसे ऑफिस में दूसरे लोगों का क्या रिएक्शन था?”
“दूसरे लोग भी वही कह रहे हैं जो तुम कह रहे हो। उन्हें भी ये बात समझ में नहीं आई कि बॉस ने इतनी सी बात पर इतना बड़ा फैसला क्यों ले लिया।”
“तुमने उन्हें मेरा एप्लीकेशन नोट तो दिया था न?” मेल्विन ने पूछा।
“आज सुबह सबसे पहले मैंने तुम्हारा एप्लीकेशन नोट ही उन्हें दिया है। साथ ही मैंने तुम्हारी मजबूरी भी उन्हें बताई। मैंने तो साफ-साफ ये भी उनसे कहा कि इतनी छोटी सी बात के लिए आप मेल्विन को कंपनी से कैसे निकाल सकते हैं। लेकिन उनका इरादा तो जैसे बदलने का नाम ही नहीं ले रहा है।”
“लगता है मुझे अब बॉस से सीधे-सीधे पूछना ही पड़ेगा कि उन्हें मुझे प्रॉब्लम क्या है।” मेल्विन ने कहा, “क्योंकि मेरा मानना है कि ये सब कुछ सिर्फ इसलिए नहीं हो रहा है क्योंकि मैं आज ऑफिस नहीं आ पाया हूं। इसके पीछे जरूर कोई गहरा राज छुपा है। मुझे ये जानना ही है कि बॉस आखिर ऐसा क्यों कर रहे हैं।”
“तुम आज पुणे से वापस लौट पाओगे?” महेश ने पूछा।
“यहां का काम लगभग निपट ही चुका है। मैं आज रात किसी समय मुंबई लौट आऊंगा। कल हर हाल में मुझे ऑफिस आना है महेश। उम्मीद है तुम्हारी तरह दूसरे कलीग भी मेरा इसमें साथ देंगे।” मेल्विन ने कहा।
“उन्हें भी इस बात का उतना ही गुस्सा है मेल्विन जितना कि मुझे है। देखो, कल क्या नया हंगामा होता है।” महेश ने कहा।
“मैं घर लौटकर रात में एक वीडियो कॉल पर मीटिंग रखता हूं सबके साथ। मैं ये समझना चाहता हूं कि क्या मेरे विरोध में वो मेरे साथ हैं। क्योंकि ये एक प्राइवेट कंपनी है और बॉस को पूरा हक है कि वो किसी के खिलाफ कोई भी एक्शन ले सकें। लेकिन अगर साथ में काम करने वालों का साथ मिला तो बॉस को भी अपना डिसीजन बदलने पर मजबूर होना पड़ेगा। क्योंकि अब मुझे इस सैलरी पर दूसरी कंपनी कभी भी नहीं रख पाएगी। मैं इस पोजीशन में नहीं हूं कि कम सैलरी पर काम करूं।”
“तुम्हें फिक्र करने की जरूरत नहीं है मेल्विन।” महेश ने कहा, “रात में कितने बजे मीटिंग रखने वाले हो तुम?”
“अभी मुझे पुणे से निकलने में ही शायद एक-दो घंटे और लग जाए। घर पर अगर मैं 8 बजे तक पहुंचता हूं तो मैं रात के 10 या 11 बजे की मीटिंग रखूंगा। तुम बाकी सब से बात करके रखना। उन्हें इस मीटिंग की खबर देना ताकि तब तक वे सभी अपने काम से फ्री हो जाए।”
“ठीक है मेल्विन। अब मैं फोन रखता हूं। वापस मुंबई लौटने पर मुझे इन्फॉर्म कर देना।” महेश ने इतना कहा और कॉल कट कर दिया।
मेल्विन भी अपना मोबाइल जेब में रखकर कैफे के अंदर आ गया।
इधर कैफे के अंदर मौका पाते ही पीटर एक बार फिर डायना पर लाइन मारने लगा था।
“आपने कहा कि आप न तो वर्जिन हैं और न ही सिंगल। इसका क्या मतलब हुआ?” पीटर ने डायना से धीरे से पूछा ताकि उसकी आवाज रेबेका ब जा सके।
“इसका मतलब आपको मेरे चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए, मिस्टर पीटर।“ डायना ने भी धीरे से कहा। उसके होंठों पर मुस्कुराहट थी।
“आप तो कुछ ज्यादा ही बेरुखी हो रही हैं।“ पीटर ने एक और कोशिश करते हुए कहा, “किसी लड़के से दोस्ती करने के लिए आप उसमें क्या देखती हैं?”
“यही कि वो फिजूल में किसी लड़की को लाइन मारता ना फिरे।“ डायना ने शरारत से कहा।
“ओह, इसका मतलब मैंने पहले ही गलती कर दी।“ पीटर ने कहा, “क्या अब कोई चांस नहीं है?”
“अगर आप चांस मारना छोड़ दे तो शायद एक मौका आपको मिल सकता है।“ डायना ने जैसे पीटर को ललचाते हुए कहा।
ये सुनकर पीटर के होंठों पर भी मुस्कुराहट आ गई।
“ठीक है फिर मैं आपके जवाब का इंतजार करूंगा।“ पीटर ने कहा तो डायना की नजर शर्म के मारे झुक गई। पीटर को रास्ता कुछ क्लियर दिखाई देने लगा था। तभी मेल्विन कैफे के अंदर आ गया।
“क्या चल रहा है तुम दोनों का?” मेल्विन में आते ही पूछा।
“कुछ नहीं, बस यूं ही मैं थोड़ी पर्सनल बातचीत कर रहा था डायना के साथ।“ पीटर ने मुस्कुराते हुए कहा।
“महेश का फोन था?” पीटर ने पूछा, “क्या कह रहा था? तुम्हारे ऑफिस में सब ठीक तो है?”
“कुछ भी ठीक नहीं है पीटर। मैं तुम्हें बाद में बताता हूं।” मेल्विन ने कहा।
“हमें यहां से तुरंत निकलना होगा रेबेका।” मेल्विन ने कहा, “अब तक जो भी हुआ मैं उसे भूलने की कोशिश करूंगा। एक नई शुरुआत करने का मौका हर किसी को मिलना चाहिए।”
“इतनी जल्दी। अभी तो हमने कुछ आर्डर भी नहीं किया।” रेबेका ने कहा।
“इतना बड़ा ऑर्डर देकर आपने मुझे यहां बुला दिया क्या इतना काफी नहीं है?” मेल्विन ने कहा। रेबेका को ऐसा लगा जैसे मेल्विन उससे काफी ज्यादा नाराज है। लेकिन उसे ये नहीं मालूम था कि अभी-अभी उसकी महेश से जो बात हुई है उसे लेकर मेल्विन ज्यादा परेशान हो गया था।
“आप तो कुछ ज्यादा ही नाराज दिखाई दे रहे हैं।” रेबेका ने कहा, “अगर मेरे आपको यहां बुलाने से कोई परेशानी हुई है तो मैं उसके लिए माफी मांगती हूं।”
“नहीं, ऐसी बात नहीं है और रेबेका।” मेल्विन ने कहा, “दरअसल मैं किसी और बात को लेकर परेशान हूं।”
“क्या कोई प्रॉब्लम है?” रेबेका ने पूछा, “मेरी वजह से कोई प्रॉब्लम खड़ी हुई है क्या?”
“देखा जाए तो ये प्रॉब्लम आपकी वजह से भी कहीं न कहीं खड़ी हुई है।” मेल्विन ने कहा, “लेकिन अगर ये प्रॉब्लम न होती तो शायद मेरे बॉस दूसरी कोई प्रॉब्लम मुझ में निकाल लेते।”
“मतलब? मैं कुछ समझी नहीं।” रेबेका ने कहा।
“मेरे और बॉस के बीच पिछले कुछ दिनों से काफी अनबन चल रही है।” मेल्विन ने बताया, “कई बातों पर हमारे विचार अब आपस में नहीं मिलते। इस बात को लेकर हमारी बहस हो चुकी है। आज एक इंपॉर्टेंट काम मैं अपने एक दोस्त को सौंप कर चला आया था। ये जानकर बॉस ने मुझे टर्मिनेशन लेटर भेज दिया है।”
रेबेका का चेहरा एकदम पीला पड़ गया। वह कुछ पल चुप रही, फिर...
“व्हाट!” पीटर और रेबेका के मुंह से एक साथ निकला।
“टर्मिनेशन लेटर!” पीटर ने कहा, “क्या ये कोई मजाक है मेल्विन?”
“कोई मजाक नहीं है पीटर।” मेल्विन ने कहा, फिर अपना फोन पीटर को दिखाते हुए बोला, “पिछले डेढ़ घंटे में मेरे पास दर्जन भर मैसेज आ चुके हैं। बॉस का टर्मिनेशन लेटर भी मुझे मेल पर मिल चुका है।”
“ये तो हद ही हो गई मेल्विन। लगता है तुम्हारा बॉस सचमुच सठिया गया है।” पीटर ने कहा, “ये तुमसे किस जन्म का बदला ले रहा है मेल्विन?”
“पता नहीं, मुझे नहीं मालूम।” मेल्विन ने कहा, “लेकिन इस परेशानी का हल जल्दी निकलता हुआ मुझे नहीं दिखाई दे रहा है।”
रेबेका ने अपनी नजरें झुका लीं। एक सेकंड के लिए मानो वक्त रुक गया हो।
“आई एम सॉरी मेल्विन! मेरी वजह से तुम्हारी नौकरी पर इतना बुरा असर पड़ा है।” रेबेका ने कहा, “क्या तुम्हारा बॉस सच में तुम्हें अपनी कंपनी से निकल रहा है?”
“लगता तो यही है रेबेका।” मेल्विन ने कहा, “लेकिन तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। मैंने कहा न, अगर तुम्हारी वजह से नहीं तो बॉस किसी और वजह से मुझे कंपनी से कभी न कभी निकालने का ऐलान करने ही वाला था। ये कोई पुराना बैर मुझसे निकाल रहा है। जल्दी ही मैं इसका पता लगा लूंगा।”
थोड़ी देर की चुप्पी के बाद
“मेल्विन… तुम ठीक तो हो ना?” रेबेका ने धीमे स्वर में पूछा।
“ठीक हूं, बस... थोड़ा उलझा हुआ हूं।” उसने मुस्कराने की नाकाम कोशिश की।
“पीटर, अब जल्दी करो! हमें यहां से तुरंत निकलना होगा। आज रात 11 बजे मैंने अपने ऑफिस के दोस्तों के साथ एक मीटिंग रखी है। उनके साथ से ही अब मैं अपनी नौकरी बचा पाऊंगा।”
“ठीक है फिर, हमें इजाजत दीजिए मिस रेबेका और मिस डायना जी।” पीटर ने कहा, “आज मेरे मुंह से आगे कुछ गलत निकल गया हो तो आई एम सॉरी। मेरा कोई भी गलत इंटेंशन नहीं था। उम्मीद है कल हम नए सिरे से फिर मिलेंगे और कुछ नई बातचीत करेंगे।”
“आई एम सॉरी वेंस अगेन मेल्विन।” रेबेका ने शर्मिंदा होते हुए मेल्विन से फिर कहा।
“एकाएक आपको इतना शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है।” मेल्विन ने कहा, “मेरी नौकरी जाने पर आप को अपनी गलती का एहसास हुआ है।”
“नहीं मेल्विन, तुम चाहे जो कुछ भी कह लो लेकिन अगर मेरी वजह से किसी को प्रॉब्लम हुई है तो दोषी मैं खुद को ही ठहराऊंगी।”
“आप खुद को दोषी मत ठहराइए। इसमें सचमुच आपकी इतनी बड़ी गलती भी नहीं है।“ मेल्विन ने कहा, “मैं ये मामला निपटा लूंगा। बॉस को कैसे हैंडल करना है ये मैं अच्छी तरह जानता हूं।”
“और वैसे भी, मुझे चैलेंज पसंद है।”
मेल्विन ने इतना कहा और पीटर को लेकर कैफे से बाहर निकल गया। उसके पीछे रेबेका अब भी सोच में डूबी हुई थी। उसे लग रहा था कि मेल्विन उससे अब तक नाराज है। इम्तिहान के नाम पर उसने मेल्विन के साथ जो मजाक किया था वो रेबेका को अपने ऊपर भारी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा था।
क्या मेल्विन और रेबेका के बीच दोस्ती हो पाएगी? क्या मेल्विन अपनी नौकरी बचा पाएगा? क्या कल का दिन मेल्विन के लिए कुछ अच्छी खबर लेकर आएगा? मिस्टर कपूर को मेल्विन आखिर किस तरह समझा पाएगा?
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