कैसा लगता है जब आपका अतीत अचानक आपके सामने आ खड़ा होता है? आप एक पल के लिए वही सब महसूस करने लगते हैं, जो आपने सोचा था कि कभी पीछे छोड़ दिया है? जैसे कोई पुराना घाव फिर से हरा हो जाए, वैसा ही लगता है—एक दर्द, जो आपको उस वक्त में वापस खींच लेता है, जहाँ आपने खुद को सबसे ज्यादा कमजोर और हारा हुआ महसूस किया था।

लाइब्रेरी के भारी, धूल भरे कमरे में चारों किरदार बैठे हैं—अंश, अनीशा, राघव और सक्षम। हर किसी के चेहरे पर गहरी थकान, उलझन और पछतावे के निशान साफ़ दिखाई दे रहे हैं।

उन्होंने अपने अतीत के सबसे गहरे दर्द का सामना किया है, और अब उन्हें समझ आ रहा है कि इससे उभरना इतना आसान नहीं होगा। कमरे की हर एक चीज़ खामोशी में डूबी हुई है, लेकिन उस खामोशी में एक अनकहा डर भी छिपा है।

अब उन्हें एहसास हो रहा था कि यह सफर उतना आसान नहीं होने वाला था, जितना उन्होंने सोचा था। सिर्फ पुरानी यादों को देखना भर काफी नहीं था, उन्हें उन दर्दनाक हकीकतों का सामना करना था—कुछ उसी तरह जैसे किसी पुराने व्हाट्सएप चैट में गलती से घुस जाना और फिर उन मेसेजेस को पढ़ना जिनसे बचने के लिए आपने हर मुमकिन कोशिश की हो लेकिन ये मेसेजेस या यादें नहीं थीं ये उनकी ज़िन्दगी के एहम पल थे जो उन्हें आज यहां तक ले आये थे।

अनीशा कमरे के कोने में खामोशी से बैठी है, उसकी आंखों में आंसू भरे हैं। उसके हाथ उसकी गोद में कसकर बंधे हुए हैं, जैसे वो अपनी फीलिंग्स को किसी तरह रोकने की कोशिश कर रही हो। उसके दिल में अभी भी उसकी बेटी को छोड़ने का पछतावा गहरा बैठा हुआ है।

अनीशा: “मैंने अपनी बेटी को छोड़ दिया... और अब भी मैं उसकी मासूम आँखों में वो दर्द देख रही हूँ। मैं कैसे... मुझे नहीं लगता की मैं तैयार हूँ”

उधर अंश भी अपने आप में खोया हुआ है। वह शायद अपने अतीत की गलती के बारें में ही सोच रहा है, जब उसके पास सब था और कैसे सब जाता चला गया। उसकी उंगलियां अब भी उसकी किताब के पन्नों पर टिकी हुई हैं, और उसके मन में बेचैनी की लहरें दौड़ रही हैं।

अंश: “क्या ये सब सच में जरूरी है? मुझे और क्या-क्या देखना पड़ेगा? अब क्या करना बचा है?”

राघव धीरे-धीरे खड़ा होता है, उसके कदम जैसे बोझ से दबे हुए हों। चेहरा पूरी तरह पसीने में तर-ब-तर है, और उसकी आंखों में एक अजीब सी बेचैनी साफ झलक रही है, मानो वो किसी अनकहे डर से जूझ रहा हो। उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो रही हैं, और हर कदम जैसे उसे उस भयानक दिन की ओर खींच रहा है, जब ऑपरेशन रूम में उसने अपनी सबसे बड़ी गलती की थी।

राघव: “मैं... मैं फिर से उस दिन का सामना नहीं कर सकता। वो पल... मैंने एक मासूम जान को खो 

सक्षम कमरे के कोने में बैठा है, गहरी शान्ति में डूबा हुआ। उसकी आँखों में बार-बार वही काला दिन तैरने लगता है, जब लालच ने उसकी हर सही-गलत की समझ पर पर्दा डाल दिया था। हर बार जब वो सांस लेता है, उसे लगता है जैसे उसका गला सूखता जा रहा है।

उसकी उंगलियाँ बार-बार घबराहट में बगल की दीवार को कसकर पकड़ने की कोशिश कर रही हैं, जैसे कोई पुराने घाव को फिर से छूने से बचने की कोशिश कर रहा हो।

सक्षम: “अगर मैं उस दिन मना कर देता... तो शायद आज मेरी ज़िंदगी कुछ और होती। मैं उस पल का सामना कैसे करूंगा? क्या हम हमेशा के लिए यहां फंस चुके हैं?”

उनके मन में एक ही सवाल घूम रहा था—क्या वो इस सब से बाहर निकल पाएंगे? क्या वो अपने अतीत का सामना कर पाएंगे? या ये लाइब्रेरी हमेशा के लिए उनकी कैद बन जाएगी?

तभी, एक अजीब सी ठंडी हवा कमरे में बहने लगती है। हवा के साथ एक हल्की सी फुसफुसाहट सुनाई देती है, और लाइब्रेरियन की धुंधली परछाई दीवारों पर उभरने लगती है। उसकी आकृति धीरे-धीरे साफ होती जा रही है, और उसकी गहरी आवाज़ कमरे में गूंजने लगती है।

लाइब्रेरियन: “तुमने अपने अतीत को देख लिया, लेकिन सिर्फ देखने से तुम यहां से बाहर नहीं जा सकते। तुम्हें अपनी गलतियों का सामना करना होगा। तुम्हें उन पलों से शांति पानी होगी।”

सक्षम: "पर ये कहानी पूरी नहीं है, कुछ है जो अधूरा है"  

लाइब्रेरियन: "अधूरा? अभी तो बहुत कुछ अधूरा है सक्षम, चिंता मत करो. तुम्हारे पास बहुत वक़्त और मौके आएंगे पूरी कहानी को देखने और जीने के" 

सभी लाइब्रेरियन की ओर देखते हैं, उनके चेहरों पर अब चिंता से ज़्यादा एक गुस्सा है। अनीशा की सांसें तेज़ हो गई हैं, और अंश अब भी अपनी किताब को पकड़े हुए है। कमरे में एक गहरी खामोशी छाई हुई है।

अनीशा: “क्या हमें सच में उन पलों का सामना करना होगा? क्या और कोई रास्ता नहीं है?”

लाइब्रेरियन: “यहां से बाहर निकलने का सिर्फ एक ही रास्ता है—अपने अतीत का सामना करना, उसे स्वीकार करना, और उससे शांति पाना। अगर तुम ऐसा नहीं कर सके, तो…”

अजीब बात है क्या इन सबने इस जंगल में आने से पहले सोचा होगा की अपने अतीत से लड़ना इतना मेहेंगा पड़ जाएगा की उसका दाम इनको अपनी ज़िन्दगी से चुकाना पड़ेगा? 

अचानक, कमरे के कोने में चुपचाप बैठी अनीशा एक झटके से खड़ी हो जाती है। उसकी आँखों में आँसू की चमक साफ दिखाई देती है, मानो अंदर भरा सैलाब अब फूटने वाला हो। उसकी नज़र सीधे लाइब्रेरियन पर जा टिकती है, और उसके चेहरे पर भाव ऐसे थे, जैसे उसने अपनी सारी उम्मीदें खो दी हों।

अनीशा: “नहीं! मैं ये नहीं कर सकती। मैं अपनी बेटी को छोड़ने का सामना नहीं कर सकती। ये सब बकवास है। मैं यहां से जा रही हूँ।”

अनीशा तेज़ कदमों से दरवाज़े की तरफ बढ़ती है। उसकी चाल में गुस्सा और निराशा इतनी साफ थी कि हर कदम में जैसे ज़मीन हिल रही हो। उसकी साँसें भारी हो रही थीं, और चेहरे पर एक पीछे न मुड़के देखने की ज़िद दिख रही थी। वो दरवाज़े तक पहुँचती है, और झटके से उसे खोलने की कोशिश करती है। पर जैसे ही वो दरवाज़े का हैन्डल पकड़ती है, दरवाज़ा अचानक से एक ज़ोरदार धड़ाम की आवाज़ के साथ अपने आप बंद हो जाता है। वो आवाज़ इतनी तेज़ थी कि पूरे कमरे में गूंज उठती है, दीवारें तक काँप उठती हैं। ऐसा लगा मानो दरवाज़े ने खुद ही किसी अज्ञात शक्ति से सबको बंदी बना लिया हो।

सभी दरवाज़े अब बंद हो चुके थे। लाइब्रेरी ने उन्हें बंद कर लिया था, जैसे वो इन किरदारों की उलझन और दर्द का गवाह बन रही हो। दरवाजे अब उनके सामने एक दीवार की तरह खड़े हो गए थे, और उनका बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा था।

अनीशा दरवाजे के पास खड़ी, गुस्से में उसे खींचने की कोशिश कर रही है। उसकी आंखों में निराशा और गुस्से की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं, लेकिन उसकी लाख कोशिशों के बाद भी दरवाजा नहीं खुलता।

अनीशा: “ये दरवाजा क्यों नहीं खुल रहा? हमें यहां क्यों बंद किया जा रहा है?”

अंश अब धीरे-धीरे लाइब्रेरी की ओर देखता है। उसकी आंखों में चिंता के अलावा कुछ नहीं है, लेकिन वो हिम्मत जुटाते हुए अपनी आवाज़ निकालने की कोशिश करता है।

अंश: “शायद लाइब्रेरी सही कह रही है। हम तब तक यहां से बाहर नहीं जा सकते, जब तक हम अपनी गलतियों का सामना नहीं करेंगे।”

सक्षम धीरे-धीरे खड़ा होता है, उसकी सांसें अभी भी भारी हैं। वह लाइब्रेरियन की ओर देखता है, और उसकी आवाज़ में घबराहट साफ झलक रही है।

सक्षम: “तो... अगर हम असफल हो गए... तो क्या हम हमेशा के लिए यहां फंस जाएंगे?”

लाइब्रेरियन की परछाई अब और घनी और भयानक हो गई थी, मानो दीवारों से उठकर कमरे के हर कोने में फैल गई हो। उसकी आवाज़ एक बार फिर कमरे में गूंजने लगी, लेकिन इस बार उसकी बातें और भी रहस्यमयी और गहरे अर्थों से भरी हुई थीं।

लाइब्रेरियन: “तुम्हारे पास दो रास्ते हैं—या तो तुम अपनी गलतियों का सामना करो और शांति पाओ, या फिर ये लाइब्रेरी तुम्हें हमेशा के लिए अपनी कैद में ले लेगी। यहां से भागने का कोई रास्ता नहीं है।”


लाइब्रेरियन को उनके डर, आंसू और बेचैनी से कोई फ़र्क ही नहीं पड़ रहा था जैसे उसका दिल कब का मर चुका हो। उसकी चेतावनी ने कमरे में और भी गहरी पहेली पैदा कर दी थी। अब उन्हें समझ आ चुका था कि ये सब सिर्फ एक खेल नहीं था।

राघव की आंखों में अब भी डर है, लेकिन वह अपनी किताब को फिर से देखता है। उसकी उंगलियां फिर से किताब के कवर पर टिकी हैं, और उसके दिल में डर और हिम्मत का अजीब मिश्रण है।

राघव: “हमें... हमें इसका सामना करना ही होगा। कोई और रास्ता नहीं है।”

अनीश: “शायद यही हमारा आखिरी मौका है। अगर हम ये नहीं कर सके... तो हम हमेशा के लिए यहां रह जाएंगे।”


उनके सामने कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था। अब उन्हें अपनी गलतियों का सामना करना ही होगा—उन्हें कबूल करना होगा, और शायद तभी इस अजीब और डरावनी जगह से बाहर निकलने का मौका मिल सकेगा।

अंश: “शायद यही हमारी आखिरी उम्मीद है।”

लाइब्रेरियन धीरे-धीरे कमरे से गायब हो रही है , उसकी परछाई अब दीवारों से हट रही है। उसकी बातें अब भी हवा में तैर रही हैं, लेकिन वह अब दिखाई नहीं दे रही। कमरे में अब सिर्फ चारों किरदार रह गए हैं, जो अपनी-अपनी उलझनों में फंसे हुए हैं।

वो चारों अब लाइब्रेरी के बीचों-बीच खड़े थे, जैसे किसी गुप्त जाल में फंसे हुए हों। हर दीवार उन्हें और करीब आती हुई महसूस हो रही थी। 

उनके दिलों में गुस्सा उबाल मार रहा था—एक ऐसा गुस्सा जो डर और बेबसी के साथ मिलकर और खतरनाक हो जाता है। 

अनीशा की आंखों में गुस्से की लपटें साफ दिख रही थीं, जैसे वो किसी भी पल फट पड़ेगी। सक्षम की मुट्ठियाँ गुस्से से बंद थीं, जैसे वो इस जगह को तोड़कर बाहर निकलना चाहता हो। राघव के चेहरे पर तनाव की रेखाएं खिंच गई थीं, मानो उसने खुद से ही लड़ाई छेड़ दी हो। अंश का चेहरा अब भी उलझन और गुस्से के बीच फंसा था, जैसे उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस अंधकार से कैसे निकले।


लाइब्रेरियन की परछाई अब गायब हो चुकी है लेकिन उसके शब्द अभी भी दीवारें दोहरा रहीं हैं- “यहां से बाहर जाने का रास्ता तब ही मिलेगा, जब तुम अपने अतीत का सामना करोगे।” 

चारों किरदार अब अपनी गलतियों का सामना करने के लिए तैयार हो रहे हैं, लेकिन क्या वो सब इसे पूरा कर पाएंगे? या ये लाइब्रेरी हमेशा के लिए उनको खा जायेगी ?

क्या ये पास्ट से लड़ने का गेम इनके प्रेजेंट को भी ले डूबेगा? 

आगे क्या होगा, जानेंगे अगले चैप्टर में!

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