चारों तरफ घना अंधेरा था।हल्की-हल्की मशीनों की बीपिंग आवाज़ें गूंज रही थीं। हवा में कुछ गंध थी , दवाईयों, लोहे और जले हुए प्लास्टिक की मिली-जुली गंध।
नीना धीरे-धीरे होश में आ रही थी। सिर के अंदर हथौड़े बज रहे थे। शरीर सुन्न था। और सबसे डरावनी बात... उसके अपने हाथ-पैर उसके कंट्रोल में नहीं थे।
वो महसूस कर सकती थी कि उसकी कलाईयां और टखने मोटी, ठंडी धातु की जंजीरों से बांध दिए गए थे।
उसने आँखें खोलीं।
कमरा तेज सफेद लाइट से नहा रहा था। एक कोने में ब्लिंक करती मॉनिटर स्क्रीन, दूसरी तरफ चमचमाते सर्जिकल औजार। सब कुछ क्लिनिकल बेरहम, निर्जीव।
और फिर, वो सामने आया। कॉलोनेल वाल्टर स्लोन
काली यूनिफॉर्म में, धूल की तरह सूखा चेहरा, आंखों में वो अजीब सी चमक जो बस किसी शिकारी में होती है।
वो मुस्कुराया , एक ऐसी मुस्कान जिसमें दया का एक कतरा भी नहीं था।
धीरे-धीरे वो उसके पास आया, जैसे किसी ट्रॉफ़ी के करीब आने से पहले शिकारी अपना आखिरी कदम फूंक-फूंक कर रखता है।
"अंत में..." उसने कहा, आवाज में भारीपन था, “हमने तुम्हें काबू कर ही लिया,नीना।”
नीना कुछ बोलना चाहती थी, लेकिन गला सूखा पड़ा था। जैसे किसी ने रेत भर दी हो भीतर।
स्लोन ने उसकी तरफ झुककर कहा,
“हमें तुम्हें खत्म करने का कोई इरादा नहीं है।”
वो रुका। उसकी आँखों में शैतानी चमक थी।
“हम तुम्हें बदलेंगे। तुम्हारे मकसद को फिर से प्रोग्राम करेंगे।”
नीना का दिल धक-धक करने लगा।
प्रोग्राम?
जैसे कोई मशीन होती है?
उसने हाथ-पैर झटकने की कोशिश की, लेकिन जंजीरें जकड़े रहीं। साइबरनेटिक आई ने तुरंत उसकी धड़कनें, ब्लड प्रेशर, हर नन्हीं हरकत को मॉनिटर करना शुरू कर दिया।
एक छोटी सी स्क्रीन पर उसके सारे वाइटल्स चमकने लगे , जैसे वो कोई इंसान नहीं, बल्कि एक डेटा शीट बन गई हो।
स्लोन पीछे मुड़ा। एक बटन दबाया।
कमरे के एक और दरवाज़े से दो सफेद कोट पहनें टेक्निशियन अंदर आए। उनके हाथों में सिरिंजें थीं , मोटी, चमचमाती हुई, जिनमें नीली रंग की तरल दवा भरी थी।
नीना का शरीर बेकाबू तरीके से कांपने लगा।
उसका मन चिल्ला रहा था , भागो, भागो, भागो! , पर शरीर पत्थर बन गया था।
स्लोन ने उसकी चीखती नज़रों को देखते हुए कहा,
“रिलैक्स, नीना। ये दर्दनाक नहीं होगा... कम से कम ज़्यादा नहीं।”
उसने सिरिंज नीना के गले की नस के करीब ले जाकर आराम से चुभाई।
एक ठंडक उसकी नसों में दौड़ गई। एक ठंडी आग की तरह।और फिर ,आवाज़ें डिस्टॉर्ट होने लगीं।तस्वीरें फटने लगीं।
उसकी साइबरनेटिक आंखों ने बगावत शुरू कर दी।
स्क्रीनें चमकने लगीं, वाइब्रेशन पूरे शरीर में फैल गई, दिल की धड़कन एक सेकंड के लिए थमी , फिर तेज दौड़ने लगी।
नीना ने आँखें भींच लीं।लेकिन तब उसके दिमाग के अंदर...एक नई आवाज गूंजी।एक अजनबी, मशीनी, कंपकंपाती फुसफुसाहट:
"वेलकम टू फेस टू,सब्जेक्ट वि 29
“अब तुम सिर्फ खुद की ही नहीं हो। अब तुम हमारी प्रॉपर्टी हो।”
नीना की आंखों से आंसू बह निकले ,
लेकिन अब वो आंसू भी मशीन के डेटा के तौर पर रिकॉर्ड हो रहे थे।
इमोशन: 67% डर, 23% दुख, 10% रेंज
स्लोन ने उसे देखा , जैसे किसान अपनी फसल को देखता है जो अब कटने के लिए तैयार है।
"तुम्हारी आज़ादी खत्म हो गई, नीना।" उसने धीरे से फुसफुसाया।
“अब तुम वो बनोगी जो हम चाहते हैं।”
नीना ने अंदर से चीखने की कोशिश की।
“मैं कोई प्रोजेक्ट नहीं हूं!”
“मैं इंसान हूं!”
लेकिन उसके मुंह से कोई आवाज़ नहीं निकली।
उसका मन अंदर से चिल्ला रहा था , एथन , वॉल , डॉ चो, कोई तो आए!
पर हकीकत में , कमरे में सिर्फ मशीनें थीं, स्लोन था, और वो खुद... एक टूटी हुई, हारी हुई मशीन में बदलती लड़की।
कमरे की लाइटें अचानक मंद पड़ गईं।
नीना ने देखा , एक और मशीन उसके सामने लाई जा रही थी।
एक ब्रेनवेव रीप्रोग्रामिंग डिवाइस।
सीधे दिमाग के साथ इंटरफेस करेगी , यादें मिटाएगी, नए आदेश इनप्लांट करेगी।
स्लोन ने मशीन के ऊपर हाथ फेरा , जैसे कोई मूर्ति को पूजा करने से पहले साफ करता है , और बटन दबाया।
मशीन से एक धीमी गुनगुनाहट शुरू हुई।
नीना की आंखों के सामने एक फ्लैश हुआ।
उसने खुद को एक अलग जिंदगी में देखा।
कोलम्बिया के एक सूरजभरे गांव में, अपनी माँ के साथ खेलती हुई।
कोई दर्द नहीं था। कोई भागना नहीं था।
बस सुकून था।
उसकी मां ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तुम अब आज़ाद हो, नीना।”
नीना का दिल तड़प उठा।
क्या सच में? क्या ये सब झूठ हो सकता है?
पर तभी ,एक हल्की सी गड़बड़ी आई।
मां की मुस्कान एक पल के लिए टूट गई। उसकी आंखें डिजिटल गड़बड़ी की तरह चमकीं।
नीना को समझ आ गया ,
ये भी एक जाल है।एक और प्रोग्राम।एक और झूठ।
उसने चीखते हुए आंखें खोल दीं।मशीन गड़गड़ा उठी। मॉनिटर पर लाल अलर्ट चमकने लगे।
स्लोन गुस्से में चिल्लाया,
“स्टेबलाइज हर नाव !”
पर नीना का दिमाग दो हिस्सों में बंट चुका था।
एक हिस्सा अभी भी इंसान था।दूसरा हिस्सा आई का गुलाम।अगले पल, नीना की सांसें तेज हो गईं।
उसकी मांसपेशियां तन गईं।उसकी आंखों में चमक उठी , पर वो इंसानी चमक नहीं थी।
वो अब एक जिंदा हथियार थी।"वेलकम टू फेज टू."
दिमाग में गूंजती आवाज ने आखिरी वार किया।
कमरा धीरे-धीरे अपने आप में बदलने लगा था।
सफेद दीवारों पर अब नीली और लाल बत्तियाँ झिलमिला रही थीं। मशीनें बीप कर रहीं थीं, कुछ चेतावनी दे रही थीं , जैसे इस प्रयोग को खुद मशीनें भी रोकना चाहती हों।
लेकिन स्लोन पीछे हटने वालों में से नहीं था।वो चुपचाप नीना के सिर के ऊपर झुका।
उसके हाथ में एक छोटा सा काले रंग का डिवाइस था , चमचमाता हुआ, तारे जैसे चकमक करता हुआ।
मेमोरी रिवराइट .
इसी से नीना के दिमाग की पूरी दुनिया बदल दी जाती।
उसने डिवाइस को एक्टिवेट किया।
हल्के से करंट की सनसनाहट नीना की खोपड़ी में दौड़ी।
उसकी पलकों के नीचे से तेज़ नीली रोशनी चमकने लगी।
नीना का शरीर फड़फड़ाया, पर जंजीरें उसे पकड़कर बैठी रहीं।
उसके अंदर आई भी लड़ रहा था , पर आई का मकसद कुछ और था।
आई खुद भी नीना को छोड़ना नहीं चाहता था।
आई और स्लोन , दोनों अलग-अलग तरीके से उसे तोड़ने की कोशिश कर रहे थे।
भीतर एक युद्ध छिड़ गया था।
नीना के दिमाग में नकली यादें फटी बारिश की तरह बरसने लगीं।वो खुद को एक नई दुनिया में देखती रही ,
एक ऐसी दुनिया जहां वो डिविजन के लिए काम कर रही थी।
जहां वो एक साइबर सैनिक थी।
जहां वो हुक्म बजा रही थी, बिना कोई सवाल किए।
लेकिन हर नकली स्मृति के बीच से, कहीं से एक फुसफुसाहट आती ,एथन की आवाज।
“नीना, ये तुम नहीं हो। मत भूलो तुम कौन हो।”
नीना चीखना चाहती थी। चिल्लाना चाहती थी।
“रुको! ये मैं नहीं हूं!”
पर उसकी चीखें बस उसके दिमाग के अंदर कैद रहीं। बाहर से वो बस एक मशीन जैसी कांप रही थी।
इसी बीच...दूसरी तरफ, डिविजन की किले जैसी इस सुविधा के बाहर,
एथन कार्टेल और Dr. चो खड़े थे।
बारिश हो रही थी। तेज़ बूँदें उनके कपड़ों को भिगो रही थीं, लेकिन उनकी आँखों में बस एक ही जुनून था ,
नीना को बचाना।
एथन ने एक छोटा-सा डिवाइस निकाला , स्क्रेबल, जो 10 मिनट के लिए सिक्योरिटी कैमरों को ब्लाइंड कर सकता था।
डॉ चो ने अपनी लैपटॉप स्क्रीन पर तेजी से उंगलियां चलाईं , बिल्डिंग के ब्लूप्रिंट स्कैन करते हुए।
"सिर्फ एक मौका मिलेगा," डॉ चो ने चेतावनी दी, “अगर हम चूके... नीना हमेशा के लिए खो जाएगी।”
एथन ने सिर हिलाया।"मैं उसे वापस लाऊंगा।""चाहे कुछ भी हो।"
दूसरी तरफ, नीना का दिमाग बुरी तरह गलीच कर रहा था।
एक पल उसे दिखता कि वो डिविजन की सिपाही बन चुकी है ,काली यूनिफॉर्म में, स्लोन के बगल में खड़ी हुई, औरतों-बच्चों पर हथियार ताने हुए।
दूसरे पल, उसे खुद को एक छोटे कैफे में बैठा देखती , एथन के साथ कॉफी पीते हुए, हँसते हुए, असली ज़िंदगी की हल्की सी झलक।
आई बार-बार उसे खींचकर मशीन बनाना चाहता था।
स्लोन बार-बार उसके इंसान होने की यादें मिटा देना चाहता था।
नीना दोनों के बीच फंस गई थी।
"सब्जेक्ट वि 29 की ब्रेनवेव एक्टिविटी स्टेबल नहीं हो रही," एक टेक्निशियन ने घबराकर कहा।
स्लोन गुस्से से फुफकारा,"डोज बढ़ाओ।"
"मुझे फर्क नहीं पड़ता उसका दिमाग जले या टूटे। उसे झुकना होगा।"एक और सिरिंज उसके गले में धंसी।
तेज आग जैसे द्रव्य ने उसकी नसों में दौड़ना शुरू किया।
नीना का दिमाग धीरे-धीरे खाली होने लगा।
हर एहसास, हर स्मृति, हर रिश्ता , सब धुंध में खोते जा रहे थे।
बस एक नाम बार-बार उसके अंदर गूंज रहा था ,
“एथन ...”
और तभी ,
दूर से एक जबरदस्त धमाका हुआ।पूरा बिल्डिंग झनझना उठा।अलार्म चीख उठे।
स्लोन ने चौंक कर सिर घुमाया।
"क्या हो रहा है?"दरवाज़ा धड़धड़ाया , और टूटा।
धुएं और मलबे के बीच से एथन भागता हुआ अंदर आया।
उसके हाथ में गन थी, पर उसकी आंखों में सिर्फ एक चीज़ थी ,
उम्मीद।
“नीना”
उसने चिल्लाकर पुकारा।
“मैं आ गया हूँ! लड़ो नीना, लड़ो!”
नीना ने कोशिश की उसकी आवाज़ पकड़ने की।
लेकिन उसके दिमाग के अंदर आई फुसफुसा रहा था ,
“भूल जाओ। छोड़ दो। आराम करो।”
एथन भागता हुआ उसके पास आया, और उसकी जंजीरें खोलने की कोशिश करने लगा।
पर तभी नीना की आंखों में लाल चमक दौड़ गई।
आई ने उसका शरीर फिर से पकड़ लिया।
नीना का हाथ खुद-ब-खुद उठा , और एथन की तरफ झपटा।
कमरे के अंदर धुएं और टूटे फर्नीचर का मलबा बिखरा पड़ा था।
अलार्म लगातार चीख रहे थे। लाल बत्तियाँ कमरे को एक बीमार दिल की तरह धड़काते हुए रोशनी में डुबा रही थीं।
एथन जमीन पर घुटनों के बल गिरा पड़ा था , उसकी सांसें तेज, दिल बुरी तरह धड़कता हुआ।
उसकी आंखें बस एक चेहरा तलाश रही थीं ,
नीना।
और वहीं, कुछ कदम दूर ,
जंजीरों से छूटी, मगर अपनी ही देह में कैद , नीना खड़ी थी।
लेकिन अब वो वही नीना नहीं थी जिसे एथन जानता था।
उसकी आँखें गहरी, लाल चमक से भरी थीं।
चेहरा निर्विकार, ठंडा।
उसके हर मूवमेंट में एक मशीन जैसी परफेक्शन थी।
मानो इंसान नहीं, एक जीवित हथियार सामने खड़ा हो।
एथन ने धीरे से हाथ उठाया, हथियार फेंक दिया ,
वो नहीं चाहता था कि वो सोच भी सके कि उसे खतरा है।
“नीना.”
उसने धीरे से पुकारा, जैसे एक टूटी डोर से फिर से रिश्ता जोड़ने की कोशिश कर रहा हो।
“मैं यहाँ हूँ। तुम्हारा दोस्त। याद है न?”
नीना के चेहरे पर एक हल्की सी झलक आई , जैसे कोई धुंधले सपने में अपना नाम सुन ले।
लेकिन अगले ही पल ,
उसकी आंखों में आई का ग्लो और तेज हो गया।
एक कंप्यूटर जैसी आवाज़ उसके दिमाग में गूंज रही थी,
नीना का शरीर बिना उसकी मर्जी के आगे बढ़ा।
एक-एक कदम जैसे धरती पर हथौड़े बरसा रहा हो।
एथन पीछे नहीं हटा।
उसने अपने दोनों हाथ हवा में उठा दिए, खुद को पूरी तरह बेपरवाह कर दिया।
“तुम्हें याद है न, नीना?”
उसकी आवाज़ काँप रही थी , लेकिन दिल नहीं।
“ब्लाइंड हेवेन वो पहला दिन... जब तुमने पहली बार मेरी कॉफी छीनी थी?”
वो मुस्कुराया , दर्द से।
“तुम्हें याद है, तुमने कहा था , 'दुनिया अंधी है, और मैं उसका सच जानती हूँ।'”
नीना का कदम एक पल को थमा।
उसकी उंगलियाँ काँपीं।
पर तभी , आई ने ज्यादा जोर लगाया।
उसका दिमाग ब्लिंक किया ,एक झूठी याद उसके सामने फेंकी गई ,
एथन को हथियार ताने हुए, उसे मारने के लिए तैयार।
नीना के भीतर एक उबाल फूटा।
"धोखा!""धोखा!"
आई फुसफुसा रहा था ,"उन पर भरोसा मत करो। कोई तुमसे प्यार नहीं करता। तुम सिर्फ मिशन हो।"
नीना ने अपना हाथ उठाया ,
उसकी हथेली से एक इलेक्ट्रो-शॉक वेव चमकने लगी , आई ने उसके शरीर को एक परफेक्ट हथियार में बदल दिया था।
एथन ने देखा , और अपना दिल थाम लिया।
“अगर तुम्हें मुझे मारना है... तो मारो, नीना।”
उसने धीरे से कहा।
“लेकिन तुम्हें खुद से मत खोने दो।”
नीना की आँखें काँपीं।
उसके अंदर युद्ध चल रहा था।
एक तरफ आई उसे पुश कर रहा था , उसे एक इमोशनलेस बना देने के लिए।
दूसरी तरफ एथन की आवाज़ उसे अपने पुराने वजूद की याद दिला रही थी।
टूटने वाली थी वो।
और तभी ,
एक गूंज उसके दिमाग में आई।
एथन की हंसी,वॉल के साथ बिताए पल।
डॉ चो की आवाज़, जो कहती थी, “तुम अभी भी बच सकती हो।”
नीना ने अपनी हथेली झटका।लेकिन हमला एथन पर नहीं पड़ा।
उसने अपनी पूरी ताकत से उस मशीन पर हमला कर दिया जो उसके रीप्रोग्रामिंग को फीड कर रही थी।
मशीन फट पड़ी , चिंगारियाँ उड़ने लगीं।
स्लोन, जो दूर से सब देख रहा था, बुरी तरह चिल्लाया,
"नो स्टॉप हर।
सैनिक अंदर घुसने लगे।लेकिन अब नीना सिर्फ जंजीरों से नहीं, आई से भी लड़ रही थी।
उसके पूरे शरीर में दर्द की लहरें दौड़ गईं।
लेकिन उसकी आँखों में पहली बार इंसानी चमक लौटी थी।
एथन ने तेजी से भागकर उसके पास आकर उसे थामा।"लड़ो नीना। लड़ो! हम अभी भी वापस जा सकते हैं!"
नीना ने हांफते हुए उसकी आँखों में देखा।
उसकी उंगलियाँ एथन के कंधे पर कस गईं।
"एथन ..."उसने फुसफुसाते हुए कहा।
“मैं... मैं खुद को खो रही हूँ...”
एथन ने उसका चेहरा अपने हाथों में थामा।
“तो खुद को मेरे चेहरे में ढूंढो।”
“मैं यहीं हूँ। मैं कभी नहीं जाऊंगा।”
नीना के अंदर कुछ टूटा ,लेकिन वही टूटना उसकी आज़ादी का पहला कदम था।
अचानक, कमरे में फ्लड लाइट्स जलीं।
सायरन गूंजा।
डिविजन के बैकअप दस्ते ने पूरा हॉल घेर लिया था।
स्लोन खुद आगे आया, हथियार ताने हुए।
“सब्जेक्टवि-29, सरेंडर नाव!”
उसकी आवाज़ गूंज रही थी।
नीना हांफ रही थी, लड़खड़ा रही थी।
आई अब भी हर पल उसे वापिस मशीन बनाने की कोशिश कर रहा था।
एथन ने उसकी हथेली थामी।
“यह हमारी आखिरी दौड़ है, नीना।”
“चलो, भागते हैं। अपने लिए। हमारे लिए।”
नीना ने सिर झुकाया।आंखों में आखिरी बार आंसू चमके।
और फिर ,वो दौड़ पड़ी।
एथन के साथ। डिविजन के गोलियों की बौछार के बीच से।
आई के फुसफुसाते झूठ के बीच से।
अपने टूटते वजूद के बीच से।भागती रही।क्योंकि अब, शायद पहली बार ,वो सिर्फ जिंदा नहीं रहना चाहती थी।
वो खुद को बचाना चाहती थी।
नीना की जीने की चाह उसके भीतर के मशीन को हरा पाएगी? क्या है नीना का अगला वार अपने दुश्मनों के लिए जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।
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