मानो जैसे उस पल आर्यन के शरीर का सारा खून बर्फ की तरह जमकर बिलकुल ठंडा हो गया था। उसे कुछ होश नहीं था कि वह कहाँ है और उसके आस-पास असल में क्या चल रहा है। उसे यह भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर इस स्थिति में वह क्या और कैसे प्रतिक्रिया करे। आर्यन ना जाने कितनी देर तक अपनी जगह यूँ ही सदमे में जड़वत खड़ा रहा। उसकी तंद्रा तब टूटी जब मिहिर उसके पास आया। मिहिर ने आर्यन का नाम पुकारा, लेकिन आर्यन जैसे अपने ही ख्यालों और सदमे की दुनिया में गुम था। उसे उस वक्त ध्रुवी के सिवा कुछ दिखाई या सुनाई नहीं दे रहा था। मिहिर ने जब आर्यन को खोया-खोया देखा, तो वह लगभग घबराते हुए उसकी ओर बढ़ गया। और आर्यन जैसे अपने ख्यालों से बाहर आया।
मिहिर (आर्यन के कंधे पर हाथ रखते हुए, घबराहट भरे भाव से): आर्यन…
आर्यन (मिहिर की ओर पलटते हुए, आँसुओं भरी आँखों से): ध्रु… ध्रु… ध्रुवी… ध्रु… ध्रुवी…
आर्यन लगातार कुछ बोलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उस वक्त जैसे उसके मुँह से शब्द ही बाहर नहीं निकल रहे थे। मानो जैसे उसके सारे शब्द और जज़्बात उसके गले में ही कहीं अटक कर रह गए थे। मिहिर ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे खुद को संभालने के लिए कहा। आर्यन को जैसे होश आया और वह लगभग भागते हुए नीचे की ओर दौड़ पड़ा। मिहिर भी आर्यन के साथ नीचे आ पहुँचा। आर्यन की साँसें तेज़ चल रही थीं, उसके हाथ-पैर बुरी तरह काँप रहे थे। इन सब से अलग, तब तक वार्डन ने वहाँ आकर एम्बुलेंस को कॉल कर दिया था और कुछ ही देर में एम्बुलेंस वहाँ आ पहुँची। जैसे ही ध्रुवी को वहाँ से अस्पताल ले जाने लगे, आर्यन ने भी उसके साथ अस्पताल जाने की बात कही। वार्डन ने पहले तो मना किया, लेकिन हालात की गंभीरता को समझते हुए उसने आर्यन को साथ आने की इजाजत दे दी। मिहिर भी आर्यन के साथ उसे संभालने के लिए उसके साथ एम्बुलेंस में ही अस्पताल के लिए निकल पड़ा। रात का वक्त था और किस्मत थी कि हॉस्टल से लेकर अस्पताल तक बीच में ज़्यादा ट्रैफिक नहीं मिला और जल्द ही एम्बुलेंस अस्पताल पहुँच गई।
अस्पताल पहुँच कर ध्रुवी को फ़ौरन ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया। क्योंकि ध्रुवी कोई छोटी-मोटी या आम हस्ती नहीं थी, इसीलिए बिना पुलिस के आए या बिना किसी जाँच के ही डॉक्टर्स ने फ़ौरन ध्रुवी का इलाज शुरू कर दिया। क्योंकि पुलिस से कहीं ज़्यादा डर सब लोगों को मि. सिंघानिया के गुस्से और नाराज़गी का था। क्योंकि सब जानते थे कि ध्रुवी में मि. सिंघानिया की जान बसती थी और अगर उसे थोड़ा भी कुछ हुआ, तो पूरे शहर में मि. सिंघानिया के गुस्से का भूचाल आ जाएगा, और जो पल में सब कुछ बर्बाद कर देगा। वार्डन ने जब कॉलेज के प्रिंसिपल और बाकी अहम लोगों को इस बात की खबर दी, तो उनके भी डर के मारे रोंगटे खड़े हो गए और सब लोग एक-एक कर जल्द से जल्द अस्पताल आ पहुँचे। हर कोई बस ध्रुवी के सही-सलामत होने की दुआ कर रहा था, क्योंकि सब जानते थे कि अगर ध्रुवी को कुछ भी होता है, तो साथ में उन सबकी ज़िंदगियाँ भी खतरे में पड़ जाएँगी और फिर किसी का भी बचना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।
प्रिंसिपल (आर्यन पर भड़कते हुए): क्या कर दिया है आर्यन ये तुमने? तुम्हारी वजह से आज हम सब को इस क्रिटिकल सिचुएशन का सामना करना पड़ रहा है। हैव यू एनी आइडिया कि अगर ध्रुवी को कुछ भी हुआ, तो मि. सिंघानिया हम सबकी ज़िंदगियों को जीते जी जहन्नुम बना देंगे!
मि. दवे: एक्जैक्टली। तुम्हारी ही वजह से आज हम सब इतनी बड़ी मुश्किल में पड़े हैं। अगर ध्रुवी को कुछ भी हुआ, तो याद रखना सबसे पहले अंजाम तुम्हें भुगतना होगा!
मिसेज़ गुप्ता (आर्यन को घूरते हुए): नहीं मिस्टर गुप्ता, अंजाम सिर्फ़ इसे ही नहीं, बल्कि हमारी कोई गलती ना होते हुए भी, इस एक लड़के की वजह से हम सबको वो अंजाम भुगतना पड़ेगा!
मिहिर (नाखुशी भरे भाव से): सॉरी टू से, लेकिन आप सब का आर्यन को यूँ जिम्मेदार ठहराना सरासर गलत है। क्योंकि जो कुछ भी हुआ उसमें आर्यन की कोई गलती थी ही नहीं। ध्रुवी ने आर्यन पर जबरदस्ती अपने प्यार को अपनाने का दबाव बनाया और जब आर्यन ने उसकी बात नहीं मानी तो वह बिल्डिंग से नीचे कूद गई!
प्रिंसिपल (मिहिर पर झुंझला कर): और तुम्हें लगता है कि कोई भी तुम्हारी इन दलीलों को सुनकर इन्हें सच मानेगा या इसे (आर्यन को) बेगुनाह मानकर छोड़ देंगे!
मि. सक्सेना: सर, काम डाउन, ऐसे गुस्सा करने से प्रॉब्लम का सलूशन नहीं निकलेगा और ना ही हमारे कुछ कहने से ही कुछ होने वाला है। क्योंकि अब सारी बातें और सारा सच ध्रुवी के होश में आने पर, उसके मुँह से निकला उसका बयान ही तय करेगा!
मि. सक्सेना की बात सुनकर सब लोग खामोश हो गए और आर्यन तो जब से अस्पताल आया था, तब से ही वह बस पूरी तरह खामोश था। उसके मन में क्या चल रहा था और किन सवालों या बातों से वह जूझ रहा था, यह बस वह और उसका दिल ही जानते थे। और उसके जहन में उस वक्त सिर्फ़ बस ध्रुवी और उसकी बातें ही चल रही थीं। देखते ही देखते, आँखों ही आँखों में यूँ ही सुबह हो चली थी, लेकिन आर्यन अभी भी अपनी ही जगह बुत सा बना खड़ा था और कल रात से ही वह आईसीयू के बाहर से टस से मस नहीं हुआ था। बाकी लोग वेटिंग रूम में चले गए थे और मिहिर को भी उसने वापस हॉस्टल भेज दिया था। हालाँकि मिहिर नहीं जाना चाहता था, लेकिन आर्यन ने उसे खुद को कुछ देर अकेला छोड़ने के लिए कहा, तो आखिर में मजबूरी में मिहिर वहाँ से चला गया। कि तभी एक डॉक्टर आईसीयू से बाहर निकली, तो आर्यन जल्दी से उसकी ओर बढ़ गया। तभी एकाएक बाकी सारे टीचर भी वहाँ आ पहुँचे।
आर्यन: डॉक्टर, क्या ध्रुवी को होश आ गया है?
डॉक्टर: हाँ, उन्हें होश आ चुका है!
आर्यन (उत्सुकता से): क्या हम ध्रुवी से मिल सकते हैं?
डॉक्टर: जी, मिल सकते हैं, लेकिन ज़्यादा लोग नहीं!
आर्यन जैसे ही आईसीयू की ओर अपने कदम बढ़ाने को हुआ, कि पुलिस कमिश्नर ने आकर उसे रोक दिया।
कमिश्नर (आर्यन को रोकते हुए): रुकिए, अभी आप में से कोई भी अंदर नहीं जा सकता, जब तक कि हम मिस ध्रुवी का बयान ना ले लें और सच को ना जान लें!
कमिश्नर अभी इन लोगों से बात ही कर रहे थे, कि तभी मिस्टर सिंघानिया घबराहट भरे एक्सप्रेशन से लगभग हड़बड़ाते हुए वहाँ आ पहुँचे, जो ध्रुवी के एक्सीडेंट की खबर सुनकर फ़ौरन न्यूयॉर्क से निकल पड़े थे और थोड़ी देर पहले ही उनकी फ़्लाइट लंदन में लैंड हुई थी। उनके पीछे-पीछे मिहिर भी अस्पताल आ पहुँचा था।
मि. सिंघानिया (घबराते हुए डॉक्टर से): क्या हुआ है ध्रुवी को डॉक्टर? कैसी है मेरी बेटी?
डॉक्टर: यह तो एक्ज़ैक्टली हमें नहीं पता मिस्टर सिंघानिया कि उनके साथ क्या हुआ था, लेकिन जब मिस ध्रुवी को यहाँ लाया गया था, तो उनके सर पर गहरी चोट लगी हुई थी, उनकी बायीं टांग और दाहिने हाथ में भी फ्रैक्चर है और वह बेहोश थी। उनका काफी ब्लड लॉस भी हो चुका था। वो तो अच्छा है कि उन्हें सही वक्त पर अस्पताल लाया गया, वरना कुछ भी हो सकता था!
सिंघानिया (गुस्से से प्रिंसिपल और बाकी स्टाफ़ की तरफ़ देखकर): क्या हुआ मेरी बेटी को? कैसे उसे इतनी चोटें लगीं? कल जब मैं यहाँ से न्यूयॉर्क के लिए निकला था, तो वह बहुत खुश थी और बिलकुल सही भी थी। फिर कुछ ही घंटों में उसे ऐसा क्या हो गया जो वह इस हालत में अस्पताल के बिस्तर पर आ पड़ी?
प्रिंसिपल (बुरी तरह घबरा कर हकलाते हुए): स… सर… व… वो… द… दरअसल…
प्रिंसिपल सर अपनी बात कहने की पूरी कोशिश कर रहे थे, मगर मिस्टर सिंघानिया की लाल आँखों में गुस्से की ज्वाला देखकर जैसे उनके शब्द उनके गले में ही कहीं अटक कर रह गए थे और वह चाहकर भी कुछ नहीं कह पा रहे थे। उनके साथ ही बाकी सारे लोग भी घबराहट और डर से अपनी जुबान पर चुप्पी साधे हुए थे।
कमिश्नर (मिस्टर सिंघानिया को गुस्सा करते देख): आप शांत रहें मिस्टर सिंघानिया। हम अंदर चलकर ध्रुवी बिटिया से उसका बयान लेते हैं, फिर तभी हम इन लोगों से अच्छे से निपटेंगे!
कमिश्नर की बात सुन मिस्टर सिंघानिया उनके साथ अंदर की ओर चल पड़ते हैं, कि एकाएक वो पीछे पलटकर सब लोगों की तरफ़ निहायत ही गुस्से और सख्त भाव से देखते हैं।
मि. सिंघानिया: अगर मेरी बेटी ने अपनी इस हालत के लिए तुम में से किसी का भी नाम लिया, तो आई स्वेर… आई स्वेर उसे खुली आँखों से नर्क की सैर कराऊँगा मैं!
मि. सिंघानिया इतना कहकर कमिश्नर के साथ आईसीयू के अंदर चले गए, लेकिन उनकी बात सुनकर सब लोगों की हालत खस्ता हो गई थी और डर और घबराहट की वजह से सब के पसीने छूटने लगे थे। कहीं ना कहीं आर्यन के चेहरे पर भी घबराहट और डर के भाव उभर रहे थे, क्योंकि पॉवर और स्टेटस की बात करें तो मि. सिंघानिया के आगे उसका कद बहुत ही छोटा और मामूली सा था और वह एक पल में उसकी पूरी ज़िंदगी और करियर को बर्बाद कर सकते थे। शायद यही वजह थी कि आर्यन के चेहरे पर भी परेशानी के भाव उभर आए थे, मगर इन सब से अलग वह फिर भी मन ही मन बस ध्रुवी के ठीक होने की ही प्रार्थना कर रहा था। सब लोग मन ही मन प्रार्थना करने में लगे हुए थे, कि तभी कुछ देर बाद वहाँ एक नर्स आईसीयू से बाहर आती है।
नर्स (सब लोगों के बीच आकर): आप में से किसका नाम आर्यन है?
आर्यन (अपना सर हाँ में हिलाते हुए): ज… जी? …म… मैं हूँ आर्यन!
नर्स (आईसीयू के अंदर इशारा करते हुए): आपको अंदर बुलाया गया है!
नर्स की बात सुनकर आर्यन को लेकर वहाँ मौजूद सभी लोगों के डर और घबराहट से रोंगटे खड़े हो गए थे कि ईश्वर ही जाने अब आर्यन के साथ क्या होने वाला है। एक गहरी साँस लेकर आर्यन नर्स के साथ आईसीयू की ओर बढ़ गया और उसका दरवाज़ा खोलकर एक पल बाद ही अंदर चला गया। ध्रुवी के हाथ में ड्रिप लगी हुई थी और वो मशीनों के बीच बेड पर लेटी हुई थी और उसके दोनों तरफ़ कमिश्नर और उसके डैड खड़े हुए थे। जैसे ही आर्यन ने कमरे में कदम रखा, पुलिस कमिश्नर ने एक नज़र आर्यन की ओर डालकर वापस ध्रुवी की तरफ़ देखा।
कमिश्नर: यही है वह जिसके बारे में तुमने हमें बताया?
ध्रुवी (धीमी और कमज़ोर आवाज़ में): हाँ!
अब कमिश्नर और मिस्टर सिंघानिया दोनों की नज़र पूरी तरह आर्यन पर ही टिक गई और यह देखकर अंदर ही अंदर आर्यन का दिल डर और घबराहट से ज़ोरों से धड़क रहा था!
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