(चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ है। नीचे ग्राउंड में स्टूडेंट्स का झुंड जमा है, सभी की नज़रें ऊपर टिकी हैं। हॉस्टल की बालकनियों से लड़के झाँक रहे हैं। ध्रुवी, गुस्से और जुनून से भरी, आर्यन के सामने खड़ी है। आर्यन हैरान और असहज।)

आर्यन शॉक से उबरते हुए, आवाज़ में घबराहट में बोला-"तू... तुम यहाँ...? बॉयज़ हॉस्टल में...? वो भी इस वक़्त? ध्रुवी, तुम जानती हो ना, लड़कियों का यहाँ आना सख़्त मना है! फिर भी तुमने— क्या तुम पागल हो गई हो?!"  

ध्रुवी उसके सवालों को नज़रअंदाज़ करती है। उसकी आँखों में एक जुनूनी चमक है। ध्रुवी कडक आवाज में बोली- "आज फैसला हो ही जाएगा..." एक पल रुककर, सीधे आर्यन की आँखों में देखते हुए बोली- "डू यू लव मी... ओर नॉट?"  

नीचे खड़े स्टूडेंट्स में सनसनी फैल जाती है। कुछ हँसने लगते हैं, कुछ फुसफुसाते हैं। आर्यन चारों ओर देखता है, फिर ध्रुवी पर नज़रें गड़ाता है। 

आर्यन- "व्हाट नॉनसेंस है यह, ध्रुवी? अभी निकलो यहाँ से।"  

ध्रुवी एक कदम आगे बढ़ती है। उसकी आँखों में अब कोई संदेह नहीं, सिर्फ़ सच जानने की जिद। ध्रुवी ज़ोर से, हर शब्द पर ज़ोर देकर बोली- "डू. यू. लव. मी. मिस्टर आर्यन मल्होत्रा... ओर नॉट?"  

आर्यन चारों ओर नीचे खड़े स्टूडेंट्स की नज़र उन दोनों पर देख- “व्हाट रबीश ध्रुवी?.....क्या बकवास है यह? अभी के अभी जाओ यहां से?”

ध्रुवी आर्यन की आँखों में देखकर अपने शब्दों पर ज़ोर देते हुए- “डू यू लव मी मिस्टर आर्यन मल्होत्रा और नॉट?”

आर्यन ने ध्रुवी की आँखों में इतनी गंभीरता देखी कि वो भी एक पल को स्तब्ध रह गया। बल्कि पूरे हॉस्टल में आज ध्रुवी को इस वक़्त यहां देखकर हलचल सी मच गई थी। लगभग सारे स्टूडेंट्स एक जगह ग्राउंड में जमा हो गए थे। ऊपर, हॉस्टल के तीसरे माले पर सभी की नज़रें और साँसें अटककर जमी थीं। हर किसी का ध्यान ध्रुवी और आर्यन की दिशा में ही रुका था। रुकता भी क्यों नहीं? आखिर बॉयज़ हॉस्टल में एक लड़की आ गई थी, वो भी खुल्लमखुल्ला, बिना डरे या झिझके। और वो कोई आम लड़की नहीं, बल्कि ध्रुवीका... ध्रुवीका सिंघानिया... लंदन के फ़ेमस बिलिनियर और सिंघानिया इंडस्ट्रियल की इकलौती वारिस... और इस सबके साथ ही, जिसके पिता कॉलेज के ओनर भी थे।

सब जानते थे कि ध्रुवी की ज़िन्दगी किसी राजकुमारी से कम नहीं थी। जिसने कभी ज़मीन पर पैर ही नहीं रखा था। हर चीज़ जो उसने चाही, वह उसके मांगने से पहले ही उसके लिए हाज़िर हो जाती थी। अगर वह सच में ज़िद पर आ जाती, तो उसकी ज़िद के आगे खुद ज़िद को भी झुकना पड़ता था। और अपनी ज़िद और ख्वाहिश को पूरी करने के लिए, वह कुछ भी कर गुज़रने के लिए तैयार रहती थी।

हालाँकि ऐसा बिल्कुल नहीं था कि उसकी अमीरी उसके सर चढ़ी हो। नहीं, बल्कि उसने कभी भी अपने पिता का नाम और रुतबे का सहारा खुद से या खुद के फायदे के लिए कभी नहीं लिया था। मगर जब लोग उसका नाम और पहचान सुनते, तो उनके सर उसके आगे खुद झुक जाते थे। अब यह ध्रुवी की खुद की पर्सनैलिटी की वजह थी या उसके पिता का नाम और शोहरत, ये तो लोग ही जाने। मगर जो भी था, कभी भी किसी की भी उसके आगे बोलने की हिम्मत तक नहीं होती थी, और खासकर उसके गुस्से में। उसका गुस्सा, गुस्सा नहीं, बल्कि बिल्कुल बवंडर होता था। सब जानते थे कि ध्रुवी का गुस्सा उन्हें ना सिर्फ़ ले डूबेगा, बल्कि उन्हें तबाह ही कर देगा। इसीलिए अक्सर उसके आस-पास रहने वाले लोग हमेशा बस उसके गुस्से से ही बचने की कोशिश करते थे। हालाँकि अगर वह गुस्से में नहीं होती थी, तो उससे ज़्यादा फ़न लविंग और प्यारा कोई हो ही नहीं सकता था। दूसरों की मदद करना, उनके दुःख को महसूस करना, उसे समझना और दान पुण्य, ये सब उसके लिए करना आम था। मगर उसका यह रूप बहुत ही कम और सिर्फ़ उसके करीबी लोग ही जानते थे। वह बाहर से जितनी सख्त थी, अंदर से उतनी ही नर्म भी थी। लड़के तो उसके दीवाने हमेशा से ही थे, पहले उसके पैसे की वजह से और दूसरा उसकी खूबसूरती। मगर ध्रुवी इन दोनों ही वजह को बखूबी अच्छे से जानती भी थी और समझती भी थी। और उसे लगता था कि हर कोई ऐसा ही है, सबके लिए बस पैसा और खूबसूरती ही सबसे ज़्यादा मायने रखती है। और पूरी दुनिया में कोई भी ऐसा एक शख्स भी है ही नहीं जो उसे सिर्फ़ ध्रुवी समझकर चाहे, ना कि उसके नाम या खूबसूरती से उसे प्यार या इज़्ज़त दे।

ध्रुवी की यह आरज़ू तब अधूरी हद तक पूरी भी हुई जब आर्यन मल्होत्रा उसकी ज़िन्दगी में आया। अधूरी हद तक इसीलिए क्योंकि जो कुछ भी ज़ज़्बात थे, वो हमेशा सिर्फ़ ध्रुवी ने ही ज़ाहिर किए थे। आर्यन ने हमेशा उन ज़ज़्बातों को सिरे से नकार दिया था। ध्रुवी ने जब पहली बार आर्यन को देखा था, तभी उसका दिल एक अनजाने एहसास से धड़क उठा था। और बीते वक़्त में आर्यन के लिए उसकी फीलिंग्स दिन पर दिन और भी ज़्यादा स्ट्रॉन्ग होने लगी थीं। और यह कॉलेज में इन लोगों का आखिरी साल था। मगर इस बीते वक़्त में आर्यन ने हमेशा ध्रुवी और खुद के प्रति उसकी फीलिंग्स को सिर्फ़ नकारा और इग्नोर ही किया था। ध्रुवी भी नहीं जानती थी कि आखिर आर्यन के दिल में असल में उसे लेकर क्या भावनाएँ और ज़ज़्बात थे। और उसने कई बार काफी कोशिश भी की थी कि ध्रुवी उसके मन की बात जान सके, लेकिन वह इसमें हमेशा नाकाम ही रही थी। चाहे जो हो, मगर अब बढ़ते वक़्त के साथ ध्रुवी का सब्र जवाब देते हुए टूटने लगा था। अब उसके लिए और सब्र या इंतज़ार करना मुश्किल ही नामुमकिन हो रहा था। वह थक चुकी थी आर्यन की बेरुखी से और उसकी नज़रअंदाज़ी से भी। और आज फ़ाइनली वह अपने हर एक सवाल और उलझन को सुलझाने के लिए, आर्यन से अपनी मोहब्बत का जवाब जानने के लिए सीधा उसके हॉस्टल में ही पहुँच गई थी, बिना अंजाम की कोई फ़िक्र किए या डरे। आज वह मन ही मन तय कर चुकी थी कि आज चाहे जो भी हो जाए, वह इस किस्से को ख़त्म करके ही रहेगी। बीच मझधार से वह किनारे पर आकर ही रहेगी। आज या तो आर है या पार, लेकिन अब इस किस्से को वह इसकी आखिरी मंज़िल तक पहुँचाकर ही दम लेगी और तब तक वह चैन की साँस नहीं लेगी।

 

ध्रुवी (आर्यन की दिशा में देखकर पूरी गंभीरता के साथ): आई वांट योर आंसर आर्यन.....राइट नाउ!!!!

आर्यन (चारों तरफ़ लोगों की नज़रें खुद पर देखते हुए): तुम पागल हो गई हो.....और तुम यहां आई ही क्यों हो.....और आख़िर क्यों तुम सबके सामने खुद का.....और मेरा तमाशा बनाने पर तुली हो.....फॉर गॉड सेक.....बस करो.....बहुत हो गया!!

ध्रुवी (दृढ़ता के साथ): एक्जेक्टली.....बहुत हो गया अब आर्यन.....और आज चाहे जो हो जाए.....मुझे मेरा जवाब चाहिए और आज मैं अपना जवाब लिए बगैर यहां से कहीं भी नहीं जाऊंगी!!!!

आर्यन (नाराज़गी भरे लहज़े से): देखो ध्रुवी, मेरे पास तुम्हारी इन फ़िज़ूल बातों को सुनने या जानने का फ़िज़ूल वक़्त बिल्कुल भी नहीं है.....तो बिना किसी ड्रामे और सीन को क्रिएट किए बिना.....यहां से चली जाओ.....क्योंकि मेरा जवाब आज भी वही है.....जो पहले था.....मैं तुम्हें प्यार नहीं करता.....और अब प्लीज़ जाओ यहां से, बहुत तमाशा कर लिया तुमने!

ध्रुवी (आर्यन की आँखों में देखते हुए): मैं सच सुने बिना यहां से नहीं जाऊंगी.....क्योंकि मैंने देखा है तुम्हारी आँखों में.....कि तुम भी मुझे चाहते हो....बस तुम इस सच को एक्सेप्ट नहीं करना चाहते!

आर्यन (फ़्रस्ट्रेशन भरे लहज़े से): कौन से सच की बात कर रही हो तुम.....यू नो व्हाट? तुम पागल हो गई हो पूरी.....पागल अपने गुरूर में.....अपनी ज़िद में.....तुम बस हारना नहीं चाहती.....और ना ही यह बात तुम्हारी ईगो को डाइजेस्ट हो पा रही है.....कि जिस अमीर और मगरूर लड़की के पीछे पूरा कॉलेज दीवाना है.....जिसके एक इशारे पर सब उसके जूते के नोंक पर आ सकते हैं.....उस लड़की के गुरूर को एक मामूली से लड़के ने अपनी ना से तोड़ दिया.....बस यही बात तुम्हारे ईगो और घमंड को डाइजेस्ट नहीं हो पा रही है!

ध्रुवी (हर्ट भरे एक्सप्रेशन से): बहुत दुःख हो रहा है मुझे.....कि तुम ऐसा.....और इतनी छोटी सोच रखते हो मेरे बारे में!!

आर्यन: मैं ऐसा सोचता नहीं हूँ.....बल्कि यही सच है मिस ध्रुवीका सिंघानिया!!!

ध्रुवी (लगभग चिल्लाकर): अगर यह सच है.....तो क्यों मुझे तुम्हारी आँखों में खुद के लिए उमड़ते ज़ज़्बात नज़र आते हैं.....क्यों मुझ जैसी गुरूर वाली लड़की को तुम दूसरों के सामने तब डिफ़ेंड करते हो.....जब वह पीठ पीछे उसे भला-बुरा कहते हैं.....क्यों तुमने दो साल पहले मुझ जैसी ज़िद्दी लड़की की ज़िन्दगी को बचाया???.....और क्यों मेरे लिए तुम्हारे नफ़रत भरे शब्दों के एहसास.....कभी तुम्हारी आँखों तक ना पहुँचकर.....सिर्फ़ तुम्हारी ज़ुबान तक सीमित रह जाते हैं????.....बोलो, है तुम्हारे पास मेरे इन सवालों का जवाब????.....बोलो, है कोई जवाब???.....(आर्यन यह सुनकर बस खामोश रहता है और अपनी नज़रें फेर लेता है).....नहीं है ना तुम्हारे पास कोई जवाब????.....मगर मैं जानती हूँ.....क्योंकि तुम मुझसे बेहद मोहब्बत करते हो.....और मेरी ही तरह तुम भी इश्क़ में जीने-मरने की चाह रखते हो!

आर्यन (इरिटेशन भरे एक्सप्रेशन से): जस्ट शट अप.....ऐसा कुछ नहीं है.....ख़ुद से कहानियाँ गढ़ना बंद करो.....और मैंने तुम्हारे लिए जो कुछ भी किया.....वही सब मैं किसी भी और लड़की के लिए भी करता.....तो अपनी इस गलत फेमी को.....कि तुम मेरे लिए एक्स्ट्रा स्पेशल हो.....जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी दूर कर लो!

ध्रुवी (गुस्से से): तुम चाहे जो भी कहो.....लेकिन आज मैं यहां से तब तक नहीं जाऊंगी.....जब तक तुम्हारे मुँह से सच ना सुन लूँ.....और अब बहुत हुआ और मुझे अभी इसी वक़्त सच जानना है, वरना.…

आर्यन: वरना क्या.....(अपनी भौंहें ऊपर करते हुए).....मुझे किडनैप करवाओगी?

ध्रुवी (आर्यन की आँखों में देखते हुए एक जुनून के साथ): मैं अभी इसी वक़्त यहां से नीचे कूद जाऊंगी!

आर्यन (तंज भरी हंसी के साथ): बहुत अच्छा मज़ाक था.....फ़िलहाल आज के लिए तुमने मेरा बहुत ज़्यादा वक़्त बर्बाद कर लिया.....और अब मेरे पास तुम्हारे साथ बर्बाद करने के लिए और फ़िज़ूल वक़्त नहीं है!

ध्रुवी (आँखों में गंभीरता लिए): आर्यन, मैं मज़ाक नहीं कर रही हूँ.....मैं सच में यहां से कूद जाऊंगी!!!

आर्यन (ध्रुवी के करीब आकर): यू नो व्हाट.....जो करना है करो.....आई रियली डोंट केयर!

 

इतना कहकर आर्यन वापस जाने के लिए पीछे मुड़ता है और कुछ कदम ही चल पाता है कि तभी उसे अचानक नीचे जमा लोगों के चिल्लाने और शोर की आवाज़ नीचे से सुनाई देने लगती है। आर्यन जल्दी से पीछे पलटता है, मगर पूरा कॉरिडोर खाली था और ध्रुवी का कहीं कोई नामोनिशान नहीं था। यह देखकर आर्यन का दिल धक सा रह गया। घबराहट और डर उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था। उसने तो ध्रुवी की बात को महज़ धमकी समझकर हल्के में ले लिया था, लेकिन ध्रुवी ने अपने जुनून और पागलपन में उसे सच करके दिखा दिया था।

 

आर्यन काँपते कदमों और हाथों से बड़ी मुश्किल से कॉरिडोर की रेलिंग तक पहुँचता है। घबराते और डरते हुए वह नीचे की ओर देखता है जहाँ वह ध्रुवी को उसके ही खून के तालाब में पड़ा देख शॉक और घबराहट से दंग रह जाता है। और ध्रुवी को यूँ देख उसके होश बिल्कुल उड़ जाते हैं। इस पल उसका दिमाग बिल्कुल सुन्न हो गया था और उसका पूरा शरीर जैसे घबराहट से ठंडा पड़ गया था। मानो जैसे इस पल उसके जिस्म का सारा खून बर्फ की तरह जमकर बिल्कुल ठंडा हो गया था और उसे इस वक़्त कुछ होश नहीं था कि वह कहाँ है और उसके आस-पास असल में चल क्या रहा है और ना ही उसे यह समझ आ रहा था कि आख़िर इस सिचुएशन में वह क्या और कैसे रिएक्ट करे।

 

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