आर्यन, मिहिर के होंठों पर शरारत भरी मुस्कान देखकर, समझ गया और जल्दी से अपना सामान बेंच से समेटते हुए बोला, “क**** आज तो तुझे मैं जिंदा नहीं छोड़ूँगा!!!!”
इतना कहकर आर्यन जल्दी से अपना सामान बेंच से समेटा और मिहिर को पकड़ने के लिए उसकी दिशा में दौड़ पड़ा। मिहिर उससे बचने के लिए दुगनी तेजी से भाग निकला। लेकिन कुछ दूरी तक दौड़ने के बाद मिहिर की साँस फूलने लगी और वह आर्यन की मार से बचने के लिए जल्दी से क्लासरूम में घुस गया। उसके पीछे ही आर्यन भी क्लासरूम में दाखिल हो गया। अब बिचारे मिहिर के पास बचने का कोई मौका नहीं था। आर्यन अपनी शर्ट की स्लीव्स चढ़ाते हुए उसकी ओर बढ़ने लगा। क्लास में मौजूद स्टूडेंट्स बड़े चाव से मिहिर की कुटाई होने का इंतज़ार कर रहे थे।
मिहिर, अपने बचने का कोई रास्ता न देखते हुए डेस्क के दूसरी तरफ खड़े होकर बोला, “आर्यन मेरी जान... तेरा दोस्त... तेरी जान हूँ मैं!!”
आर्यन, मिहिर को पकड़ने के लिए डेस्क के दूसरी तरफ आते हुए बोला, “हाँ तो आज अपनी यही जान लेनी है मुझे... बहुत ज़ुबान चलने लगी है ना तेरी कमीने... आज इसी ज़ुबान को तेरी गर्दन से लपेटकर तेरा गला घोंटूँगा मैं!!”
इतना कहकर आर्यन जैसे ही मिहिर को लपकने के लिए बढ़ा, मिहिर ने झट से डेस्क के ऊपर से छलांग लगाई और बाहर भागने लगा। आर्यन भी उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे भागा, तो अचानक क्लास में ध्रुवी दाखिल हुई और आर्यन से तेज़ी से टकरा गया। लेकिन इससे पहले कि ध्रुवी गिरती, आर्यन ने उसे अपनी मज़बूत बाहों में थाम लिया। एक पल के लिए दोनों की धड़कनें थम सी गईं और दोनों की निगाहें मिलीं। लेकिन अगले ही पल आर्यन ने सावधानी से ध्रुवी को उसके पैरों पर खड़ा किया और खुद वापस क्लासरूम में आकर खामोशी से डेस्क पर बैठ गया।
आर्यन को बैठता देख मिहिर भी दबे पांव पीछे वाली सीट पर आकर बैठ गया। ध्रुवी भी क्लास में आई और आर्यन के बेंच पर जाकर उसके साथ बैठ गई। ध्रुवी को अपने पास बैठता देख आर्यन ने एक पल अपनी आँखें बंद कीं और वहाँ से उठकर जाने के लिए खड़ा हुआ। उसने अपना बैग उठाना चाहा, लेकिन ध्रुवी ने उसे रोकते हुए बीच में ही उसकी कलाई थाम ली।
आर्यन, बिना ध्रुवी की ओर देखे बोला, “लीव माय हैंड!!”
ध्रुवी, आर्यन को घूरते हुए बोली, “अगर यहाँ मेरे साथ बैठ जाओगे तो फॉर श्योर तुम्हें खा नहीं जाऊँगी मैं!!”
आर्यन ध्रुवी से आगे बहस करता, कि तभी क्लासरूम में प्रोफेसर ने प्रवेश किया और आर्यन को ना चाहते हुए भी वहीं बैठना पड़ा। उसे अपने पास बैठता देख ध्रुवी की मुस्कान और गहरी हो गई और उसने मुस्कुराते हुए आर्यन का हाथ छोड़ दिया। लेक्चर शुरू हुआ और सभी स्टूडेंट्स ने पूरे ध्यान से प्रोफेसर का रुख किया। भले ही यह बात अलग थी कि कुछ लोगों को छोड़कर बाकी लोगों का ध्यान सिर्फ़ टीचर के दिखावे के लिए ही था। इधर, खुद पर ध्रुवी की लगातार निगाहें महसूस करते हुए आर्यन चाहकर भी अपना ध्यान पढ़ाई पर नहीं लगा पा रहा था। जब आधी क्लास निकल चुकी थी, तो आर्यन से और नहीं रहा गया और उसने ध्रुवी को घूरते हुए आखिर में अपनी चुप्पी तोड़ी।
आर्यन, धीमे मगर इरिटेशन भरे लहजे से ध्रुवी की ओर देखते हुए बोला, “क्या प्रॉब्लम है तुम्हें? ठीक से क्लास में फोकस नहीं कर सकती? क्यों घूर रही हो?”
ध्रुवी, आर्यन के इरिटेशन का मज़ा लेते हुए बोली, “तुम्हें क्या प्रॉब्लम है? तुम अच्छे से अपनी स्टडी पर फोकस करो, मुझ पर क्यों ध्यान लगाए हुए हो?”
आर्यन, ध्रुवी को घूरते हुए बोला, “मैं तुम पर कोई ध्यान नहीं लगा रहा हूँ, लेकिन तुम्हारा यह घूरना मुझे इरिटेट कर रहा है।”
ध्रुवी, लापरवाही भरे अंदाज़ से बोली, “तो यह तुम्हारी प्रॉब्लम है, मेरी नहीं। क्योंकि मेरी आँखें, मेरी मर्ज़ी, मेरा मन... तुमको क्या?”
आर्यन, चिढ़कर बोला, “देखो ध्रुवी...(ध्रुवी को खुद को प्यार से निहारता देखकर)...आई मीन ध्रुवीका!!!”
ध्रुवी बोली, “नहीं... तुम्हारे मुँह से मुझे ध्रुवी ही सुनना पसंद है... उसमें ज़्यादा अपनापन लगता है।”
आर्यन, ध्रुवी को घूरते हुए बोला, “मुझे ना तो शौक है और ना ही ज़रूरत किसी भी अपनापन जताने या दिखाने की।”
ध्रुवी, सामान्य भाव से बोली, “ओके नो प्रॉब्लम... एज़ योर विश... क्योंकि तुम ध्रुवी बोलो या ध्रुवीका... मुद्दा तो तुम्हारा मेरा नाम लेना ही है ना... और बाय गॉड... तुम्हारे मुँह से जब-जब मैं अपना नाम सुनती हूँ...(हसरत भरी नज़रों से आर्यन को देखते हुए मुस्कुराकर)...तो मुझे तब-तब अपने नाम से ही इश्क़ हो जाता है।”
आर्यन, ध्रुवी की प्यार भरी निगाहों से झेंपकर बोला, “तुमसे तो बात करना ही फ़िज़ूल है।”
ध्रुवी, आर्यन को टीज़ करते हुए बोली, “तो तुमसे मैंने कब बोला कि तुम बात करो मुझसे...(आर्यन की ओर देखकर विंक करते हुए शरारती मुस्कान के साथ)...मैं तो तुमसे सिर्फ़ खुद को प्यार करने की उम्मीद दिल में लिए बैठी हूँ।”
आर्यन, कुढ़कर बोला, “यू नो व्हाट... तुम्हें दिमागी डॉक्टर की सख्त ज़रूरत है... क्योंकि तुम्हारा दिमाग पूरा खराब हो चुका है।”
तभी लेक्चर खत्म होने की घंटी बज गई और प्रोफ़ेसर के निकलते ही आर्यन भी क्लासरूम से बाहर निकल गया। ध्रुवी उसकी इरिटेशन को याद करते हुए मुस्कुरा दी। शाम को मिहिर और आर्यन के कुछ दोस्तों ने उसके लिए एक पार्टी रखी। बहुत कम ऐसा होता था कि आर्यन क्लब या पार्टियों में जाता हो, क्योंकि उसे ये सब चीज़ें बिल्कुल भी पसंद नहीं थीं। आज के जमाने में जहाँ लोगों के लिए मॉडर्निटी का नाम ही क्लब, नाइट आउट, पार्टियाँ और बस अपने लाइफ़स्टाइल को इसी सब में पूरी तरह डूबो देना था, वहाँ आर्यन के लिए ये सारी चीज़ें फ़िज़ूल और दिखावे से ज़्यादा कुछ भी नहीं थीं। वह हमेशा कहता था कि वह ज़रूर इस लाइफ़स्टाइल का लुत्फ़ उठाएगा, लेकिन पहले वह खुद को फ़र्श से अर्श तक ले जाए, क्योंकि अभी उसकी ज़िंदगी उससे उसकी मेहनत की तलबगार है और अगर उसने अपनी ज़िंदगी और ख्वाबों को अपनी मेहनत के पसीने से नहीं सींचा तो वह कभी कामयाब नहीं होगा। वह खुद को उस मुकाम पर ले जाना चाहता था जहाँ वह कामयाबी और शोहरत का एक सितारा बनकर आसमान में चमक उठे।
धीरे-धीरे दिन गुज़र रहे थे। आर्यन जितना खुद को ध्रुवी से दूर करने की कोशिश करता, ध्रुवी उतनी ही उसके करीब आती रहती और वह चाहे जिस भी ज़ुबान में उसे समझाने की कोशिश करता, लेकिन ध्रुवी तो जैसे कुछ भी ना समझने की कसम ही खाकर बैठी थी। आर्यन के बर्थडे के ठीक एक महीने बाद आज ध्रुवी का बर्थडे था। ध्रुवी जब सुबह उठी तो उसका कमरा कमरा कम कोई गार्डेन ज़्यादा नज़र आ रहा था जहाँ हर तरह के फूलों के खूबसूरत गुलदस्ते मौजूद थे। साथ ही तरह-तरह के एक्सपेंसिव गिफ्ट और ड्रेसेज़ से उसके कमरे का कोना-कोना भरा हुआ था जो उसके दोस्तों और मिलने वालों ने उसे भेजे थे। ध्रुवी ने उन कीमती गिफ्ट्स की तरफ़ एक बार भी नज़र नहीं उठाई। उसने बस अपना फ़ोन उठाया और उसमें कुछ चेक करने लगी। अपना फ़ोन देखकर एक मायूसी सी उसके चेहरे पर छा गई। तभी मि. सिंघानिया ध्रुवी के कमरे में आए और उसके पास बैठकर ध्रुवी का सर प्यार से चूमते हुए उसे बर्थडे विश किया।
मि. सिंघानिया: हैप्पी बर्थडे मेरी जान!!
ध्रुवी, अपने डैड को कसकर हग करते हुए बोली: थैंक्यू सो मच डैड... एंड आई लव यू!!
मि. सिंघानिया: लव यू टू... लेकिन... तुम्हें नहीं लगता कि आज तुम्हें सिर्फ़ इस लव यू से काम चलाने की बजाय अपने डैड की जेब खाली करानी चाहिए...!!
ध्रुवी, मुस्कुराकर अपने डैड की ओर देखते हुए बोली: नहीं... बिल्कुल भी नहीं... क्योंकि मेरे डैड ने मुझे वो सब भी दिया है जो शायद मुझे और कोई कभी नहीं दे सकता। आपने मुझे ना सिर्फ़ ज़िंदगी दी है, बल्कि मेरी ज़िंदगी को आपके प्यार और साथ ने ही संवारा है। अगर आप नहीं होते तो शायद मैं भी नहीं होती डैड... और आपने तो हमेशा मुझे माँ-बाप, भाई-बहन, दोस्त सबका प्यार दिया है...(अपने पिता के गले लगते हुए)...बस आप मेरे साथ हैं फिर मुझे किसी और चीज़ की कोई ज़रूरत नहीं... और मुझे कुछ भी नहीं चाहिए!!
मि. सिंघानिया, प्यार से ध्रुवी के सर को सहलाते हुए बोला: हे भगवान! इस लड़की को तो बस सेंटी होने का मौका चाहिए...(ध्रुवी का मूड ठीक करने के लिए)...अगर तुम्हें लगता है कि ऐसी इमोशनल बातें करके तुम्हारा खर्चा बच जाएगा... सो यू आर रॉन्ग डार्लिंग... क्योंकि अपने बर्थडे पर मैं तो तुमसे अच्छा-खासा खर्चा करवाने वाला हूँ!!
ध्रुवी, अपने डैड की ओर देखते हुए बोली: हम्मम! तो ये बात है... इसीलिए मुझे गिफ्ट देने की ज़िद की जा रही है... मतलब रिश्वत...(अपने डैड की खिंचाई करते हुए)...वैसे कहीं आप मिस बरोचा को डेट शेट करने के बाद अब उन्हें मेरी नई मम्मी बनाने के बारे में तो नहीं सोच रहे ना... हूँह... हूँह बोलिए??
मि. सिंघानिया, ऊपर छत की ओर देखते हुए बोला: सी मिसेज़ सिंघानिया आपकी बेटी मेरा चक्कर चलवाने पर तुली है...(ध्रुवी की ओर देखकर)...अगर आज तुम्हारी माँ होती तो तुम पक्का अपनी ऐसी बातों से फॉर श्योर अब तक मेरा डाइवोर्स करवा चुकी होती!!
मि. सिंघानिया की बात सुनकर ध्रुवी खिलखिला उठी और उसके होंठों पर मुस्कान देख मि. सिंघानिया के होंठों पर खुद-ब-खुद मुस्कान तैर गई।
मि. सिंघानिया, प्यार से ध्रुवी को देखते हुए बोला: बस तुम हमेशा ऐसे ही हँसती-मुस्कुराती रहो... बस मुझे फिर ज़िंदगी से कुछ नहीं चाहिए...(प्यार से ध्रुवी का गाल छूकर)...और काश मेरी उम्र भी तुम्हें लग जाए!!
ध्रुवी, अपने डैड के गले लगकर शिकायती लहजे से बोली: डोंट से दिस डैड... आपकी उम्र आपको ही मुबारक... और इनफैक्ट भगवान जी हम दोनों की उम्र इक्वल-इक्वल कर दे... मतलब मुझे भी सिर्फ़ अपने डैड के साथ ही जीना है!!
मि. सिंघानिया, मुस्कुराकर बोला: पगली! कुछ भी बोलती है!!
ध्रुवी, मुस्कुराकर बोली: हम्मम! आपकी ही बेटी हूँ ना इसीलिए!!
मि. सिंघानिया ध्रुवी की बात सुनकर मुस्कुरा दिए। कुछ देर बाद मि. सिंघानिया ने ध्रुवी की आँखों पर पट्टी बाँधी और उसके लिए लाया गया गिफ्ट उसे दिखाने के लिए उसका हाथ थामे उसे नीचे की ओर ले गए। बाहर गार्डन एरिया में आकर उन्होंने ध्रुवी की आँखों से बंधी पट्टी उतारी और ध्रुवी अपनी आँखों के सामने चमचमाती व्हाइट कलर की फेरारी स्पोर्ट कार को देखकर खुशी भरी हैरानी से मि. सिंघानिया की ओर देखने लगी।
मि. सिंघानिया: तो कैसा लगा अपना तोहफा?
ध्रुवी, लगभग खुशी से उछलते हुए बोली: बहुत-बहुत-बहुत अच्छा... लेकिन डैड! ये तो बहुत एक्सपेंसिव होगी ना?
मि. सिंघानिया, मुस्कुराकर बोला: हम्मम! मगर मेरी बेटी की मुस्कान और खुशी से ज़्यादा नहीं... और फिर एक ही तो खुशी और शौक है मेरी बेटी का... अब मैं उसे भी पूरा न कर सकूँ तो क्या फ़ायदा मेरे इस पैसे और शोहरत का!!
ध्रुवी, खुशी से मि. सिंघानिया के गले लगकर बोली: लव यू सो मच डैड... यू आर द बेस्ट!!!!
कुछ देर बाद निशा और प्रिया भी ध्रुवी से मिलने उसके घर आ जाती हैं और ध्रुवी को बर्थडे विश करते हुए अपने साथ लाए तोहफ़े उसे देती हैं। वैसे तो मि. सिंघानिया ने आज ध्रुवी को कॉलेज जाने के लिए मना किया था क्योंकि वह उसके लिए एक शानदार पार्टी रख रहे थे, लेकिन मि. सिंघानिया को अचानक एक अर्जेंट काम आने की वजह से न्यूयॉर्क के लिए निकलना पड़ा। हालाँकि वह बिल्कुल भी नहीं जाना चाहते थे और वह फ़ोन पर वहाँ आने के लिए मना भी कर चुके थे, लेकिन काम बहुत अर्जेंट था और फिर ध्रुवी ने भी उनको जाने के लिए फ़ोर्स किया तो आखिर में वह मायूसी भरे दिल से जाने के लिए मान गए। मि. सिंघानिया के जाने के बाद आखिर में ध्रुवी भी अपनी दोस्तों के साथ तैयार होकर कॉलेज के लिए निकल गई। मगर जिस वजह से वह कॉलेज पहुँची थी वह वजह तो वहाँ मौजूद ही नहीं थी, मतलब आर्यन आज कॉलेज आया ही नहीं था। ध्रुवी ने आर्यन को कॉल किया। पहले तो आर्यन ने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन ध्रुवी के नॉन स्टॉप कॉल करने के बाद आखिर में आर्यन ने उसकी कॉल पिक की और ध्रुवी के पूछने पर उसे बताया कि वह किसी ज़रूरी काम से बाहर गया है और आज कॉलेज नहीं आएगा। ध्रुवी ने बुझे मन से मगर एक उम्मीद के साथ शाम को आर्यन को अपने बर्थडे पार्टी के लिए इनवाइट किया जो कि असल में सिर्फ़ एक बहाना था आर्यन से मिलने के लिए। आर्यन ने जवाब में कुछ ना कहकर कॉल काट दी। ध्रुवी का भी आर्यन के बिना कॉलेज में मन नहीं लगा तो वह भी वापस अपने मेंशन आ गई। शाम भी हो चली थी मगर अभी तक आर्यन का कोई अता-पता नहीं था। कहीं ना कहीं वह जानती थी कि आर्यन नहीं आने वाला, लेकिन फिर भी वह उसका इंतज़ार कर रही थी। हालाँकि आर्यन ने एक बार भी उसे फ़ॉर्मेलिटी के लिए भी बर्थडे विश नहीं किया था।
हल्का अंधेरा घिरने लगा मगर आर्यन नहीं आया। ध्रुवी के बाकी दोस्त उसकी खुशी में शरीक होने के लिए आ चुके थे, लेकिन ध्रुवी का सारा ध्यान सिर्फ़ वक़्त और दरवाज़े पर ही टिका था। लेकिन अब हर बढ़ते पल के साथ ध्रुवी का सब्र जवाब देने लगा था और आखिर में वह पल भी आ गया जब उसका सब्र वाकई में जवाब दे गया और ध्रुवी अपनी गाड़ी लेकर अपने दोस्तों को छोड़कर अपने मेंशन से खुद ड्राइव करते हुए गुस्से से निकल पड़ी। कुछ देर बाद ध्रुवी ने अपनी गाड़ी सेंट टैरेसा कॉलेज के बॉयज़ हॉस्टल के सामने रोकी और जैसे ही अंदर जाने को हुई कि गार्ड ने उसे रोकना चाहा, मगर ध्रुवी की एक गुस्से भरी नज़र ही काफी थी उसके मुँह पर ताला लगाने के लिए। ध्रुवी बिना रुके सीधा हॉस्टल के अंदर की ओर चली गई। उसने चारों ओर गार्डन में अपनी नज़रें दौड़ाईं। आस-पास मौजूद लड़के उसे हैरानी और शॉक्ड से देख रहे थे क्योंकि पहली बार था जब कोई लड़की, वो भी खुलेआम उनके हॉस्टल में आ पहुँची थी। मगर ध्रुवी ने उन सबके रिएक्शन और हैरानी को पूरी तरह इग्नोर किया और वह सीढ़ियों की ओर बढ़ गई। बेशक वह यहाँ पहली बार ही आई थी, लेकिन आर्यन कहाँ रहता है और उसके बारे में सारी छोटी-बड़ी जानकारी ध्रुवी को आर्यन के बारे में पता थी। ध्रुवी जैसे ही दूसरे माले पर पहुँची तो उसके कॉरिडोर पर ही उसे मिहिर नज़र आया जो बाकी लोगों की तरह ही इस वक़्त ध्रुवी को यहाँ देखकर पूरी तरह शॉक्ड था।
ध्रुवी, मिहिर के हैरानी भरे रिएक्शन को पूरी तरह इग्नोर करते हुए बोली, “आर्यन कहाँ है?”
मिहिर, उंगली से ऊपर की ओर इशारा करते हुए बोला, “ऊ... ऊपर!!”
ध्रुवी मिहिर की बात सुनकर फ़ौरन तीसरे माले पर जाने के लिए आगे बढ़ गई। ध्रुवी वहाँ पहुँची तो आर्यन हाथ में किताब लिए अकेले ही टहल रहा था। लेकिन जैसे ही उसकी नज़र ध्रुवी पर पड़ी तो वह भी ध्रुवी को यहाँ देखकर कुछ पल तक शॉक्ड और हैरान रह गया।
आर्यन, कुछ पल बाद अपने शॉक्ड से बाहर आते हुए बोला, “तू... तुम यहाँ... बॉयज़ हॉस्टल में... वो भी इस वक़्त... तु... तुम जानती हो ना लड़कियों का यहाँ आना बिल्कुल मना है... फिर भी तुमने ऐसा किया??... आर यू मेड और व्हाट???”
ध्रुवी, आर्यन के सवाल को पूरी तरह इग्नोर करते हुए बोली, “हम्मम... आज फ़ैसला हो ही जाए...(एक पल रुककर)...डू यू लव मी और नॉट????...”
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