आर्यन ने मिहिर के होंठों पर शरारत भरी मुस्कान देखी और तुरंत समझ गया। वह जल्दी से अपना सामान बेंच से समेटते हुए गरजा, "कमीने! आज तो तुझे जिंदा नहीं छोड़ूँगा!"

इतना कहकर वह मिहिर की ओर दौड़ा। मिहिर तेजी से भागा, लेकिन कुछ दूर जाकर हाँफने लगा। बचने का कोई रास्ता न देखकर वह कक्षा में घुस गया। आर्यन भी उसके पीछे-पीछे वहाँ पहुँच गया। अब मिहिर के पास कोई चारा नहीं था।

आर्यन ने शर्ट की आस्तीन चढ़ाते हुए धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ना शुरू किया। कक्षा के छात्र उत्सुकता से मिहिर की "दुर्गति" का इंतज़ार करने लगे।

डेस्क के पीछे छिपकर मिहिर बोला, "आर्यन, मेरी जान... तेरा दोस्त हूँ मैं!"

आर्यन गुस्से में डेस्क के दूसरी ओर जाते हुए बोला, "हाँ, आज तेरी यही जान लूँगा! बहुत बड़ी हो गई है तेरी ज़ुबान... आज इसे ही तेरी गर्दन से लपेट दूँगा!"

जैसे ही आर्यन ने झपट्टा मारा, मिहिर ने फुर्ती से डेस्क के ऊपर से छलाँग लगाई और बाहर भागा। आर्यन उसका पीछा करते हुए दरवाज़े तक पहुँचा, लेकिन तभी अचानक ध्रुवी अंदर आई और उससे जा टकराई। गिरने से पहले ही आर्यन ने उसे अपनी बाँहों में सँभाल लिया।

एक पल के लिए दोनों स्तब्ध रह गए। नज़रें मिलीं, दिल तेजी से धड़के... फिर आर्यन ने संभलकर ध्रुवी को खड़ा किया और ख़ामोशी से अपनी सीट पर लौट आया। आर्यन को बैठता देख मिहिर भी दबे पांव पीछे वाली सीट पर आकर बैठ गया। ध्रुवी भी क्लास में आई और आर्यन के बेंच पर जाकर उसके साथ बैठ गई। ध्रुवी को अपने पास बैठता देख आर्यन ने एक पल अपनी आँखें बंद कीं और वहाँ से उठकर जाने के लिए खड़ा हुआ। उसने अपना बैग उठाना चाहा, लेकिन ध्रुवी ने उसे रोकते हुए बीच में ही उसकी कलाई थाम ली।

आर्यन ने ध्रुवी की ओर देखे बिना ही झिझकते हुए कहा, ""मेरा हाथ छोड़ो!"

ध्रुवी ने उसकी आँखों में देखते हुए मुस्कुराकर जवाब दिया, “अगर मेरे बगल में बैठ गए तो क्या होगा? यह मत सोचना कि मैं तुम्हें खा जाऊँगी!”

आर्यन कुछ और कहता, लेकिन तभी प्रोफेसर क्लास में आ गए और उसे मजबूरन वहीं बैठना पड़ा। ध्रुवी के चेहरे पर एक चालाक सी मुस्कान खेल गई जब उसने आर्यन का हाथ छोड़ा।  

लेक्चर शुरू हुआ। सभी छात्र प्रोफेसर की ओर देख रहे थे—हालाँकि ज्यादातर का ध्यान सिर्फ दिखावे के लिए था। आर्यन भी पढ़ाई पर फोकस करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन ध्रुवी की टकटकी उसके मन को बार-बार भटका रही थी।  

आखिरकार, आधी क्लास बीत जाने के बाद वह और सहन नहीं कर पाया। वह धीरे से, पर गुस्से भरे स्वर में बोला- “तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है? क्लास में फोकस नहीं कर सकती? लगातार क्यों घूर रही हो?” 

ध्रुवी ने उसके चिढ़ने का मजा लेते हुए कहा, “तुम्हें क्या दिक्कत है? अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, मुझ पर क्यों ध्यान दे रहे हो?”

आर्यन ने गुस्से से उसे घूरा, "मैं तुम पर ध्यान नहीं दे रहा, लेकिन तुम्हारा यह घूरना मुझे परेशान कर रहा है!"

ध्रुवी ने बेपरवाही से कंधे उचकाए, "तो यह तुम्हारी समस्या है, मेरी नहीं। मेरी आँखें, मेरी मर्जी... तुम्हें क्या?"

आर्यन चिढ़कर बोला, “देखो ध्रुवी—” वह रुका, जब उसने देखा कि ध्रुवी उसकी ओर प्यार भरी नजरों से देख रही है तो बोला-  "मतलब... ध्रुविका!"

ध्रुवी मुस्कुराई, "नहीं... मुझे तुम्हारे मुँह से 'ध्रुवी' सुनना ज्यादा पसंद है। इसमें ज्यादा अपनापन लगता है।"

आर्यन, ध्रुवी को घूरते हुए बोला, “मुझे ना तो शौक है और ना ही ज़रूरत किसी भी अपनापन जताने या दिखाने की।”

ध्रुवी, सामान्य भाव से बोली, “ओके नो प्रॉब्लम... एज़ योर विश... क्योंकि तुम ध्रुवी बोलो या ध्रुवीका... मुद्दा तो तुम्हारा मेरा नाम लेना ही है ना... और बाय गॉड... तुम्हारे मुँह से जब-जब मैं अपना नाम सुनती हूँ... तो मुझे तब-तब अपने नाम से ही इश्क़ हो जाता है।”

आर्यन, ध्रुवी की प्यार भरी निगाहों से झेंपकर बोला, “तुमसे तो बात करना ही फ़िज़ूल है।”

ध्रुवी, आर्यन को टीज़ करते हुए बोली, “तो तुमसे मैंने कब बोला कि तुम बात करो मुझसे…!" आर्यन की ओर देखकर विंक करते हुए शरारती मुस्कान के साथ फिर बोली- "मैं तो तुमसे सिर्फ़ खुद को प्यार करने की उम्मीद दिल में लिए बैठी हूँ।”

आर्यन, कुढ़कर बोला, “यू नो व्हाट... तुम्हें दिमागी डॉक्टर की सख्त ज़रूरत है... क्योंकि तुम्हारा दिमाग पूरा खराब हो चुका है।”

लेक्चर खत्म होने की घंटी बजते ही आर्यन तेजी से क्लासरूम से बाहर निकल गया। ध्रुवी उसकी चिढ़चिढ़ाहट को याद करके मुस्कुरा दी।

शाम को मिहिर और आर्यन के कुछ दोस्तों ने उसके लिए एक पार्टी रखी। बहुत कम ऐसा होता था कि आर्यन क्लब या पार्टियों में जाता हो, क्योंकि उसे ये सब चीज़ें बिल्कुल भी पसंद नहीं थीं। आज के जमाने में जहाँ लोगों के लिए मॉडर्निटी का नाम ही क्लब, नाइट आउट, पार्टियाँ और बस अपने लाइफ़स्टाइल को इसी सब में पूरी तरह डूबो देना था, वहाँ आर्यन के लिए ये सारी चीज़ें फ़िज़ूल और दिखावे से ज़्यादा कुछ भी नहीं थीं। वह हमेशा कहता था कि वह ज़रूर इस लाइफ़स्टाइल का लुत्फ़ उठाएगा, लेकिन पहले वह खुद को फ़र्श से अर्श तक ले जाए, क्योंकि अभी उसकी ज़िंदगी उससे उसकी मेहनत की तलबगार है और अगर उसने अपनी ज़िंदगी और ख्वाबों को अपनी मेहनत के पसीने से नहीं सींचा तो वह कभी कामयाब नहीं होगा। वह खुद को उस मुकाम पर ले जाना चाहता था जहाँ वह कामयाबी और शोहरत का एक सितारा बनकर आसमान में चमक उठे।

धीरे-धीरे दिन गुज़र रहे थे। आर्यन जितना खुद को ध्रुवी से दूर करने की कोशिश करता, ध्रुवी उतनी ही उसके करीब आती रहती और वह चाहे जिस भी ज़ुबान में उसे समझाने की कोशिश करता, लेकिन ध्रुवी तो जैसे कुछ भी ना समझने की कसम ही खाकर बैठी थी। आर्यन के बर्थडे के ठीक एक महीने बाद आज ध्रुवी का बर्थडे था। ध्रुवी जब सुबह उठी तो उसका कमरा कमरा कम कोई गार्डेन ज़्यादा नज़र आ रहा था जहाँ हर तरह के फूलों के खूबसूरत गुलदस्ते मौजूद थे। साथ ही तरह-तरह के एक्सपेंसिव गिफ्ट और ड्रेसेज़ से उसके कमरे का कोना-कोना भरा हुआ था जो उसके दोस्तों और मिलने वालों ने उसे भेजे थे। ध्रुवी ने उन कीमती गिफ्ट्स की तरफ़ एक बार भी नज़र नहीं उठाई। उसने बस अपना फ़ोन उठाया और उसमें कुछ चेक करने लगी। अपना फ़ोन देखकर एक मायूसी सी उसके चेहरे पर छा गई। तभी मि. सिंघानिया ध्रुवी के कमरे में आए और उसके पास बैठकर ध्रुवी का सर प्यार से चूमते हुए उसे बर्थडे विश किया।

मि. सिंघानिया- हैप्पी बर्थडे मेरी जान!!

ध्रुवी, अपने डैड को कसकर हग करते हुए बोली: थैंक्यू सो मच डैड... एंड आई लव यू!!

मि. सिंघानिया- लव यू टू... लेकिन... तुम्हें नहीं लगता कि आज तुम्हें सिर्फ़ इस लव यू से काम चलाने की बजाय अपने डैड की जेब खाली करानी चाहिए...!!

ध्रुवी, मुस्कुराकर अपने डैड की ओर देखते हुए बोली- नहीं... बिल्कुल भी नहीं... क्योंकि मेरे डैड ने मुझे वो सब भी दिया है जो शायद मुझे और कोई कभी नहीं दे सकता। आपने मुझे ना सिर्फ़ ज़िंदगी दी है, बल्कि मेरी ज़िंदगी को आपके प्यार और साथ ने ही संवारा है। अगर आप नहीं होते तो शायद मैं भी नहीं होती डैड... और आपने तो हमेशा मुझे माँ-बाप, भाई-बहन, दोस्त सबका प्यार दिया है।"

अपने पिता के गले लगते हुए बोली- “बस आप मेरे साथ हैं फिर मुझे किसी और चीज़ की कोई ज़रूरत नहीं... और मुझे कुछ भी नहीं चाहिए!”

मि. सिंघानिया, प्यार से ध्रुवी के सर को सहलाते हुए बोला- हे भगवान! इस लड़की को तो बस सेंटी होने का मौका चाहिए… अगर तुम्हें लगता है कि ऐसी इमोशनल बातें करके तुम्हारा खर्चा बच जाएगा... सो यू आर रॉन्ग डार्लिंग... क्योंकि अपने बर्थडे पर मैं तो तुमसे अच्छा-खासा खर्चा करवाने वाला हूँ!

ध्रुवी, अपने डैड की ओर देखते हुए बोली- “हम्मम! तो ये बात है... इसीलिए मुझे गिफ्ट देने की ज़िद की जा रही है... मतलब रिश्वत... वैसे कहीं आप मिस बरोचा को डेट शेट करने के बाद अब उन्हें मेरी नई मम्मी बनाने के बारे में तो नहीं सोच रहे ना... हूँह... हूँह बोलिए?”

मि. सिंघानिया, ऊपर छत की ओर देखते हुए बोला- “सी मिसेज़ सिंघानिया आपकी बेटी मेरा चक्कर चलवाने पर तुली है... अगर आज तुम्हारी माँ होती तो तुम पक्का अपनी ऐसी बातों से फॉर श्योर अब तक मेरा डाइवोर्स करवा चुकी होती।”

मि. सिंघानिया की बात सुनकर ध्रुवी खिलखिला उठी और उसके होंठों पर मुस्कान देख मि. सिंघानिया के होंठों पर खुद-ब-खुद मुस्कान तैर गई।

मि. सिंघानिया, प्यार से ध्रुवी को देखते हुए बोला- “बस तुम हमेशा ऐसे ही हँसती-मुस्कुराती रहो... बस मुझे फिर ज़िंदगी से कुछ नहीं चाहिए... और काश मेरी उम्र भी तुम्हें लग जाए!”

ध्रुवी, अपने डैड के गले लगकर शिकायती लहजे से बोली- “डोंट से दिस डैड... आपकी उम्र आपको ही मुबारक... और इनफैक्ट भगवान जी हम दोनों की उम्र इक्वल-इक्वल कर दे... मतलब मुझे भी सिर्फ़ अपने डैड के साथ ही जीना है।”

मि. सिंघानिया, मुस्कुराकर बोला- “पगली! कुछ भी बोलती है।”

ध्रुवी, मुस्कुराकर बोली- “हम्मम! आपकी ही बेटी हूँ ना इसीलिए!”

मि. सिंघानिया ध्रुवी की बात सुनकर मुस्कुरा दिए। कुछ देर बाद मि. सिंघानिया ने ध्रुवी की आँखों पर पट्टी बाँधी और उसके लिए लाया गया गिफ्ट उसे दिखाने के लिए उसका हाथ थामे उसे नीचे की ओर ले गए। बाहर गार्डन एरिया में आकर उन्होंने ध्रुवी की आँखों से बंधी पट्टी उतारी और ध्रुवी अपनी आँखों के सामने चमचमाती व्हाइट कलर की फेरारी स्पोर्ट कार को देखकर खुशी भरी हैरानी से मि. सिंघानिया की ओर देखने लगी।

मि. सिंघानिया: तो कैसा लगा अपना तोहफा?

ध्रुवी, लगभग खुशी से उछलते हुए बोली- “बहुत-बहुत-बहुत अच्छा... लेकिन डैड! ये तो बहुत एक्सपेंसिव होगी ना?”

मि. सिंघानिया, मुस्कुराकर बोला- “हम्मम! मगर मेरी बेटी की मुस्कान और खुशी से ज़्यादा नहीं... और फिर एक ही तो खुशी और शौक है मेरी बेटी का... अब मैं उसे भी पूरा न कर सकूँ तो क्या फ़ायदा मेरे इस पैसे और शोहरत का!”

ध्रुवी, खुशी से मि. सिंघानिया के गले लगकर बोली- “लव यू सो मच डैड... यू आर द बेस्ट!”

कुछ देर बाद, निशा और प्रिया ध्रुवी से मिलने उसके घर आ जाती हैं और उसे जन्मदिन की बधाई देते हुए अपने साथ लाए गए तोहफ़े भेंट करती हैं। वैसे तो मि. सिंघानिया ने ध्रुवी को आज कॉलेज जाने से मना किया था, क्योंकि वे उसके लिए एक खास पार्टी की तैयारी कर रहे थे। लेकिन अचानक एक जरूरी काम के चलते उन्हें न्यूयॉर्क जाना पड़ा। हालाँकि वे बिल्कुल नहीं जाना चाहते थे और फ़ोन पर भी मना कर चुके थे, पर काम इतना अर्जेंट था कि ध्रुवी ने खुद उन्हें जाने के लिए कहा। अंततः मायूस होकर उन्हें रवाना होना पड़ा।  

मि. सिंघानिया के जाने के बाद, ध्रुवी अपनी दोस्तों के साथ तैयार होकर कॉलेज चली गई। लेकिन जिस वजह से वह वहाँ गई थी—आर्यन—वह तो कॉलेज आया ही नहीं था। ध्रुवी ने उसे कॉल किया। पहले तो आर्यन ने जवाब नहीं दिया, लेकिन उसके लगातार कॉल करने पर आखिरकार उसने फ़ोन उठाया और बताया कि वह किसी जरूरी काम से बाहर गया है और आज कॉलेज नहीं आएगा। ध्रुवी ने मायूसी से भरकर, पर एक उम्मीद के साथ, उसे शाम को अपनी बर्थडे पार्टी में आने का निमंत्रण दिया—जो असल में सिर्फ़ उससे मिलने का बहाना था। आर्यन ने कुछ न कहते हुए कॉल काट दी।  

ध्रुवी का भी आर्यन के बिना कॉलेज में मन नहीं लगा, इसलिए वह जल्दी ही अपने मेंशन वापस लौट आई। शाम होने तक भी आर्यन का कोई अता-पता नहीं था। वह जानती थी कि शायद वह नहीं आएगा, फिर भी उसकी प्रतीक्षा करती रही। आर्यन ने उसे जन्मदिन की एक औपचारिक शुभकामना तक नहीं दी थी।  

हल्का अंधेरा छाने लगा, लेकिन आर्यन नहीं आया। ध्रुवी के बाकी दोस्त पार्टी में शामिल होने आ चुके थे, पर उसका ध्यान बार-बार दरवाज़े और घड़ी पर जा टिकता। हर गुजरते पल के साथ उसका धैर्य जवाब देने लगा। अंततः वह पल आ ही गया जब उसका सब्र टूट गया—वह गुस्से में अपनी गाड़ी लेकर मेंशन से निकल पड़ी, अपने दोस्तों को वहीं छोड़कर।  

कुछ देर बाद, ध्रुवी ने अपनी कार सेंट टैरेसा कॉलेज के बॉयज़ हॉस्टल के सामने रोकी। जैसे ही वह अंदर जाने लगी, गार्ड ने उसे रोकना चाहा, लेकिन उसकी गुस्से भरी नज़र ने ही उसे चुप करा दिया। ध्रुवी बिना रुके सीधे हॉस्टल के अंदर घुस गई। उसने आसपास नज़रें दौड़ाईं—गार्डन में खड़े लड़के उसे हैरानी और शॉक से देख रहे थे। यह पहली बार था जब कोई लड़की, वो भी इतने खुलेआम, उनके हॉस्टल में आई थी। लेकिन ध्रुवी ने सबकी प्रतिक्रियाओं को नज़रअंदाज़ करते हुए सीढ़ियों की ओर बढ़ चली।  

हालाँकि वह यहाँ पहली बार आई थी, लेकिन आर्यन के बारे में उसे हर छोटी-बड़ी जानकारी थी। जैसे ही वह दूसरी मंजिल पर पहुँची, कॉरिडोर में उसे मिहिर दिखाई दिया—जो बाकियों की तरह ही उसे वहाँ देखकर स्तब्ध था।  

ध्रुवी, मिहिर के हैरानी भरे रिएक्शन को पूरी तरह इग्नोर करते हुए बोली, “आर्यन कहाँ है?”

मिहिर, उंगली से ऊपर की ओर इशारा करते हुए बोला, “ऊ... ऊपर!!”

ध्रुवी मिहिर की बात सुनकर फ़ौरन तीसरे माले पर जाने के लिए आगे बढ़ गई। ध्रुवी वहाँ पहुँची तो आर्यन हाथ में किताब लिए अकेले ही टहल रहा था। लेकिन जैसे ही उसकी नज़र ध्रुवी पर पड़ी तो वह भी ध्रुवी को यहाँ देखकर कुछ पल तक शॉक्ड और हैरान रह गया।

आर्यन, कुछ पल बाद अपने शॉक्ड से बाहर आते हुए बोला, “तू... तुम यहाँ... बॉयज़ हॉस्टल में... वो भी इस वक़्त... तु... तुम जानती हो ना लड़कियों का यहाँ आना बिल्कुल मना है... फिर भी तुमने ऐसा किया??... आर यू मेड और व्हाट???”

ध्रुवी, आर्यन के सवाल को पूरी तरह इग्नोर करते हुए बोली, “हम्मम... आज फ़ैसला हो ही जाए… डू यू लव मी और नॉट?”

 

कहानी में आगे क्या हुआ जानने के लिए पढिए इस कहानी का अगला भाग…

 

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