वहाँ मौजूद सभी लोगों की नज़र ध्रुवी पर ही अटक गई थी। कुछ लोग आर्यन की खुशकिस्मती पर हर्ष कर रहे थे, कुछ ध्रुवी के साहस को देखकर स्तब्ध थे, और कुछ उसे उत्साहित कर रहे थे। परन्तु कुल मिलाकर, सभी की नज़रें ध्रुवी और आर्यन पर ही टिकी रहीं। दूसरी ओर, ध्रुवी का यह साहसिक कदम देखकर आर्यन कुछ पल के लिए बर्फ की तरह ठंडा पड़ गया, जैसे जम सा गया हो। समीरा और उसके दोस्त भी आँखें फाड़े ध्रुवी और आर्यन की ओर देख रहे थे।

 

          कुछ पल बाद ध्रुवी आर्यन से दूर हुई और बिना किसी झिझक के, आर्यन के लिए आँखों में अपार प्यार लिए, सहजता से अपने अंगूठे से लिपस्टिक साफ़ करने के बाद, साहस से उसकी ओर देखते हुए, अपने लाए हुए उपहार को उसके हाथ में थमा दिया।

 

ध्रुवी (आर्यन की आँखों में देखते हुए और समीरा को सुनाते हुए, साहस के साथ): "जो मेरा है, वह सिर्फ़ मेरा है, चाहे जैसे भी हो। अगर किसी ने भी उसे मुझसे छीनने की हिम्मत, या ऐसा करने की सोची भी, तो उसे मैं जिंदा जला दूँगी।" (समीरा की ओर एक तीखी नज़र डालते हुए) "और मेरा मतलब है, मैं यह करूँगी।" (आर्यन के हाथ में अपना बनाया हुआ ग्रीटिंग कार्ड भी थमाते हुए) "और अगर अब तुम्हें ये उपहार नहीं चाहिए, तो बेझिझक इन्हें किसी कूड़ेदान में फेंक सकते हो। लेकिन अगर तुम्हें लगता है कि तुमसे दूर जाने की जिद या ऐसा कुछ भी करने से मैं तुमसे दूर चली जाऊँगी, तो मिस्टर आर्यन मल्होत्रा, यह तुम्हारी सबसे बड़ी गलतफ़हमी है, क्योंकि अब तुम चाहकर भी मुझे खुद से दूर नहीं कर सकते। तो बेहतर होगा, बेकार में फ़िज़ूल कोशिश करना बंद कर दो।" (अपने पंजों पर खड़े होकर आर्यन के गाल पर हल्के से चुम्बन करते हुए) “और एक बार फिर, जन्मदिन मुबारक, मेरे प्यार!”

 

इतना कहकर ध्रुवी अपनी दोस्तों प्रिया और दिशा के पास गई जो हैरानी से मुँह खोले उसकी ही ओर देख रही थीं।

ध्रुवी (अपनी दोस्तों का हैरान मुँह देखकर): “मेरे दोस्तों, पिक्चर ख़त्म हो गई है, तो अब चलें!”

प्रिया और दिशा (एक साथ, गर्दन हिलाते हुए): “हम्म!”

 

ध्रुवी ने एक पल के लिए आर्यन पर सरसरी नज़र डाली, उसे एक मनमोहक मुस्कान के साथ देखते हुए, कुछ पल बाद अपने दोस्तों के साथ वहाँ से चली गई। लेकिन आर्यन कितनी देर तक अपनी जगह स्तब्ध और मौन खड़ा रहा, यह पता नहीं। ध्रुवी ने जो साहसिक कदम उठाया था, उसे हजम करना आर्यन के लिए अभी भी मुश्किल हो रहा था। और आखिरकार वह अपने ख़्यालों से तब बाहर आया जब उसके दोस्तों ने उसे छेड़ने के लिए उसके कान के पास आकर जोर से हूटिंग की, और उनकी आवाज़ से आर्यन की तंद्रा टूटी।

 

निहाल (आर्यन को छेड़ते हुए): “क्या बात है यार, तूने तो एक ही बार में सीधा सिक्सर मार दिया! मतलब कॉलेज की सबसे हॉट और खूबसूरत लड़की को अपने पीछे इस कदर दीवाना बना लिया कि वह तो तेरे लिए पागल ही हो गई है, और अंजाम की फिक्र किए बिना तेरे लिए कुछ भी, मतलब कुछ भी कर गुज़रने के लिए तैयार है!”

कुणाल (अपने दाँत दिखाते हुए): “और नहीं तो क्या! मतलब तेरी तो बल्ले-बल्ले हो गई! मौज कर दी बेटा! गुरुदेव थोड़ी सी अपनी कृपा दृष्टि हम जैसे ग़रीब लोगों पर भी डाल दें ताकि हम भी आपकी राह पर चलकर अपना जीवन संवार सकें!!”

आर्यन (कुढ़ कर): “बस चुप करो तुम लोग!”

विक्रम (शरारत भरे लहजे में): “एक तो तेरा समझ नहीं आता। लोग जिस मौके के लिए मर जाते हैं और अपनी पूरी ज़िंदगी सिर्फ़ उसी गोल्डन मौके को पाने में निकाल देते हैं, जब तुझे सामने से वह मौका थाल में सजा मिल रहा है, तो तू उस सजे थाल में लात मारकर खुद उस मौके को खुद से दूर करना चाहता है। अजीब है तू!!”

कुणाल: "बिलकुल! और जिस लड़की ने तुझे सामने से आकर प्रपोज़ किया है, वह कोई आम लड़की नहीं, बल्कि ध्रुवी है, ध्रुवीका सिंघानिया, यहाँ के प्रसिद्ध अरबपति की इकलौती बेटी, जो हम जैसे लोगों को एक नज़र भी भरकर देख ले तो हमारी ज़िंदगी सफल हो जाए, तो तू क्यों बेवजह भाव खा रहा है? और चल ठीक है, अगर वह तुझसे सच्चा प्यार नहीं भी करती हो और अगर उसने वन नाइट स्टैंड लेकर भी तुझे छोड़ दिया, तो भी इट्स नॉट अ बिग डील। फिर भी तेरी ज़िंदगी कहाँ से कहाँ पहुँच सकती है, तू सोच भी नहीं सकता, अंदाज़ा भी नहीं है तुझे।" (लापरवाही भरे लहजे में) “तो बस चिल ब्रो एंड...”

आर्यन (गुस्से से): “बस चुप करो! अगर एक शब्द और बकवास की तूने, तो तेरा मुँह तोड़ दूँगा मैं। और किसी अमीर बाप की बेटी को फँसाकर उसे अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए सीढ़ी की तरह इस्तेमाल करना, तुम जैसे घटिया लोगों के लिए होगा कोई शॉर्टकट, लेकिन मैं अपने बलबूते और अपने दम पर अपने सपनों को पूरा करने की ताक़त रखता हूँ, तो अपनी यह घटिया सलाह और सोच अपने पास ही रखो। और आइंदा मेरे सामने अगर ऐसी छोटी बात करने की कोशिश भी की, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। घिनौना!”

 

इतना कहकर आर्यन गुस्से से वहाँ से चला जाता है और उसका ख़ास दोस्त मिहिर बाकी लोगों को नाराज़गी से घूरते हुए, तुरंत उसके पीछे जाता है।

 

मिहिर (आर्यन को रोकने की कोशिश करते हुए): “आर्यन, रुको, सुनो यार!”

 

आर्यन मिहिर की आवाज़ को अनसुना करके बिना रुके आगे बढ़ता गया और बाग़ में जाकर एक बेंच पर गुस्से से अपना बैग और ध्रुवी का दिया हुआ उपहार पटक देता है और अपने बालों में हाथ घुमाते हुए निराशा से इधर-उधर टहलने लगता है। आर्यन का ख़ास दोस्त मिहिर, जो उसके पीछे आया था, बिना कुछ बोले चुपचाप वहीं आकर बेंच पर बैठ जाता है और अपने बैग से चिप्स का पैकेट निकालकर उसे खाते हुए बस खामोशी से आर्यन को देखने लगता है। और जब आर्यन मिहिर का यह शांत रवैया देखता है और उसे खामोश देखता है, तो और भी ज़्यादा खीझ उठता है।

 

आर्यन (खीझते हुए): “मतलब तू कैसा कमीना दोस्त है रे! यहाँ मैं परेशान घूम रहा हूँ और तू आराम से बैठकर खा रहा है?”

मिहिर (सामान्य भाव से): “तो मेरे ना खाने से कौन सी तेरी परेशानी कम हो जाएगी?”

आर्यन (गुस्से से): “नहीं, लेकिन एक अच्छे दोस्त की तरह, खाने से पहले तुझे अपने दोस्त की समस्या हल करनी चाहिए!!”

मिहिर (चिप्स का टुकड़ा अपने मुँह में रखते हुए): “असल में जो तेरी समस्या है, वह एक्चुअली में तेरी समस्या है ही नहीं। समस्या बस इतनी सी है कि जो समस्या है ही नहीं, तू उसे समस्या बनाकर समस्या में शामिल हो रहा है, दैट्स इट!!”

आर्यन (बेंच पर बैठकर मिहिर के हाथ से चिप्स का पैकेट छीनकर खाते हुए): “ये क्या फ़िज़ूल बकवास किए जा रहा है? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है?”

मिहिर (अपने हाथ झाड़ते हुए): “देख, वह लड़की यानी कि ध्रुवी, जब बार-बार इस क़दर तुझसे मोहब्बत होने का दावा कर रही है, तो आखिर उसे एक मौक़ा देने में हर्ज ही क्या है?”

आर्यन (चिप्स का पैकेट वापस मिहिर के हाथ में थमाते हुए): “हर्ज यह है कि उसकी और मेरी ज़िंदगी में जमीन आसमान का फ़र्क है। हमारे लाइफ़स्टाइल, हमारे रहन-सहन, हमारे ज़िंदगी जीने का तरीक़ा और उसे देखने का नज़रिया दोनों ही बहुत अलग है। भले ही हम कुछ वक़्त के लिए साथ होकर खुश रह सकते हैं, लेकिन ज़िंदगी भर इस रिश्ते को निभाना हम दोनों की ही बस की बात नहीं। और इन सबसे अलग, सबसे बड़ी बात, मैं उन लोगों में से बिल्कुल भी नहीं हूँ जो वक़्ती तौर पर इन फ़िज़ूल झंझटों और रिश्तों जैसे चक्करों में पड़कर अपना कीमती वक़्त जाया करें। मुझे इन झंझटों में पड़ना ही नहीं है!”

मिहिर (अपने कंधे उचकाते हुए): “ठीक है, जैसा तुझे अच्छा लगे, वह कर। मगर मुझे नहीं लगता कि वह लड़की तुझे इतनी आसानी से छोड़ने वाली है। और आज के हादसे के बाद तो ऐसा लगना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है!!”

आर्यन (ध्रुवी द्वारा किए गए कदम को याद करके शर्माते हुए): “ऐसा कुछ भी नहीं है। और तू ज़्यादा नेगेटिव मत सोच। इनफैक्ट, तू सोच ही मत!!”

मिहिर (आर्यन को शर्माता देख अपनी भौंहें उठाते हुए): "मगर मैं तो कुछ सोच ही नहीं रहा।" (आर्यन को छेड़ते हुए) "तू ही बेवजह सोच-सोचकर शर्म से लाल हो रहा है।" (आर्यन मिहिर की बात सुनकर गुस्से से मिहिर की ओर घूरता है, तो वह हवा में अपने दोनों हाथ खड़े करते हुए जल्दी से सरेंडर कर देता है) “अच्छा-अच्छा, ठीक है, सॉरी-सॉरी, मज़ाक कर रहा था मैं बस। हर बात में गैंडे की तरह फूलना ज़रूरी नहीं होता!”

आर्यन (एक मुक्का मिहिर की कमर में जड़ते हुए): “अगर मैं गैंडा हूँ, तो तू जंगली सांड है!!”

मिहिर (अपनी कमर सहलाते हुए): “कमीने, पाप लगेगा तुझे! एक मासूम इंसान को इतनी बेरहमी से मारा है तूने!!”

आर्यन: “ओह! मासूमियत की दुकान! अगर अपनी सारी मासूमियत मुझसे यहीं नहीं झड़वानी, तो चुपचाप अपने ड्रामे बंद कर और क्लास में चल!!”

मिहिर (कमर सीधी करते हुए, उल्टा चलकर अपने कदम आगे बढ़ाते हुए): "हम्म, चलते हैं, चलते हैं। बस एक सवाल पूछना था तुझसे।" (शरारत भरे लहजे में) (आर्यन अपनी गर्दन उठाकर अपनी आँखें छोटी करके मिहिर को घूरता है) "मुझे बस इतना ही पूछना था।" (शरारती मुस्कान के साथ) "कि आखिर आज ध्रुवी के साथ तेरे पहले किस का अनुभव कैसा रहा?" (आर्यन के चेहरे पर शर्म देखकर उसे और छेड़ते हुए) "वैसे रहने दे, मत बता, क्योंकि तेरे गालों पर यह शर्म की लाली देखकर..." (नौटंकी करते हुए) “हाय! यह शर्म...हम्म तो मैं कह रहा था कि तेरे गालों पर इस शर्म की लाली देखकर जवाब का अंदाज़ा लगाना इतना मुश्किल भी नहीं!”

आर्यन (मिहिर के होंठों पर शरारत भरी मुस्कान देखकर, समझते हुए जल्दी से अपना सामान बेंच से समेटते हुए): “क... आज तो तुझे मैं जिंदा नहीं छोड़ूँगा!!!”

 

इतना कहकर आर्यन जल्दी से अपना सामान बेंच से समेटता है और मिहिर को पकड़ने के लिए उसकी ओर दौड़ पड़ता है, जबकि मिहिर उससे बचने के लिए दुगनी तेज़ी से वहाँ से भाग निकलता है।

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.