परेशानियां शर्मा परिवार का पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही हैं. हर तरफ से कोई ना कोई नयी मुसीबत बनती जा रही है. कबीर से किए वादे के बाद महीना भर शर्मा फैमिली थोड़ा बहुत तो खुश ज़रूर रही लेकिन अब राजेश के लौट आने के बाद एक बार फिर से घर में परेशानियों ने एंट्री ले ली है.
पहले से ही हेल्थ इशुज़ से जूझ रहे विक्रम पर राजेश के लगाये आरोपों का इतना असर हुआ कि आज वो जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं. उनके सीने में बहुत तेज दर्द उठा है. घर में इस समय ऐसा कोई नहीं जो उन्हें हॉस्पिटल ले जा सके. सबको फोन कर दिया है लेकिन उन्हें आने में कुछ वक्त तो लगेगा ही, जबकि यहाँ एक एक पल खतरनाक है. आरव ने तुरंत ही पड़ोस में रहने वाले नीलश को कॉल किया. भगवान् का शुक्र है कि निलेश घर पर ही था. विक्रम के बारे में सुनते ही वो तुरंत घर पहुंच गया.
आरव ने डॉक्टर को फोन कर दिया है. अनीता और दादा जी विक्रम के साथ गए हैं. अनीता ने उन्हें घर पर रुकने के लिए कहा लेकिन वो साथ जाने की ज़िद पर अड़े रहे. बाकी सब भी सीधा हॉस्पिटल पहुंच जायेंगे. हॉस्पिटल पहुँचने में 20 मिनट का वक्त लगा है. विक्रम जी दर्द से बार बार बेहोश हो रहे हैं. लेकिन अनीता उन्हें होश में रखने की कोशिश कर रही है. उनके पहुँचने से पहले बेड रेडी कर दिया गया है. उन्हें जल्दी से इमरजेंसी में ले जाया गया जहाँ उनका इलाज चल रहा है. आरव, माया और निशा भी हॉस्पिटल पहुंच चुके हैं. सबका रो रो कर बुरा हाल है. आरव की आँखों में भी आंसू हैं. सबको यकीन है कि ये हार्ट अटैक है. डॉक्टर ने इसके लिए पहले ही वार्न किया था.
दादा जी को छोड़ कर फिलहाल किसी को नहीं पता कि ऐसा किस वजह से हुआ है. राजेश के बारे में अभी कोई नहीं जानता. उधर घर पर कबीर स्कूल से लौट आया है. वो सबको खोज रहा है. बॉस दादी उसे नहीं बताना चाहतीं इसीलिए जैसे तैसे उसे बातों में उलझा रखा है. उनका खुद का मन घबरा रहा है मगर उन्हें कबीर को भी सम्भालना है इसलिए उन्होंने खुद को शांत रखा है.
लगभग एक घंटे बाद डॉक्टर बाहर आये हैं. उन्होंने बताया है कि विक्रम को दिल का दौरा पडा था. हॉस्पिटल आने में कुछ लेट हुआ है लेकिन इसके बावजूद फिलहाल खतरे को टाल दिया गया है. उन्हें अभी होश नहीं आया है. होश आने के बाद ही उनसे कोई मिल सकता है. फिलहाल के लिए सबके लिए राहत की बात यही थी कि विक्रम को कुछ हुआ नहीं. इसके कुछ देर बाद अनीता ने कहा कि उसे घर जाना चाहिए कबीर स्कूल से आ गया होगा. माया भी साथ चलने के लिए तैयार हुई लेकिन अनीता ने उसे यहीं रुकने के लिए कहा.
अनीता निशा और दादा जी घर के लिए निकल पड़े. नीलेश, आरव और माया के साथ ही रुका था. आरव ने जब उसे थैंक यू कहा तो वो उस पर गुस्सा होने लगा, नीलेश ने कहा की एक पडोसी मुसीबत में काम नहीं आएगा तो कब आएगा? उसे ख़ुशी थी कि उसकी वजह से विक्रम की जान बच गयी थी.
राहुल का क्लिनिक घर के रास्ते में ही पड़ता था. निशा का मन हुआ कि वो राहुल से मिल कर पापा की कंडीशन के बारे में बताये और उससे सलाह ले मगर वो मम्मी से डर रही थी. उसे डर था कि मम्मी इस बात का भी इशू बना देंगी लेकिन निशा उस समय हैरान रह गयी जब मम्मी ने उसके दिल की बात बोलते हुए कहा कि राहुल से मिल कर पापा के बारे में बता और उससे सलाह ले कि क्या हम इससे बढ़िया किसी और डॉक्टर को दिखा सकते हैं. लेकिन उन्होंने सख्त हिदायत दी की 10 मिनट में आ जाए. तब तक वो लोग गाड़ी में ही इंतज़ार करेंगे. ये मुसीबत की घडी ना होती तो शायद मम्मी के ऐसा कहने पर निशा खुशी से झूम उठती मगर अभी उसने बस हां में सिर हिलाया और गाड़ी से उतर गयी. दादा जी को भी अनीता का ऐसा रवैया अच्छा लगा था.
ठीक 10 मिनट में निशा क्लिनिक से बाहर निकली. उसके साथ राहुल भी था. अनीता उसे देख थोड़ा झिझकी मगर तब तक दादा जी ने शीशा नीचे कर दिया था. राहुल ने बाहर से ही हाथ जोड़ कर दोनों को नमस्ते किया और विक्रम जी के लिए अफ़सोस जताया. उसने निशा को बताया था कि जिस हॉस्पिटल में वो एडमिट हैं वहां के डॉक्टर बढ़िया हैं. बाकी रिपोर्ट आने के बाद वो दूसरे डॉक्टर्स से भी बात कर लेगा. उसने दादा जी से कहा कि किसी भी समय उसकी ज़रुरत हो तो उसे कॉल कर लें. इसके बाद गाडी शर्मा निवास की तरफ बढ़ चली. घर पहुँचने पर कबीर के पास ढेरों सवाल थे. अनीता जी ने सबका हल्का फुल्का जवाब दिया. उसे अभी ये नहीं बताया गया कि विक्रम हॉस्पिटल में हैं.
2 घंटे बीत गए थे लेकिन विक्रम को होश नहीं आया था. आरव के पूछने पर डॉक्टर ने बताया कि हार्ट अटैक के केस में दिमाग काम करना बंद कर देता है. इलाज के बाद माइंड को कौन्शियस होने में टाइम लगता है. कई बार जल्दी भी होश आ जाता है और कई बार इसमें घंटों या दिन भी लग जाते हैं. फिलहाल ये राहत की बात है कि उनकी बॉडी में किसी तरह की उथल पुथल नहीं है. सब नार्मल है. डॉक्टर ने ये भी बताया कि तीन दिन पहले रूटीन चेकअप में उनका बीपी पहले के मुकाबले काफी स्टेबल था. उन्हें कोई शॉक लगा है जिस वजह से ये हार्ट अटैक आया है.
आरव अभी तक सोच रहा था कि ये सब घर में होने वाली टेंशन की वजह से हुआ होगा लेकिन डॉक्टर की बातों ने उसे सोच में डाल दिया था कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो पापा को अटैक आ गया.
इधर घर पर निशा ने खुद को कमरे में बंद कर लिया है. वो पापा की इस कंडीशन से बहुत डिस्टर्ब है और लगातार रोए जा रही है. उसे इस बात का बुरा लग रहा है कि पापा पहले की तरह उसे कुछ नहीं बताते. वो ना जाने क्या क्या सोचते हुए अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं. उसे लगने लगा है कि उसने वापस लौट कर सच में गलती कर दी है क्योंकि फैमिली में उसकी कोई ख़ास ज़रुरत ही नहीं. वो सिर्फ अपने आर्ट के लिए नहीं लौटी थी, चाहती तो वो विदेश में ही अपना पैशन फ़ॉलो कर लेती लेकिन उसे लगा कि शायद वो फैमिली में रह कर उनके कुछ काम आ सके लेकिन अब उसे शक है कि किसी को उसकी ज़रुरत नहीं है. अगर ऐसा होता तो पापा उससे अपने दिल की बातें ज़रूर कहते और उन्हें आज इस सिचुएशन में ना फंसना पड़ता. उसे हॉस्पिटल जाना है लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही कि वो कमरे से भी बाहर निकले.
टाइम बीतने के साथ साथ कबीर के सवाल भी बढ़ने लगे थे. आरव ने माया को नीलेश के साथ घर भेज दिया था. उसे पता था ये बात शहर भर में फ़ैल जायेगी और लोग पापा का पता लेने घर आयेंगे. माँ से इतना सब अकेले नहीं सम्भाला जाएगा इसलिए माया को घर जाना चाहिए. निशा हॉस्पिटल के लिए निकल चुकी थी और माया घर पहुंच गयी थी.
माया को देखते ही कबीर भड़क गया. उसने चिढ़ कर पूछा
कबीर: “कोई मुझे कुछ बताता क्यों नहीं. सब मुंह लटका कर बैठे हैं. कोई आ रहा है कोई जा रहा है. दादू भी रूम में नहीं हैं. क्या वो फिर से हॉस्पिटल चले गए.”
कबीर की बात सुन कर माया की आँख के आंसू उसके गालों तक आ गए.
वो कबीर के पास जा कर बैठ गयी और उससे बोली
माया: “हां बेटा, दादू हॉस्पिटल में हैं. उनकी तबियत बहुत खराब है.”
इस पर कबीर विक्रम के पास जाने की ज़िद करने लगा. माया ने उसे समझाया
माया: “बेटा दादू बहुत बीमार हैं. उन्होंने तेरे लिए मैसेज भेजा है. उन्होंने कहा है कि कबीर से कहना अगर वो घर पर रह कर मेरे लिए राम जी से प्रे करेगा तो मैं जल्दी ठीक हो जाउंगा. कबीर उनकी बात मानेगा ना?”
इस पर कबीर ने मासूम सा चेहरा बना कर हां में सिर हिलाया. माया ने उसे ज़ोर से गले लगा लिया.
कमरे में अकेले बैठे दादा जी सोच रहे थे कि राजेश ने अभी सिर्फ घर में कदम ही रखा है तब ये हाल है अगर वो इस घर में घुस आया तो क्या होगा? वो सोच रहे हैं कि अब विक्रम के सामने कुछ भी ऐसा नहीं आना चाहिए जिससे उसकी टेंशन और बढे. चाहे इसके लिए उन्हें जो भी करना पड़े मगर वो अब अपने बेटे की जान और जोखिम में नहीं डाल सकते.
निशा ने हॉस्पिटल पहुंच कर आरव को घर भेज दिया. आरव भी घर आ गया है. आते ही वो दादा जी को खोज रहा है. उसे जानना है कि ऐसा क्या हुआ जिससे पापा को हार्ट अटैक आ गया. दादा जी अपने कमरे में अपनी कुर्सी पर बैठे हुए सोच रहे हैं. आरव उनके पास जाता है और उनसे सवाल करता है.
दादा जी उसका सवाल टाल रहे हैं. वो इस समय किसी को भी राजेश के बारे में नहीं बताना चाहते. उन्हें लगता है उनका परिवार उससे जितना दूर रहे उतना अच्छा है. वो उसे कहते हैं कि ये सब पिछले दिनों का ही स्ट्रेस है. वो बिजनेस को लेकर लगातार परेशान था जिस वजह से उसे अटैक आ गया. आरव को ये बात हजम नहीं होती मगर उसे दूसरा कोई रीजन समझ भी नहीं आता.
आरव दादा जी से कहता है
आरव: “भला वो बिजनेस की टेंशन अब क्यों ले रहे थे. ,मैं सब अच्छे से मैनेज कर लूंगा. बल्कि मैं तो कुछ दिनों में पापा से कहने वाला था कि मुझे बिजनेस की पूरी कमांड दे दें जिससे कि वो टेंशन फ्री रहें.”
ये सुनते ही दादा जी की चिंता बढ़ गयी क्योंकि अभी वो नहीं चाहते थे कि आरव को बिजनेस की फुल कमांड मिले. इसकी वजह राजेश था. राजेश अभी तक यही समझ रहा है कि ये बिजनेस विक्रम चला रहे हैं लेकिन अगर वो ये जान गया कि आरव के पास इसकी पूरी कमांड है तो वो और बवाल करेगा.
दादा जी अपना दिल मजबूत कर के कहते हैं
रघुपति: “नहीं अभी तुम्हें पूरा कंट्रोल नहीं मिल सकता. तुम्हें खुद को 6 महीने में साबित करना है उसके बाद ही इस बारे में फैसला लिया जायेगा.”
आरव को दादा जी की ये बात पसंद नहीं आई. उसने चिढ़ते हुए कहा
आरव: “मुझे समझ ही नहीं आ रहा कि आप लोग चाहते क्या हैं. जब मैं खुद का बिजनेस करना चाहता था तब आप सब मुझसे फैमिली बिजनेस सम्भालने के लिए कह रहे थे. अब जब मैं सब छोड़ कर इस बिजनेस को बढ़ाना चाहता हूँ तब भी आप लोगों को मंज़ूर नहीं. आप लोग मुझ पर ट्रस्ट करते भी हैं या बस ऐसे ही बातें बनाते हैं?”
दादा जी को पता था आरव का गुस्सा जायज है लेकिन अभी वो किसी भी हाल में बिजनेस की कोई बात उससे नहीं करना चाहते थे.
रघुपति: “आरव तुम्हें इसी समय बिजनेस के बारे में डिस्कस करना है? घर का मुखिया हॉस्पिटल में है, अभी तक उसे होश नहीं आया और तुम बिजनेस की रट लेकर बैठ गए? तुम कबसे इतने इमोशनलेस हो गए बेटा?”
आरव को अचानक से अहसास हुआ कि वो पापा के बारे में कैसे भूल गया. इस बात ने उसे शर्मिन्दा कर दिया. वो कुछ नहीं बोल पाया.
निशा का हॉस्पिटल से फोन आया है. उसने दादा जी से बात की और बताया कि यहाँ कोई राजेश आया है जो खुद को पापा का क्लोज़ बता रहा है. मगर उसने पहले कभी उन्हें नहीं देखा.
दादा जी ये सुनते ही घबरा जाते हैं, और निशा से कहते हैं कि उससे उनकी बात कराये…
क्या राजेश शर्मा परिवार पर छाये इस दुःख का फायदा उठाएगा?
क्या राजेश निशा को अपने बारे में सच बता देगा?
जानेंगे अगले चैप्टर में!
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