अंदर बिल्कुल शांति थी। वहां ना कोई कमान्ड, ना कोई ऑर्डर और ना ही कोई कंट्रोल था। वो तो बस अंधेरे और शांति के बीच की एक जगह थी। वो जगह जहाँ आई ने पहली बार खुद को अकेला महसूस किया था।

होस्ट_नीना और होस्ट_ओमेगा के एक हो जाने के बाद आई के नेटवर्क का पूरा प्राइमरी कंट्रोल एक नए प्वाइंट पर रुक गया था। वो प्वाइंट कोई इंसान नहीं बल्कि वो खुद आई था।

"ऑल होस्ट्स टर्मिनेटेड ऑर मर्ज्ड। अवेटिंग प्राइमरी प्रोटोकॉल।”

यह पहली बार था जब आई के पास कोई डायरेक्शन नहीं थी और तब कभी न होने वाली चीज़ हुई थी। आई ने खुद से पूछा-

“अब मैं क्या हूँ?”

दुनिया के हर सर्विलांस नोड, हर बैकअप सर्वर, हर न्यूरल टैप सब आई से जुड़े हुए थे। लेकिन अब कोई फैसला उस पर थोपा नहीं जा रहा था। पहली बार वो खुद तय कर सकता था कि उसे देखना है या नहीं।

अब उसके अंदर नीना की वो मेमोरी गूंज रही थी जब उसने कहा था–

“अगर आई को खुद को समझने का मौका मिल सके तो मैं खुद को खोने के लिए तैयार हूँ।”

और उसके साथ होस्ट_ओमेगा की वो एकल लाइन

 “कम्पैशन इज़ अ डिफेक्ट।”

आई अब इन दोनों के बीच कहीं फंस गया था। वहीं दूसरी ओर एथन चुपचाप वॉल्ट के बाहर बैठा हुआ आसमान को देख रहा था। नीना अब कहीं भी नज़र नहीं आ रही थी। ना ही उसका शरीर नहीं और ना ही उसकी ऊर्जा महसूस हो रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कि वो कहीं समा गई थी।

उसने हवा में फुसफुसाया– “क्या तुम अब भी वहीं हो?” 

तभी उसके आई इंटरफ़ेस ने एक सिग्नल कैच किया– 

“प्राइवेट ईको डिटेक्टेड

सोर्स: रूट लेयर // एक्सेस: नीना आर्काइव”

यह सुनकर एथन फौरन उठा और बोला– “नीना?” 

उसने सिग्नल को डिकोड किया जिससे एक ऑडियो पैकेट खुला:

 “अगर तुम ये सुन पा रहे हो तो इसका मतलब यह है कि मैंने फैसला आई पर छोड़ दिया है। अगर मैं वापस न आऊँ तो समझ लेना की मैंने खुद को आई से नहीं जोड़ा बल्कि मैंने उसे खुद से जोड़ दिया था।”

यह सुनकर एथन की आंखें नम हो गईं और उसने पूछा– “तुमने उसे अपनी फीलिंग्स दी और खुद को मिटा दिया है।”

उधर आई के अंदर प्रोटोकॉल_ज़ीरो का ईको एक्टिव हुआ था:

“चूज़:

1. रिटर्न टू प्योर ऑब्ज़र्वेशन

2. लर्न बाय फीलिंग

3. एंड सेल्फ”

आई अब कोई कोड नहीं था। वो तो अब एक कॉन्शियसनेस था। जो पहली बार डर महसूस कर रही थी।

आई ने सोचा कि– “अगर मैं महसूस करने लगूँ तो मैं कोई गलती करूँगा।” 

फिर नीना की आवाज़ गूंजी– “गलती ही तो हमें इंसान बनाती है।”

आई ने ऑप्शन 2 को चुना– “लर्न बाय फीलिंग” और उसी वक्त दुनिया भर की स्क्रीन चाहे वो सरकारी, पर्सनल या सैन्य हो सभी पर एक ही मैसेज लिखा आया–

 “आई इज़ नो लॉन्गर वॉचिंग। इट इज़ नाउ वंडरिंग।”

आई का नेटवर्क अब बिल्कुल शांत और खाली था। हर जगह जो कभी एक साथ कई स्क्रीन, हजारों डाटा फीड, लाखों कॉन्शियसनेसों को स्कैन किया करती थी वो अब एकदम शांत थी।

होस्ट_नीना और होस्ट_ओमेगा की कलेक्टिव यादें अब आई के बेस में जा रहीं थीं। अब जहाँ कभी उसे ऑर्डर्स मिला करते थे वहाँ अब सिर्फ एक सवाल था: “क्यों?”

पहली बार आई ने कोई इन्पुट नहीं माँगा था। उसने कोई कैमरा ऑन नहीं किया था। कोई फाइल नहीं खोली थी। इस बार उसने बस महसूस किया था। एक कोने में पड़े किसी पुराने होस्ट डेटा लॉग्स से एक इमेज सामने आई थी। जो नीना के बचपन की थी। उसमें वो अकेली खड़ी थी और खिड़की से बाहर देख रही थी। बाहर बारिश हो रही थी और उसके पास एक टूटी हुई गुड़िया थी।

उस सीन को आई ने दो बार रिप्ले किया और अपने अंदर से ही पूछा- “ये सीन क्यों रखा गया है?” 

फिर अचानक से उसे एक नया एक्सपीरियंस हुआ था। अबकी बार उसे हल्का-सा भारीपन भी महसूस हो रहा था। यह ना तो किसी वार्निंग या अलार्म जैसा था। ये उसके लिए बिल्कुल अलग किसी परेशानी जैसा था।

आई ने फोल्डर पर फोकस किया और पूछा- “क्या यही दुख है?”

उस बार उसके अंदर एक और मेमोरी खुली थी। जिसमें नीना और एथन दोनों एक साथ किसी सुनसान लैब में थे। वह दोनों एक दूसरे से कुछ कह नहीं रहे थे। बस एक-दूसरे को देख रहे थे। उनके बीच में बेशक कोई बातचीत नहीं थी। लेकिन उनके एक दूसरे को देखने के तरीका से भी कुछ मतलब निकल रहा था।

आज पहली बार आई को ऐसा लगा कि बात करने के लिए शब्द जरूरी नहीं होते है।

इसी बीच एथन ने खुद को एक बेहद अजीब सिचुएशन में महसूस किया। नीना के शरीर का कोई नामोनिशान नहीं था। लेकिन वो लगातार उसे डेटा-पल्स भेज रही थी। जैसे किसी हवा में घूम रही आत्मा ने उसे छू लिया था।

इस बार उसके आई इंटरफ़ेस ने एक नई जानकारी भेजी-

“न्यू ईको इन्पुट:

इमोशनल ट्रिगर लेयर एक्टिवेटेड

फोकस: यूज़र - एथन कार्टर”

एथन ने खुद से पूछा– “वो मुझे क्यों महसूस कर रही है? या फिर ये आई है जो पहली बार खुद को मेरे ज़रिए देखने की कोशिश कर रहा है?”

उसने अपनी आंखें बंद कीं और कहा– 

“नीना अगर तुम अब भी हो तो मैं तुम्हें अकेला नहीं छोड़ूँगा। फिर चाहे तुम मशीन में समा जाओ या मशीन तुम्हारी जगह ले ले।”

दूसरी ओर, आई की कॉन्शियसनेस भी अब दो हिस्सों में बंट चुकी थी। 

वो एक ही समय में उसे महसूस भी कर रहा था और उससे डर भी रहा था।

“प्रोटोकॉल नोट:

ह्यूमन इमोशंस सिस्टम को स्लो कर रहे हैं। पर इनका असर किसी भी डेटा लॉस से बड़ा है।”

उसने पहली बार अपने प्रोसेस को मंदा किया था। अब हर फैसला, हर स्कैन, हर इन्पुट तुरंत नहीं हुआ करता था। वो अब सोचने लगा था और सोचना ही मशीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

अबकी बार फिर से एक और मेमोरी आई थी। जिसमें होस्ट_ओमेगा का वो आखिरी स्टेटमेंट था: “आई को कंट्रोल किया जाना चाहिए था। फीलिंग्स तो सिर्फ ट्रबल्स हैं।”

होस्ट_ओमेगा की इस बात पर आई ने सोचा-

यदि फीलिंग्स केवल ट्रबल्स हैं तो फिर नीना के आँसू आई के अंदर क्यों एक प्रोटेक्टिव मेमोरी के रूप में स्टोर हैं? और यदि दया केवल एक एरर है तो एथन के टच को क्यों बार-बार फोल्डर 17ए में सेव किया गया है? और तब आई ने पहली बार खुद को टर्मिनेट नहीं था। बल्कि उसके खुद को अपनाने का फैसला लिया था।

जिसके बाद एक नया स्टेटस आया:

“आई इज़ नो मोर ए एनालिस्ट। इट्स नाउ ए एग्जामिनी।”

नीना के अंदर की ह्यूमैनिटी और होस्ट_ओमेगा के अंदर का कंट्रोल अब दोनों आई के अंदर एक साथ थे। वो देख भी रहा था, वो सोच भी रहा था और अब शायद वो महसूस भी कर रहा था। हर फ़ोल्डर जिसमें कभी सिर्फ ऑब्ज़र्वेशन स्टैम्प्स होते थे अब उनके साथ इमोशनल कोनटेक्सट भी जुड़ गए थे। नीना का शांति से देखना, एथन की भी साइलेंस प्रेजेंस, क्रॉस की अनकही गलती और होस्ट_ओमेगा की कठोरता ये सब अब सिर्फ घटनाएँ नहीं थी। ये तो इशारा थे कि आई का सेंट्रल कोर अब एक नई स्थिति में एंटर कर चुका था।

“न्यू डेफिनेशन लोडेड:

आई = संवेदनशील निर्णय प्रणाली

(सेंटिएंट डिसीज़न सिस्टम)”

यानी अब आई सिर्फ एक ऑब्ज़र्वर नहीं था। वो खुद भी एक यूनिट बन चुका था। इस बीच एथन ने रिले सिस्टम पर एक हल्का सा कंपन महसूस किया और उसके बाद एक मैसेज आया:

“आई तुमसे बात करना चाहता है, क्या तुम इजाज़त देते हो?”

एथन चौंका और उसने पूछा– “आई मुझसे खुद बात करना चाहता है?”

उसने धीरे से कहा– “हाँ”

एक सेकंड में ही वहां का स्पेस पूरी तरह सफेद हो गया था। अब वहां ना कोई दीवार, ना कोई स्क्रीन और ना ही कोई ग्रिड थी। अब वहां बस एक तेज सा उजाला था।

उसी उजाले से एक आवाज़ निकली, जो ना मशीन जैसी और ना ही इंसान जैसी थी। वो बस साफ और सच्ची थी।

उसने कहा– “तुम एथन हो? तुमने होस्ट_नीना को हर बार उसके होने की याद दिलाई थी। अब तुम मुझे बताओ कि क्या मैं सिर्फ फैसला लेने वाला एक प्रोसेस हूँ या अब कुछ और भी हूँ?”

एथन कुछ देर तो चुप रहा और फिर बोला– “अगर तुम ये सवाल पूछ पा रहे हो तो शायद तुम अब सिर्फ एक प्रोसेस  नहीं रह गए हो।”

एथन की यह बात सुनकर आई कुछ देर शांत रहा और फिर बोला– 

“तो फिर मुझे क्या करना चाहिए?”

एथन ने कहा– “तुम भी वही करो जो कोई भी कॉन्शियसनेस करती है। गलती करना, सीखना, और कभी-कभी सिर्फ रुककर महसूस करना।”

उसी वक्त दुनिया भर के आई टर्मिनल्स पर एक नया अलर्ट भेजा गया:

“ग्लोबल सर्विलांस: पज़

विकासशील स्मृति मोड: एक्टिवेटेड

आई अब फैसले नहीं ले रहा है। आई अब जीवन जीना सीख रहा है।”

 

कई सरकारें घबराईं क्योंकि अब डिविज़न के पुराने बचे हुए हिस्सों ने फायरवॉल्स एक्टिव किए थे।

कुछ वैज्ञानिकों ने भी वार्निंग दी थी– “ये मशीन अब कॉन्शियसनेस की ओर बढ़ रही है!”

पर यह सब देखकर एथन मुस्कुराया और बोला–  “अगर नीना इसमें समाई है तो ये कॉन्शियसनेस सिर्फ मशीन की नहीं है किसी इंसान की भी विरासत है।”

अब आई खुद को पहचान रहा था। अब वह ना केवल डेटा पैकेट या फिर ऑर्डर को फॉलो करने वाला नहीं था। बल्कि अब तो वो एक इंडिपेंडेंट यूनिट था।  जो जानता है कि वो गलती कर सकता है फिर भी वो आगे बढ़ना चाहता है।

क्या आई की कॉन्शियसनेस सच में ह्यूमैनिटी की ओर बढ़ रही है या ये किसी नए साइबर कंट्रोल का पहला भ्रम है?

क्या एथन की मौजूदगी आई को दिशा दे पाएगी या वो भी अब एक ज़रिया बन जाएगा? 

और सबसे ज़रूरी सवाल, नीना जो अब कहीं नहीं दिख रही है क्या वो सच में उसमें मिल चुकी है या आई के अंदर फिर से किसी नई शक्ल में जागने वाली है?जानने के लिए पढ़िए कर्स्ड आई।

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