ओरायन स्क्रीन पर एक अजीब सी दुनिया देख कर चौंक गया। उसे समझ नहीं आया कि ये क्या है, उसकी स्क्रीन पर वो सब कहां से दिखाई दे रहा है। "ये कौन सी दुनिया है....क्या है ये...." कहते हुए ओरायन ने स्क्रीन को ज़ूम किया मगर उसने देखा कि स्क्रीन सामान्य हो चुका था। वापस से स्क्रीन पर डेटा दिखाई देने लगा था, जो पहले दिख रहा था।

ओरायन: "ये कैसे हो सकता है... अभी-अभी जो हुआ, क्या वो सच था....और अगर सच था तो फिर वो इस तरह अचानक से कहां गायब हो गया?"

कहते हुए ओरायन बेचैनी से स्क्रीन में उस दृश्य को देखने की कोशिश करने लगा, मगर उसे पूरी स्क्रीन यहां तक कि सारे फोल्डर्स में उसे कहीं कुछ नहीं मिला, जिसे उसने अभी-अभी देखा था। एक तरफ़ टैक्नोटोपिया में ओरायन बेचैनी से स्क्रीन में कुछ देखने की कोशिश कर रहा था तो वहीं दूसरी तरफ़ आर्केडिया में लूना अपने मां-बाबा के साथ बैठी हुई थी। उनके बीच इस वक्त बहुत ही गंभीर चर्चा चल रही थी। लूना इस वक्त पूरी कोशिश कर रही थी कि वो अपने मां-बाबा की बात बहुत ही ध्यान से सुने।

लूना की मां ने कहा, "तुम्हारी शक्तियाँ अभी पूरी तरह जागृत नहीं हुई हैं, लूना, तुम्हें ध्यान लगाना होगा।" "हां लूना... ये कितनी शर्म की बात है कि इस शहर के सबसे पुराने जादूगर की बेटी एक छोटी जादूगरनी बनकर रह गई है...." धूमकेतू ने कड़क आवाज़ में कहा, तभी लूना की मां ने देखा कि लूना कहीं खोई हुई है। वो फिर से एक बार ब्लैंक हो चुकी थी। लूना का शरीर उस जगह पर था, मगर उसका मन कहीं और चला गया था।

लूना को ब्लैंक होता देख उसकी मां ने धूमकेतू को इशारा किया, दोनों उसकी इस आदत से अब परेशान और हैरान दोनों थे। लूना की मां ने थोड़ी ऊंची आवाज़ में कहा, "लूना... तुम हमारी बात सुन रही हो?"

कहते हुए लूना की मां ने उसे कंधे से पकड़कर झकझोरा, अगले ही पल लूना हड़बड़ाते हुए अपने होश में आई। उसने ख़ुद को संभालते हुए कहा,

लूना:"हाँ,...हाँ, मां मैं सुन रही हूँ....सब कुछ सुन रही हूँ।"

उसकी मां समझ गई थी कि लूना झूठ कह रही है। इसके बाद लूना को किसी ने कुछ नहीं कहा।

लूना अपने मां-बाबा की खामोशी देख, सब समझते हुए अपने में जाने लगी। उसने कमरे में जाते हुए ख़ुद से कहा,

लूना:"आख़िर क्यों होता है ऐसा मेरे साथ, कब तक मैं इस तरह ब्लैंक होती रहूंगी...."

टैक्नोटोपिया और आर्केडिया में दोनों ही शख़्स बेचैन थे। लूना को आर्केडिया में कुछ अधूरा महसूस हो रहा था, वहीं ओरायन टैक्नोटोपिया में अपनी दुनिया से अलग कुछ ढूंढ रहा था। दोनों की हालत कहीं ना कहीं एक जैसी थी। लूना और ओरायन को ये नहीं पता था कि आख़िर उन्हें क्या चाहिए, उन्हें किस चीज़ की तलाश है?

लूना और ओरायन की बेचैनी को बयान करता है—दोनों अपनी-अपनी दुनिया में कुछ और ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं कि उन्हें क्या चाहिए। इधर ओरायन आज बाकी दिनों से जल्दी अपने लैब के अंदर आ गया था और एक बार फिर से 3D स्क्रीन में कुछ देखते हुए कैलकुलेशन्स करने लगा था। "सर अगर आप कहें तो ये काम हम कर दें..." पीछे खड़े एक असिस्टेंट ने कहा, मगर ओरायन ने ना में सिर हिला दिया। सारे असिस्टेंट चुपचाप ओरायन की बेचैनी देख रहे थे, आज वो पहले से ज़्यादा बेचैन नज़र आ रहा था।

वहीं ओरायन ने मन ही मन में सोचा,

ओरायन:"इन मशीनों से प्यार करने वालों को क्या समझ आएंगे इमोशन्स?"

अपनी आदत के अनुसार एक बार फिर से ओरायन ने अपनी मन की बात ज़ोर से कह डाली, जिसके बाद सारे असिस्टेंट उसे घूर कर देखने लगे। वहीं पीछे खड़ा एक शख़्स हंसते हुए ओरायन के पास आकर बोला, "तूने फिर से अपने मन की बात ज़ोर से कह दी...."

ओरायन:"तूझे मज़ाक सूझ रहा है......."

कहते हुए ओरायन शर्मिंदा होते हुए लैब से निकल गया, उसके पीछे-पीछे वो शख़्स आया।

उसे देखते ही ओरायन ने कहा,

ओरायन:"नोवा तू मेरा सबसे अच्छा दोस्त है...और तू जानता है ना मेरी ये अजीब आदत ऐसी है कि एक दिन मैं ज़रूर बहुत बड़ी मुसीबत में फंस जाऊंगा..."

ओरायन की बात समझते हुए, नोवा ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,

नोवा:"तेरी बात एकदम सही है... मगर तू मुझे एक बात बता.....तू इतना तर्क-वितर्क करता क्यों है, कभी-कभी तो भावनाओं पर भरोसा कर ले।"

ओरायन:"तू समझ नहीं रहा है कि इस वक्त मेरे अंदर क्या चल रहा है...."

ओरायन ने थोड़ा झल्ला कर कहा, जिसके जवाब में नोवा ने पूछा, "तू ही बता... आख़िर क्या चल रहा है?" मगर ओरायन को समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर वो अपनी परेशानी नोवा को कैसे समझाए।

इधर दूसरी तरफ़ आर्केडिया में लूना दोपहर के वक्त बिस्तर पर बैठी कल रात के बारे में सोच रही थी?

लूना:"क्या वो सब मेरा भ्रम था.... लेकिन ऐसा भ्रम मुझे आज से पहले नहीं हुआ..."

लूना ख़ुद में परेशान सोचे जा रही थी कि तभी खिड़की के दरवाज़े पर दस्तक हुई। लूना ने देखा, खिड़की के बाहर तारा अपने जादू से हवा में उड़ते हुए वहां आई है।

लूना ने बिना देर किए, खिड़की का दरवाज़ा खोल दिया और वापस जाकर कल के बारे में सोचने लगी। तारा ने उसे परेशान देख हैरानी से पूछा, "क्या बात है लूना?"

लूना:"यार!... मैं कल रात के बारे में सोच रही हूं... पता है तुम्हें विश्वास नहीं हो रहा है मगर कल रात मैंने एक गोल आकार का रोशनी से भरा हुआ वो दरवाज़ा देखा था, मैं जैसे ही उसके सामने गई....वो मुझे अपने क़रीब खींचने लगा।"

इतना कह कर लूना चुप हो गई। तारा ने उसकी बात सुन, लूना का माथा छू कर देखते हुए कहा,

तारा:"तुम्हारी तबियत तो ठीक है... फिर... कहीं तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया..."

लूना:"तारा... तुम्हें इस वक्त मज़ाक सूझ रहा है...."

लूना ने बिगड़ते हुए कहा, जिस पर तारा ने मुँह बना कर कहा, "हां तो और क्या करूं... ना जाने तुम कैसी-कैसी बातें कर रही हो?" लूना बिना जवाब दिए, कुछ सोचने लगी, उसके चेहरे के एक्सप्रेशन्स देख तारा ने अंदाज़ा लगाते हुए कहा, "लूना... सच-सच बता.... आखिर क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में?"

लूना:"मैं उस जगह पर आज दोबारा जाकर देखना चाहती हूं... हो सकता है वो दरवाज़ा मुझे फिर से दिख जाए।"

लूना के कहते ही तारा हैरान हो गई। उसने लूना को समझाते हुए कहा,

तारा:"लूना पागल मत बनो.... तुम्हें क्या लगता है कल जो तुमने देखा था, वो किसी दूसरी दुनिया जाने का रास्ता था....... लूना, ये सिर्फ तुम्हारा भ्रम हो सकता है। आर्केडिया से बाहर कोई दुनिया नहीं है। ये बात तुम्हें हर कोई कह देगा, वो भी यकीन के साथ...."

लूना:"ठीक है.... लेकिन मैं एक बार आज जाकर कन्फर्म करना चाहती हूं... अगर वो सब कुछ मेरा भ्रम होगा तो आज मुझे वहां कुछ नहीं दिखेगा... और अगर वो सब भ्रम नहीं हुआ तो मुझे जानने को मिल जाएगा कि आख़िर वो किस तरह का दरवाज़ा था?"

लूना की बातें सुन कर तारा परेशान हो गई थी, मगर वो उसे अकेले छोड़ भी नहीं सकती थी। उसने सीरियस टोन में कहा, "ठीक है मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगी.... लेकिन अगर वहां कुछ नहीं मिला तो फिर तुम दोबारा उस चीज़ का ज़िक्र नहीं करोगी.... ठीक है?"

लूना:"हां... लेकिन ये बात किसी को बताना मत.... आज शाम को ही हम उस जगह पर जाएंगे...."

लूना ने फ़ैसला करते हुए कहा। इधर टैक्नोटोपिया शहर में ओरायन अपने लैब में बैठ कर स्क्रीन में कैलकुलेशन करते हुए उस दृश्य को देखना चाह रहा था, जिसे उसने आज सुबह अपने घर पर देखा था। काफ़ी देर तक कोशिश करने के बाद ओरायन ने अपना फोन निकाला और ए.आई. एटलस से पूछा,

ओरायन:"बड्डी तुम पता करो... आख़िर आज जो कुछ भी मुझे स्क्रीन पर दिखाईं दिया था.... वो क्या था?"

एटलस ऑर्डर सुनते ही अपने काम पर लग गया, मगर काफ़ी देर तक सर्च करने के बाद भी एटलस को कुछ पता नहीं चल पाया क्योंकि एटलस उतना ज़्यादा एडवांस्ड नहीं था कि वो उस पोर्टल के बारे में पता कर सके।

ओरायन इस वक्त लैब में अकेला था, उसे एटलस से भी जब कुछ पता नहीं चला तो उसने टेबल पर हाथ मारते हुए कहा, "डैम इट!.... पता नहीं वो कैसा ग्लिच था..."

तभी समीर हंसते हुए लैब के अंदर आया और ओरायन को छेड़ते हुए कहा, "भाई तू इन सब में इतना डूबा रहता है, कभी तो लॉजिक को छोड़ और दिल की सुन।"

"दिल की सुनने से क्या वो ग्लिच मुझे दिख जाएगा...." ओरायन ये बात मन में सोचना चाह रहा था, मगर गलती से वो बोल पड़ा, जिसे सुनते ही नोवा ने हैरानी से पूछा, "क्या मतलब... कैसा ग्लिच?"

"नहीं.... नहीं कुछ नहीं.... तू जानता है ना मैं ऐसे ही..." ओरायन आगे कहता कि नोवा ने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा,

नोवा:"मैं तेरा दोस्त हूं... क्या बात है, मुझे सच बता? तू आख़िर सुबह से स्क्रीन पर क्या ढूंढ रहा है?"

ओरायन इस बार चुप नहीं रह पाया और उसने नोवा को सब कुछ बता दिया। पूरी बात सुन कर नोवा ने सीरियस टोन में कहा, "हम्म!!!... ये तो वाकई सोचने वाली बात है?"

ओरायन:"हां...कुछ तो है जो मुझे समझ नहीं आ रहा, नोवा। मैं उसे वापस लाना चाहता हूँ, पता नहीं ये कैसे होगा... मगर मुझे ये करना ही होगा।"

ओरायन ने निर्णय बनाते हुए कहा। एक तरफ़ ओरायन ने अपने मन में निश्चय कर लिया था तो वहीं दूसरी तरफ़ आर्केडिया में ठीक उसी वक्त लूना ने तारा के साथ उस जगह पर जाने के लिए निकली, जहां पर उसने पिछली रात को पोर्टल देखा था। दोनों घर बाहर तो आ गए थे मगर उन्हें डर था कि कहीं कोई उन्हें देख न ले। लूना ने सोचते हुए कहा,

लूना:"तारा तुम अपने जादू से हम दोनों को गायब कर दो, फिर कोई दिक्कत नहीं होगी?"

तारा: "लूना... मेरे पास इतनी पावर नहीं आई है... मैं सिर्फ़ ख़ुद को गायब कर सकती हूं.... इसलिए कुछ और सोचो..."

तारा के कहते ही लूना दिमाग दौड़ाने लगी। तभी उसे सामने एक दुपट्टा टंगा हुआ दिखा, लूना ने उसे जादू से अपने पास बुला लिया और चेहरे पर लपेटते हुए कहा, "अब तुम ख़ुद को गायब कर लो.... इसके अलावा हमारे पास अभी और कोई ऑप्शन नहीं है।" तारा ने वैसा ही किया, इसके बाद दोनों आगे बढ़ गई। थोड़ी ही देर में वो लोग जंगल के पास पहुंच गई, लूना ने चारों तरफ़ घने पेड़ देख कर कहा,

लूना:"यार तारा... कल रात मुझे एहसास ही नहीं रहा कि मैं अकेली जंगल में आ गई थी..."

तारा:"वही न... इसलिए तो मैं परेशान हो गई थी और भागती हुई यहां आ गई थी..."

तारा ने मुँह बना कर जवाब दिया। लूना थोड़ा आगे बढ़ी ही थी कि तभी उसे सामने बरगद का पेड़ दिखाई पड़ा, जहां गोल निशान बना था और पेड़ का वो हिस्सा जल गया था।

उसे देखते ही लूना एक पल में समझ गई, उसने यकीन के साथ कहा,

लूना:"देखो तारा... कल जो कुछ भी मैंने देखा था...वो सच था ना कि मेरा भ्रम...  यहां ये निशान इस बात का सुबूत है।"

तारा ने जब उस निशान को देखा, वो भी चौंक गई। उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था। "लूना मगर ये है क्या... ऐसा कुछ मैं पहली बार देख रही हूं..." तारा ने हैरानी से कहा, मगर तभी उसे एहसास हुआ कि लूना एक बार फिर से ब्लैंक हो चुकी है। तारा ने उसके कंधे पर हाथ रखा, लूना झटका खाते हुए अपने होश में आई और जैसे ही सामने देखा, उसे वो पोर्टल खुलता हुआ नज़र आया।

लूना: "तारा... ये देखो... इसकी रोशनी बढ़ रही है... कल जिस तरह इसका आकार बढ़ रहा था... आज भी वैसा ही हो रहा है..."

इधर दूसरी तरफ़ टैक्नोटोपिया में लैब के अंदर ओरायन एक बार फिर से स्क्रीन में कुछ सेटिंग्स कर रहा था मगर इस बार उसकी मदद को नोवा भी था। नोवा भी पूरी कोशिश में लगा हुआ था और वो ओरायन के कहे अनुसार सारा काम कर रहा था। काफ़ी देर बाद भी जब कुछ नहीं हुआ तो नोवा जाकर कुर्सी पर बैठ गया और ओरायन निराश हो गया।

ओरायन:"कल पूरी रात मैं जागा था... इसी कारण हो सकता है कि आज सुबह मुझे वो इल्यूजन हुआ.... हां वो एक ही इल्यूजन ही था... अब मैं इन सबके पीछे और वक्त बर्बाद नहीं कर सकता..."

कहते हुए ओरायन स्क्रीन को हटाने ही वाला था कि उसे अचानक से वही ग्लिच दिखाई पड़ा, धीरे-धीरे करते वो ग्लिच गोल आकार का बनते हुए पूरे स्क्रीन में फैल गया। "नोवा.... देख मैं इसी की बात कर रहा था...." ओरायन ने चिल्ला कर कहा, नोवा भी ये सब कुछ देख कर चौंक पड़ा। वो स्क्रीन के पास आकर सब कुछ देखते हुए बोला, "ओरायन ये कोई ग्लिच नहीं है..." ओरायन ने हड़बड़ाते हुए कहा,

ओरायन:"हां अब मुझे भी यकीन हो गया है... ये किसी पोर्टल जैसा दिखाई दे रहा है...मगर ये अचानक से यहां कैसे ओपन हो गया..."

दोनों को थोड़ी ही देर में पता चल गया कि ये कोई ग्लिच नहीं बल्कि कोई पोर्टल है। ओरायन ने गौर किया तो देखा, सामने उस पोर्टल के पार कुछ अलग सा नज़र आ रहा है।

ओरायन की जिज्ञासा देखते ही नोवा ने पूछा, "क्या तू सच में इसमें कूदने की सोच रहा है?" ओरायन ने एक पल के लिए सोच कर कहा, "मुझे देखना है कि ये क्या है...मुझे इसके अंदर जाना होगा..." "लेकिन भाई हम नहीं जानते कि ये पोर्टल तुझे कहां ले जायेगा.... ऐसे में..." नोवा कह ही रहा था कि ओरायन ने उसकी बात काटते हुए कहा, "इसलिए तो मुझे पता करना होगा.... मुझे सामने एक अलग दुनिया दिखाई दे रही है..."

इधर आर्केडिया में ठीक उसी वक्त लूना ने पोर्टल के पास जाकर कहा, "तारा ये दरवाज़ा कहीं और जाता है...मुझे इसके अंदर जाकर देखना होगा।"

"ये तुम क्या कह रही हो... ये खतरनाक हो सकता है लूना..." तारा ने चिल्ला कर कहा, मगर तभी उसने अपनी आँखों के सामने जो देखा, उसे देख वो चिल्ला पड़ी, "नहीं... नहीं...."

क्या हुआ आगे? जानने के लिए पढ़ते रहिए 

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