क्या हाल चाल हैं दोस्तो? सही चल रही है जिन्दगी? कोई शिकायत तो नहीं न जिन्दगी से? शिकायत होनी भी नहीं चाहिए. बस मेरी एक बात मान लें. जैसा चल रहा है वैसा एकदम न चलने दें. अगर ऐसा नहीं करेंगे तो एक दिन ऐसा आएगा जब सुबह ऑफिस के लिए निकलेंगे और मन में सवाल उठेगा कि क्या यार रोज़ रोज़ सुबह सुबह वही एक जगह रोज़ मुंह उठाकर पहुँच जाओ और एक ही काम को रगड़ते रहो. यह भी कोई जिन्दगी है भला?

नहीं है न? ऐसा है कि लाइफ में किक मारते रहिये. जब भी आपको लगे कि ससुरा एक जगह अटक गए हैं और रास्ता नहीं मिल रहा, ज़िन्दगी बोरिंग होने लगी है तो घबराइये नहीं, तुरंत रास्ता बदल लीजिये. चार दिन की जिन्दगी में ये सोचकर नहीं फंसे रहने का कि आगे क्या होगा? एक बात समझ लेने का, अच्छा हो बुरा हो, जो भी होगा न, उसे सेलिब्रेट करने का. क्यूंकि जिन्दगी रूकती नहीं है न! चलती जाती है, चलती जाती है.

समझे? नहीं समझे? तो बेकार में मत्था पच्ची नहीं करने का. कहानी सुनने का.

अब चुन्नी की चिंता में केवल एक ही बात. कैसे बने मकान और कैसे जुगाड़ किया जाए कागज़ पत्तर का. तो चुन्नी ने शहर में अपने इकलौते गुरु, उर्फ़ मोची से इस दुविधा को बता दिया. लेकिन मोची को यह बात हजम नहीं हुई. क्योंकि इतने सालों से इस शहर में रहने के बावजूद, लोगों के जूते घिस घिस के चमकाने के बावजूद, और सब तो छोड़ दीजिये—शहर में आये इस कल के मरियल परम प्रतापी की नौकरी लगवाने के बावजूद आज तक उसके मन में यह ख्याल कभी नहीं आया कि उसे भी अपने लिए एक मकान बनवाना चाहिए. ससुर ये कल का आया लौंडा अपने लिए मकान बनवाने का सोच रहा है और राय मांगने आया है मुझ बेघर से. वाह वाह. वाह रे भगवान. क्या खूब खेला. कभी मेरी बुद्धि में भी यह बात घुसा दिया होता. लेकिन नहीं. मुझे तो तुझे ताउम्र मोची ही बनाये रखना है न! तूने तो कभी चाहा ही नहीं कि ये लोगों के जूते चमकाने वाले इस बेचारे गरीब का भी घर हो. इसलिए आज तक मेरे मन में कभी यह बात तूने नहीं डाली.

हद है मेरी बुद्धि का भगवान! रोज़ सुबह तेरी पूजा अर्चना में लगा रहता हूँ. पूजा अर्चना के बाद ही लोगों के जूते चप्पल ठीक करता हूँ लेकिन कभी तूने मुझे सपने में भी घर का सपना नहीं दिखाया. बताओ भगवान! लोगों के सपनों में आकर तुम किसी को अमीर बनने का आशीर्वाद देते हो. किसी को घर बनाने का आशीर्वाद देते हो, किसी को सन्तान सुख का आशीर्वाद देते हो और एक मैं पगला हूँ, तुम्हारी इतनी भक्ति के बावजूद तुमने मेरे सपने में आकर भी मुझे यही आशीर्वाद दिया कि कल तुम्हारे पास फलाना ब्रांड का जूता आएगा सही होने, परसों तुम्हारे पास फलानी मैडम की चप्पल आएगी सही होने. बताओ भगवान! है न अन्याय. अब तुम्हें तो कुछ कह नहीं सकता, लेकिन उसी चप्पल से खुद को तो चार जूतियाँ बजा ही सकता हूँ न. कहीं तुम्हें यही देखकर मेरी हालत पर तरस आ जाए. और मेरी बुद्धि में भी तुम घर बनाने जैसा आइडिया डाल सको.

ये सब सोच सोचकर मोची इतना भावुक हो गया कि खुद के ही सर पर जूतियाँ पीटने लगा. चुन्नी को कुछ समझ ही न आया कि ये मोची को क्या हो गया. अभी तक तो सब कुछ ठीक ही था. मैंने घर बनाने वाली बात क्या बताई ये तो खुद ही को पीटने लगा. और जब चुन्नी ने देखा कि मोची लगातार खुद को मारे ही जा रहा है, तब उसने लपककर उसे रोकते हुए पुछा, क्या हुआ उस्ताद?

ये सुबह सुबह खुद को जूतियों से पीटने लगे. तब मोची को थोडा होश आया और उसने जवाब में कहा कि बस भाई कुछ अपने करम याद आ गए और इस बहाने अपनी किस्मत को पीटने लगा.

चुन्नी को अब भी कुछ समझ नहीं आया. थोड़ी देर इंतज़ार के बाद, जब उसने देखा कि मोची कोई जवाब नहीं दे रहा, तब उसने वहां से निकल लेना ही सही समझा तभी पीछे से मोची ने बुलाया अबे जा कहाँ रहा है? मकान बनाने का रास्ता मिल गया क्या? अरे हमें भी बताता जा. कौन सा खजाना हाथ लग गया? मिस चड्ढा तेरे प्यार में तो नहीं पड़ गयी? मुझे तो उस बुढिया पर पहले ही शक था. जवान लड़कों को फंसाना और उनसे अपने मन पसंद काम कराना. है न?

चुन्नी को मोची की बात बुरी लगी. मिस चड्ढा चाहे जैसी हो लेकिन अभी तक चुन्नी ने उनको ऐसा कोई काम करते हुए नहीं देखा था जिससे उसके मन में उनको लेकर कोई ऊटपटांग धारणा बने. चुन्नी ने मोची को झिडकते हुए कहा, उस्ताद, आप मेरे गुरु हैं, लेकिन ऐसी बाते न किया करें. मैडम और मिस्टर चड्ढा के बारे में तो बिलकुल ही नहीं. उन्ही का दिया खाता हूँ. उनके बारे में गलत सीधा एकदम नहीं सुन सकता.

इतना सुनकर मोची को लगा कि मामला शायद गंभीर हो गया है, तुरंत माहौल को बदलते हुए उसने चुन्नी के गाल खींचते हुए बोला अले अले अले, देखो देखो, अपने परम प्रतापी जी एकदम पक्के वाले नौकर हो गए हैं. हेहेहे

चुन्नी झेंप गया. उसने थोडा सिरियस होते हुए मोची से पूछा कि उस्ताद मैंने आपसे एक राय मांगी थी. उसका हल बता दो.

मोची ने कहा, एकदम बेटे, जरूर बताऊंगा. आखिर तेरा गुरु हूँ. मेरा तो धर्म है तुझे उपाय बताना. है कि नहीं/ लेकिन एक बात का ध्यान रखियो, गुरु दक्षिणा लगेगी. और उसके बगैर काम नहीं चलेगा.

चुन्नी ने कहा, हां हाँ ठीक है, उपाय बताइए.

मोची ने एकदम किसी सिद्ध योगी की तरह मुद्रा बनाई और हाथ में किसी जूते का फीता गोल गोल घुमाते हुए, आँखें मूंदते हुए कुछ बुदबुदाते हुए बीच-बीच में खड़े होते और एक जूते से मुट्ठी को छुआकर फिर बैठ जाते. चुन्नी को कुछ पल्ले ही न पड़े कि बात क्या है आखिर.

कुछ देर बाद मोची इस ड्रामे से, मेरा मतलब है कि इस समाधी से वापिस आये और आते ही उन्होंने एक गंभीर मुद्रा बनाते हुए कहा कि ह्म्म्म, तुम्हारे भाग्य में एक बड़े ही संपन्न घर का योग तो है ही लेकिन बेट्टे इसमें चुनौतियां बहुत आने वाली हैं. पर घबराने की बात नहीं. हमने एक ही मंत्र में बड़ी बड़ी चुनौतियों का हल निकाल दिया है.

चुन्नी ने मन में सोचा कि मोची का अब ये कौन सा नया अवतार है? चुन्नी ये सब सोच ही रहा था कि तभी मोची ने आँख बंद किये हुए ही कहा, तू इस शहर का नहीं है न? सच सच बोल?

चुन्नी को वाकई लगने लगा कि मोची कोई आम आदमी नहीं. उसने जवाब दिया कि हाँ उस्ताद हाँ. शहर का नहीं हूँ.

मोची ने पास पड़े जूते को पकड़ा और आँख बंद किये हुए ही एक जोर का जूता चुन्नी को मारा. और बोला, उस्ताद किसको बोलता है मूर्ख? क्या तेरे यही संस्कार हैं? एक बड़े साधू महात्मा को उस्ताद बोलते हुए शर्म नहीं आती? इसी पर एक जूता और जड़ देता है.

और बेचारा अपना चुन्नी जब तक कुछ समझ पाए, तब तक मोची आँख बंद किये हुए ही बोलता है कि मैं कोई उस्ताद नहीं हूँ, मैं श्री श्री श्री 1000 आठ जूतेश्वर साधू हूँ मूरख. वो तो ये मोची ने अपनी भक्ति से मुझे वश में कर रखा है. जब भी वो बुलाता है मुझे आना पड़ता है. अभी कुछ देर पहले उसने मुझे बुलाया इसलिए मैं आया हूँ. तुम यहीं पास ही रहते हो न कहीं? जहाँ बहुत गंदगी है?

बस, चुन्नी के लिए इतना ही हिंट बहुत था भरोसा करने के लिए.

तुरंत पैर पर लेट गया और मान ही लिया कि ये मोची का ड्रामा नहीं बल्कि साक्षात जूतेश्वर साधू की आत्मा बात कर रही है अभी.

चुन्नी ने कहना शुरू किया, माफ़ कीजिये साधू महाराज. गंवार आदमी हूँ, गाँव से आया हूँ, कुछ नहीं पता इस शहर के बारे में, आप तो सब कुछ जानते हैं, बताइए न कैसे घर बनाया जाए इंद्रपुरी में.

मोची ने इतना सुनकर हाथ में लपेटे हुए जूते के फीते को चुन्नी के गले में बांधते हुए कहा, बेटा सुन, इसे हमेशा बाँधकर रखना. ये धागा मैं साक्षात शिव के पैर से छुआ कर आया हूँ. तेरा कल्याण होगा बेटा. हमेशा इस मोची की बात मानना और इसे किसी तरफ की तकलीफ नहीं आने देगा. तेरा घर जल्दी बनेगा. अब मैं जाता हूँ. अपना गाल आगे कर.

चुन्नी गाल आगे करता है. तब खींच कर जूता उसके गाल पर पड़ता है और चुन्नी तमतमा जाता है और दूर जाकर खड़ा हो जाता है. चुन्नी अपना गाल सहला ही रहा होता है कि देखता है मोची जमीन पर गिर पड़ता है. चुन्नी को समझ में आता है कि साधू महाराज चले गए. गले में जूते का फीता बांधे चुन्नी बाबू उर्फ परम प्रतापी जी जाकर मोची को उठाते हैं और मोची के उठते ही उसके पैरों में गिर जाते हैं. और बोलना शुरू करते हैं कि उस्ताद मुझे माफ़ करना, मैंने आपको हमेशा ऐरा गैरा समझा है, लेकिन आज समझ आ गया कि जो आदमी जूतेश्वर महाराज जैसे परम साधू को अपने वश में कर ले, वो कोई आँडू पांडू आदमी नहीं है. आज से आप ही मेरे परम पूज्यनीय गुरु हैं. और आपके वचनों का मैं इकलौता प्रचारक हूँ उस्ताद. बस आप ये बता दीजिये कि किस तरह मैं अपना घर इंद्रपुरी में बना सकता हूँ? मेरी बहुत इच्छा है कि मिस चड्ढा की तरह मैं भी अपना एक महल बनाऊं, जिसमें वो सारी सुविधाएं मौजूद हों, जिनका आनंद उठाया जा सके.

मोची बाबू ड्रामा करते हुए ही बोले, हां हां, मुझे प्रतापी से मिलाओ, प्रतापी कहां है मेरा बच्चा?

चुन्नी ने एकबार तो ये सोचा कि मोची इतना सिद्ध पुरुष है? बताइए, भला इतना सिद्ध होकर भी और जिसकी देह में साक्षात जूतेश्वर महाराज की आत्मा आती हो, क्या उसे ये मोची का काम करना चाहिए? एकदम नहीं। बिलकुल नहीं ये तो पाप है। लेकिन चुन्नी जैसा भी था इतना भी मूर्ख नहीं था कि इस आत्मा को अपने ही जिस्म में बुलाने की प्रार्थना करने लगे। उसको एक मकान बनवाना है और वो भी किसी तरह। इसी का उपाय वो जानना चाहता है अपने मोची से जो यकायक जूतेश्वर के ड्रामें से बाहर निकला है। चुन्नी फिर मोची को हिलाते हुए जोर से पूछता है, बाबा, नहीं नहीं, उस्ताद कैसे बनेगा मेरा घर?

तब मोची कहता है, वो फीता कहाँ है?

चुन्नी बताता है कि गले में पहिन रखा है. साधू महाराज ने दिया है.

मोची कहता है, गुड वेरी गुड, आज तुम काम पर जाओ और परसो सफ़ेद रंग की शर्ट पहिनकर मिस बिड़ला से मिलो. भगवान तुम पर कृपा करेंगे.

दरअसल मोची ने सोचा था कि मिस बिडला से मिलने के बाद चुन्नी की नौकरी टाटा बाय बाय हो जायेगी और उसका घर वाला सपना एकदम भाड़ में ही चला जाएगा. जब मोची का घर नहीं बन सका तो इस कल के आये छोकरे का घर कैसे बन सकता है? एकदम नहीं बन सकता.

इधर अपना भोला भाला चुन्नी, जो आप जैसे सीधे सादे दोस्तों का ही दोस्त है, और आप जैसा ही सीधा है बेचारा मोची की बात को सच मान लेता है और परसों के इंतज़ार में लग जाता है.

समझे भाई लोगों? यह दुनिया इसी तरह की है. जिसे नचाना आता है, वही नचा सकता है और जिसे नाचना आता है वही नाच सकता है. लेकिन इस नाचने और नचाने में कहीं भी चैन नहीं है. इसलिए न नाचिये और न किसी को नचाने दीजिये.बल्कि पढिए अगला एपिसोड  कि क्या वाकई जूतेश्वर महाराज उर्फ़ मोची की बातें काम करेंगी या अपना चुन्नी जूते का फीता अपने गले में डालकर घर बनाने का सपना देखता ही रहेगा.

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