मीरा ने मुंबई जाने की फ्लाइट बुक करा ली थी, रात की फ्लाइट थी...दो घंटे पहले एयरपोर्ट पहुंचना था। पैकिंग करने के बाद मीरा पिछले चार-पांच दिनों में हुए घटनाक्रम के बारे में सोचने लगी।
राघव का अपना घर छोड़कर जाना, मेरा अचानक यहां आना और पापा की घिनौनी सच्चाई को अपनी आंखों से देखकर भी कुछ नहीं कर पाना।
मैं मजबूर ही नहीं, हर तरफ से लाचार हूं…मेरे पास पापा के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। आंखो देखी बात कोई नहीं मानेगा...पापा ने अपनी रेपुटेशन ही ऐसी बनाई है कि कोई मेरी बात पर विश्वास ही नहीं करेगा।
मीरा फिर उस अनजान मैसेज भेजने वाले इंसान के बारे में सोचने लगी…क्या वह अपने चीफ को मूर्ख समझता है?
मीरा को लगा कि क्या चीफ उसे आसानी से पकड़ नहीं सकता, आज के समय में किसी के बारे में कोई जानकारी हासिल करना बड़ी बात नहीं है।
क्या वह चीफ अपने अंडर काम करने वाले स्टाफ की फैमिली के बारे में कोई जानकारी नहीं रखता होगा?
मैं जल्दी ही पकड़ी जाऊंगी...।’’
मीरा के मन की यह परेशानियां शायद वह लैब वाला अजनबी समझ रहा था...उसने मीरा को फिर से एक मैसेज किया। पर मीरा ने फोन साइलेंट पर कर रखा था, इसलिए मैसेज आने की कोई आवाज ही नहीं हुई, अगर वह मैसेज देख लेती तो शायद इन परेशानियों से मुक्त हो जाती।
मीरा अपने ही ख्यालों में खोई थी कि नीता ने कमरे में आ गई...उनके एक हाथ में खाने पीने के सामान से भरे छोटे-छोटे डिब्बे थे और दूसरे हाथ में वौ एक छोटी सी कटोरी लिए हुए थी।
डिब्बे नीता मीरा के पैकिंग वाले सूटकेस के पास रखते हुए बोली, ‘’ये कुछ लड्डू और भुने हुए ड्राई फ्रूट है, इन्हें भी सूटकेस में डाल लेना, थोड़े दिन तो रूक जाती तो अच्छा होता...ऐसे अचानक केवल एक दिन के लिए आना मेरी समझ में नहीं आ रहा...तुम्हारी तबीयत भी ठीक नहीं है।
कुछ क्षण चुप रहने के बाद वे फिर बोली, ‘’मैंने एक झाड़ फूंक करने वाले बाबा से तुम्हारे बारे में बात की है…सारी बातें सुनने के बाद उन्होंने कहा कि तुम पर किसी ने काला जादू किया है।’’
यह सुनते ही मीरा ने नीता को घूरकर देखा…पर नीता चुप नहीं हुई
‘’जानती हूं कि तुम यह सब नहीं मानती....काला जादू तुम्हारे लिए बकवास है, पूजा पाठ टाइम की बरबादी है, पर मेरी मानों तो थोड़ी देर के लिए चलो, वैसे भी तुम्हारी फ्लाइट तो पांच घंटे बाद की है। बाबा के यहां पहुंचने में आधा घंटा लगेगा और कुछ उपाय बताएंगे...फिर तुम एकदम सही हो जाओगी, तुम्हारे मन में उल्टे सीधे विचार आने बंद हो जाएंगे।‘’
मीरा सूटकेस में बचे हुए सामान रखते हुए बोली...’’मां प्लीज, चलिए मान लेती हूं कि कल जो कुछ मैंने देखा वह एक भ्रम था पर मैं एकदम ठीक हूं। प्लीज मुझे इन बाबाओं के चक्कर में फंसाकर और भी पागल मत करो, मुझे कल से आफिस ज्वाइन करना है...बहुत काम पड़ा है।’’
‘’पता था ऐसा ही कुछ बोलोगी...जैसी तुम्हारी मर्जी, अच्छा ऐसा करो कम से कम यह चरणामृत तो पी लो…तुम्हें अच्छा लगेगा।‘’ कहकर नीता ने चरणामृत से भरी कटोरी मीरा की ओर बढ़ाई।
दही से बना चरणामृत देखकर मीरा ने मुंह बना लिया,’’मम्मी आप जानती हैं ना कि मुझे दही एकदम नहीं पसंद है, और ऊपर से ठंड के मौसम में तो मैं दही एवाइड करती हूं…कोई फल ही दे दीजिए।‘’
‘’चरणामृत प्रसाद है, इसका ऐसे अपमान तो मत करो, यह एकदम नार्मल है, दो चार घूंट पीने से कुछ नहीं होने वाला। मैं तो पूरा एक गिलास पीकर आई हूं, जबकि डॉक्टरों ने तो मुझे दही खाने को मना किया है।‘’
‘’हां शौक से खाइए, फिर रात भर खासिए‘’ मीरा ने बनावटी नाराजगी दिखाते हुए कहा।
‘’यह दही नहीं है, चरणामृत है, अब चलो पी-लो।‘’
मीरा ने कटोरी नीता के हाथ से लेकर एक ही सांस में पी ली। मीरा से कटोरी वापस लेते हुए नीता ने पूछा, ‘’तुम हर बार बता कर आती हो..इस बार ऐसे अचानक क्यों..? तुम्हें कैसे पता चला कि हम मसूरी में नहीं नोएडा में हैं?
‘’बस पता चल गया, बार बार एक ही सवाल‘’
मीरा ने मन ही मन सोचा...यह तो आपको पापा से पूछना चाहिए कि वे बार-बार मसूरी छोड़कर मौत की दवाई बनाने के लिए नोएडा क्यों आते हैं, आप या तो बहुत भोली हैं, या फिर बहुत ही ज्यादा बेवकूफ।
नीता ने फिर से वही बात दोहराई, ‘’तो तुम्हें बाबा के पास नहीं चलना है..?’’ इस बार उनके स्वर में सख्ती थी।
मीरा ने भी उसी स्वर में जवाब दिया, ‘’नहीं बिल्कुल नहीं और मेरी एक बात मानिए, आप मसूरी ही चली जाइए तो ज्यादा अच्छा है…क्या पता यहां किसी दिन कुछ ऐसा धमाका हो जाए जिसे आप सहन ही न कर सकें।‘’
कहते-कहते मीरा को ऐसा लगा जैसे उसका सिर अचानक से घूम गया, आंखो के सामने सबकुछ धुंधला सा होने लगा।
नीता ने कहा, ‘’तुम्हारी सोच की सूई अभी भी वहीं टिकी है, मतलब तुम अब भी मानती हो कि तुम्हारे पापा कुछ गलत कर रहे हैं।‘’
‘’मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा.....आपकी हेल्थ के लिए कह रही हूं….नोएडा में ठंड के समय बहुत पॉल्युशन होता है, और कुछ नहीं।‘’
कुछ सेकेंड कमरे में खामोशी बनी रही, एक अनकहा सा तनाव दोनों के बीच पसरा हुआ था।
‘तुम्हारे पापा तो तुम्हें एयरपोर्ट ड्राप करने नहीं आ पाएंगे’
‘’मुझे किसी की जरूरत नहीं है‘’ मीरा को एहसास हुआ कि उसे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था, उसने नीता की ओर देखा, उनकी आंखे भीगी हुई थी।
‘’मेरे कहने का मतलब है कि अब मैं अकेले कहीं भी आ जा सकती हूं, मुंबई पहुंचने पर फोन करूंगी।‘’
मीरा का सिर फिर से वैसे ही घूमने लगा।
कुछ देर की खामोशी के बाद नीता ने फिर पूछा, ‘’अच्छा मुझे उस लड़के का नाम तो बताओ...जिसने तुम्हारा मन बदल दिया है‘’
मीरा ने नीता की ओर देखा, ‘’कितनी मासूम और भोली हो तुम, अपने पति से न जाने कितने सालों से छली जा रही हो और अब बेटी भी छल रही है...पर मैं मजबूर हूं, मैं अपने पापा को और आपके पति को वापस लाने के लिए यह सब कर रही हूं। सच तो यह है कि अब मैं प्यार कर ही नहीं सकती, राघव के चले जाने के बाद ही सब खत्म हो चुका है।‘’
‘’क्या सोच रही हो...अरे मैंने तो अपने होने वाले दामाद का केवल नाम ही तो पूछा है....कौन सा उसका बैंक बैलेंस, उसका पास्ट या उसके कैरेक्टर के बारे में बात की है।‘’
‘’अभी नहीं बता सकती...उनकी फैमिली भी आपकी तरह पूजा पाठ वाली है...जब तक शादी तय नहीं हो जाती है, लड़का लड़की अपने घरवालों को एक दूसरे के बारे में कुछ नहीं बताएंगे। दो महीने बाद यानी फरवरी में उनके कोई पहचान के पंडित जी हैं, वे हिमालय में किसी एकांत जगह कोई जप-तप करते हैं, जब वे हिमालय से लौटेगें फिर उनका आर्शीवाद लेने के बाद बात आगे बढ़ाई जाएगी....तब तक हम अपने परिवार वालों को कुछ और नहीं बताएंगे।‘
मीरा ने एकदम सफेद झूठ बोला...क्या दो महीने के अंदर-अंदर वह सच में किसी लड़के से प्यार का नाटक कर सकती है..?
राघव के अलावा किसी और के बारे में कभी सोचा नहीं और जब राघव ने इतनी बुरी तरह से दिल तोड़ा तो प्यार से ही भरोसा उठ गया....उसे मुझे बताना चाहिए था कि मीरा मैं एक नैना नाम की धोखेबाज औरत के चंगुल में फंसा हूं...तुम्हारे पापा ने तुम सबको अंधेरें में रखा हुआ है। उसी रात न सही बाद में तो बता सकता था, आखिर पांच साल बाद उसने मेरे पापा की सच्चाई बता ही दी....अगर वह उस समय खतरे में था तो आज भी तो खतरे में है।
क्या वह चीफ, वह मौत का सौदागर जिससे मुझे प्यार करना है, वह राघव का मर्डर नहीं करवा सकता है? क्या ....चीफ मुझे नहीं मरवा सकता.? उस फार्महाउस में बहुत से ऐसे लोग हैं जो चीफ को बता सकते हैं कि फार्महाउस में जो लड़की घुसी थी वह मेंटल नहीं थी वह अमरीश मल्होत्रा की बेटी थी, तो क्या चीफ मुझ तक नहीं पहुंच सकता? उस मैसेज भेजने वाले को यह समझ नहीं है कि अगर मैं उसके चीफ को अपने प्यार के जाल में फसाउंगी तो वह मेरे बारे में पता करने की कोशिश नहीं करेगा।‘’
मीरा अपनी बेचैनी से भरी उलझी-उलझी बातों में खोई थी.......उसे ऐसा लगा जैसे कुछ भुनभुनाती सी आवाज उसके कान के आस-पास शोर मचा रहे हैं।
नीता का तेज स्वर मीरा की कान में पड़ा, ‘मीरा...कहां खाई हो?‘’
मीरा जैसे गहरी नींद से जाग उठी..’’हां हां मां कुछ कह रही हैं क्या आप…?’’
‘’लो मैं तो कब से बक-बक किए जा रही हूं तुम न जाने कहां खोई हो? मैं तो यह कह रही हूं कि तुम तो पूजा पाठ करने वाली फैमिली में शादी कर रही हो, इतने बड़े शहर में रहने वाले लोग क्या इतमे नियम कानून मानते हैं?‘’
‘’हां, उनकी कुछ पुरानी परम्पराएं हैं, जिनसे वे जुड़े हुए हैं‘’ मीरा को अपने सिर में कुछ भारीपन सा लगने लगा...ऐसा लगा कि वह अब गिर जाएगी, यह अचानक से क्या हो गया है मुझे, अभी थोड़ी देर पहले ही मैं एकदम ठीक थी। आंखो के सामने सारी चीजें जैसे घूम रही है, शरीर की ताकत ही खत्म हो रही है, पैर में खड़े होने का भी दम नहीं रहा, ऐसा लग रहा है जैसे अब किसी भी समय गहरी नींद आ सकती है।
‘’अच्छा मां, मैं थोड़ा थक गई हूं, थोड़ा रेस्ट कर लेती हूं‘’ मीरा ने सिर पकड़कर लड़खड़ाते स्वर में कहा।
नीता बोली, ‘’तुम थकी नहीं हो....मैंने चरणामृत में नशे की दवा मिला दी थी, तुम्हारे ऊपर जो काला जादू किया गया है उसे उतारना बहुत जरूरी था, तुम तो ऐसे सीधे तरीक से मानने से रही, तो बाबा ने मुझे बेहोश करने वाला पाऊडर दिया था, ताकि तुम्हें चरणामृत में मिलाकर पिला दूं और उसके बाद बाबा के दो शिष्य तुम्हें उठाकर ले जाएंगे। तुम्हारे ऊपर जो काला जादू किया गया है, उसका निवारण भी कर देंगे.....तुम एकदम ठीक हो जाओगी और अपने पापा के ऊपर कोई भी इल्जाम लगाने से पहले सौ बार सोचोगी। ‘’
यह सुनकर नशे की हालत में भी मीरा के होश उड़ गए....वह बेदम और बेहोश होने की हालत में भी गहरे शाक्ड में आ गई थी..उसकी अपनी मां ढोंगी बाबाओं के पास ले जा रही।
मीरा को अपनी पूरी जिंदगी तबाह होते दिख गई, उसकी भोली मां को पापा ने जिंदगी भर बेवकूफ बनाकर अंधेरे में रखा और पता नहीं किस बाबा ने मां के साथ छल कर लिया... बेहोश होते होते भी मीरा किसी तरह ताकत जुटाकर बोली, ‘’नहीं मां...प्लीज.…प्लीज मुझे किसी बाबा के पास मत ले जाओ, मुझ पर कोई काला जादू नहीं हुआ है।‘’ कहते कहते मीरा धम्म से अपने बिस्तर पर गिर गई।
नीता की आंखो में चमक आ गई, चरणामृत का असर दो घंटे रहेगा…तब तक बाबाजी मीरा के शरीर पर छाए काले जादू को दूर कर देंगे..’’ नीता अपने घर के नीचे खड़े बाबा के दोनों शिष्यों को बुलाने चली गई, ताकि वे मीरा को उठाकर बाबा के पास लेकर चले जाएं।
मीरा के इस कमरे में नीता और मीरा के अलावा भी कोई और था, जो अलमारी के एक कोने में छिपकर इन दोनों की बातें सुन रहा था।
मीरा को बेहोश होता देख और नीता के नीचे जाते ही उस छिपे हुए आदमी के चेहरे पर दुष्टता भरी चमक आ गई।
कुछ तीन मिनट बाद नीता बाबा के दो शिष्यों के साथ वापस मीरा के कमरे में लौटी….
मीरा अपने बिस्तर पर नहीं थी…वह अपने कमरे में ही नहीं थी।
नीता सन्न रह गई, उन्होंने डर के मारे अपनी छाती पर हाथ रख लिया।
दो दिन पहले मुंबई रेलवे स्टेशन पर जब मीरा सूर्या के साथ राघव से मिलने आई थी।
मीरा के जाने के बाद राघव अगली स्टेशन पर कबीर को लेकर उतर गया और पूणे शहर के एक अज्ञात स्थान पर पहुंच गया। उसे दिल्ली जाना ही नहीं था, वह तो मीरा की नजरों से हमेशा के लिए दूर होना चाहता था।
राघव, कबीर के साथ पूणे में एक छोटे से घर के सामने खड़ा था, उस घर के चारों ओर टमाटर के पौधे लहलहा रहे थे।
राघव ने दरवाजा खटखटाया, राघव के बगल में खड़ा कबीर चारों ओर बड़ी हैरानी से देख रहा था, ‘’पापा क्या हम दिल्ली आ गए?‘’
‘’नहीं बेटा, अभी कुछ जरूरी काम है, हम बाद में दिल्ली चलेंगे‘’ राघव ने झूठ बोला।
‘यहां कौन रहता है?‘’
‘’यहां, तुम्हारे जैसा ही एक प्यारा सा लड़का रहता है, उसका नाम रेयांश है, फ्रेंडशिप करोगे?‘’
‘’हां, पर स्कूल में भी मेरे बहुत सारे फ्रेंडस हैं‘’ कबीर ने भोलेपन से कहा।
‘’कोई बात नहीं, एक और फ्रेंड बना लो, रेयांश का कोई फ्रेंड नहीं है।‘’
कहकर राघव ने खुद से ही कहा, ’’मैं दिल्ली नहीं जा सकता...यह तो मीरा का ध्यान भटकाने के लिए किया गया था। अगर मीरा नोएडा के उस फार्महाउस में पहुंच गई तो कबीर की जान पर आ जाएगी, पांच साल मैंने लोगों से छिपकर कबीर की परवरिश की…आगे भी ऐसा ही करना होगा। अभी सबके सामने आकर जीने का समय नहीं आया है। मीरा, प्लीज मुझे माफ करना।
दरवाजा खुला, राघव का कालेज का स्कूल फ्रेंड जतिन सामने खड़ा था। राघव को देखते ही जतिन ने घबराकर बाहर चारों ओर देखा और जल्दी से कबीर और राघव को अंदर लाते हुए बोला, ‘’तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था…कुछ पता भी है तुम्हें…नैना तुम्हें और कबीर को मारने के लिए अपने आदमी दिल्ली भेज चुकी है।‘’
‘’जानता हूं, इसलिए तो मैं दिल्ली नहीं गया…अगले स्टेशन पर ही उतर गया, पर मैं मीरा के बारे में सोच रहा हूं, जब उसका सामन हकीकत से होगा तो क्या होगा। कहीं उसके पापा और नैना उसे मार न दें, मुझे उसे ऐसे नहीं भेजना चाहिए था।‘’
जतिन ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘’मैं मीरा को कुछ नहीं होने दुंगा....उस फार्महाउस के लैब में हमारे भी कुछ लोग हैं, जो मीरा को सावधान कर देंगे। लेकिन राघव, तुम मेरी बात मानों तो कुछ समय के लिए अंडरग्राउंड हो जाओ.…कबीर को मेरे पास रहने दो, मैं उसका ध्यान रखूंगा और रेयांश के साथ उसका एडमिशन भी करवा दूंगा। तुम नहीं जानते हो कि जब से तुम मीरा से दोबारा मिले हो, खतरा कितना बढ़ गया है, उनका चीफ एलर्ट हो गया है और वह पॉलिटिशियन बलवंत किशोर....वह भी बहुत ताकतवर हो गया है..।‘’
राघव ने खिड़की के बाहर देखते हुए कहा, ‘’जानता हूं, कबीर तुम्हारे पास सुरक्षित है और अब मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है, अब मैं इस चीफ और बलवंत को दिखाउंगा की बदला लेना किसे कहते हैं।‘’
कहकर राघव की आंखे दहक उठी।
मीरा के कमरे में कौन छुपा था?
नीता को बहकाने वाला वह बाबा कौन है?
बेहोश मीरा कहां गायब हो गई?
पॉलिटिशियन बलवंत का सच क्या है, उसने राघव के साथ क्या किया था?
जानने के लिए पढ़ते रहिए ‘बहरूपिया मोहब्बत!’
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