संजू का अचानक रोहित का नाम लेना नेहा को शरम से लाल कर देता है। नेहा अपने चेहरे पर आई मुस्कान को छिपाने की पूरी कोशिश करती है, लेकिन संजू उसे बहुत अच्छे से जानती थी। उसे समझने में ज्यादा समय नहीं लगा कि नेहा के मन में क्या चल रहा था।

संजू ने पीसफुली अपनी बात रखी कि उसे पहले से पता था कि नेहा भी रोहित को पसंद करती थी। नेहा ने थोड़ा रुखेपन से जवाब देते हुए बोला कि ऐसा कुछ भी नहीं था और रोहित बस उसका एक बहुत अच्छा दोस्त था। उसने संजू से उल्टी-सीधी बातें न करने के लिए भी बोला।

संजू ने उसकी बात को हंसी में टालते हुए बोला कि रोहित सिर्फ एक दोस्त था, क्योंकि नेहा ने उसे हमेशा ही फ्रेंड ज़ोन में रखा हुआ था। उसने यह भी जोड़ा कि पूरे कॉलेज को यह बात पता थी कि रोहित उसे पसंद करता है, सिर्फ नेहा ही इस बात से अनजान थी। संजू की बातों ने नेहा को असमंजस में डाल दिया, लेकिन उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान अब भी थी।

नेहा और रोहित कॉलेज के दिनों से अच्छे दोस्त थे। संजू के बाद, रोहित, नेहा का सबसे करीबी दोस्त था। दोनों ने कॉलेज में बहुत समय साथ बिताया था। हालांकि नेहा भी रोहित को बहुत पसंद करती थी, लेकिन रिजेक्शन के डर से नेहा ने अपने दिल की बात अपने दिल में ही रखी थी। उसने अपनी फीलिंग्स के बारे में संजू को भी नहीं बताया था।

नेहा: बकवास मत करो।
संजू: "जो भी हो, पर सच तो ये है कि मृत्युंजय तुम्हें डिज़र्व नहीं करता।"

मृत्युंजय का नाम सुनते ही नेहा के चेहरे से मुस्कान गायब हो गई। संजू को अब पछतावा हुआ, की कितनी मुश्किल से नेहा के चेहरे पर मुस्कान आई थी, उसे मृत्युंजय का नाम नहीं लेना चाहिए था। संजू ने नेहा के चेहरे पर अचानक उदासी देखकर नेहा के मन को हल्का करने की कोशिश की।

 

संजू: सॉरी नेहा, चलो कुछ और बात करते है।

नेहा ने हल्का सा मुस्कराते हुए सिर हिलाया, लेकिन उसकी आंखों में एक गहरी उदासी झलक रही थी। वो समझ नहीं पा रही थी कि संजू से क्या कहे। संजू ने बात का रुख बदलने की कोशिश की। नेहा और संजू बचपन की यादों में खो गए। दोनों एक पल के लिए हँसी में खो गए, लेकिन नेहा की मुस्कान के पीछे का दर्द संजू को साफ नजर आ रहा था।

संजू ने बात को गंभीरता से लिया और नेहा की तरफ़ देखा। उसे लगा कि नेहा को वाकई एक ब्रेक की जरूरत है। उसने नेहा से कहा कि उसे खुद को रिसेट करने के लिए इस सारी नेगेटिविटी से दूर होना चाहिए।

नेहा ने संजू की बात का जवाब दिया कि वह भी यही चाहती है, लेकिन उसे यह समझ नहीं आ रहा है कि उसे जाना कहां चाहिए।

संजू ने तुरंत कहा कि वे किसी ट्रिप पर चल सकते है।, इससे नेहा को भी अच्छा महसूस होगा, और वे दोनों एक-दूसरे के साथ कुछ समय बिता पाएंगे।

नेहा ने संजू को साफ शब्दों में कहा कि उसे शांति चाहिए, न कि किसी ट्रिप पर जाने की हलचल। वह फिलहाल ऐसी सिचुएशन में नहीं थी कि कहीं घूमने जा सके।

 

संजू को अब बिलकुल भी समझ नहीं आ रहा कि आखिर वो नेहा का मूड कैसे ठीक करे। कितनी भी इधर-उधर की बातें कर लो, पर नेहा के चेहरे पर छाई उदासी जाने का नाम ही नहीं ले रही थी। तभी संजू को मेडिटेशन कैंप की याद आती है, जब संजू के जीवन में कुछ सही नहीं था, तब मेडिटेशन कैंप ने उसकी मदद की थी। संजू ने नेहा को भी मेडिटेशन कैंप जाने की सलाह दी।

संजू: "मुझे याद है, जब मेरी ज़िंदगी में सब कुछ बिखरा हुआ था, तब मेडिटेशन कैंप ने मुझे बहुत सुकून दिया था। वहाँ मैंने खुद को समझा और अपनी परेशानियों से थोड़ी दूर रहकर नए तरीके से सोचने का मौका पाया। तुम्हें भी वहाँ जाकर थोड़ा समय बिताना चाहिए। यह तुम्हारे लिए बहुत अच्छा होगा।"

नेहा ने हामी में सिर तो हिलाया, पर वो अभी श्योर नहीं थी कि वो कहीं जाना चाहती है भी कि नहीं। नेहा को अब इस चार दीवारी में एक अलग सुकून मिल रहा था, वो अपने कमरे से अब नहीं निकलना चाहती थी।

 

संजू: प्रॉमिस मी, तुम कम से कम वहाँ जाने के बारे में सोचोगी।
नेहा ने संजू को कोई जवाब नहीं दिया, वो बस चुपचाप अपने बाएं बाथ कि तीसरी उंगली में पड़ी शादी की अंगूठी को, उंगली में पहने-पहने ही गोल-गोल घुमाने लगी। नेहा का किसी चीज़ से खेलना का मतलब था कि नेहा अब और बात नहीं करना चाहती। संजू को नेहा की इस पुरानी आदत के बारे में पता था। संजू नेहा को बाय  बोलकर वहाँ से चली जाती है।

संजू के जाने के बाद नेहा अपने बेड पर लेट जाती है। संजू का आना नेहा को बहुत अच्छा लगा था। संजू से बात करके नेहा को हल्का महसूस होने लगा था…नेहा को संजू की मेडिटेशन कैंप वाली बात सही तो लगी थी, पर वह अभी कहीं नहीं जाना चाहती थी। इसी बीच मिसेज सिंघानिया ने नेहा को नाश्ते के लिए बुलाया, टेबल पर एक अलग सी खामोशी छाई हुई थी।

 

नेहा अपने पेरेंट्स की तरफ़ देखती है, उसके पेरेंट्स के चेहरे पर छाई शिकन देखकर नेहा से नहीं रहा जाता। नेहा अपने चेहरे पर एक बड़ी सी हंसी लाकर अपने पेरेंट्स से इधर-उधर की बात करने लगती है। अब टेबल पर खामोशी नहीं हंसी ठिठोली की आवाज गूंजने लगी।

नेहा नाश्ता करके अपने कमरे आ जाती है। नेहा ने ऑफिस से एक हफ्ते की छुट्टी ले रखी थी। अब नेहा को समझ नहीं आ रहा कि वो कमरे पर बैठे-बैठे क्या करे। किताबें उठाई, पर पढ़ने का मन नहीं, पेंट्स उठाए, पर पेंटिंग तो आती ही नहीं। थक हारकर नेहा वापस अपने बेड पर लेट जाती है। नेहा अपने मां-बाप को इस तरह दुखी नहीं देख सकती थी। नेहा आखिरकार संजू के सुझाए मेडिटेशन कैंप में जाने को राजी हो जाती है।

अगले ही दिन नेहा ने लैपटॉप खोला और इंटरनेट पर मेडिटेशन कैंप के बारे में जानकारी जुटाने लगी। उसने कुछ घंटे अलग-अलग साइट्स देखीं, रिव्यूज़ पढ़े, और कई ऑप्शंस को ध्यान से कंपेयर किया। तभी उसकी नज़र एक फेमस मेडिटेशन कैंप पर पड़ी जो उसके शहर के बाहरी छोर पर, यानि मेन सिटी से बस कुछ किलोमीटर की दूरी पर था। वो कैंप मेंटल पीस और इमोशनल वेल-बींग पर फोकस्ड था। कई लोगों ने इस कैंप के बारे में शानदार फीडबैक शेयर किया था।

नेहा ने बिना देर किए उस कैंप की सारी डिटेल्स देखीं। वहाँ एनरोलमेंट फॉर्म भी था। नेहा की किस्मत भी उसके साथ थी। बस एक ही दिन में नेहा को कैंप की तरफ़ से मेल  भी आ गई। उसे ईमेल में बताया गया कि उसकी एप्लिकेशन सेलेक्ट हो चुकी है और दो दिन बाद से कैंप की क्लासेस शुरू हो जाएंगी। अब नेहा के पास बस दो दिन थे, जिसमें नेहा को कैंप के लिए सारी शॉपिंग और पैकिंग करनी थी। नेहा बिना समय गंवाए संजू को कॉल करके इसके बारे में बताती है। संजू ने नेहा का इस मुश्किल घड़ी में बहुत साथ दिया, संजू का हर रोज नेहा के घर आना, नेहा के साथ टाइम बिताना, हंसी-मजाक करना इन सब ने नेहा को डिप्रेशन में जाने से रोक रखा था।

संजू ये न्यूज़ सुनते ही नेहा के घर आ गई।

संजू: नेहा, चलो हमें बहुत सारी शॉपिंग करनी है।

मिसेस सिंघानिया: अरे, कहां चल दी सवारी? और शॉपिंग क्यों?

संजू: आंटी, आपको नहीं पता? हमारी नेहा मेडिटेशन कैंप में जा रही है। अब वहाँ बोरिंग सलवार सूट तो नहीं पहनेगी ना। इसीलिए शॉपिंग।

 

मेडिटेशन कैंप का प्रोसेस इतनी तेजी से पूरा हो गया था कि नेहा को अपने पेरेंट्स से इस बारे में बात करने का समय ही नहीं मिल पाया था। उसने सोचा कि डिनर के बाद इस टॉपिक पर बात करेगी। शाम से पहले, नेहा ने संजू के साथ शॉपिंग पर जाने का प्लान बना लिया। दोनों ने मिलकर समय बिताया और नेहा थोड़ा हल्की महसूस करने लगी।

डिनर के बाद, नेहा ने बड़ी एक्साइटेड होकर अपने पेरेंट्स के सामने बात रखी. उसने बताया कि वह एक मेडिटेशन कैंप में जाने वाली है । नेहा ने अपनी ग़लती मानते हुए माफी भी मांगी कि वो उन्हें पहले इस बारे में नहीं बता पाई।

नेहा की बात सुनकर मिस्टर सिंघानिया ने शांत होकर कहा कि वे सिर्फ यही चाहते है कि नेहा खुश रहे। अगर उसे लगता है कि मेडिटेशन कैंप उसके लिए फायदेमंद होगा, तो उसे जरूर जाना चाहिए।

 

कैंप, बंगलौर से कुछ दूरी पर स्कंदगिरी हिल्स में था, इसीलिए नेहा को उसी दिन निकलना पड़ा। दूसरी ओर, मृत्युंजय नेहा का इंतज़ार करते-करते थक चुका था। नेहा के घर से जाने के बाद, उसने एक बार भी मृत्युंजय को कॉल या मैसेज नहीं किया था। कनिका के कहने पर मृत्युंजय ने नेहा को स्पेस तो दिया, लेकिन अब उसके सब्र की सीमा खत्म होती जा रही थी।

नेहा के मेडिटेशन कैंप के लिए निकलने के कुछ घंटे बाद ही मृत्युंजय, नेहा के घर पहुँच गया और बार-बार बेल बजाने लगा। दरवाज़ा मिसेज सिंघानिया ने खोला। मृत्युंजय को देखते ही मिसेज सिंघानिया चौंक गईं।

मिसेज सिंघानिया: “अरे मृत्युंजय, तुम अचानक से...”

मृत्युंजय: "मम्मी जी, नेहा कहाँ है?"

मृत्युंजय ने नेहा से मिलने के लिए बहुत बेचैनी महसूस की। नेहा को घर छोड़े लगभग तीन दिन हो गए थे, और अब मृत्युंजय एक सेकंड भी नेहा को देखे बिना नहीं रह सकता था।

मिसेज सिंगानिया: "नेहा यहाँ नहीं है।"

ये सुनकर मृत्युंजय का मुंह बन जाता है, और उसकी आँखों में चिंता साफ झलकने लगी।

मृत्युंजय: "क्या मतलब नहीं है! कहाँ है नेहा?"


मिसेज सिंगानिया: “नेहा नहीं चाहती कि तुम जानो कि वो कहाँ है। बड़ी मुश्किल से अब वो थोड़ा मुस्कुरा रही है। मैं नहीं चाहती कि तुम उससे अब मिलो।”

मृत्युंजय: "मम्मी जी, ये सब…ये सब, बस एक मिसअंडरस्टैंडिंग है। एक बार प्लीज़ आप मुझे नेहा से मिलवाइए। आइ एम श्योर, सब क्लियर हो जाएगा।"

दरवाज़े पर शोर सुनकर मिस्टर सिंगानिया भी वहाँ आ जाते है। मृत्युंजय को दरवाज़े पर देख मिस्टर सिंघानिया आग बबूला हो जाते है।

मिस्टर सिंगानिया: "मृत्युंजय, तुम यहाँ से जाओ। जब नेहा को तुमसे मिलना होगा, वो खुद कॉल कर लेगी।"

ये कहकर मिस्टर सिंघानिया दरवाज़ा बंद कर लेते है। मृत्युंजय भी मायूसी के साथ वहाँ से चला जाता है।

इस बीच, नेहा ने अपनी कार में बैठकर मेडिटेशन कैंप की ओर अपना सफर शुरू किया। जैसे-जैसे वह बंगलौर शहर से बाहर निकलती गई, चारों ओर का नज़ारा बदलने लगा। शहरी भागदौड़ से दूर, उसने हरे-भरे खेतों और छोटे-छोटे गाँवों को देखा। हवा में ताजगी थी, और पेड़ों की सरसराहट एक म्यूजिक  की तरह सुनाई दे रही थी।

छोटी-छोटी सड़कें अब नेहा को सुकून दे रही थीं। वह उस सेमी-अर्बन शहर की ओर बढ़ रही थी, जहाँ सिर्फ शांति थी। रास्ते में नीले आसमान के नीचे, खेतों में काम करते किसान और बच्चे खेलते हुए दिखाई दे रहे थे।

इसी बीच, नेहा की कार के बगल से एक बिल्कुल अलग सी दिखने वाली, महंगी और शानदार बाइक गुज़री। यूँ तो नेहा के कार के बगल से ढेरों गाड़ियाँ निकली थीं, लेकिन शहर में इस तरह की स्पोर्ट्स बाइक कोई आम नहीं थी। नेहा ने देखना चाहा कि आखिर कौन है ये अमीरज़ादा जो ऐसी महंगी स्पोर्ट्स बाइक चला रहा है।

बाइक एक लड़का चला रहा था, जिसका चेहरा हेलमेट से ढका हुआ था। नेहा ने ध्यान से देखने कि कोशिश की, पर उस हेलमेट की वजह से बाइक वाले का चेहरा कुछ नजर नहीं आ रहा था। नेहा ने एक बार फिर उसे देखने की कोशिश की, लेकिन वो शख्स तेजी से गायब हो गया…आखिर कौन था ये आदमी, जिसको देखने के लिए नेहा की नज़रें उसका दूर तक पीछा कर रही थीं…? दोस्त, जानकार या फिर कोई और?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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